Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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July 18, 2015 By Monica Gupta

कौन पास कौन फेल

कौन पास कौन फेल

एकता और संदीप की नई नई शादी हुई. समय बहुत अच्छा गुजर रहा था. संदीप आफिस जाता और एकता अपना घर सम्भालती. घर में खाली समय में वो टीवी देखती और फेसबुक का भी बहुत शौक था. सगाई के बाद ही उसने नया नया सीखा था. संदीप से बातें करने के लिए और धीरे धीरे उसके दोस्तों की संख्या बढती गई.

एक दोपहर जब वो फेसबुक पर किसी को कमेंट कर रही थी तभी उसके पास एक मैसेज आया. आप बेहद खूबसूरत हैं. मैं आपसे दोस्ती करना चाहता हूं. उसने तुरंत मोबाईल बंद कर दिया. शाम को जब दुबारा खोला तो दो तीन मैसेज और आए हुए थे कि आपने कोई जवाब नही दिया. क्या मेरी मित्रता आपको स्वीकार नही. तभी अचानक घंटी बजी. उसके पति आफिस से आए थे . वो उनके लिए चाय बनाने लगी. अगले दिन संदीप के आफिस जाने के बाद उसने फिर मैसेज देखा  उसमे ना सिर्फ मैसेज थे बल्कि एक दो बेहद गंदी तस्वीरे भी थी. एकता ने गुस्से में लिखा कि अगर आज के बाद आपने मुझे कोई मैसेज भेजा तो यही सारे मैसेज मैं आपकी वाल पर पोस्ट कर दूंगी. समझ  क्या रखा है अपने आप को. महिला को कैसे भी तंग करो.

उसके बाद दो दिन तक कोई मैसेज नही आया. वही संदीप सब जानता था क्योकि मैसेज वो ही भेज रहा था वो बस अपनी पत्नी का इम्तेहान ले रहा था जिसमें वो पास हुई. बात वही खत्म हो गई.

इस बात के कुछ महीने बाद एक दिन एकता को एक शरारत सूझी. उसने फेसबुक पर एक नकली प्रोफाईल बनाया और संदीप को मैसेज किया. हैलो … क्या मैं आपसे दोस्ती कर सकती हूं ? मैसेज भेजने के दो ही मिनट में उसने दोस्ती स्वीकार कर ली और मैसेज किया आप भी बेहद खूबसूरत हैं क्या मैं आपका मोबाईल नम्बर जान सकता हूं? एकता थोडा सकते मॆ आ गई और उसने कोई जवाब नही दिया. शाम को फिर मैसेज आया कि आपने अपना नम्बर नही दिया… शायद एकता की नजरों में संदीप फेल हो गया था.

sad women  photo

Photo by clala1220

 

July 15, 2015 By Monica Gupta

कौन बनेगा

lady and mobile  photo

Photo by garryknight

कौन बनेगा …. !!!

कुछ समय पहले की बात है ….. जिंदगी में सब कुछ एक दम नार्मल चल रहा था कि अचानक एक दिन आए मैसेज ने मेरी नींद ही उडा दी. मोबाईल पर मैसेज मेरी सहेली की  तरफ से था. उसने लिखा था कि उसका सलेक्शन कौन बनेगा करोडपति में हो गया है और यह 31 सितम्बर को प्रसारित होगा और  इसमे phone a friend  के लिए तीन दोस्तो मे से मुझे भी चुना है. मेरा दिल धक से रह गया. वो बात नही है कि मेरा सामान्य ज्ञान अच्छा नही है. स्कूल टाईम मे तो मै क्विज प्रतियोगिता मे मै प्रथम आई थी. पर पर डर लग रहा है कि अगर उसका नम्बर लग गया और वो हाट सीट पर आ गई और किसी प्रश्न पर अटक गई और मेरा नम्बर मिला लिया तो क्या होगा जब अभिताभ बच्चन मुझे हैलो करेगे. नमस्कार  करेगे. नमस्कार  मोनिका गुप्ता जी .. मै अमिताभ बच्चन बोल रहा हू …. !!!

मैं घर का सारा काम काज छोड कर सामान्य ज्ञान की पुस्तके इकट्ठी करने मे जुट गई. इसी बीच अपनी उसी सहेली को दो चार बार फोन ट्राई किया पर वो व्यस्त आ रहा था. मैने सोचा कि अब तो वो बहुत बिजी हो गई होगी. जब मै ही इतनी व्यस्त हो गई हूं जिसके पास सिर्फ फोन ही आना है सोचो उसने तो अमिताभ जी के साथ बैठना है.उसे कितनी टेंशन होगी. इसी बीच मैने खुद पर इतराते हुए  कम से कम दस बार वो वाला  मैसेज भी पढ डाला.

