Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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June 24, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

Blood Donation Training

 Training of Trainers –Blood Donation

blood- donation isbti

banner isbti

Blood Donation Training

 

हरियाणा स्टेट एडस कंट्रौल सोसाईटी के सौजन्य से पंचकुला के अमरावती एंकलेव मे ISPER मे Traning of Trainers के अंतर्गत Red ribbon club/NSS / incharges of College,Universties के लिए रक्तदान कांफ्रेंस का आयोजन किया गया. 16 तथा 17 जून 2013 दो दिन ट्रैनिंग देने के लिए कलकत्ता से रक्तदान के क्षेत्र मे अभूतपूर्व कार्य कर रहे डाक़्टर देवाव्रत राय के साथ डाक्टर सुब्रतो राय, प्रोफेसर सुजीत दत्ता और डाक्टर सुचित्रा घोष को खास तौर पर आमंत्रित किया गया. दो दिन चलने वाली इस कांफ्रेस मे बहुत नई नई जानकारी मिली. डाक्टर देवव्रत राय ने अपने बहुत से अनुभव सांझे किए और रक्तदान के बारे मे ऐसे ऐसे ऐसे आकंडे प्रस्तुत किए कि आमंत्रित मेहमान भी हैरान रह गए. वही दूसरी ओर  डाक्टर सुब्रतों राय, प्रोफेसर सुज्जीत दत्ता तथा डाक्टर सुचित्रा धोष ने भी रक्तदान से सम्बंधित अलग अलग विषयों मे जानकारी दी. उनके द्वारा लाए गए ढेरों बैनर, पोस्टर व किताबे आकर्षण का केंद्र बनी.

डाक्टर सुब्रतों राय ने सन 1960 मे पढाई के दौरान पहला रक्तदान कैम्प लगाया था. जिसमे 300 लोगो ने रक्तदान किया था.सन 1980 मे उन्होने Association of Voluntary Blood Donors, West Bengal  की स्थापना की जोकि आज की तारीख में  अन्य उभरती रक्तदान संस्थाओं के लिए मील का पत्थर बनी हुई है. स्वयं डाक्टर देवव्रत राय इस क्षेत्र में सभी के प्रेरक साबित हो रहे हैं.

इस अवसर पर HSACS के प्रमुख डाक्टर युद्द्बीर सिह ख्यालिया ने भी रक्तदान के बारे मे उर्जा भरे भाषण से सभी मे नए जोश का संचार किया.

डाक्टर युद्दबीर सिह ख्यालिया,  डायरेक्टर, हरियाणा स्टेट एडस कंट्रौल सोसाईटी, ने भी स्वैच्छिक रक्तदान  से जुडी बहुत बातों की जानकारी इस अंदाज से दी कि आमंत्रित  मेहमान स्वैच्छिक रक्तदान की जरुरत पर सोचने पर मजबूर हो गए. यह कार्यक्रम ISBTI  के मुख्य कार्यालय, पंचकुला के प्रांगण में आयोजित किया गया.

Blood Donation Training

February 17, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

दीदी की चिठ्ठी

दीदी की चिठ्ठी ( मोनिका गुप्ता)

दीदी की चिठ्ठी ( मोनिका गुप्ता)

दीदी की चिठ्ठी

दैनिक नवज्योति , जयपुर से दीदी की चिठ्ठी

हैलो नन्हें दोस्तो,


कैसे हो! पता है मैं दो दिन पहले सागर के घर गई. बहुत प्यारा और खूबसूरत घर है उसका. एक से एक बढ कर कीमती और आलीशान चीजो से घर सजाया हुआ था.पर अचानक मेरा ध्यान गया बैठक मे लगे कैलेंडर पर. अब तो साल 2013 शुरु हो गया है और उसका भी दूसरा महीना चल रहा है पर सागर के घर 2012 का ही कैलेंडर शोभा बढा रहा था. जरा भी अच्छा नही लगा देख कर. बल्कि कुछ बच्चो के घर मे दीवार घडी टंगी होती है और वो भी बंद. अब जिस घर मे समय की ही कद्र नही होगी तो वो सफल कैसे होंगे.जिंदगी मे आगे बढने के लिए समय की कद्र करनी बहुत जरुरी है क्योकि अगर हम समय की कद्र नही करेगें तो वो हमारी कद्र किसलिए करेगा. सागर ने तो मेरी बात समझ आकर अपने घर का कैलेंडर बदल लिया और कुछ बच्चो ने दीवार घडी मे नया सैल डाल कर उसे भी सही कर दिया पर क्या आपने भी ठीक कर लिया. अगर आपके घर ऐसा नही है तो बहुत खुशी की बात है और अगर ऐसा है तो इंतजार किस बात का उसे तुरंत ठीक कर लीजिए. और वैसे भी कहते हैं ना कि “इंतजार करने वालो को उतना ही मिलता है जितना कोशिश करने वाले छोड देते हैं.”

