Monica Gupta

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April 25, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी

बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी

बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी – chocolate सभी बच्चों को अच्छी लगती है … कितनी खिला दो पर कभी मन नही भरता … पर आपने कभी सुना है कि कोई बच्चा ये कहे कि मुझे चाकलेट नही खानी मुझे दूध दो , खाना दो,  दाल दो,  सब्जी दो पर  चॉकलेट नही खानी … .. नही … पर ऐसा हुआ था …

बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी

सच में ऐसा हुआ पर कहानी में … एक कहानी बहुत समय पहले मैने लिखी थी… चॉकलेट की बेटी … बहुत सारी मम्मियों  की और कुछ नन्न्हें दोस्तो की फरमाईश थी कि बच्चों की कहानी  सुनाओ … तो मैं आपको सुनाती हूं  कहानी chocolate की बेटी ..

कहानी है 10 साल की मणि की … बहुत शरारती है … मम्मी की बेटी या पापा की बेटी नही बल्कि चॉकलेट की बेटी है …

 

 

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March 18, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

हिंदी बाल साहित्य लेखक – हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार

हिंदी बाल साहित्य लेखक - हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार

हिंदी बाल साहित्य लेखक – हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार – hindi bal sahitya lekhak साहित्य सम्मान मिलना बेहद सम्मान की बात होती है.हाल ही में मुझे हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से बाल साहित्य सम्मान मिला है और किताब है बाल उपन्यास “ वो तीस दिन” ये किताब नेशनल बुक ट्र्स्ट से प्रकाशित हुई है ..

हिंदी बाल साहित्य लेखक – हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार

बच्चों के लिखना बाएं हाथ का या बच्चों का खेल नही है  इससे पूर्व भी मुझे हरियाणा साहित्य अकादमी से “मैं हूं मणि” के लिए बाल साहित्य सम्मान मिल चुका है … अभी तक 8 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं … जिसमें से तीन किताबें नेशनल बुक ट्र्स्ट से हैं

हिंदी बाल साहित्य लेखक - हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार

 

 

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December 20, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि – बाल साहित्य सम्मान

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि – बाल साहित्य सम्मान – हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से 2015 का “बाल साहित्य पुरस्कार” मेरी लिखी किताब “वो तीस दिन” को मिला…बाल साहित्यकार मोनिका गुप्ता ….

वो तीस दिन नेशनल बुक ट्र्स्ट से प्रकाशित है. ये दूसरा बाल साहित्य सम्मान हैं इससे पूर्व 2009 में’ मैं हूं मणि’ को बाल साहित्य पुरस्कार मिला था ..

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि- बाल साहित्य सम्मान

बाल उपन्यास की मुख्य पात्रा है कक्षा दस ने पढने वाली मणि. जोकि किसी भी बच्चे की तरह बेहद शरारती चुलबुली है पर कक्षा दस की परीक्षा खत्म होने के बाद नतीजा आने से पहले तीस दिनों में ऐसा क्या होता है कि मणि के एक जबरदस्त बदलाव आ जाता है…

कहानी बेहद रोचक, मनोरंजक और शिक्षाप्रद है. और नेशनल बुक ट्र्स्ट की साईट पर ऑनलाईन भी उपलब्ध है..

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि – बाल साहित्य सम्मान

वो तीस दिन

एक झलक कहानी की

मै हूँ मणि। आज मेरी दसवीं क्लास की बोर्ड़ परीक्षा का आखिरी दिन है। हे भगवान! कितनी टेन्शन थी ना………। आज पता है मैं घर जाकर सबसे पहले क्या करूंगी। शर्त लगा लो आप लोग बता ही नहीं सकते। मैं सबसे पहले टेलिविज़न चलाऊंगी और दो महीने से जो पिक्चरें मैंने नहीं देखी वो देखूंगी और अपने मोबार्इल पर आए मैसेज पढूंगी। पता है पिछले दो महीनों से मम्मी-पापा ने मुझे कुछ भी नहीं करने दिया बस…………..पढ़ार्इ………..पढ़ार्इ………पढ़ार्इ……… इस करके………. आज मैं ढे़र सारी मनमानी करने वाली हूं।
उफ……….शुक्र है………. आज आखिरी पेपर उम्मीद के अनुसार ठीक ही हो गया अब तो जल्दी थी घर पहुंचने की।

मैं रास्ते में जा रही थी कि मेरे सामने वाली सड़क पर एक स्मार्ट सी युवती, छोटे-छोटे बालों वाली, आंखों में धूप का चश्मा लगाए, बैग कन्धे पर लटकाए सड़क पार कर रही थी कि शायद उसका पांव फिसल गया या पता नहीं………..क्या हुआ………पर वो बहुत बुरी तरह से गिर गर्इ।

