अंधविश्वास और हम
अंधविश्वास और हम – अंधविश्वास के प्रकार अलग अलग हैंं छोटे मोटे अंधविश्वास हो तो कोई ऐसी बात नही पर जहां अंधविश्वास के चलते महिला को डायन करार दे दिया जाता है या बच्चे की हत्या कर दी जाती है ये सरासर गलत है.
अंधविश्वास और हम
एक आंटी फेसबुक पर सारा दिन लगी रहती हैं. कल बहुत उदास सी मिली. पता लगा कि उनकी बेटी को डेंगू हो गया है वो उदास इसलिए थी कि कल फेसबुक पर उनकी जानकार ने एक देवता की तस्वीर शेयर करने को कहा था कि शेयर करो कृपा बरसेगी पर उन्होने नही की शायद इसलिए बेटी को … !! अरे!! ऐसा नही होता मैने कहा इसी बीच उनके बेटे ने दूसरी लैब से टेस्ट करवाया तो टेस्ट नैगेटिव आया. तब जाकर उनकी जान मे जान आई.
वैसे हम भी कमाल के अंधविश्वासी होते हैं. दादरी के अखलाक की खबर( टाईम्स आफ इंडिया) के मुताबिक कि अखिलेश यादव उनके गांव न जाकर उस परिवार को लखनऊ इसलिए बुलाया कि अंधविश्वास है कि जो सीएम नोएडा का दौरा करता है उसे चुनाव में जीत नही मिलती. अरे !! हार या जीत अपने किए कर्मों से मिलती है ना कि दौरा न करके !!
अंधविश्वास और हम
वैसे आपके क्या विचार हैं अंधविश्वास के बारे में …
जरुर बताईएगा…
घर परिवार
घर परिवार
घर परिवार और समय का महत्व
कल शाम एक जानकार से बात हो रही थी.बातों बातों में मैंने बताया कि एक टीवी पर बहुत ही अच्छा विज्ञापन आ रहा है जिसमे बेटी अपनी मां को बेटी कह कर पत्र लिखती है और उन्हें ब्लड प्रेशर चैक करने की मशीन भेजती है और लिखती है तुम्हें इसकी जरुरत है… तुम्हारी मां … !!पर मेरी इस बात पर वो जानकार उदास हो गईं और बोली कि तुम तो लिखती रहती हो ब्लाग …क्या मेरी बात को लिख दोगी???
मैंने कहा, अरे क्यो नही आप बताईए तो … इस पर वो बोली कि लगभग 40 -45 साल पहले उनकी शादी बहुत अमीर घर मे हुई. हर तरह की सुख सुविधाएं थी. सारा समय किट्टी पार्टी, सोशल वर्क में लगी रही और घर के लिए समय नही दिया. पति वैसे भी ज्यादातर बाहर रहते और उन्होनें दूसरी शादी भी कर ली थी जिसका उन्हें बहुत बाद में पता चला… बेटा पहली क्लास में हुआ तो मसूरी होस्टल भेज दिया ताकि झंझट ही न रहे… बेटे से मिलने जब भी जाते तो उनके दोस्तों की पूरी फौज जाती ताकि सैर सपाटा और आऊटिंग भी हो जाए…
कभी उसके बालमन को जानने की कोशिश नही की कि उसे भी मेरी, घर की याद आती होगी.. वो भी मेरी गोदी चाह्ता होगा मुझसे लिपट कर रोना चाह्ता होगा. शिकायत करना चाहता होगा … बस अपनी सहेलियों और अपने ग्रुप में मस्त रही और जाने अनजाने बहुत दूर कर लिया मैने उसे अपने आप से … आज वो विदेश में है और शादी कर ली है दो बच्चे भी हैं और खुश है अपनी दुनिया में … आज मैं उसे याद करती हूं मुझे उसकी जरुरत है पर किस मुंह से बुलाऊं … आज बहुत पछतावा है .. काश मैंने उसे समय दिया होता…. काश उसके बालो पर हाथ फेरा होता…. काश उसे थपकी देकर सुलाया होता तो …आज सब कुछ है मेरे पास पर फिर भी कुछ नही है … बिल्कुल सुनसान है घर … और बेटे की बनाई कुछ तस्वीरे दिखाने लगीं …
भरे हुए गले से वो तस्वीरे दिखाए जा रही थी और मैं अपने आंसुओं को चाह कर भी रोक नही पा रही थी. मैं बस उसका हाथ पकड कर उन्हें सिवाय दिलासा देने के कुछ नही कह पाई और बाहर आकर सोचने लगी कि बहुत जरुरी है अपने परिवार अपने बच्चों को समय देना. ये हमारी सबसे बडी दौलत हैं और इन्हे सहेजना हमारा कर्तव्य… बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए बाहर भेजना कोई गलत नही पर जब वो छुटटियों में घर आए या जब हम मिलने जाए तो पूरा स्नेह दर्शाना बहुत जरुरी है… नही तो जैसे मेरी ये जानकार दुखी हैं और पछता रहीं है और रो रही है वैसे हमे भी इसका सामना न करना पडे… बच्चों का अपने पेरेंट्स और पेरेंटस अपने बच्चों की तरफ लगाव और प्यार सदा बना रहे…
घर परिवार और समय का महत्व आपको कैसा लगा …!!! अगर आप भी अपना कोई अनुभव सांझा करना चाहें तो आपका स्वागत है !!!
