Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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September 30, 2015 By Monica Gupta

मन की उलझन

मन की उलझन

कुछ  देर पहले मार्किट में एक जानकार मिली. वो अपनी बिटिया के साथ शापिंग करने आई हुई थी. उसकी शादी को साल भर ही हुआ होगा. वो बिटिया मेरे पास आई और बोली कि आपसे बात करनी है. मेरे कहने पर कि बताओ इस पर वो बोली कि अकेले मे … शाम को घर आएगी पर मम्मी को बिना बताए. टेंशन तो मुझे भी हुई कि कोई न कोई गम्भीर बात है. जरुर दहेज आदि का ही मामला होगा पर मम्मी के सामने नही बोला यानि कुछ और ही बात है.

ठीक चार बजे वो घर आई. उसने कहा कि आप मम्मी को समझाईए वो बहुत फोन करती हैं मुझे. एक दिन मे कम से कम पाचं सात बार… क्या कर रही हो ? आज क्या खाया? कौन सी साडी पहनी? दहेज खूब दिया है ठाठ से रह.. किसी की मत सुनियो और घर का काम करने की जरुरत नही. रानी की तरह रह… वो बोलती ही जा रही थी कि वो अपने नए परिवार के साथ मिलजुल कर रहना चाह्ती है पर मम्मी की बात सुन कर उनकी बातों में आने का डर लगा रहता है. अब आप ही मम्मी को समझाईए कि दखल न दें उसे अपने हिसाब से घर चलाने दें…

मैं उसकी बात से सहमत हूं. कई बार माओं के ज्यादा प्यार के चक्कर में बसा बसाया घर बिखर भी जाता है पर मुझे खुशी इस बात की है कि बिटिया समझदार है. वो सही गलत जानती है. बिटिया तो चली गई और सोच रही हूं कि उसकी मम्मी को समझाना भी एक अभियान है या तो उसकी मम्मी से सीधी बात करुं या कि सीधी बात न करके किसी दूसरे का उदाहरण देकर उसे समझाऊं या फिर उसकी बिटिया ही मां को समझाए  हो सकता है उसने समझाया होगा पर बात नही बनी होगी… वैसे क्या आप आईडिया दे सकते है ???

मन की उलझन tension photo

 

 

 

September 30, 2015 By Monica Gupta

Rotary Blood Bank

Rotary Blood Bank

 

आईएसबीटीआई की दिल्ली में कांफ्रेस के दौरान बहुत से ऐसे लोगों से मिलना हुआ जो रक्तदान पर बहुत जबरदस्त कार्य कर रहे थे. किसी की संस्था है तो कोई संस्था के साथ मिलकर रक्तदान जैसे सामाजिक कार्य में निस्वार्थ भावना से कार्य कर रहें हैं. लक्ष्य और उद्देश्य सभी का एक है कि देश में शत प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान हो.

इसी कार्यक्रम में आई रोट्ररी ब्लड बैंक दिल्ली की सीएमओ अंजू वर्मा  और चीफ टैक्निकल आफिसर आशा बजाज जी से मिलना हुआ. बेहद मिलनसार और सबसे अच्छी बात ये कि रक्तदान के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं. आशा जी ने बताया कि  वो और अंजू वर्मा जी जब से रोट्ररी ब्लड बैंक शुरु हुआ वो तभी से यानि 2001 से इसके साथ जुडी हैं.

रोट्ररी ब्लड बैंक का मिशन यही है कि दिल्ली और दिल्ली के आसपास रहने वालों की रक्त की कमी से कभी जान न जाए. इसलिए उनकी संस्था कभी कालिज, कभी स्कूल कभी किसी संस्थान में तो कभी कैम्प के माध्यम से रक्त एकत्र करने के साथ साथ जागरुक भी करते हैं. स्कूल में पेरेंटस टीचर मीटिंग के दौरान कैम्प लगाते हैं क्योकि अगर टीचर या माता पिता रक्तदान करेंगें तो निसंदेह  बडे होने पर बच्चे भी आगे आएंगें.