आपकी दीदी
मोनिका गुप्ता

 

February 14, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

नमस्कार

नमस्कार

टीवी चैनल पर निरंतर बहस चलती रहती है..पर किसी तह तक नही पहुंचती. आईए आपको भी एक ऐसी ही बेसिर पैर की बह्स में लिए चलते हैं

नमस्कार !! आज बहस का मुद्दा है वेलेंटाईन डे !!! हमारे फेसबुक स्टूडियो मे साथ चार विशेषज्ञ जो इस क्षेत्र मे माहिर है, पधारे हुए हैं. आप सभी का स्वागत है. “अ”, “ब” “स” “ड”.
मिसेज “अ” सबसे पहले मैं आप से पूछती हूं कि क्यो मनाते हैं हम वेलेंटाईन.
“अ” जैसे ही बोलने को होती हैं जी देखिए, असल मे, वो क्या है, न कि ….!!! (बात काटते हुए)
जी.. बिल्कुल… अभी आपके पास दुबारा आउगी. अभी श्री “ब” कुछ कहना चाह रहे हैं.
“ब” कुछ कहने लगते हैं कि मैं “अ” की बात पर ही आ रहा हूं असल में… जी बिल्कुल, “अ” और “ब” अभी आपके पास दुबारा आउगीं पर अभी लेना पड रहा है एक बहुत ही छोटा सा ब्रेक. जी मैं आऊंगी आपके पास (12 मिनट बाद) ब्रेक पर जाने से पहले मैं बात कर रही थी … जी हां, लग रहा है मिस “स” कुछ कहना चाह रही है
( “अ” और “ब” का गुस्से मे पारा हाई हो गया क्योकि बोलने का मौका नही मिल रहा इसलिए “स” की बात काटने के लिए अ, ब और स तीनो एक सुर मे बोल रहे हैं और %ं$#@$%ं&*(*&ं%ंक्या बोल रहे हैं कुछ समझ नही आ रहा….!!) इसी बीच मे लेते हैं एक छोटा सा ब्रेक, कही जाईएगा मत( 15 मिनट बाद)
एक बार फिर से हमारे स्टूडियो मे आपका स्वागत है. हमारे साथ हमारे संवाददाता फोन लाईन पर जुड गए हैं. जी क्या कहना है आपको. लोगो की वेलेंटाईन डे पर क्या प्रतिक्रिया है….. हैलो… हैलो… !!! ओह, लगता है हमारे संवाददाता तक हमारी आवाज नही पहुचं रही है .चलो थोडी देर मे फिर बात करने की कोशिश करेंगे…
अभी “ड्” साहब एक दम शांत बैठे हैं उनसे पूछ्ते हैं कि उनका क्या कहना है आज के दिन के बारे मे… “ड्” कुछ बोलने को होते ही हैं कि उससे पहले …. लेते हैं एक बहुत ही छोटा सा ब्रेक कही जाईएगा मत आज का विषय बहुत ही रोचक चल रहा है…( 15 मिनट बाद ) !!हां, तो ब्रेक पर जाने से पहले बात हो रही थी कि क्यो मनाते हैं हम वेलेंटाईन डे. पर अफसोस के साथ कहना पड रहा है कि समय  बहुत कम है और विज्ञापन ज्यादा. सभी पधारे मेहमानो का धन्यवाद. पढते रहिए और अपने विचार देते रहिए. अगले सप्ताह फिर मिलेंगे एक नए विषय के साथ ….!! 🙂

नमस्कार

 

man talking photo

 

मोनिका गुप्ता

January 16, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

जब कैंसर को शिकस्त दी – आत्मविश्वास से भरी सच्ची घटना

Importance of Mothers in Life

जब कैंसर को शिकस्त दी – आत्मविश्वास से भरी सच्ची घटना – मैं एक हीरोईन से मिली … आपके मन में माधुरी दीक्षित, हेमा मालिनी या आलिया भट्ट आ रहे होंगे पर नही… ये जो हीरोईन हैं इनका नाम कभी अखबार मे नही आया… कभी ब्रेकिंग न्यूज नही बनी पर मेरी नजर में किसी हीरोईन से कम नही …और अगर आप सुनेगें तो आप भी कह उठेंगें कि वाकई ये है सही मायनों नें हीरोईन …

 जब कैंसर को शिकस्त दी – आत्मविश्वास से भरी सच्ची घटना

मेरी खबर- कैंसर से जीत…  मणि के घर जाना हुआ. उसके घर रिश्तेदार आए हुए थे. उनके साथ एक प्यारी सी 3 महीने की गुडिया भी थी. गोल मटोल गुडिया के चेहरे पर स्माईल इतनी प्यारी थी कि मन करा कि उसे गोदी मे ही लिए रहूं. पर उनको वापिस जाना था इसलिए वो अपने मम्मी पापा के साथ चली गई. उनके जाने के बाद मणि ने बताया कि इस प्यारी सी गुडिया की मम्मी को यानि पप्पी को कैंसर था.

