Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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February 19, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

International Women’s Day

महिला दिवस

International Women’s Day

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस  हो या भारतीय महिला दिवस  हो … बात महिला सशक्तिकरण की होनी बहुत जरुरी है. शहरी महिलाओं को फिर भी बहुत बातों की जानकारी रहती है पर ग्रामीण महिलाएं सिर्फ घर की चार दीवारी में ही दिन बिताती हैं उन्हें बाहर की दुनिया की जरा भी जानकारी नही होती जोकि बहुत जरुरी है..

बेशक, आज के समय मे थोडी जागरुकता तो आई है पर गांव की महिलाओं अभी भी बहुत पीछे हैं … उन्हें  समझ और जानकारी बहुत कम होती है पर अगर उन्हें किसी काम के लिए जागरुक किया जाए या प्रेरित किया जाए तो उनका जोश देखने वाला होता है…

ये बात मैं इतने विश्वास से इसलिए कह  रही हूं क्योकि मैने देखा है जब सिरसा के गांव गांव मे स्वच्छता अभियान चला था तो महिलाओं की भूमिका जबरदस्त थी. उसका का नतीजा था कि सिरसा के आधे से ज्यादा गांव को निर्मल ग्राम पुरस्कार मिला था और महामहिम प्रतिभा पाटिल जी से सम्मान मिला था. ये बात मैने अपनी स्पीच में भी कही है … महिला दिवस के सुअवसर पर ऐसी महिलाओं को मेरा सलाम… !!!

monica blood donors (1)

बात सिर्फ स्वच्छता अभियान की ही नही है बल्कि रक्तदान की है, स्वरोजगार यानि  स्वयं सहायता समूह बनाने की है, नव साक्षर होने की है और अपनी शारीरिक स्वच्छता की भी है यानि महावारी के दिनों में साफ सुथरे कपडे या नैपकिन प्रयोग करने की भी है…

 

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

International Women’s Day का हमें भरपूर फायदा उठाना चाहिए और जो  भी महिलाए इस क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रही हैं उन्हें सम्मान भी देना चाहिए ताकि अन्य महिलाए भी उनसे प्रेरंणा पाकर कुछ सीख सकें…

June 17, 2015 By Monica Gupta

महिला दिवस

महिला दिवस ………….मेरी नजर में

 

cartoon oh no
8 मार्च ….  महिला दिवस यानि खूब गहमा गहमी का दिवस… बस इसे मनाना है … किसी भी सूरत में…..चाहे प्रशासन हो….या कोई संगठन, क्लब हो या कोई एन जी ओ….सब अपने अपने ढगं से मनाते हैं.

इस दिन जबरदस्त भाषण बाजी होती है .. महिलाओ को कमजोर बता कर उन्हे आगे आने के लिए उत्साहित किया जाता है. नारी सशक्तिकरण की याद भी उसी दिन आती है. दावे किए जाते है कि हमारे यहाँ कार्यक्रम मे 50 महिलाए आएगी तो कोई कहता है कि हमारे पास 100 आएगीं. हैरानी की बात…….आती भी हैं या भर भर कर उन्हें लाया जाता है.  उस दिन उनका पूरा समय भी लिया जाता है. कई बार उन्हे खुश करने के लिए उस दिन ट्राफी दी जाती है… आईए ….एक नजर डालते हैं…… 8मार्च की सुबह पर……
मिताली का अपने पति से जम कर झगडा हुआ…क्योंकि दिवस मनाने के चक्कर मे जल्दी जल्दी वो डबल रोटी जला बैठी और अंडा कच्चा ही रह गया ….पति महोदय बिना कुछ खाए द्फ्तर चले गए.

दीपा को महिला दिवस का कही से न्यौता ही नही आया था …..इस चक्कर मे घर मे काफी तनाव था …..दो बार अपने बेटे की पिटाई कर चुकी है…और चार बार फोन उठा कर देख चुकी है…पर घंटी है कि बज ही नही रही ..वो महिला दिवस को कोसती हुई ….बालो मे तेल लगा कर ….जैसे ही नहाने घुसती है….अचानक फोन बज उठता है और उसे आमंत्रण मिलता है कि कल तो फोन मिला नही …बस ..अभी आधे घंटे मे क्लब पहुचों…. आगे आप समझदार हैं…..कि क्या हुआ होगा ….