उन्होने बताया कि ब्लड बैंक में किसी भी तरह से रिप्लेसमैंट नही है और 24 घंटे खुला रहता है. जिसे जब भी जरुरत हो वो फोन करके या मिलकर विस्तार से  जानकारी ले सकता है. दिल्ली मे तुगलकाबाद में उनका रोट्ररी ब्लड बैंक है और  टेलिफोन नम्बर 01129054066- 69 तक नम्बर हैं.

आशा जी ने यह भी बताया कि थैलीसिमिया  का टेस्ट भी यहां होता है. इस बारे में भी वो लगातार जागरुक करते रहतें हैं कि शादी से पहले थैलीसीमिया टेस्ट जरुरी होता है ताकि शादी के बाद किसी भी तरह की दिक्कत का सामना न करना पडे.

आजकल बहुत ज्यादा व्यस्तता है क्योंकि डेंग़ू की वजह से प्लेटलेटस  और रैड ब्लड सैल की बहुत मांग है. उन्होनें बताया कि ब्लड बैंक का सारा स्टाफ स्वैच्छिक रक्तदाता है और हर तीन महीने बाद रक्तदान करता है.

मेरे पूछने पर कि एक महिला होने के नाते महिलाओं की खून की कमी के बारे में क्या कहना चाहेंगी इस पर वो मुस्कुरा कर बोली कि एनीमिया प्रोजेक़्ट पर भी उनका  ब्लड बैंक जुटा हुआ है और समय समय पर चैकअप कैम्प लगाए जाते हैं और जागरुक किया जाता है.

रही बात आज के समय कि तो उन्होनें बताया कि बहुत बदलाव आया है और आ भी रहा है. बहुत अच्छा लगता है जब स्वैच्छिक रक्तदान के लिए ना सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाए भी आगे आती हैं. हालाकि यूरोपिय देशों की तुलना में तो बहुत कम है पर फिर भी ऐसी जागरुकता होना एक शुभ संकेत है.

आशा जी ने बताया कि वो लगभग 30 सालों से इस क्षेत्र से जुडी है. जब भी कोई परेशान, दुखी व्यक्ति रक्त के लिए आता है और उसे वो मिल जाता है तो उसके चेहरे की खुशी देख कर एक ऐसी आत्मसंतुष्टि मिलती है जिसे शब्दों मे व्यक्त नही किया जा सकता.

मीटिंग का अगला सैशन शुरु हो गया था इसलिए मुझे अपनी बात को यही रोकना पडा. जिस सच्चे मन से उनकी संस्था कार्य कर रही है उसके लिए पूरी टीम बधाई की पात्र है… शुभकामनाएं !!!

यकीनन देश में अगर हम शत प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान देखना चाह्ते हैं तो हम सभी को मिल कर सांझा प्रयास करना होगा.

Rotary Blood Bank

Rotary Blood Bank

 

 

Rotary Blood Bank

 

September 29, 2015 By Monica Gupta

मेरा प्रिय मित्र

मेरा प्रिय मित्र

  मेरा बेस्ट फ्रैंड  

वैसे तो मेरे बहुत मित्र हैं पर उसकी तो बात ही अलग है. हमारी दोस्ती को लगभग बारह साल से भी ज्यादा हो गए. शुरु शुरु में तो उसे देख कर घबरा जाती थी पर जैसे जैसे मुझे उसकी आदत पडती गई बस फिर हमारी दोस्ती पक्की दोस्ती में बदल गई. अब वो हमारा पारिवारिक मित्र है. मेरे सभी रिश्तेदार और दोस्त उसे बहुत अच्छी तरह से जानते हैं.