सच पूछो तो   टेंशन भी बहुत थी और बहुत  खुशी भी थी कि यह बात  बात किस किस को और कैसे बताऊं .  बहुत सोच विचार के  मैने यह बात अपनी  पडोसन अमिता को बता दी कि सितम्बर के आखिरी दिन मै कौन बनेगा करोडपति के  फोन ए फ्रैंड मे आऊगी. मै जानती थी कि दस मिनट मे यह बात पूरी सोसाईटी मे फैल जाएगी और मेरी आशा के अनुरुप हुआ भी यही. दस ही मिनट मे पूरी सोसाईटी मे बात फैल गई. सभी मुझे बधाई देने आने लगे. सभी को गर्व था मुझ पर. उसी शाम सोसाईटी वालो ने मुझे सम्मानित भी कर दिया. घर के सामने एक पत्रकार भी रहते है वो भी पहुंच गए मेरा साक्षात्कार लेने. मै भी अपने बचपन और पढाई की बाते बढ चढ कर बताने लगी. अपनी सहेली के बारे मे भी बताया कि हमारी कितनी दोस्ती थी. कितना प्यार था.वो मुझे बहुत अच्छी तरह समझती थी और मै उसे.

अडोस पडोस वाले अच्छी पुस्तके लाने मे जुट गए. ताकि किसी प्रश्न मे मै अटक ना जाउं. अब एक एक पल काटना मुश्किल हो रहा था. मै सारे काम काज छोड कर तैयारी मे ही जुटी थी. रात को मैने घर पर भी एलान कर दिया कि मै अब ना ही किसी से मिलूगी और ना ही कोई फोन रिसीव करुगी बस जब तक प्रोग्राम नही प्रसारित हो जाता तब तक सिर्फ पढाई ही करुगी.

पर यह हो नही पा रहा था कभी कोई तो कभी कोई मिलने वाले आ ही रहे थे क्योकि उनकी नजरो मे  मै सैलीब्रेटी बन चुकी थी और घरवालो को उन्हे मना करना भी अच्छा नही लग रहा था.घडी की टिकटिक चले जा रही थी  और मै नर्वस होती जा रही थी.

अगले दिन मेरा मोबाईल छोटे बेटे ने  लिया और गेम खेलने लगा. मेरे मना करने पर उसने मुझे सोरी कहा और वो चुपचाप मैसेज पढने लगा. अचानक उसने जोर जोर से हसनां शुरु कर दिया और मैसेज फोर्वर्ड  करने लगा . मेरे गुस्से पर पूछ्ने पर उसने बताया कि एक बहुत मजेदार मैसेज  आया हुआ है आप के मोबाईल पर 31 तारीख का. वही अपने दोस्तो को भेज रहा हूं.  उस समय तो मै कुछ नही बोली पर इसके जाने के बाद जब मैने मैसेज देखा तो कोई नया मैसेज तो था नही वही पुराना मैसेज था मेरी सहेली वाला कौन बनेगा करोडपति वाला तो इसमे इतने हंसने की क्या बात थी .

सोचते सोचते मै मैसेज पढती हुई  केलेंडर के सामने जा खडी हुई और उसे देखते ही मेरे पावं के नीचे से जमीन खिसक गई. लगा मानो भूचाल आ रहा है मानो  सब कुछ हिल रहा है. 31 सितम्बर …. 31 सितम्बर … क्या कहूंगी सब को… मै तो अच्छी खासी …..!!!  सारी समझदारी गई पानी मे ..!!!! .अब तो इस विचार मे हूँ कि किस किस से और कैसे छुपाऊ… तभी पीछे से आवाज आई … जल्दी बाहर निकलो … भूकंप आ रहा  है और मै गिरती पडती बाहर भागी !!!!! उस समय कानों मे अमित जी की बस एक ही आवाज कानो मे गूंज रही थी कि आपका समय समाप्त होता  है अब … हंय…

कैसा लगा आपको ये लेख … जरुर बताईएगा 🙂

 

July 15, 2015 By Monica Gupta

शौक, शोक, शेक और शक

dog photo

 

शौक, शोक, शेक और शक

Satire –  व्यंग्य

असल मे, वो क्या है ना हम चाहे कुछ भी हो पर स्टेट्स सिंबल बन चुका है कुत्ता पालना.. जिसे हम सभ्य भाषा मे पप्पी,डागी या मेरा बच्चा के नाम से पुकारते हैं.

