स्वच्छता का महत्व समझना बहुत जरुरी है. लोगों को स्वच्छता का अहसास करवाना जरुरी है ताकि वो इसकी मह्त्ता समझ सकें. इसके लिए सभी को मिल कर पहल करनी होगी
swachata ka mahatva
कैसे करवाया स्वच्छता का अहसास
स्वच्छता का महत्व जहन में रखते हुए स्वच्छता का अहसास करवाया गया.
बात 2007 -2008 की है तब स्वच्छता अभियान हरियाणा के जिला सिरसा में जोर शोर से चला हुआ था. Zee News की रिपोर्टर हम इस अभियान की डाक्यूमैंट्री बना रहे थे तो स्वाभाविक है गांव गांव जा कर लोगो से इस अभियान के बारे मे साक्षात्कार ले रहे थे.
गांव में जा जा कर लोगों को समझाना कि खुले में शौच न जाओ ये अच्छा नही है …. आसान नही था. क्योकि बरसों से बाहर जाकर शौच करने का रिवाज रहा है तो कहां मानेगें ये लोग …. फिर भी चलो सोच में उनकी थोडा बदलाव आया. कुछ गांव के लोग बहुत समझदार थे तो कुछ गांव के लोग बिल्कुल न समझ और कुछ तो लडने को ही उतारु हो जाते कि हम तो बाहर शौच जाएगे कर ले जो करना है … ऐसे मे उनकी सोच बदलने मॆ कुछ समय लगा.
अभियान के दौरान एक गांव की महिलाए सामने आने से कतरा रही थी. बहुत समझाया और कुछ देर बाद थोडी सी महिलाए सामने आई. आते ही महिलाओं ने मुझे घेर लिया और बोली कि हम न जाने इस अभियान को … हम को ये बता दो कि पैसा कितना मिलेगा… पैसा ??? किस बात का पैसा ??? इस पर वो बोली कि हम निगरानी करेगी. सुबह शाम गांव वालों को बाहर जाने से रोकेगी तो समय भी तो लगेगा उसी लिए पूछ रहे हैं कि पैसा कितना लगेगा… उन दिनों मैं “जी न्यूज चैनल” की संवाददाता भी हुआ करती थी और प्रशासन की ओर से डोक्य़ूमैंटी भी बना रहे थे. मुझे ज्यादा बोलने का अनुभव तो नही था पर चूकि इस अभियान को बहुत नजदीक से देख रही थी और जिले के ADC डाक्टर युद्दबीर सिह ख्यालिया जोकि इस अभियान को आगे बढा रहे थे उनकी बाते सुन सुन कर मन में जोश भरा हुआ था. मन में ढेरों विचार उमड रहे थे.
उन्हे पेड के नीचे बैठा दिया और बोला कि बताओ कितना पैसा चाहिए. कोई बोली पाचं सौ तो कोई बोली सात सौ रुपया महीना तो होना ही चाहिए. क्या ??? मैने कहा बस ?? 500 – 700 रुपए महीना. उन्होनें सोचा कि बहुत कम बोल दिया शायद तो एक खडी होकर बोली हजार मैडम जी हजार चाहिए. क्या ??? सिर्फ हजार !!! सफाई की कीमत सिर्फ हजार रुपए. इस पर वो फिर सोचने लगी और बोली पद्रंह सौ रुपए … फिर महिलाओं मे कानाफूसी होने लगी.
मैने उन्हें शांत करवाया और बोला कि ये स्वच्छता अभियान है स्वच्छता अभियान … इस अभियान के अगर आप हजार क्या लाख भी मांगोगे तो भी कम है क्योकि ये जो काम आप लोग करने जा रहे हो यह अमूल्य है बहुमूल्य है इसकी कीमत का तो कोई अंदाजा ही नही लगाया जा सकता.
कोई सिर पर पल्लू डाले तो कोई नाक पर पल्लू रखे मेरी बात गम्भीरता से सुन रही थीं. मैने कहा अच्छा चलो एक बात बताओ … आपको ये पता है कि पहले हमारा देश आजाद नही था. बहुत लोगों ने कुर्बानी दी … कुछ की आवाज आई कि म्हारा दादा ससुर , ताऊ, ने भी हिस्सा लिया था … मैने कहा कि अरे वाह !! ये तो बहुत अच्छी बात है कि आप उस परिवार से हो … अच्छा ये तो बताओ कि क्या आपने कभी सुना कि जो लोग देश के लिए लडे. स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया उन्होने ये कहा हो कि हम इस लडाई मे तभी हिस्सा लेंगें जब आप हमें पैसे दोगे .. सब हंसने लगी और बोली ऐसे थोडे ही न होता है बल्कि जिन जिन ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया उन्होनें अपने गहने, जेवर तक भी दान मे दे दिए थे. बिल्कुल … मैने कहा बस दिल में एक ही लग्न थी, जज्बा था और निस्वार्थ सेवा भाव था कि हर हालत में देश को आजाद करवाना ही है कितने लोग तो बेनाम ही रह कर देश के लिए लडे और जान कुर्बान कर दी कि देश को आजाद करवाना है और देखो सच्चे मन से देश के लिए लडे और आज हम आजाद है.
आज भी एक लडाई हमे लडनी हैं और वो लडाई है गंदगी के साथ … उसका जड से सफाया करना है और आपका साथ चाहिए आपकी निस्वार्थ सेवा भाव चाहिए और आप है कि पैसे मांग रहे हो ..
इन बातों ने उनको सोचने पर मजबूर कर दिया . मैने कहा कि इतिहास बदलने जा रहे हो इतिहास आप लोग .. क्या कभी सोचा है आपने … सफाई के मामले मॆं पूरी दुनिया में देश एक देश नम्बर एक पर होगा हमारा देश वो भी आप लोगो की वजह से …
इतने में कुछ महिलाए बोल पडी … न जी हम कुछ नही लेंगें … सफाई रखेंगें और अपने गांव का देश मॆं नाम करेंगें …
इनकी बात सुनकर मन खुशी से नाच उठा कि मैनें भी स्वच्छता की अलख जगाई. कुछ लोगों को तो प्रेरित किया स्वच्छता के लिए कम से कम … 😀
जिस जोश मे ये अभियान सिरसा में आगे बढा वो वाकई मे देखने लायक था. जिसका मुख्य श्रेय डाक्टर ख्यालिया और उनकी पूरी टीम को जाता है. निसंदेह अगर गांव वाले आगे न आते जागरुक न होते तो स्वच्छता कभी नही आ सकती थी इसलिए गांव वाले, गांव के सभी स्कूल के टीचर, पंच सरपंच की बेहद मह्त्वपूर्ण भूमिका रही. छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग ने इस अभियान मे योगदान दिया.
तब सिरसा के 333 गांवो मे से 260 गांवों को निर्मल ग्राम पुरस्कार मिला . जिसे महामहिम प्रतिभा पाटिल जी ने हिसार में सम्मानित किया. सिरसा के हर गांव मॆ जय स्वच्छता के नारे गूंजने लगे और लोग खुशी से नाच उठे.