साहित्य अकादमी सम्मान
हरियाणा साहित्य अकादमी सम्मान
बात 2009 की है जब मेरी पहली पुस्तक” मैं हूं मणि” को हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से “बाल साहित्य पुरस्कार” मिला. इसके इलावा अभी तक दो अन्य लिखी किताबों “ समय ही नही मिलता”, “ अब मुश्किल नही कुछ भी” को हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से अनुदान मिला.
पहली पुस्तक और उसे ही बाल साहित्य पुरस्कार मिलना बेहद खुशी और गर्व की बात थी. ऐसी खुशी और गर्व उन सभी साहित्यकारों और लेखकों को होता होगा जिन्हे ये सम्मान मिलता है. अब मैं आती हूं आज की बात पर कि आज इतने साल बाद मुझे यह बताने की जरुरत क्यो पडी. वो इसलिए कि कई साहित्यकारों द्वारा मिला सम्मान लौटाया जा रहा है.
इसी बारे में, पिछ्ले एक दो दिन में बहुत लोगो को सुना और उनकी प्रतिक्रिया भी देखी. बेशक, हम जिस समाज मे रहते हैं हमे अगर अपनी बात रखने का हक है तो उसी तरह हमे किसी बात का विरोध करने का भी हक है पर सम्मान को लौटाने का ये तरीका सही नही. हां एक बात हो सकती थी कि देश के सभी साहित्यकारों और लेखको को इसमे शामिल करके उनकी राय जानी जाती और फिर एक जुट होकर ऐसा कदम उठाया जाता जो समाज हित मे होता तो शायद कुछ बात बनती.
कोई कदम उठाने से पहले एक बात जरुर जहन में रखनी चाहिए कि ना मीडिया हमारा है और न ही नेता हमारे हैं हमें अगर अपनी बात रखनी है तो कलम को ताकत बनाए और उसी के माध्यम से अपना विरोध व्यक्त करें. टीवी चैनल पर एक धंटे बैठ कर, बहस कर, लड झगड कर अपने स्तर से गिर कर बात रखने का क्या औचित्य है… !! धरना प्रर्दशन और भूख हडताल भी कोई समाधान नही जैसा कुछ लोग अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं.
हमारी ताकत हमारी लेखनी है और सोशल मीडिया एक खुली किताब है. इस पर हम सब मिलकर अपनी बात दमदार तरीके से रखे तो सोच मे जरुर बदलाव आएगा.
साहित्य अकादमी सम्मान
मोनिका गुप्ता( हरियाणा साहित्य अकादमी अवार्ड )




















कार्टून …. मोनिका गुप्ता
