लेखिका से कार्टूनिस्ट तक का सफर-मोनिका गुप्ता
Journey from writer to cartoonist of Monica Gupta
लेखन का शौक बचपन से ही था पर असली पहचान मिली इंटरनेट से और फिर शुरु हुआ लेखिका से कार्टूनिस्ट तक का सफर-मोनिका गुप्ता का यानि मेरा इंटरनेट ने ना सिर्फ लेखन को बढने का मौका दिया बल्कि कार्टून बनाने की दुनिया में भी पांव रखने का मौका दिया.
Indian Lady Cartoonist Monica Gupta
मेरा लेखिका से कार्टूनिस्ट तक का सफर-मोनिका गुप्ता ज्यादा उतार चढाव वाला नही रहा क्योकि मैनें अखबारों के सम्पादकों के चक्कर नही लगाए… जो बनाया उसे नेट पर फेसबुक पर गूगल प्लस पर डालती गई और फिर शुरु हुई पहचान मिलनी
From writer to cartoonist Monica Gupta
बात बचपन के उन दिनों की है जब घर पर या किसी सहेली या जन्मदिन होता तो मैं कार्ड बना कर दिया करती. उन दिनो कार्डस का बहुत प्रचलन था मेरी कोशिश यह रहती कि कटिंग वाले कार्डस बना कर दूं और सभी पसंद भी करते थे. फिर समय बीता और कार्ड बनाने का शौक जारी रहा.
कालिज मे आने के बाद अखबार द ट्रिब्यून में “You said it” नामक कार्टून आया करता था. अखबार सुबह सुबह आ जाता था और मैं फटाफट वैसा कार्टून बना कर कालिज ले जाती और प्रिन्सीपल के कक्ष के सामने वॉल मैगजीन मे लगा देती.
एक दिन उन्होनें ( शांति मलिक ज़ी) ने मुझे बुलाया और पूछा कि क्या तुम बनाती हो? एक बार तो मैं डर गई सोचा कि आज तो गए काम से डांट पडेगी पर मेरे हां कहने पर कि मैं अखबार से देख कर बनाती हूं उन्होनें शाबाशी दी और बोला कि बनाते रहा करो… उस दिन तो मानो मेरे पंख ही लग गए थे. खैर, समय बीतता रहा और होस्टल जाने के बाद, पढाई मे लग कर कार्टून वार्टून सब भूल गई. फिर बहुत समय बीत गया.
इस बीच लेखन तो चलता रहा पर चित्र बनाना कही छूट सा गया और अन्य कार्यों जैसे आकाशवाणी , दूरदर्शन, डाक्यूमैंट्री, स्क्रिप्ट लेखन , वायस ओवर, अपने बनाए टीवी प्रोग्राम और फिर ज़ी न्यूज की संवाददाता और किताबे लिखने आदि में बहुत व्यस्त हो गई. पर इतना जरुर है दोनो बच्चे बहुत ही अच्छी चित्रकारी करते और कई बार ईनाम भी मिलता तो खुशी के साथ गर्व भी होता.
समय और बीता लेखन जारी रहा किताबें भी आ गई और एक पहली ही किताब ” मैं हूं मणि ” को हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से सन 2012 में बाल साहित्य पुरस्कार भी मिला.फिर मुझे पता लगा ओरकुट नाम का कुछ है उससे पहले की उसे जान पाती…. पता चला कि फेसबुक शुरु हुआ है. फिर उसमे शामिल हो गई. इसी बीच नव भारत टाईम्स में भी अपना ब्लॉग बना लिया और साथ साथ अपना ब्लॉग ( जो आप पढ रहे हैं) भी बना लिया.