छोटे से कद का दुबला पतला है पर फिर भी बहुत ताकतवर है. हमेशा मुझे खुश रखने की कोशिश करता है  और मेरा भी हमेशा यही प्रयास रहता है कि कभी वो रुठ न जाए. एक सबसे अच्छी बात ये भी है कि वो समय का बहुत पाबंद हैं और मुझे भी उसी के अनुसार चलने के सलाह देता है. कई बार जब मैं समय का ध्यान न दू तो वो बोल बोल कर नाक और कान में दम कर देता है.

कई बार वो मुझे चुप करा देता है तो कई बार मैं  ही उसे चुप करवा देती हूं. किसी तरह का स्वार्थ या अहम तो है ही नही उसमे … मैं कुछ भी काम कह दूं हमेशा तैयार रहता है… हां खाने के मामले में बहुत सुस्त है पर जब भी खाता है भर पेट खाता है… इसमे कोई शक नही कि वो मुझे हमेशा आईना दिखाता है अगर कभी मैं भटक जाऊ मुझे हमेशा सही राह दिखाता है. जब भी बेहद कीमती है वो मेरे लिए. मैं उसे खोने की कल्पना भी नही सकती.

वो मेरा पक्का दोस्त है. जी क्या ?? मैने उसका नाम नही बताया ?? अरे हां !!! बातो बातों मे तो मैं बताना भूल ही गई. वो मेरा मोबाईल है…. प्यार से मैं उसे मोबू कहती हूं.

भई देखिए … आजकल यही सच है. सभी इससे जुडे रहते हैं एक मिनट भी नही छोडते उसे. चाहे घर के लोग बैठे हो या दोस्त हमारा ध्यान बजाय उनमे होने के पूरा ध्यान मोबाईल पर ही रहता है. तो हुआ न बेस्ट फ्रेंड !!!  मायने बदल गए हैं जनाब !!!

friends photo

September 29, 2015 By Monica Gupta

रक्तदाता

 रक्तदाता

अक्सर हम रक्तदान पर बढ चढ कर बात करते हैं पर जब रक्त देने की बात आती है तो कुछ लोग ऐसे भी होते है…

हुआ ये कि एक सहेली ने बताया कि उनके करीबी रिश्तेदार को डेंगू हो गया और अचानक प्लेट्लेट की जरुरत पडी. उसने मुझे फोन किया. मैने कहा कि अभी कुछ करती हूं बात को 5 मिनट भी नही हुए थे कि उसका दुबारा फोन आया कि रहने दीजिए एक रक्तदाता मिल गए हैं और वो प्लेटलेटस देने आ रहे हैं . मैने भी भगवान शुक्र अदा किया कि अब मरीज जल्द ठीक हो जाएगें.

असल में,  उन्होने उसने अपने  जानकार को  फोन किया और उसने कहा कि वो अभी आ रहें हैं. इसी बीच मेरी सहेली रिलेक्स हो गई पर आधा घंटा बीतने पर भी वो नही आए. सहेली ने दुबारा उन्हें फोन किया पर अब फोन ही नही  मिल रहा था. अब परेशानी शुरु हो गई क्योकि मरीज की हालत लगातार बिगडती जा रही थी. आनन फानन दो चार् लोगो से फोन किया और बिल्कुल अंत मे एक अंजान व्यक्ति रक्तदान के लिए आगे आया.

 दुख इस बात का है कि अगर ऐसे समय मे वो मित्र पहले ही  मना ही कर देते कि मै नही दे सकता तो शायद इतनी परेशानी ना होती पर जिस तरह से उन्होने लटकाए रखा और ना ही फोन किया और ना ही खुद आए तो  ये तो बहुत ही गलत बात की. इस वजह से उनके मरीज की जान भी जा सकती थी.

यह बात  आपके साथ इसलिए  शेयर कर रही हूं अगर कभी भी ऐसी बात हमारे सामने आए तो या मना कर दें या फिर आगे आए. परेशान व्यक्ति को और ज्यादा परेशानी मे ना डाले…!!  प्लीज !!