सरकारी दफ्तर मे काम करने वाली कोमल की अलग अलग तीन जगह डयूटी थी …उधर घर पर पति बीमार थे और लड्की के बोर्ड का पेपर था.. उसे सेंटर छोड कर आना था ….टेंशन के मारे उसका दिमाग घूम रहा था उपर से दफ्तर से फोन पर फोन आए जा रहे थे कि जल्दी आओ….
अमिता समय से पहले तैयार होकर खुद को बार बार शीशे मे निहार रही थी कि अचानक बाहर से महेमान आ गए …..वो भी सपरिवार …दो दिन के लिए ….उन्हे नाश्ता देकर जल्दी आने का कह कर वो तुंरत भागी … संगीता के पति का सुझाव था कि उनकी बेटी के शादी के कार्ड  वही प्रोग्राम मे बाटँ दे…… उससे चक्कर, पेटोल और समय बच जाएगा ……कार्ड निकालने के चक्कर मे वो बहुत लेट हो गई ….और वहाँ बाटंना तो दूर वहाँ लिफाफा ही किसी ने पार कर लिया ….
खैर , ऐसे उदाहरण तो बहुत है पर बताने वाली बात यह है कि प्रोग्राम मे सभी महिलाए मिलकर खुश होकर ताली बजा कर महिला दिवस का स्वागत कर रही थी …… वो अलग बात है कि उघेड बुन सभी के दिमाग मे अलग अलग चल रही थी.

चाहे वो घर की हो दफ्तर की हो या किसी अन्य बात की … महिलाए है ना….. चाह कर भी खुद को परिवार से अलग नही कर पाती….. शायद यह हमारी सबसे बडी खासयित है जोकि पूरे संसार मे कही और नही मिलेगी… हमारे देश मे हर परिवार का अपना रहन सहन है… अपना खान पान है….. परिवार जब शादी के लिए रिश्ता खोजता है तो उसके जहन मे होता है कि उसे कैसी लडकी चाहिए वो नौकरी पेशा हो या नही फिर बाद मे किस बात की तकरार.  ये तो हम महिलाओ की खासियत है कि घर और द्फ्तर या परिवार मे सही तालमेल रखती हैं.  आदमी महिला के खिलाफ कितना बोल ले पर उसके बिना वो अधूरा ही है… और यही बात हम महिलाओ पर भी लागू होती है .

कोई भी महिला आदमी के बिना अधूरी है तो फिर तकरार किस बात की है. क्यो अहम बीच मे आ जाता है ….. क्यों वो अपनी अपनी जिंदगी मे खुश नही रह सकते. प्रश्न इतना बडा भी नही है जितना लग रहा है .. इसका उतर हमे खुद खोजना होगा वो भी कही दूर जाकर नही बलिक अपने घर –परिवार मे .

मेरे विचार में बजाय मंच पर खडॆ होकर अपने हक की बात करने से या चिल्ला चिल्ला दुहाई देने से अच्छा है कि महिला को अपने घर की चार दिवारी मे परिवार वालो के बीच ही फैसला लेना होगा. अपना अच्छा बुरा खुद सोचना होगा.  माईक के आगे जोर जोर से दुहाई देने से बजाय खुद का मजाक बनने से कुछ हासिल ना हुआ है ना ही होगा. आप खुद ही नजर डाले कि बीते सालो मे 8 मार्च के बाद कितना और कहा कहा बद्लाव आया है तो सब  खुद ब खुद साफ हो जाएगा.
इसीलिए घर से अलग होकर या परिवार से उपर होकर फैसले लेने की बजाय परिवार के साथ चलेगें और अगर आपके अपने अपने परिवार मे जाग्रति आ गई तो हर रोज महिला दिवस होगा और बजाय लडाई झगडॆ के महिला और उसकी भावनाओ को समझ कर उसे ना सिर्फ घर मे बल्कि बाहर भी सम्मान मिलेगा ..जिसकी वो हकदार है ..नही तो इतने सालो से महिला दिवस मना रहे है ना .. बस आगे भी सालो साल मनाते ही रह जाएगे ..
तो .. 8 मार्च की सार्थकता तभी होगी जब हम सभी इस बात का गहराई से मथनं करे और जल्दी से जल्दी किसी निर्णय पर पहुचे ..

ये तो मेरी राय है आप इन विचारो से सहमत है या नही …. अपने विचार सांझा   जरुर करें ….

April 22, 2015 By Monica Gupta

नारी शक्ति पर कविता – आज की भारतीय नारी

Audio - Short Story- Dard by Monica Gupta

नारी शक्ति पर कविता – आज की भारतीय नारी- mahila diwas – आज की नारी अबला नही सबला है. हम भारतीय नारियों की तो बात ही अलग है … ढेरो परेशानियों के बावजूद भी हमेशा सकारात्मक सोच रखती हुई आगे बढती जाती हैं और अपनी बात कुछ इस तरह से  कह जाती है

नारी शक्ति पर कविता – आज की भारतीय नारी-

सुनिए मेरी लिखी कविता मेरी ही आवाज में अच्छे लगते हैं … पीले पत्ते
सूखी टहनियां
अंधकार से धिरा आसमान
पथरीला रास्ता
कांटो भरी राह
अनुत्तरित प्रश्नो को तलाशती सूनी निगाह