फेसबुक पर एक दो कार्टूनिस्ट मित्र बने और मुझे अपना समय याद आ गया. एक दिन हिम्मत करके एक कार्टून डाल ही दिया. यह बात …… मैने सोचा भी नही कि पाठको को अच्छा लगेगा… बस फिर तो मैं रुकी नही. जब कोई आईडिया आता बना लेती और डाल देती. कुछ कमेंटस मुझे यह जताने के लिए भी होते कि मुझे कार्टून नही बनाने चाहिए पर मैं हमेशा अच्छे कमेंटस को ध्यान मे रखती और प्रयास रहता की सुधार भी होता रहे… मुझे पता था कि मेरी चित्रकारी कोई बहुत अच्छी नही है पर सोचा कि जब एक मंच मिला है तो क्यो न उसका पूरा लाभ उठाया जाए है और दूसरा ये कि इसी बहाने प्रैक्टिस ही होती जाएगी …!!
फेसबुक पर जनवरी 2011 में डाले कार्टून
लेखिका से कार्टूनिस्ट तक का सफर-मोनिका गुप्ता
फिर एक प्रतियोगिता आयोजित की गई… A day in the life of India….. इसमे मैने लगातार कार्टून भेजे और कम से कम 50 कार्टून शार्ट लिस्ट हुए. मेरे विचार से किसी नए कलाकार के लिए इससे अच्छा प्रोत्साहन हो ही नही सकता.
http://navbharattimes.indiatimes.com/photomazza/eye-witness/-/photomazaashow/8460997.cms
एक दिन नेट पर सर्च करते हुए मैने देखा कि मेरे बनाए कार्टून्स के स्लाईड बने हुए हैं जोकि मेरा उत्साह बढाने के लिए बहुत थे…
लेखन के साथ साथ नव भारत टाईम्स के ब्लॉग में कार्टून भी नियमित डालने शुरु किए तो वहां से भी बहुत अच्छा रिस्पांस मिलता चला गया.
एक दिन फेसबुक मित्र का मैसेज आया कि आपका कार्टून दैनिक जागरण मे प्रकाशित हुआ है.. लेख, हास्य, व्यंग्य तो बहुत प्रकाशित होते रहते थे पर कार्टून का छपना मेरे लिए बेहद खुशी का पल था.
उसके बाद 2012 से मेरे कार्टून नियमित तौर से दैनिक जागरण के मुद्दा मे प्रकाशित होने लगे… ये लगभग डेढ साल तक आए. हर बृहस्पतिवार ये मुद्दा के तहत प्रकाशित होता था.
इसी बीच अन्य समाचार पत्रों व पत्रिकाओं जैसाकि कार्टून वाच में तथा नभछोर में नियमित कालम{ नजरिया} के नाम से छपना शुरु हुआ जिसमे नियमित रुप से ढेरों कार्टून आते चले गए…
ये सब चल ही रहा था तभी निमंत्रण मिला Cartoonist Exhibition का
बात 29 Oct. 2012 की है .Government Of Kerala की ओर से राष्ट्रपति भवन के आडिटोरीयम में केरल कार्टून अकादमी ने late shree P.K.S. Kutty की याद में एक पुस्तिका का विमोचन किया। विमोचन श्री प्रणव दा ने किया। राष्ट्रपति भवन में 12 बजे कार्यक्रम आरम्भ हुआ कार्यक्रम करीब 2 घटे तक चला .इस अवसर पर श्री प्रणव दा ने भी अपने अनुभव सभी को बताए . देश भर से आए जाने माने कार्टूनिस्ट ने इसमे भाग लिया। अवसर पर Exhibition भी लगाई गयी। जिसे दादा ने बहुत सराहा सच में, सभी जाने माने कार्टूनिस्ट से मिलना,रूबरू होना सुखद अनुभव रहा …

मोनिका गुप्ता कार्टूनिस्ट
हालाकिं प्रणव दा के लिए कार्टून बनाया पर दे न सकी पर वो अनुभव अभी भी मेरी आखों में मौजूद है..
