काकी कहे कहानी
छोटी बाल कहानी
छोटी बाल कहानी- बच्चों की कहानियां बहुत रोचक लगती हैं उन्हें पढने में बहुत मजा आता है और अगर कहानी हिंदी अंग्रेजी मिक्स हो तो और भी अच्छा हो … मैने भी एक ऐसी ही रोचक और मनोंरजक कहानी लिखी
छोटी बाल कहानी
बहुत छोटी और प्यारी सी कहानी है जिसे हिंदी भी पढनी आती है और अंग्रेजी भी वो इस कहानी का आनंद ले कर इसे पढ सकते हैं… बात सन 98 की है. बच्चों के मजेदार लेख और कहानिया समय समय पर राष्ट्रीय समाचार पत्र पत्रिकाओं मे छपते रहे हैं एक ऐसा ही बच्चों की मजेदार कहानी राजस्थान पत्रिका” मे छपी .. कहानी थी डबलू की मिठाई … हिंदी अंग्रेजी मिक्स …
दर्द
दर्द ( कहानी)
पचास वर्षीय राजेश बाबू ने सुबह सुबह करवट ली और हमेशा की तरह अपनी पत्नी मीता को चाय बनाने को कहा और फिर रजाई ढक कर करवट ले ली.
कुछ पल उन्होने इंतजार की पर कोई हलचल ना होने पर उन्होने दुबारा आवाज दी.
ऐसा कभी भी नही हुआ था इसलिए राजेश बाबू ने लाईट जलाई और मीता को हिलाया पर कोई हलचल ना होने पर ना जाने वो घबरा से गए.
रजाई हटाई तो मीता निढाल सी एक ओर पडी थी.
ना जाने रात ही रात मे क्या हो गया.
अचानक मीता का इस तरह से उनकी जिंदगी से हमेशा हमेशा ले लिए चले जाना …. असहनीय था.
धीरे धीरे जैसे पता चलता रहा लोग इकठठे होते रहे और उसका अंतिम संस्कार कर दिया.
एक हफ्ता किस तरह बीता उन्हे कुछ याद ही नही. उन का एक ही बेटा था जोकि अमेरिका रहता था.
पढाई के बाद वही नौकरी कर ली थी.
बेटा आकर जाने की भी तैयारी कर रहा था.
उसने अपने पापा को भी साथ चलने को कहा और वो तैयार भी हो गए. पर मीता की याद को अपने दिल से लगा लिया था.
अब उन्हे हर बात मे उसकी अच्छाई ही नजर आने लगी.उन्हे याद आता कि कितना ख्याल रखती थी मीता उनका पर वो कोई भी मौका नही चूकते थे उसे गलत साबित करने का. ना कभी उसकी तारीफ करते और ना कभी उसका मनोबल बढाते बल्कि कर काम मे उसकी गलती निकालने मे उन्हे असीम शांति मिलती थी.
उधर मीता दिनभर काम मे जुटी रहती थी.
एक बार् जब काम वाली बाई 2 महीने की छुट्टी पर गई थी तब भी मीता इतने मजे से सारा काम बिना किसी दर्द और शिकन के आराम से गुनगुनाते हुए किया जबकि कोई दूसरी महिला होती तो अशांत हो जाती .
दिन रात राजेश बाबू उनकी यादो के सहारे जीने लगे.
काश वह तब उसकी कीमत जान पाते. काश वो तब उसकी प्रशंसा कर पाते. काश …. !!! पर अब बहुत देर हो चुकी थी.
आज राजेश अमेरिका जाने के लिए सामान पैक कर रहे थे.
पैक करते करते मीता की फोटो को देख कर अचानक फफक कर रो पडे और बोले मीता,मुझे माफ कर दो.
प्लीज वापिस आ जाओ . मै तुम्हारे बिना कुछ नही हूं. आज जान गया हूं कि मै तुमसे कितना कितना प्यार करता हूं…
तभी उन्हें किसी ने पीठ से झकोरा.
इससे पहले वो खुद को सम्भाल पाते अचानक उनकी आखं खुल गई.
मीता उन्हे घबराई हुई आवाज मे उठा रही थी.
वो सब सपना था.
एक बार तो उन्हे विश्वास ही नही हुआ पर दूसरे पल उन्होने मीता का हाथ अपने हाथो मे ले लिया पर आखो से आसूं लगातार बहे जा रहे थे.
बस एक ही बात कह पाए … आई लव यू मीता !!!! आई लव यू !!!
और मीता नम हुई आखो से अपलक राजेश को ही देखे जा रही थी…
“दर्द “कहानी ने आपके दिल के किसी कोने को अगर छुआ है तो … जरुर बताईगा……
Monica Gupta
Monica Gupta
मोनिका गुप्ता लेखिका, कार्टूनिस्ट, पत्रकार तथा समाज सेविका हैं. ये हरियाणा के सिरसा मे रहती हैं और लेखन मे लगभग 23 सालों से हैं. राष्ट्रीय समाचार पत्र-पत्रिकाओ के साथ-साथ लोटपोट, चंपक, बालहंस, बालभारती, नैशनल बुक ट्र्स्ट की न्यूज़ बुलेटिन आदि मे इनके लेख, कहानी एवं प्रेरक प्रसंग नियमित रूप से छपते रहते हैं.
इसके साथ-साथ इन्होंने जयपुर आकाशवाणी, हिसार आकाशवाणी में भी बहुत प्रोग्राम दिए हैं. आकाशवाणी रोहतक से इनके द्वारा लिखित नाटक एवं झलकियाँ प्रसारित होती रहती हैं. इनकी पांच किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं “मै हूँ मणि” को 2009 मे हरियाणा साहित्य अकादमी की तरफ से बाल साहित्य पुरस्कार मिला. “समय ही नहीं मिलता” (नाटक संग्रह) है जिसे हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से अनुदान मिला. “अब तक 35” (व्यंग्य संग्रह) है. “स्वच्छता एक अहसास” (सामाजिक मूल्यों पर आधारित किताब) है. ”काकी कहे कहानी” बाल पुस्तक है जोकि “नैशनल बुक ट्र्स्ट” से प्रकाशित हुई है. इसके इलावा फिलहाल दो किताबें प्रकाशनाधीन हैं. पत्रकार, लेखिका और कार्टूनिस्ट होने के साथ-साथ ये समाज सेवा से जुडी हुई हैं और नारी सशक्तीकरण और बच्चों मे छिपी प्रतिभा पहचान कर उन्हें नई पहचान देने की दिशा मे प्रयासरत हैं.
मोनिका गुप्ता रक्तदान से जुडी संस्था “आईएसबीटीआई” की पत्रिका ”जय रक्तदाता” का सम्पादन करने मे जुटी हैं. आजकल “दैनिक जागरण” मे हर सोमवार को प्रकाशित मुद्दा विषय पर इनके कार्टून नियमित छ्प रहे हैं और “दैनिक नवज्योति”, जयपुर से हर रविवार “दीदी की चिठ्ठी” नियमित रुप से छ्प रही हैं.चाहे खबर हो या कार्टून, या लेखन के माध्यम से मोनिका अपनी बात इस तरीके से कह जाती हैं कि एक बारगी लोग सोचने पर जरुर मजबूर हो जाते हैं.
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