लघु कथा
बीप बीप
बीप बीप
BEEP BEEP …आज शाम किसी काम से मार्किट जाना हुआ. मेरे आगे तीन चार युवा बाते करते जा रहे थे और उनकी बोल चाल की भाषा ऐसी थी कि अगर टीवी पर सुनाई जाए तो 90% बीप बीप का प्रयोग किया जाता. हर बात पर अपशब्द … हर बात पर गाली देते हुए बेहद सहज थे. आखिर किस ओर जा रहे हैं हम!!! चाहे टीवी पर बडबोले बयान बार बार दिखाना हो या मुंह पर काला कपडा बांध कर विरोध करना .. गाली गलौज वाली भाषा आमजन मे जिस तेजी से फैलती जा रही है बेहद चिंताजनक है…. !!!
बीप बीप
नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी
नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी
और उनका निस्वार्थ सेवा भाव
सच मानिए तो कैलाश सत्यार्थी जी का नाम मैने पहली बार कल टीवी पर सुना उसके बाद जब उनके बारे मे विस्तार से जाना तो हैरानी के साथ साथ बहुत खुशी भी हुई कि इतने सालों से इतना बडा काम कर रहे हैं वो..!!!.
रक्तदान से जुडे कुछ लोग बहुत ही अच्छा काम कर रहे हैं कई बार जब मैं उनसे उनका साक्षात्कार या तस्वीर लेने की बात करती हूं तो वो मना कर देते हैं कि अरे नही .. हम तो बहुत साधारण से लोग है …हमारी तस्वीर किसलिए … !!! कैलाश जी भी शायद ऐसे ही रहे होंगे … निस्वार्थ सेवा भाव से जो काम किया जाता है उसका फल बहुत मीठा ही निकलता है इसलिए जो लोग समाज सेवा से जुडे हैं उनसे मेरा विनम्र निवेदन है कि बिना फोटो खिचवाए और सुर्खियों में आए बस कार्य करते रहे एक दिन आपका भी होगा !!!
शुभ कामनाएं कैलाश सत्यार्थी जी और मलाला
कतरनें समाचार पत्रों की
कतरनें समाचार पत्रों की
ये हैं कुछ कतरनें जो अब पीली पडने लगी हैं
बात सन 98 की है जब जयपुर आकाशवाणी में प्रस्तुति थी… फिर आकाशवाणी हिसार के कार्यक्रम नारी संसार में साक्षात्कार… और फिर कुछ समय बाद ज़ी न्यूज की संवाददाता के तौर पर अखबार में खबर … !!!
ये सब एक दम से नही मिला … बहुत मेहनत और प्रयास किए तब जाकर …. !!!!
आज, बेशक, इन खबरों को बहुत समय बीत गया है पर कतरनों ने याद को जिंदा रखा और अब ब्लाग में हमेशा ताजा ही रहेंगीं … कभी पीली नही पडेंगी ये कतरनें …..
ज़ी न्यूज 2003 से 2012 तक संवाददाता
Do You Know
- « Previous Page
- 1
- 2
- 3
- 4
- …
- 59
- Next Page »