 

 

 

नारी शक्ति पर कविता

नारी शक्ति पर कविता

https://monicagupta.info/wp-content/uploads/2015/04/POEM-acche-lagtey-hain-by-monica-gupta.wav

Audio- Poem- Indian lady -Monica Gupta

आज समय बदल रहा है और हम नारियों की सोच भी बदल रही है वो परेशानी हो या बाधा … उनका सामना करती हुई  हर क्षेत्र में आगे आ रही है और यही सब महसूस करते हुए दिल से एक कविता बन निकली …

सुनिए मेरी लिखी कविता मेरी ही आवाज में अच्छे लगते हैं … पीले पत्ते …

अच्छे लगते हैं ( कविता)

अच्छे लगते हैं
पीले पत्ते
सूखी टहनियां
अंधकार से धिरा आसमान
पथरीला रास्ता
कांटो भरी राह
अनुत्तरित प्रश्नो को तलाशती सूनी निगाह
इसलिए नही
कि हौसळे बुलंद हैं
जोश है कुछ कर दिखाने का या मन मे भरा है धैर्य, आत्मविश्वास
जुनून है, लग्न है कि जीतना ही है
नही
बल्कि इसलिए कि
मै हूं नारी
ईश्वर की अनमोल सरंचना
एक तोहफा
जन्मदात्री हू ना
इसलिए जानती हूं
कि
पीडा मे कितना सुख है
इसलिए तो तैयार हूं
अंगारो भरी राह पर खुद को समर्पित करने को
तभी तो

अच्छे लगते हैं

बडे अच्छे लगतें हैं
पीले पत्ते
सूखी टहनियां
अंधकार से धिरा आसमान ….!!!

 

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अच्छे लगते हैं  कविता आपको कैसी लगी ?? जरुर बताईएगा !!!

कार्टून – Cartoon -असली खुशी – Happiness is Celebrating Day

March 7, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

Mahila Diwas

 

Mahila Diwas

Photo by dollen

Mahila Diwas

बेशक, आज समाज मे महिलाओ को लेकर टेंशन का माहौल है पर इसका अर्थ यह भी नही कि हम नकारात्मक ही सोचना , बोलना और लिखना शुरु कर दें.

फेसबुक से जान पहचान मे आई एक महिला जोकि अक्सर टीवी पर भी दिखाई दे जाती हैं बहुत नकारात्मक सोच है उनकी महिला के बारे में. इससे पहले कि मेरी सोच भी वैसी हो जाए और मैं भी नकारात्मक सोच लिए लिखू और बोलू मैने उन्हें अनफ्रेंड ही कर दिया.

यकीनन समाज मे हो रही धटनाएं चिंतित तो कर जाती है पर अगर हम भी नकारात्मक सोचने लगेगें तो फिर क्या अंतर रह जाएगा .

Mahila Diwas पर बेशक हम बडे बडे दावे करते हैं, बहस करते हैं पर अगर हर दिन जागरुक हो जाए और हर दिन  Mahila Diwas मान कर चले तो शायद कुछ बदलाव दिखे …  वैसे मेरा मानना है जैसी सोच होगी वैसा ही हमें दिखेगा.इसलिए बी पाजीटिव विचारों को लेकर आगे बढेंगॆ तो सुनने को भी कुछ ही मिलेगा.. अगर आप मेरी राय से सहमत तो ठीक अन्यथा आप मुझे अनफ्रेंड या ब्लाक कर देंगें तो सही रहेगा क्योकि मेरी सोच महिलाओ के बारे मे सकारात्मक ही रहेगी….

Mahila Diwas के बारे में आपके विचारों का स्वागत है..

March 7, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

न्यायपालिका

cartoon_mahila diwas

न्यायपालिका

 महिला अत्याचार, महिला असुरक्षा इतनी बढ गई है कि अब लगता है कि न्याय  की देवी की आखों से पट्टी हमे ही हटानी पडेगी

अन्यथा … अव्यव्स्था बिगडती ही जाएगी ..!!!

न्यायपालिका

 

March 6, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

महिला सशक्तिकरण

cartoon -mahila diwas

महिला सशक्तिकरण

रास्ते मे बहुत अडचने हैं  चुनौतियां भी बहुत हैं और हालात भी बहुत खस्ता हैं पर इस सबसे निडर होकर हम महिलाओं को  अपना रास्ता खुद ही बनाना है और आगे बढते जाना है !!!

महिला दिवस की हार्दिक बधाई !!! सकारात्मक जीए 🙂

महिला सशक्तिकरण

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