पता नहीं उसे देखकर मेरी बहुत बुरी तरह हंसी निकल गर्इ और मैं ठहाका लगाती ताली बजाकर हंसती हुर्इ आगे बढ़ी। उधर वो तुरन्त उठी मेरी तरफ देखा फिर अपने कपड़ों को झाड़ा और ऐसे चल दी मानो कुछ हुआ ही ना हो। मैं हंसती हुर्इ आगे बढ़ी। सामने से पुनीता आ रही थी उसने बताया कि वो आज से ही ब्यूटीशियन का कोर्स ज्वाइन कर रही है और उसकी बहन कुकिंग का।

मैंने मुंह बिचका लिया और बोली भर्इ मैं तो आराम करूंगी और टेलिविज़न ही देखूंगी। उसको बाय बोलकर मैं घर की ओर बढ़ गर्इ। दूसरी तरफ से गीता मैड़म आ रहे थे………मैंने उन्हें देख कर भी अनदेखा कर दिया क्योंकि देखती तो उन्हें नमस्ते करनी पड़ती………….कौन करे नमस्ते…………..यही सोचती हुर्इ मुंह दूसरी तरफ करके मैं आगे बढ़ गर्इ।

घर पहुंची तो मम्मी छोले-भठूरे बना रहीं थीं…

 

 

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि

साहित्य अकादमी सम्मान

साहित्य अकादमी सम्मान हरियाणा साहित्य अकादमी सम्मान बात 2009 की है जब मेरी पहली पुस्तक” मैं हूं मणि” को हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से “बाल साहित्य पुर read more at monicagupta.info

बच्चों की मनोरंजक कहानी – कहानी घर घर की – Monica Gupta

बच्चों की मनोरंजक कहानी – कहानी घर घर की – हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से 2015 का “बाल साहित्य पुरस्कार” मेरी लिखी किताब “वो तीस दिन” को मिला. बाल साहित्य बच्चों की मनोरंजक कहानी – कहानी घर घर की – Monica Gupta

 

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि

September 15, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

बच्चों की छोटी कहानियाँ

बच्चों की छोटी कहानियाँ

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दीदी की चिठ्ठी नियमित स्तम्भ

बच्चों की छोटी कहानियाँ हो या बडी कहानियां बाल लेखन ने हमेशा मुझे प्रेरित किया है … बच्चों पर न सिर्फ कहानियां लिखी बल्कि हरियाणा साहित्य अकादमी से बाल साहित्य पुरस्कार ” मैं हूं मणि ” के लिए  भी मिला. नेशनल बुक ट्रस्ट से  बाल कहानी ” काकी कहे कहानी”  व एक अन्य बाल उपन्यास ” वो तीस दिन”  भी प्रकाशित हुआ.

बाल साहित्यकार

बच्चों की छोटी कहानियाँ लिखना भी एक आर्ट होता है एक रोमांच होता है . जयपुर से प्रकाशित समाचार पत्र ” दैनिक नवज्योति” में “दीदी की चिठ्ठी” से नियमित स्तम्भ लगभग चार साल तक हर रविवार धमाचौकडी में प्रकाशित हुआ जिसकी जबरदस्त प्रतिक्रिया मिलती रही…

बच्चा बनाना और फिर लेखन करना एक अलग तरह का सुकून देता है… है ना !!! बाल केखन करने वाला कभी बूढा नही होता हमेशा बच्चा बना रहता है

 

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बच्चों की छोटी कहानियाँ

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बच्चों की छोटी कहानियाँ

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बच्चों की छोटी कहानियाँ

 

 

May 16, 2016 By Monica Gupta 1 Comment

बाल कहानी- ऑडियो – चॉकलेट की बेटी

टैटू गुदवाना और रक्तदान https://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/05/kids-story-choclate-by-monica-gupra.wav

क्लिक करिए और सुनिए  बच्चों की कहानी चॉकलेट की बेटी

बाल कहानी- ऑडियो – चॉकलेट की बेटी

कुछ दोस्तों की फरमाईश पर आज मेरी कहानी  फिर बच्चों के लिए है और कहानी का नाम है… चॉकलेट की बेटी … असल में, छोटे बच्चों को चॉकलेट का बहुत शौक होता है. 4 मिनट और 5 सैकिंड की कहानी में मेंं 10 साल की मणि चॉकलेट की बहुत शौकीन है.

इतनी शौकीन है कि वो अपने आप को चॉकलेट की बेटी कहती है एक बार उसके घर खूब सारी चॉकलेट आती हैं तो क्या वो खा पाएगी या चोरी करेगी या उसकी मम्मी ही उसे सारी चॉकलेट खाने को देंगी… आखिर होता क्या है यह जानने के लिए आपको सुननी पडेगी कहानी …चॉकलेट की बेटी…

आप सुनिए और बताईए कि आपको कहानी कैसी लगी ??