जब कैंसर को शिकस्त दी – आत्मविश्वास से भरी सच्ची घटना –

 

Hats Off ….!!!  उसे लगभग 8-9 महीने पहले पता चला और वो मुम्बई चले गए वही रह कर इलाज करवाया. इसी बीच अनेकों बार उसकी कीमोथैरेपी भी हुई. जहां एक तरफ उसका खाने का मन नही करता था वही दूसरी तरफ अपने भीतर पल रही नन्ही जान के लिए खाना और अच्छी डाईट लेनी भी जरुरी थी. मैं हैरान और हक्की बक्की होकर सारी बाते सुने जा रही थी. एक तो कैंसर का नाम ही डरावना है उस पर कीमो, आप्रेशन या रेडिएशन ना जाने कितनी तरह की प्रक्रिया से गुजरना पडता है

ऐसे मे मन हार जाता है पर पप्पी ने ना सिर्फ उसे सहन किया बल्कि अपने जज्बे को जिंदा रखते हुए अपनी बेटी को जन्म भी दिया हालाकि वो आप्रेशन से ही हुई पर उसके बाद भी वो कैंसर का ईलाज करवाती रही. अब वो ठीक होकर वापिस अपने शहर लौट रही थी इसलिए यहां पर थोडी देर के लिए रुकी.

काश मुझे पहले पता होता तो मै जरुर उसकी हौंसला अफजाई करती और उसकी पीठ थपथपाती. मैं अपने घर जाने के लिए खडी ही हुई थी कि पप्पी सामने खडी थी. वो अपना पर्स ले जाना भूल गई थी इसलिए दुबारा आई थी. अचानक उसे सामने खडा देख कर मेरी आखे छ्लछ्ला आई और मैने उसे गले से लगा लिया और उसकी बहुत बहुत तारीफ की जिसकी वाकई मे वो सच्ची हकदार थी.

प्यारी से मुस्कान लिए वो वहां से चले गए और मैं अपने घर लौटती हुई यही सोचती रही कि बेशक पप्पी कोई नामी गिरामी खिलाडी, अभिनेत्री या कोई जानी मानी हस्ती नही है पर जिस विश्वास के साथ उसने अपने दर्द को सहा और एक बच्ची को जन्म दिया वो मेरे लिए किसी रियल हीरोईन से कम नही है. ईश्वर करे अब वो हमेशा स्वस्थ रहे और सेहतमंद रहे.

बीती ताहि बिसार दे – बीती हुई बात को पकड कर बैठना सही नही – Monica Gupta

बीती ताहि बिसार दे – बीती हुई बात को पकड कर बैठना सही नही – अक्सर हम past की बातों को लेकर बैठ जाते हैं और अपना भविष्य खराब कर लेते हैं. घर पर एक जानकर आईं. . read more at monicagupta.info

 

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मेरी खबर आपको कैसी लगी … !!!!

 

monica gupta

January 9, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

विज्ञापन और हमारा जीवन

विज्ञापन और हमारा जीवन – अक्षय कुमार का एक विज्ञापन आ रहा था. उसमे वो घर दिखा रहे हैं और फिर बताते है कि यह उनका ही घर है इसी बीच मे उनकी पत्नी आवाज देकर कहती है कि जाकर बाथरुम धो …!!! इस पर अक्षय मुस्कुरा कर कहते हैं कि हर संडे वो बाथरुम धोते हैं.

विज्ञापन और हमारा जीवन

इस को देख देख कर मेरी सहेली मणि हंस हंस कर दोहरी हुई जा रही थी कि ऐसा थोडे ही ना होता है कि आदमी लोग घर की सफाई करे.मैने उसे कहा कि जहा महिलाए भी बाहर काम करती है वहां पति पत्नी मिल कर घर का काम करते हैं कई पति तो खाना भी बनाते हैं, कपडे भी धोते हैं बच्चो को भी सम्भालते हैं और इसमे गलत भी क्या है पर मणि के मन मे एक ही बात बैठी हुई है कि आदमी का काम घर चलाना होता है और आदमियो का इस तरह से घर के काम करना वो सपने मे भी नही सोच सकती .

हां अगर पत्नी बीमार हो या कोई अन्य बात हो तो ठीक है यानि कभी कभार पर दिनचर्या का ही हिस्सा बना लेना ठीक नही है और यही देख कर वो हंस हंस कर दोहरी हुई जा रही है कि मर्द और घर के काम … कभी नही !!! मैं उसे समझाए जा  रही थी कि समय बदल गया है … 

विज्ञापन और हमारा जीवन

विज्ञापन और हमारा जीवन

विज्ञापन और हमारा जीवन

 

मोनिका गुप्ता

January 8, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

धुंध का कहर

dhund-monica cartoon

धुंध का कहर

कई बार कुछ नजर नही आता धुंध के कारण  जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। सुबह के समय वाहनों की आवाजाही में भारी दिक्कतें आती है वही अगर आपको यहां भी कुछ न दिख रहा हो तो समझ जाईए कि धुंध का ही प्रभाव है .

धुंध का कहर

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