Sabar Ka Phal – एक प्रेरक कहानी – सब्र का फल – Fruit of Patience – Inspirational Story
मैं जा रही हूँ और मेरी जगह नुकसान आ रहा है… तैयार हो जाओ…
अच्छा … बस एक विनती है कि नुकसान आए तो आने दो लेकिन उससे कहना की मेरे परिवार में आपसी प्रेम बना रहे। बस मेरी यही इच्छा है। लक्ष्मी जी ने तथास्तु कहा।
कुछ दिन के बाद- सेठ जी की सबसे छोटी बहू दाल बना रही थी। उसने नमक आदि डाला और अन्य काम करने लगी
तब दूसरे लड़के की बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई. तीसरी आई उसने भी दाल चलाई नमक डाला और चली गई इसी प्रकार सास आई और वो भी नमक डालकर चली गई..
दोपहर को खाने खाने सेठ जी आए पहला निवाला मुह में लिया
देखा बहुत ज्यादा नमक है। लेकिन वह समझ गया नुकसान आ चुका है। उन्होने संयम रखा और कुछ नही कहा चुपचाप खाना खाया और चले गए..
इसके बाद बङे बेटे का नम्बर आया। पहला निवाला मुह में लिया। उसे बहुत नमक लगा..
पूछा पापा ने खाना खा लिया क्या ?? कुछ कहा उन्होनें ? सभी ने उत्तर दिया-” हाँ खा लिया, कुछ नही बोले” अब लड़के ने सोचा जब पिता जी ही कुछ नही बोले तो मै भी चुपचाप खा लेता हूँ
पहले वालो के बारे में पूछते और चुपचाप खाना खा कर चले गए
रात को नुकसान आया और सेठ जी से कहने लगा -,”मै जा रहा हूँ ”
सेठ जी ने पूछा- क्यों ? तब नुकसान (हानि ) कहता है, ” आप लोग तो इतना नमक खा गए .. लेकिन बिलकुल भी झगड़ा नही हुआ।
संयम रखा संयम से पैदा हुआ प्रेम.. मेरा यहाँ कोई काम नहीं।” और उसके जाते ही लक्ष्मी प्रकट हुई उन्होने बोला कि जब तुमने ये कहा कि हम सब प्रेम से रहे… तो जहां प्रेम है वहां तो मुझे होना ही होता है और जहां मै हूं वहा धन और सफलता तो आएगी ही आएगी… संयम रख कर प्रेम को पाया जा सकता है और जहां प्रेम होता है वहां लक्ष्मी जी का वास होता है…
झगड़ा कमजोरी, हानि, नुकसान की पहचान है। जहाँ प्रेम है, वहाँ लक्ष्मी का वास है
परिस्थितियां कभी भी समस्या नहीं बनती…. समस्या तभी बनती है, जब हमें परिस्थितियों से निपटना नहीं आता
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