लगातार कार्टून बना रही हूं. कई बार ठीक तो कई बार अच्छे बन जाते हैं. इस बीच कई अखबारों मे कार्टून आने शुरु हो गए. नेट व अन्य अखबारों के साथ साथ कई बार दैनिक भास्कर में भी प्रकाशित हुए और हो रहे है…
तब से लगातार कार्टून बना रही हूं इस बीच काफी पत्र पत्रिकाओं में भी भेजती रहती हूं पर मुझे लगता है कि नेट अपनी बात कहने का सबसे अच्छा माध्यम है आज अगर मैं समाचार पत्रों पर ही निर्भर करती तो शायद कभी बना ही पाती पर ब्लॉग और फेसबुक ने नई पहचान दी और पाठको का कार्टून पर महज लाईक करना ही नया आत्मविश्वास पैदा करता चला गया…
आज के कुछ कार्टून …
एक फायदा और हुआ वो ये कि जहां मेरे पहली पुस्तक “मैं हूं मणि” के कुछ चित्र मैने बनाए वही अपनी लिखी एक अन्य पुस्तक ” अब मुश्किल नही कुछ भी ” का कवर पेज तैयार किया
आम आदमी पार्टी पर बनाए कुछ कार्टूंन वीडियों रुप में बनाए
इसके इलावा 25 June to 27 June, 2015 को A unique, major exhibition of cartoons and caricatures featuring Charlie Chaplin by 200 cartoonists.जोकि Piramal Gallery, National Centre for the Performing Arts (NCPA), Nariman Point, Mumbai मे आयोजित हुई. उसमे भी हिस्सा लिया…
और अगर आप गूगल सर्च करेंगें तो आपको ढेर सारे कार्टून देखने को मिलेंगें …
चार्ली चेप्लिन के जन्म के 125 वे वर्ष पर उनके फ़िल्मी जीवन में व्यंग्य की कथा के साथ-साथ उनकी स्क्रीन पर उपस्थिति का 100 वां वर्ष मनाने के लिए ये साल यानि 2015 चार्ली चैपलिन वर्ष के रूप में मनाया गया. इनमें से लगभग 200 कार्टून एक विशेष पुस्तक में शामिल किए गए हैं.चार्ली चैपलिन लाइन्स’ के रूप में सबसे पहले भारत में चार्ली चैपलिन वर्ष समारोह 25-27 जून , NCPA मुंबई में कार्टून/करिकेचर प्रदर्शनी आयोजित की गई.. इसमे मेरे बनाए चार्ली चैपलिन भी शामिल किए गए
बेशक, मुझे अपने पहले के बनाए कार्टून देख कर हंसी आती हैं कि कितने बुरे बनाती थी … पर ये तो चलता ही रहेगा और चलता ही रहना चाहिए … मेरे विचार से हम जिस भी काम में जुटे वो सच्चे मन और ईमानदारी से करते रहना चाहिए सफलता कभी न कभी जरुर मिलेगी … !!!
हाल ही में एक अन्य प्रदर्शिनि का आयोजन किया गया
IIC is organising 9th Anniversary of the Indian Cartoon Gallery on 4th June 2016 in Bangalore. Distribution of Prizes of MKMA-2015 and an exhibition of Indian and Foreign cartoons will also be organised on the same occasion at the cartoon gallery.
विश्व पर्यावरण दिवस पर कार्टून प्रतियोगिता – National Level Cartoon Competition
http://blogs.navbharattimes.indiatimes.com/author/monicagupta/
बात 30 जून 2011 की है जब मैंने नव भारत टाइम्स में अपना रीडर्स ब्लाग लिखना शुरु किया था.
इसके बाद 29. 11. 2012 की बात है जब मैनें अपना blog (जिसे आप पढ रहे हैं ) बनाया और उस पर लिखना शुरु किया और आज की तारीख में 1,213 यानि एक हजार 213 पोस्ट हो चुकी हैं और नव भारत टाईम्स के ब्लॉग में भी तब से आज तक 730 लेख, विचार और कार्टून प्रकाशित हो चुके हैं और फिर अक्टूबर 2015 से नव भारत टाईम्स ने मुझे रीडर्स ब्लॉग से author blog में शामिल कर लिया गया है जिसमें मेरे अधिकतर कार्टून प्रकाशित होते हैं.