 

 मोनिका गुप्ता

मोनिका गुप्ता

 

Audio – Poem- Monica Gupta  कविता भी सुनिए और बताईए कि कैसी लगी ?

May 13, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

ऑडियो – काम वाली बाई – व्यंग्य – मोनिका गुप्ता

टैटू गुदवाना और रक्तदानhttps://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/05/satire-kaam-wali-bai-by-monica-gupta.wav

क्लिक करिए और सुनिए

आप बीती

ऑडियो – काम वाली बाई – व्यंग्य – मोनिका गुप्ता

मोनिका गुप्ता का नमस्कार

आज मैं आपको व्यंग्य सुनाने जा रही हूं जिसका शीर्षक है काम वाली बाई है मेरे पास !!!! …सुनने  से पहले प्लीज ध्यान दें ….इस व्यंग्य की सारी बाते सच्ची धटना पर आधारित है और इसका किसी व्यक्ति,स्थान उम्र से अगर मेल हो तो इसे कोई हैरानी बात ना होनी चाहिए…

जी.. क्या कहा आपने, कि मै क्यो मुस्कुरा रही हूं !!! अब मुस्कुराने की तो बात है ही..!!  मेरे पास काम वाली बाई जो है. दिन मे एक बार आती है या पांच दिन में एक बार .. जी क्या .नहीकुछ नही कुछ नही मैं तो बस वैसे ही! किस समय आते है!!! अरे समय की कोई बात नही. बस आना ही बहुत है उसका.

दिन में किसी भी समय वो दरवाजा खटखटा सकती है ….जब वो आती है तो सबसे पहले मै उसका स्वागत मुस्कुरा कर करती हूं. बैठाती हू और चाय भी पिलाती हूं.फिर जरा किसी सीरियल के बारे मे बातचीत करती हूं और फिर शुरु होता है हमारा काम… ओह, आई मीन उसका काम!! इसके पीछे पीछे इसलिए धूमना पडता है कि उसकी नजर जरा कमजोर है. अक्सर या यू कहिए कि कई बार कूडा नही दिखता तो वो उसे दिखाना पडता है. फिर आजकल उसकी कमर मे दर्द चल रहा है उससे झुका नही जाता इसलिए जरा मै वहाँ झाडु करके  उसकी मदद कर देती हूं. झाड पोछ वो करती नही है इसलिए वो भी साथ की साथ मै ही करती हूंं

रसोई मे वो प्याज और अंडे  वाले बर्तन नही धोती क्योकि उसकी महक उसके सिर मे चढती है इसलिए वो बर्तन मुझे ही …इतना सब होने पर भी अक्सर समय बेसमय उसे उपहार देन पडता है.. जी क्या किसलिए ??? अरे भई ताकि वो महारानी जी टिकी रहे.

क्या करे… आजकल काम वाली बाईया मिलती ही कहां हैं!!! कम से कम फेसबुकस्टेटेस मे तो है बताने को कि मेरे पास काम वाली बाई है. स्टेटेस से याद आया फेसबुक करना मैने ही उसे सीखाया और मैं ही उसकी फैंड लिस्ट में नही हूं जब पूछा तो बोली कि आप तो सारा दिन फेसबुक पर ही लगी रहहती हो मोबाईल सारा दिन टिंग टिंग बजता ही रहता है खामखाह सिर दर्द हो जाता है इसलिए आपको फ्रैंड नही बनाया !!

आज सुबह सुबह आई और ये बोल कर गई है कि 500 रुपए बढाओ उसका खर्चा नही चल रहा है. बस जरा  बस यही सुनने के बाद सिर जरा सा दर्द कर रहा है. वैसे आपसे क्या छिपाना !! असल मे, आजकल सिर दर्द बहुत रहने लगा है और बी पी भी ज्यादा हो गया है.. वो क्या है ना काम वाली बाई को कुछ कह नही सकते कुछ कहो तो तैयार रहो सुनने के लिए कि जा रही हूं छोड कर और अगर घर पर बताती हू कि काम वाली बाई कितना तंग करती है तो वो तुरंत कह देते है कि हटा तो उसे. इतना परेशान किसलिए होना है. वो क्या है ना हटाने के बाद मुझे ही पता है कि मेरे स्टेटेस, घूमने फिरने और किटी पार्टी पर रोक ही लग जाएगी इसलिए बस चला रही हूं जैसा चल रहा है और मुझे खुशी है कि काम वाली बाई है मेरे पास !! हाय !!

व्यंग्य - मोनिका गुप्ता

व्यंग्य – मोनिका गुप्ता

कैसा लगा आपको ???

जरुर बताईएगा !!!

लघु कथा – पसंद ना पसंद (Audio)  भी जरुर सुनिए 🙂

 

 

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