Mother deserves highest Love and Respect – माँ होती है सबसे ज्यादा प्यार और सम्मान की हकदार – Manushi Chhillar – Miss World 2017 …. और विश्व सुंदरी हैं भारत की मानुषी छिल्लर 2017.. जब ये खबर हैडलाईन बनी तो बहुत गर्व भी और खुशी भी बहुत हुई कि हमारा देश भी किसी से कम नही चाहे खेल का मैदान हो या अंतरिक्ष में जाने की बात हो या सुंदरता का खिताब हो…
Mother deserves highest Love and Respect – माँ होती है सबसे ज्यादा प्यार और सम्मान की हकदार
वैसे मानुषी की एक और बात ने सभी का दिल जीत लिया और वो है प्रतियोगिता के दौरान … कोश्चन रांऊड में उनका एक जवाब… उनसे जब पूछा गया कि किस प्रोफेशन को सबसे ज्यादा सैलरी मिलनी चाहिए और क्यों. उन्होनें कहा मां को… सबसे ज्यादा इज्जत मिलनी चाहिए और जहां तक सैलरी की बात है तो इसका मतलब रुपयों से नहीं बल्कि सम्मान और प्यार से है…. बहुत केयरिंग होती हैं और उसके बदले वो यही चाहती है कि उसे बस प्यार और आदर मिले और कुछ नही..
मां की खासयियत होती ही यही है कि वो अपने लिए कुछ नही चाहती न अपना ख्याल रखती है… उसके लिए सब कुछ उसका घर परिवार ही होता है… और हम for granted ले लेते हैं..
इसी बारे में एक प्रसंग याद आ रहा है कि बहुत पहले पढा था कि भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे तब उन्हें काफी समय लग गया। छठा दिन हो गए और स्त्री की रचना अभी अधूरी थी। इसलिए देवदूत ने पूछा – भगवान, आप इसमें इतना समय क्यों ले रहे हो? भगवान ने जवाब दिया-
क्या तुमने इसके सारे गुण खासियत देखी हैं, जो इसकी रचना के लिए जरूरी हैं। यह हर प्रकार की परिस्थितियों को संभाल सकती है।
यह एकसाथ अपने सभी बच्चों को संभाल सकती है एवं खुश रख सकती है। अपने प्यार से घुटनों की खरोंच से लेकर टूटे दिल के घाव भी भर सकती है। 18 घंटे काम भी कर सकती है। देवदूत हैरान रह गया अच्छा ?? और आश्चर्य से पूछा
देवदूत ने नजदीक जाकर स्त्री को हाथ लगाया और कहा- भगवान यह तो बहुत नाजुक है। भगवान ने कहा- हां, यह बाहर से बहुत ही नाजुक है, मगर इसे अंदर से बहुत मजबूत बनाया है। इसमें हर परिस्थितियों का संभालने की ताकत है। यह कोमल है पर कमजोर नहीं है। देवदूत ने पूछा- क्या यह सोच भी सकती है? भगवान ने कहा- यह सोच भी सकती है और मजबूत होकर मुकाबला भी कर सकती है।
देवदूत ने नजदीक जाकर स्त्री के गालों को हाथ लगाया और बोला- भगवान ये तो गीले हैं। लगता है इसमें से कुछ बह रहा है। भगवान बोले- यह इसके आंसू हैं। देवदूत- आंसू किसलिए? भगवान बोले- यह भी इसकी ताकत है। आंसू इसको फरियाद करने, प्यार जताने एवं अपना अकेलापन दूर करने का तरीका है।देवदूत- भगवान आपकी रचना अद्भुत है। भगवान बोले- यह स्त्रीरूपी रचना अद्भुत है। यही हर पुरुष की ताकत है, जो उसे प्रोत्साहित करती है। वे सभी को खुश देखकर खुश रहती हैं, हर परिस्थिति में हंसती रहती हैं। उसे जो चाहिए, वह लड़कर भी ले सकती है।
मगर हर परिस्थितियों से समझौता करना भी जानती है।
देवदूत- भगवान आपकी रचना संपूर्ण है। भगवान बोले- ना, अभी इसमें एक त्रुटि है। यह अपनी महत्ता भूल जाती है। घर पर किए काम को कभी पैसे से नही तोलती… उसे चाहिए तो बस प्यार और सम्मान और वो हमे देना चाहिए… हम देते ही नही… हुक्म भी चलाते हैं बत्तमीजी से भी बोल जाते हैं… आप बताईए क्या सोचते हैं..
Leave a Reply