आप लिंक क्लिक करके देख सकते हैं 😎
अब मैं अपने ही बनाए कार्टून की वीडियों बना रही हूं ताकि आप सभी इसे सहजता से देख पाएं
थैक्स गूगल , फेसबुक गूगल प्लस, टवीटर, पिनट्र्स्ट और नव भारत टाईम्स ब्लॉग के साथ साथ उन सभी का जिन्होनें मुझे हमेशा मुझे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से प्रेरित किया और कर रहे हैं …



सफर जारी है….!!! 🙂
लेखिका से कार्टूनिस्ट तक का सफर-मोनिका गुप्ता
क्या आप भी कुछ बनना चाह्ते हैं तो सोचिए मत बस प्रयास जारी रखिए हौंसला रखिए और बहरे बन जाईए ( नकारात्मक विचारों की तरफ ध्यान नही दीजिए) … फिर देखिए सफलता न मिले तो मुझे बताईएगा 🙂
हंसते रहिए मुस्कुराते रहिए !!!
विजन बनाम वजन
विजन बनाम वजन
Vision /वजन = बिहार में उपहार
अब चुनावों में विजन से किसी को क्या मतलब … सभी को वजन से मतबल है कि कित्ता मिलेगा … इसलिए विजन नही वजन का राग असर आलापिएगा सर
जिस तरह से बिहार चुनाव मे जनता को लुभाने के प्रयत्न किए जा रहे हैं … बेहद दुखद है … यानि फिर एक ऐसा उम्मीदवार जीतेगा जो पैसे के बल पर जीता
बिहार विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा ने घोषणा पत्र के रूप में अपना विजन डाक्यूमेंट पेश कर दिया। छात्रों को लैपटॉप और दलितों को रंगीन टीवी देने का वादा कर भाजपा ने भी विकास के मुद्दे को एकतरफ रख उसी लोकलुभावन राजनीति की ओर ही कदम बढ़ा दिया है जिस पर पिछले कुछ समय से राजनीतिक दल जीत हासिल करते आए हैं।
पटना में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विजन डाक्यूमेंट पेश करते हुए कहा कि बिहार को बीमारू राज्य की श्रेणी से निकालकर विकास की दिशा में ले जाने के लिए भाजपा ने यह संकल्प पत्र जारी किया है।
वित्त मंत्री ने भी प्रधानमंत्री मोदी की तरह बिहार के चर्चित मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया की तर्ज पर बिहार में भी मेक इन बिहार और डिजिटल बिहार कार्यक्रम शुरू करने का वादा किया।
हम और हमारा भोजन
हम और हमारा भोजन
तीन छुट्टियां क्या आई घर परिवार में रौनक सी आ गई. मेरी एक सहेली भी बहुत व्यस्त है कल से पकवान बनाने में. एक तो श्राद और दूसरा उसका बेटा आ रहा था दो दिन के लिए. आलू, गोभी, पूरी हलवा, पाव भाजी, छोले भठूरे, खीर, दही भल्ले क्या क्या नही बनाया उसने !!! पर उसकी खुशियों पर तब पानी फिर गया जब बेटे के कहा कि वो ये कुछ भी नही खाएगा.
असल में, दो साल से बाहर रह रहा है और लाईफ स्टाईल बिल्कुल बदल गया है. अब तली भुनी चीजो की बजाय हैल्दी फूड और जिम पर पूरा ध्यान केंद्रित है उसका.
वैसे देखा जाए तो समय वाकई बदल गया है. एक समय था जब खीर पूरी हलवा रसोईघर की शान होती थी पर आज मेरी जानकारी में जितने घर हैं ज्यादातर घरों में आयुर्वेदिक सामान जैसे आवलां जूस, एलोवीरा जूस, त्रिफला पाउडर, इसबगोल, ओटस, ब्रेन, वाईट ओट, मूसली, ब्राउन राइस, ब्राउन ब्रेड, होल ग्रेन और ढेरों फल ही देखने को मिलती हैं और ये अच्छा भी है आखिर बुराई क्या है इसमें … !!!
सेहत की सेहत और नो साईड इफेक्ट !! मैं लिख ही रही थी कि अचानक मणि आई और मेरे पीछे खडी हो गई वो मेरे लिए मूंग की दाल का हलवा लाई थी.. अरे!! अब लग रहा है वाकई अपवाद भी हैं इस क्षेत्र में … कुछ लोग ऐसे हैं जो कंट्रोल ही नही कर पाते और मैं खाने मे जुट गई.
हम और हमारा भोजन
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