Parents Interference after Marriage – ससुराल में मायके की दखलांंदाजी – शादी जैसा पवित्र रिश्ता जिसे सात जन्मों का भी कहा जाता है पर कई बार कुछ बातें ऐसी हो जाती हैं कि इसमें दरारे पडनी शुरु हो जाती हैं और एक दिन रिश्ता ढह जाता है… कारण बहुत से होते हैं जिसमें एक कारण है कि शादी के बाद उसके मायके की तरफ से ससुराल में हद से ज्यादा दखलअंदाजी… आज मैं बताती हूं 9 बातेंं कि किस तरह की interference होती है..
Parents Interference after Marriage – ससुराल में मायके की दखलांंदाजी –
Insecure Feel करते हैं
पहली बात तो ये कि बेटी की शादी के बाद मायके वाले Insecure Feel करते हैं कि बेटी का प्यार अब कम हो जाएगा… पहले जो सिर्फ उन्ही का था अब उतना नही रहेगा.. इसलिए वो बहुत बार जरुरत से ज्यादा केयर करने लगते हैं..
इमोशनल डिस्ट्रब करना..
फोन करके बार बार जताते है कि कि तेरे पापा सारा दिन उदास रहते हैं.. खाना भी नही खाते.. मेरा भी मन नही लगता किसी काम में..
उसे adjust होने का समय नही देते
उसे बार बार फोन करना बार बार उसके ससुराल मिलने आना. दूर दराज की रिश्तेदारी में कोई छोटा सा फक्शन भी होगा तो उसे आने के लिए फोर्स करना.. कही न कही दखलांदाजी होती है.
जल्दी जल्दी मायके आने का न्योता देना..
मायके पक्ष को सोचना चाहिए कि उसे सेट होने दो अपने नए माहौल में पर फोन करके कि बहुत याद आ रही है. मन उदास हो रहा है… आजाओ और वो भी एक दो दिन नही हफ्ते भर के लिए मन नही भरता.. बिना ये सोचे कि उनके पीछे घर पर भी यानि पति को और दूसरे सदस्यों को दिक्कत हो सकती है… ये दखलांदाजी नही तो क्या है?
बार बार बात पूछ्ना
ससुराल के बारे में छोटी से छोटी पूछ्ना. दिन में चलिए एक बार बात कर ली और हाल चाल पूछ लिया पर दिन में आठ आठ बार दस बार फोन करना और सारी बात पूछ्ना कि नहा ली क्या? नाश्ता कर लिया क्या? लंच क्या बनाना है ?? एक एक बात छोटी से छोटी बात की जानकारी रखना दखलांदाजी नही तो क्या है?
गिल्टी फील करवाना
बहुत बार लडकी शादी के बाद अपनी ससुराल में adjust हो गई और वो घर पर फोन कम करती है या आना जाना कम है तो भी उसे जताना कि तू तो हमे भूल गई.. हमारी याद भी नही आती… ऐसा क्या जादू कर दिया ससुराल वालो ने.. यानि उसे महसूस करवाते हैं ये भी कहीं न कहीं एक तरह की दखलांदाजी ही होती है..
Transparency नही रखते
जब कभी ससुराल आते हैं तो इच्छुक रहते हैं कि अलग बैठ कर बात करें.. इससे मन में शका हो जाती है कि ऐसी क्या बात है ?? उससे और लोगो में दूरिया बढती हैं. जबकि आए तो सभी के साथ मिल बैठ कर बात करनी चाहिए बेशक, बात कर सकते हैं पर कुछ दो धंटे के लिए आए हैं और घंटे से ज्यादा अकेले ही लगा रहे हैं तो.. तो दखलांदाजी हो ही गई..
उकसाना
ससुराल में किसी बात को लेकर बेटी को उकसाना. जैसे मान लीजिए ननद हैं और उसकी शादी नही हो रही… तो कहना कि कब तक रहेगी ये इस घर में. जब तक रहेगी तेरी नही चलेगी या पति अगर अपने परिवार की केयर करता है उन का ध्यान रखता है तो अपने मां की हाथ की कठपुली हैं इस तरह की बातें करना ये दखलांदाजी नही तो क्या है?
लेना देना ससुराल के स्टेटस के हिसाब से ज्यादा करना
बहुत बार ये भी देखने में आता है मायके वाले ससुराल पर हावी होने की कोशिश करते हैं ज्यादा लेन देन करके.. इससे ससुराल वालो में कॉम्प्लेक्स सा मन में आ जाता है कि खुद को ज्यादा दिखाने का प्रयास कर रहे हैं.. ऐसे उपहार देना जो बहुत ज्यादा लगे.. कही न कही रिश्ते में दरार या दूरिया कडवाहट आ जाती है
अब आप ही बताईए ये दखंलादाजी नही तो क्या है?? ऐसे मे मायके वालो को बहुत समझदारी से काम लेना चाहिए.. और कोशिश यही करनी चाहिए कि कम से कम दखल दें और समय समय पर बेटी को भी समझाएं… क्या भूमिका होनी चाहिए किस तरह से समझान चाहिए ताकि उनके आपसी सम्बंध मजबूत बने इस बारे में मैं जल्द ही बताऊंगी…
जाते जाते एक बात जरुर कहना चाहूंगी कि जो रिश्ते गहरे होते हैं वो अपनेपन का शोर नहीं मचाते…
Parents Interference after Marriage
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