नकारात्मक सोच को बदलने का तरीका – समाज मे जिस तरह से नकारात्मकता बढती जा रही है अच्छाई बहुत दूर जाती जा रही है ऐसे में क्या करें कि लोगो में सकारात्मक सोच लाई जा सके …समाज में बुराई बनाम अच्छाई का कोई कॉम्पीटिशन ही नही रह गया … विजेता बुराई ही है तो ऐसे में क्या करें ?? https://www.facebook.com/linkmonicagupta
नकारात्मक सोच को बदलने का तरीका
समाज में बुराई बनाम अच्छाई … समाज में बढ रही नकारात्मक सोच को कैसे बदलने का एक तरीका ये भी है ….
मेरी एक जानकार को अचानक खून की जरुरत पडी जब तक हम होस्पिटल पहुंचे एक व्यक्ति blood donate कर रहे थे … ये उनका 100वा रक्तदान था … उनका जज्बा उनका जोश देखते हुए मैने उनसे कहा कि आपके बारे में मैं लिखना चाहूंगी … अपने बारे में बताईए कि कब से donate करना शुरु किया और कैसे … इस पर उन्होने मना कर दिया कि अरे नही … मैं तो साधारण सा आदमी हूं … मेरे बारे मे क्या लिखोगे …और वो चले गए …
मुझे याद आया कि एक हमारे बहुत close friend हैं उनका दिल्ली जाते हुए accident हो गया तो रास्ते से जा रही एक कार मे एक couple बैठा था उन्होने न सिर्फ तुरंत पुलिस को inform किया बल्कि car मैं बैठा कर अस्पताल भी ले गए और तब तक बैठे रहे जब तक उनके रिश्तेदार नही आ गए … वो भी गुमनाम ही रह गए …
कुछ तो मदद करने वाले सामने नही आना चाह्ते क्योकि वो sincere होकर काम करते हैं दिखावा पसंद नही … और वहीं कुछ हमारा media , news ,न्यूज चैनल सकारात्मक खबर दिखाने से परहेज करता है इसलिए अच्छाई और सच्चाई कही दब कर रह गई है …
क्या आप जानते हैं कि समाज में ज्यादा है जबकि बुराई बहुत कम
मैने कही पढा था कि अच्छाई ज्यादा है जबकि बुराई बहुत कम पर दिक्कत ये है कि अच्छी बाते सामने नही आने पाती … ये बात मैने फेसबुक पर भी पूछी तो ज्यादातर के यही विचार थे अच्छाई ज्यादा है पर दबी हुई है …
कुछ लोगो के विचार …
Govind Sharma – अच्छाई ज्यादा है, पर बुराई का बोलबाला ज्यादा है |
Bharat Bhushan Arora – हो सकता है अच्छे लोग ज्यादा हों, लेकिन फिर भी यहाँ बुराई ताकतवर है हावी है
Dharam Pal Chaudhary – Your query is just like … Which is more ; Sugar or Salt?
Definitely Sugar is more but when Salt present in excess of its permissible limit…. It causes hue n cry…Ashutosh Agnihotri – फिलहाल अच्छाई बुराई पर भारी है, इसीलिए तो जिंदगी की जंग जारी है।
अन्तर सोहिल – अच्छे लोग ज्यादा दीखते हैं मुझे तो ……. वो बात अलग है कि खुद को ज्यादा अच्छा दिखाने के लिए दूसरे को बुरा कहना पड़ता है
Ashwani Sharma – अच्छा या बुरा होना व्यक्ति की सोच , संस्कार और परिस्थितियों पर निर्भर करता है । व्यवस्था की भी बहुत महत्तवपूर्ण भूमिका रहती है व्यवस्था में सुधार से बुराई ख़त्म होती है ।
बुराई का बोलबाला इस लिए है कि व्यवस्था में खामियां है और हर व्यक्ति किसी परिस्थिति में एवं किसी के लिए अच्छा होता है और अन्य परिस्थिति में या किसी दुसरे के लिए अच्छा होता है।सो
हिसाब लगाना मुश्किल है ।Deepak Sharma – बुराई
Sanju Mehta – Kisi dum pe ti desh chal rha h
Rajindera Sachdeva Rajan – achhai, ya burai, har insaan ki apni paribasha hai
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आज सोशल मीडिया पर नेगेटिव खबरे ही ज्यादा वायरल होती हैं जैसाकि … एम्बूलेंस नही मिली तो पत्नी की बॉडी को कन्धे पर डालकर चला या सडक दुर्धटना हुई और तो उसकी मदद करने की बजाय या तो उसका वीडियो बनाते रहे या पीडित आदमी का मोबाईल ही उठा कर भाग गए … ये देख कर मन मे यही रहता है कि बुरा ही बुरा है हर जगह …
एक बच्चे ने रेल हादसा होने से रोका क्या आपको पता है … यूपी के अठसैनी गांव के रेलवे फाटक के रेल पटरी टूटी देखी तो दस साल के बच्चे सलमान ने रुकवाया हादसा
तो प्रश्न ये उठता है कि हम अब क्या योगदान दे सकते हैं … हम इतना तो कर ही सकते हैं कि अपने आसपास कोई भी अच्छा काम होते हुए देखें उसे लिखे सोशल मीडिया का फायदा उठाते हुए … उनके बारे में पॉजिटिव लिखें ताकि अच्छाई सामने आए और लोग देखा देखी अच्छे काम करने के लिए प्रेरित हों … अच्छाई अच्छाई अच्छी लिखते रहें लिखते रहें जिससे बुराई दब जाए … मीडिया जब नेगेटिव न्यूज दिखा सकता है तो हम क्या पोजिटिव को नही दिखा सकते … जरुर सोचिएगा …
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