कर्म ही इंसान की पहचान है – एक प्रेरक कहानी – karam hi insan ki pehchan hai –
व्यक्ति की पहचान उसकी पोशाक से नही होती बल्कि उसके कर्म से होती है , जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए और जिंदगी में आगे बढने के अच्छे काम करने चाहिए…जिंदगी बेहतर होती है जब हम खुश होते है लेकिन बेहतरीन तब होती है जब दूसरे हमारी वजह से खुश होते हैं …..
कर्म ही इंसान की पहचान है – एक प्रेरक कहानी
एक सहेली को किसी काम से फोन किया तो वो उदास सी बोल रही थी मेरे पूछ्ने पर बताया कि आज के बच्चे किसी की सुनते ही नही … मेरे पूछ्ने पर कि हुआ क्या तो बोली कल blood donate डोनेट कर के आया है … सुनकर मैने ये कहा कि अरे ये तो अच्छी बात है …
बहुत अच्छा काम किया तो इस पर वो बोली कि अच्छे काम का ठेका हमी ने ही थोडे ना लिया हुआ है इतनी बडी दुनिया है … कोई और दे आए … पर बच्चे समझते ही नही और बाद मे फोन करती हूं कह कर फोन रख दिया …
और मैं सोचने लगी कि न तो हम अच्छा काम करते हैं और अगर कोई और करता है तो उसे सराहते ही नही …महत्ता समझते हैं तो बस घर बंगला ,धन दौलत रुपया पैसा इसी की महत्ता समझते हैं और इसी के पीछे भागे जा रहे हैं
वैसे इसी बात पर एक कहानी याद आ रही है कि एक बहुत अमीर आदमी था. उसका बेटा बस अपने मे ही रहता था पैसे का घमंड ही करता रहता था … किसी की कोई मदद नही कोई एप्रीशियेशन नही … कुछ नही करता था … अमीर आदमी जब मरने लगा अपने बेटे को पास बुला कर बोला कि बेटा जब मैं मर जाउं तो ये फटी जुराब जरुर पहना देना …
ये कहते कहते वो मर गया… शमशान धाट ले जाने से पहले वो जब फटी जुराब पहनाने लगा तो पंडित जी ने मना किया कि ये सही नही है पर बेटा अडिग रहा कि पिता जी ने कहा था … बहुत गहमा गहमी हो गई और पंडित जी ने और पंडितो की बैठक बुलाई … जब बैठक चल रही थी तो एक आदमी अमीर आदमी की वसीयत लेकर लडके पास आया कि आपके पिता ने कहा था कि आप इसे जरुर पढ लें …
उस पर लिखा था … मेरे बेटे देखा तुमने … कार , बंगला हीरे जवाहारात तो दूर की बात है मैं तो फटी जुराब तक साथ लेकर नही जा सका … इस धरा पर सब धरा रह जाएगा .. जाएगा तो बस हमारे अच्छे कर्म …
इसलिए कर्म अच्छे करो , सम्मान दो, लोगो को अच्छा बनने की शिक्षा दो अपनी शिक्षा से लोगो को जागृत करो ताकि जाने के बाद भी लोग हमे याद करें .. जब काम ही नही करेंगें तो कौन याद रखेगा … अब उसे समझ आ गई थी … अच्छे काम करने शुरु किए सम्मान करना शुरु किया …
कहने का मतलब यही है कि हम बस धन दौलत रुपया पैसा के पीछे ही भागते रहते हैं जबकि हमें अच्छे कर्म करने चाहिए लोगो अपना पन भाई चारा , रखना चाहिए उनकी जितनी हो सके मदद करनी चाहिए … ये तो एक उदाहरण था … तो कहिए क्या सोचा आपने …
कर्म ही इंसान की पहचान है – एक प्रेरक कहानी
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