लक्ष्य और निगाहें
बच्चे और उनका मनोविज्ञान
आज के बच्चे अपना पूरा ध्यान सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, गूगल , टवीटर आदि पर देते है. बहुत लोग इसे बुरा भी कहते हैं कि बच्चे बिगड रहे हैं पर इसके माध्यम से इसका उदाहरण देकर समझाया भी जा सकता है… कैसे ??? ऐसे … हुआ यूं कि एक बार मैं एक जानकार के घर गई. वो अपने बेटे को पढा रही थी कि निगाहें अपने लक्ष्य की ओर ही रखनी चाहिए. एकाग्रचित्त होना चाहिए … तभी हम सफल होंगे. उधर उधर भटक गए तो जिंदगी मे कुछ नही कर पाएगे. पर उसका बेटा कंफ्यूज सा हो रहा था …बेटे को निगाहें, लक्ष्य कुछ समझ नही आ रहा था.परेशान होकर वो माथे पर बल डाल कर सिर खुजलाने लगा.
मैंने उसकी सोच को भांपते हुए कहा कि फेसबुक करते हो … उसके चेहरे पर स्माईल आ गई. मैंने कहा अच्छा एक मिनट अपना लैपटाप ले आओ. वो अंदर लेने भागा और मेरी सहेली गुस्से से मुझे देखने लगी. अयं !!! मुझे ये क्या सूझी. कुछ ही पल में मैंने फेसबुक खोल लिया और उस बच्चे को बताने लगी कि जिस तरह से लाईक पर क्लिक करेंगे तभी लाईक होगा पोस्ट पर क्लिक करेंगे तभी वो पोस्ट होगा और सब पढ पाएगे और अगर हम इधर उधर ही क्लिक करते रहेगे तो क्या कुछ होगा. करके देखो … उसने आसपास क्लिक किया पर कुछ नही हुआ पर जैसे ही लाईक को दबाया लाईक हो गया …. मैनें कहा बस यही बात है लक्ष्य की…. इधर उधर ध्यान भटेकेगा तो कुछ नही होगा बस ध्यान केंदित रखना चाहिए यानि क्लिक सही करना है और आगे बढते रहना चाहिए. अरे वाह !! तो इसका मतलब ये है … उसके बेटे को भी बहुत अच्छी तरह से समझ आ गया था.
अब फेसबुक इतनी भी बुरी नही है समझाने के लिए भी अच्छा उदाहरण बन सकता है … है ना हां वो अलग बात है कि मेरी सहेली जरुर नाराज हो गई क्योकिं उसके बेटे ने कहा कि मम्मी बस पांच मिनट मेरा दोस्त लाईन पर क्या चैट कर लू प्लीज .. प्लीज .. प्लीज … और मैने खिसकने में ही भलाई समझी … !!! हा हा हा हा ….. !!!!
बच्चों का मनोविज्ञान जानना बहुत जरुरी है …
लक्ष्य और निगाहें