रक्तदाता

 

man thinking photo

September 29, 2015 By Monica Gupta

स्मार्टफोन

स्मार्ट फोन

आजकल हम सभी स्मार्ट हैं  या स्मार्ट फोन  हैं या जिस शहर में हम रह रहे हैं वो स्मार्ट है .. !!! कुछ समझ नही आ रहा .

असल में, हुआ ये कि कल एक जानकार मुझसे नाराज हो गई. उसको शिकायत थी कि मैनें उसका फोन नही उठाया. जबकि मेरे पास तो कोई ट्रिन ट्रिन नही हुई. ऐसे ही  जब आज मैं भी अपनी  सहेली को बार बार फोन कर रही थी और bell जाते ही busy आ जाता. गुस्सा तो बहुत आ रहा था कि ऐसी भी क्या व्यस्त हो रखी है वो  ?? पर बाद में मुझे लगा कि शायद नेटवर्क की दिक्कत होगी.

वही फेसबुक पर कुछ जानकार दबाव बना रहे है कि अपने प्रोफाईल पिक्चर को तिरंगा करो … पर आप ही बताईए कि कैसे करुं सुबह का बनाया कार्टून नेट स्लो चलने की वजह से शाम को ही अपलोड हो तो कैसे और किस विश्वास से अपनी तस्वीर बदलें… मैं सोच ही रही थी कि तभी मणि भी आ गई.हम बाते कर ही रहे थे कि अचानक उसके पास फोन आया. उसने फोन नही उठाया मेरे पूछ्ने पर उसने बताया कि अगर एक बार फोन पर बात शुरु हो गई तो आधा घंटा समझो गया.. और वैसे भी आजकल नेट वर्क की दिक्कत चल रही है तो जब मिलेगी बोल दूंगी कि अच्छा ?? फोन किया था ??? ओह ?? पता ही नही चला !!!

हे भगवान !!! आजकल हम सभी स्मार्ट हैं  या स्मार्ट फोन  हैं या जिस शहर में हम रह रहे हैं वो स्मार्ट है .. !!! जरा सोच लूं !!!

smart phone photo

September 24, 2015 By Monica Gupta

चप्पलें

 rubber foot wear photo

Photo by ▓▒░ TORLEY ░▒▓

 

चप्पलें

एक सहेली के पावं में फ्रेक्चर हो गया.  उसका फोन बताने के लिए आया. मैं उससे मिलने गई और मिलने से पहले ढेर सारी बाते मन में आ रही थी कि  जरुर ही सडक पर आते जाते किसी वाहन से टक्कर हुई होगी. आजकल लोग चलाते भी तो बेहिसाब तेज है कोई नियम कानून तो रहा ही नही.

 पर वहां पहुंच कर कुछ और ही बात पता चली. असल में, हुआ ये कि घर मे ही उसका पैर फिसला धडाम और …. !!! पर ये हुआ कैसे!! मेरे पूछ्ने पर झिझकते हुए बताया कि  उसकी घरेलू चप्पल धिस गई थी और अक्सर जरा से पानी मे भी फिसलती थी.

कुछ दिन पहले वो बाजार जाकर नई जोडी ले भी आई थी पर आलस वश या कुछ भी समझ लो  …. कुछ भी समझ लो उसे पहना ही नही और सुबह कपडे धोते अचानक फिसली और सीधा 1 महीने के लिए बिस्तर पर. !! बात कितनी छोटी सी थी पर कितनी बडी हो गई और उसके साथ साथ पूरे परिवार को दिक्कत का सामना करना पडेगा वो अलग …

हे पाठक जनो अगर आप भी इस तरह का कोई आलस इत्यादि कर रहे हैं तो कृप्या न करे और अपना ध्यान रखे !!! और रही बात मेरी भई मैं तो नई चप्पलें खरीदने चली ..!!

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