एक कहानी यह भी – हृदयस्पर्शी कहानी सरप्राईज – ek kahani yeh bhi .एक बार की बात है अक्सर कहानी ऐसे ही शुरु होती है कहानी लेखन भी एक कला है और कहानियां हमेशा कुछ न कुछ सीखा कर जाती हैं और अगर बड़े बुजुर्गों का महत्व ki kahani हो तो…
एक कहानी यह भी – हृदयस्पर्शी कहानी सरप्राईज
सरप्राईज अक्सर अच्छे भी लगते हैं और चौंका देते हैं … आज जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रही हूं ये कुछ समय पहले मैने लिखी थी …और कहानी का शीर्षक है सरप्राईज
हृदयस्पर्शी कहानी सरप्राईज
कहानी है 70 साल के राम बाबू की … राम बाबू सोफे पर अध लेटे टीवी पर सपरिवार सीरियल देख रहे थे. उसमे एक सीन दिखा रहे थे कि परिवार के बुजुर्ग का जन्मदिन होता है और सभी मिल कर सरप्राईज पार्टी देते हैं.
अचानक मन ही मन दिमाग पर जोर डाला तो राम बाबू को याद आया कि परसो उनका भी जन्मदिन आ रहा है. जरुर उनके परिवार वाले भी कुछ सरप्राईज देंगें.
देखते ही देखते परसो का दिन भी आ गया. राम बाबू हमेशा की तरह तैयार हो गए.पर सुबह से किसी ने उन्हे मुबारक बाद नही दी .राम बाबू मन ही मन यही सोच कर खुश होते रहे कि बच्चे सरप्राईज दे रहे हैं ना इसलिए विश नही कर रहे.
दोपहर को सोते हुए उन्होने कुछ सुना तो था कि बाबू जी को वहा ले जाएगे उन्हे पता नही नही चलेगा. खैर वो चुपचाप रहे. शाम हुई .बच्चे तैयार हुए और बोले की बाजार चलो कुछ काम है आपका भी मन बदल जाएगा.
रामबाबू इसी बात का इंतजार कर रहे थे उन्होने 100 -100 रुपए के लिफाफे बच्चो को बधाई स्वरुप देने के लिए जेब मे डाल लिए थे.
वो कार में बैठे और बच्चे कुछ सामान डिक्की में रखवा रहे थे … बाजार जरा दूर था .वो सोचते जा रहे थे कि ना जाने कहा पार्टी होगी. किस किस को बुलाया होगा सच आज उनकी पत्नी सुषमा उनके साथ होती तो कितनी खुश होती.
तभी उनके पोते ने बोला…. दादाजी उठिए … आखं खुली तो सामने वृद्ध आश्रम था. उनकी सांस वही रुक गई. बच्चे कार की डिग्गी से सामान उतार रहे थे. इतने मे आश्रम का चौकीदार भागा भागा आया.और वो सामान ले जाने लगा. बेटा बोला… बाबूजी … आज आप !!!!
रामबाबू सन्न रह गए .ये कैसा सरप्राईज था.
तभी पोते ने आवाज दी. दादू उठो !!! आप तो सो ही गए थे! धबरा कर वो उठे और जान मे जान आई कि वो सब सपना ही था पर आखं खुलते ही सामने वही वृद्ध आश्रम था.
इस बार वो सपना नही था. सच, मे उन्हे वही लाया गया था. उधर चौकीदार भागता भागता आया और बोला आपका ही इंतजार था. बडी मुश्किल से खुद को संयत करके कापंते पैरो से वो भीतर पहुचे …. तो वो बहुत बडा सरप्राईज था.
उनके जन्मदिन के शुभ अवसर पर सभी बूढे लोगो को बांट्ने के लिए कंबल मगवाए गए थे. अपनी सोच पर गर्दन झटकते हुए आखो मे खुशी के आसूं लिए वो सभी को कंबल बांढने मे जुट गए और सरप्राईज पार्टी यादगार बन गई … बच्चे अपने प्यारे दादू को मुबारक बाद देने मे जुट गए.
कई बार सरप्राईज ऐसा भी होता है …
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