समाज और महिलाएं
समाज और महिलाएं
समाज और महिलाएं ,पता नही आज समाज मे क्या हो रहा है…. !!! महिलाएं हारी हारी सी महसूस कर रही है. जहां महिलाओं पर शर्मनाक धटनाए रुकने का नाम नही ले रही वही कुछ नेता लोग अजीबो गरीब बयान देकर पता नही खुद को क्या साबित करना चाहते हैं. मुझे दुख इस बात का भी है कि धटनाओ की वजह से लडकियों और महिलाओं का मनोबल टूट रहा है.
समाज और महिलाएं
आज एक महिला से तो मेरी सहेली मणि की बहस ही हो गई. वो अपनी लडकी की पढाई छुडवा रही है और एक उसी की सहेली जोकि शहर से बाहर नौकरी करती थी वो भी नौकरी छोड कर वापिस आ गई है. कारण है माता पिता की चिंता. पुलिस पर से उनका विश्वास हट गया है और दिन तीन दिन पहले राष्ट्रपति की लडकी भी जब एक टीवी पर साक्षात्कार के दौरान यह बोले कि उसे भी दिल्ली मे डर लगता है तो वो तो आम आदमी ही है.
जब मणि ने उसे समझाने की कोशिश की तो वो बोली कि ठीक है आप मेरी दोनो लडकियो की जिम्मेवारी ले लो. मणि के पास अब कुछ कहने को नही था. उसने जब आकर मुझे सारी बात बताई तो मन मे यही बात आ रही थी कि जल्द ही बहुत जल्द ही सरकार को कदम उठाने होंगे. फालतू के बयान बाजी की कौन क्या कह रहा है कौन नही ..
इससे हट कर महिलाओ की सुरक्षा और पुलिस की जिम्मेवारी पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा अन्यथा बहुत लडकियो को अपना मन मार कर घर पर ही बैठना पडेगा.
वैसे समाज और महिलाएं के बारे में आप क्या राय रखतें हैं जरुर बताईगा !!!
Blood donation and ladies
Blood donation and ladies
रक्तदान और महिलाए
Blood donation and ladies कुछ समय पहले ISBTI की ओर से स्वैच्छिक रक्तदान पर एक दिवसीय सम्मेलन था.बहुत दर्शक और बहुत वक्ता थे. रक्तदान के बारे मे बहुत पुरुषों ने ये बोला कि उन्होनें जब रक्तदान किया तब घर पर अपनी पत्नी को नही बताया या अपनी मां को नही बताया क्योकि वो नाराज हो जाती कि रक्त किसलिए दे कर आए हो.
इतना ही नही एक ने तो बताया कि उन्होने 5 साल तक अपने घर मे किसी को खबर नही लगने दी कि वो रक्तदान कर रहे हैं. अगर पता चल जाता तो वो उसे रक्तदान नही करने दिया जाता.
वही उसी कार्यक्रम मे एक सज्जन ने बताया कि महिलाओ की कुछ परेशानियां ऐसी होती है कि वो खून नही दे सकती जैसा कि स्तनपान, महावारी और एनीमिया इसलिए पुरुषो को आगे आना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा रक्तदान करना चाहिए.एक सज्जन ने यह भी बताया कि भले ही रक्तदान के लिए महिलाओ मे बहुत उत्साह देखने को मिलता है और वो बढ चढ कर रक्तदान के लिए कैम्पो मे आती भी हैं पर जब उन्हे पता चलता है कि उनमे खून की कमी यानि एनीमिया है वो रक्तदान नही कर सकती तब उन्हे मजबूरन पीछे हटना पडता है.
Blood donation and ladies
तब मेरे दिमाग मे बस एक ही बात आई कि भले ही हम महिलाओ को हर महीने किसी न किसी रुप मे परेशानी से दो चार होना पडता है पर अगर कम से कम हमें रक्तदान के बारे मे विस्तार से जानकारी होगी तो अपने घर परिवार के लोगो को तो बजाय रक्तदान पर नाराज होने के होने प्रेरित तो कर सकती हैं और इसके साथ साथ भले ही रक्तदान ना करे पर इतना तो करें कि खुद मे तो रक्त हो यानि ब्लड डोनर से पहले रक्त ओनर तो बनें.
अगर महिलाए एनीमिया से कम ग्रसित होगी तो रक्त की भी कम जरुरत पडेगी. इसके साथ साथ यह भी जानकारी भी होनी जरुरी है कि रक्तदान से कोई नुकसान नही होता.चाहे स्वयं रक्तदान करे या अपने घर परिवार मे किसी का, तो भी बहुत जागरुकता आ सकती है. असल मे, रक्तदान के बारे मे जब भी महिलाओ से बात की तो यही जवाब मिला कि हमे तो किसी ने कहा ही नही या हमे तो पता ही नही था.
महिला दिवस पर या कभी भी आप यही संकल्प लें कि रक्तदान के बारे मे सारी जानकारी लेगी और अगर होमोग्लोबिन 12.5 है तो रक्तदान करके खुद महसूस करेगी कि क्या अनुभव रहा और अगर किसी वजह से खुद ना कर पाई तो कम से कम अपने परिवार के सदस्यो को नाराजगी दिखाने के बजाय रक्तदान के लिए जरुर प्रेरित करेगी. जैसे किसी को जन्म देना एक खूबसूरत अहसास है ठीक वैसे ही किसी को नई जिंदगी देना भी एक खूबसूरत अहसास से कम नही है और आप से बेहतर इस बात को कौन जान सकता है … है ना !!!
इसलिए Donate Blood & save Lives …
जरा से जागरुक बनिए Blood & Blood Donation के बारे में …
वैसे जाते जाते एक बात मैं ये भी बता दूं कि सन 73 में मैने एक बच्ची को एक छोटे से pond मे से डूबने से बचाया था और यही बात मै सभी को बताती रहती पर जब से रक्तदान के बारे मे सुना और इस क्षेत्र में जुडी तो वो बात लगभग भूल ही गई जब से मैने रक्तदान के बारे मे जाना है तब से इस प्रयास में रही हूं कि रक्तदान कर सकूं पर नही कर पा रही पर आप जैसे लोगो को मोटिवेट करके या जब किसी को रक्त की जरुरत हो उनकी मदद करके इस क्षेत्र में कुछ न कुछ काम तो कर ही रही हूं … और जब किसी की जान बचती है और उनका धन्यवाद कहने के लिए फोन आता है तब मैं खुद को सातवें आसमान पर पाती हूं … !!!
Blood donation and ladies आप इस बारे में क्या राय रखते हैं जरुर बताईगा ….
My Mother My God
My Mother My God
जिंदगी के सफर मे,हमारी अखिरी सासं तक, बहुत तरह के रिश्ते बनते है.कुछ कम समय के लिए तो कुछ लम्बे समय तक निभाए जाते हैं पर किसी भी सूरत मे “माँ के साथ हमारा रिश्ता 9 महीने ज्यादा का होता है”. … है ना

Photo by vinodbahal
अपने अहसास को कुछ इस तरह से बया करती है मां/
आसुँओ को खुशी के मोतियो मे पिरो लेती है मां/
यू तो बेवजह, बात बात पर भावुक होने का हुनर कोई उससे सीखे/
पर , खुदा कसम/
रोने वाले लम्हों में मुस्कुरा कर रह जाती है मां
खुद को खुदा नही समझती पर मेरी नजर मे खुदा से कम नही मेरी मां….
My Mother My God
Cartoon Justice
Swachh Bharat Mission-Gramin
Swachh Bharat Mission-Gramin
हर सरकारी अधिकारी ऐसा क्यू नही …
आज के समय मे जहाँ चारो तरफ मनमानी हो रही है. भ्रष्टाचार का बोल-बाला है, सरकारी तंत्र किसी की सुन नही रहा, वहीं कुछ ऐसा देखने को मिला जिसने सभी को हैरानी में डाल दिया.
बात 2010 की है … हुआ यूं कि हरियाणा के सिरसा जिले में खबर आयी कि भारत सरकार के केंद्रीय ग्रामीण विकास सचिव श्री बीके सिन्हा अपने अन्य अधिकारियों के साथ सिरसा निरीक्षण के लिए पहुँच रहे हैं. उनके साथ पी राघवेंद्र राव, जोकि प्रदेश के ग्रामीण विकास विभाग के वितायुक्त एवं प्रधान हैं, भी पहुचे. फिर जैसा अकसर होता है. सारा प्रशासन आवभगत मे जुट गया, क्योकि इतने ऊँचे रैंक के अफसर की छोटे से शहर में पहला दौरा.
हैरानी तो तब हुई जब आते ही अपने काम पर रवाना हो गए. आला अधिकारी ने कहा कि वे रात वहीं सरकारी स्कूल के परिसर मे ही बिताएगें. एक बार तो लगा कि यह तो हो नही सकता पर यह हुआ और उन्होंने गांव के लोगो से मिल कर गांव में हो रहे मनरेगा यानि महात्मा गाधीँ राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना में गावों के विकास के कामों का जायजा लिया. बिना बिजली, कूलर और ऐसी के भरी गर्मी में दिन रात घूमना किसी हैरानी से कम नही था. गांव के लोग भी उन्हें बडा अधिकारी ना समझ कर उनसे खुल कर अपनी परेशानिया बता रहे थे. उन्हे इस बात से कोई सरोकार नही था कि वो कितने बड़े अफसर हैं, बलिक इस बात से मतलब था कि वे इतने मन से उन्हीं के बीच बैठकर, उनके दुख और सुख के बारे मे बात कर रहे थे. इन अधिकारियो ने सरकारी स्कूल के बच्चों के साथ वक्त बिताया और उनके विचार सुने. वही मैने” स्वच्छता एक अहसास” पर जो किताब लिखी थी उन्हें दी …

इसके साथ साथ वो अन्य गांव गोविंदपुरा और ओटू भी गए और मनरेगा व अन्य योजनाओ के बारे मे जानकारी ली. सर्वे करने के बाद जब उनसे बात की और जाना कि उन्हे कैसा लगा तो उन्होने बताया कि सही बात जानने के लिए लोगो के बीच मे जाकर उनके विचार जानने बहुत जरुरी होते है.गावँ के लोगो से मिलकर वो सभी अफसर बहुत खुश नजर आए. कुल मिलाकर इन अधिकारियों ने अन्य के लिए मिसाल कायम की है। कम से कम उन सरकारी अधिकारियों को इनसे प्रेरण व सबक लेना चाहिए जो सिर्फ दिन भर आराम कर कुर्सी तोड़ना चाहते हैं।
Swachh Bharat Mission-Gramin
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