अभी परसो ही जब मुझे प्रमोशन मिली और मैने सखी को यह खुशखबरी दी कि अब तो मुझे गाडी भी मिल जाएगी तो लम्बू जी यानि अमिताभ जी के स्टाईल मे कमर पर हाथ रख कर वो बोली वो सब तो ठीक है हंय….   पर क्या कुत्ता है तुम्हारे पास. बस इतना अपमान मै सहन नही कर सकी और ठान ली कि चाहे कुछ भी हो जाए कुत्ते ( ओ क्षमा करे) डागी को तो खरीद कर ही रहूगी.चाहे जो हो सो हो ..भई आखिर स्टेट्स सिंबल का सवाल जो ठहरा. आखिर वो अपने को समझती क्या है . हम भी कुत्ते वाले क्यो नही बन सकते.

यही सब विचारते भुनभुनाते घर पहुंच कर सोचा था कि किसी ना किसी पर गुस्सा जरुर निकालूगी और अगर कोई नही मिला तो कांच वगैरहा का गिलास ही पटक कर तोड दूगी पर पर पर तभी काम वाली बाई का मोबाईल पर मैसेज आया कि आज वो नही आएगी इसलिए ये प्रोग्राम भी कैंसिल करना पडा क्योकि झाडू जो खुद लगानी पडती. खैर खाली मुहं फूलाने से ही काम चलाना पडा.

उसी शाम को किट्टी पार्टी मे जाना था वहां सभी शायद किसी अंग्रेजी फिल्म या किसी हीरो की बात कर रहे थे. जैसे बाक्सर, हासा, एप्सो, ग्रेट्डेन, सेट्बर्नार्ड, जर्मन शेफर्ड् आदि .अब मै भी कहां  चुप रहने वाली थी.  मैं भी बोल पडी कि मैने भी देखा है बहुत खूब हीरो हैं और वाह वाह क्या पिक्चर है. मेरा बोलना ही था कि सभी चुप होकर मेरा मुहं देखने लगी और मिसेज शर्मा हंसती हुई बोली कि भई, कोई कुछ भी कहे आपका सैंस आफ हयूमर बहुत ही शानदार है. मै भी मंद मंद मुस्कुराने लगी वो तो बाद मे पता चला कि वो सभी कुत्तो की नस्ल के नाम थे.

खैर उसी समय मैने निश्चय कर लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए  कल तक एक कुत्ता मेरे भी घर की शोभा बढाएगा ही बढाएगा. दिखावे का शौक ऐसा चढा कि अगले दिन स्पेशल  दिल्ली गए  और अलग अलग नस्लो से दो चार हुए. ग्रेटडेन की खूंखार बाडी देखकर, उनका खाना पीना  और उसका रेट सुनकर पसीना ही छूट  गया यानि चक्कर खाकर गिरते गिरते बची. बहुतों को देखने के बाद यही फैसला किया गया कि हल्का सा पामेरियन ही ले चलते हैं पर बात पक्की होते होते यही फाईनल हुआ कि अल्सेशियन ही ले कर जाएगे.

हालांकि इसके खाने पीने, रहन सहन के बारे मे जानकर बार बार श्वास अटकने लगी पर शौक था इसलिए चेहरे पर मुस्कान लिए सब समझती रही. अगले कुछ ही पलों में चैक से भुगतान करने के बाद उसे गाडी मे लेकर हम घर लौट आए.

शाम को आते ही अपने फ्रैड सर्किल को न्यौता दे आई. वो अलग बात है कि  भारी भरकम आवाज मे उसके भौकने की आवाज सुन सुन कर सिर दर्द हो चला था. फिर इसका वो सब साफ करना जिसकी आदत ही नही थी और उसे वो सब खिलाना जो मैने कभी सपने मे भी नही सोचा था… लग रहा था बहुत जल्दी मेरा शौक शोक मे बदल रहा है.शाम को सभी सहेलियां अपने अपने पप्पी के साथ उससे मुलाकात करने आई थी.

दोपहर बाद इसका ट्रैनर भी आ गया कि ताकि हमे इसकी आदतो केर बारे मे सीखा सके.पर सच पूछो तो इस कुत्ते के ऐशो आराम देख कर मेरा पूरा शरीर शेक करने लगा है. नाश्ता, दोपहर का भोजन फिर कभी उसे सैर करवाना तो कभी उसके नखरे देखना. मेरा पूरे घर का बजट चार दिन मे ही बिगड चुका है. ट्रैनर का खर्चा देखकर हमने उसे बहुत जल्दी विदा कर दिया पर … पर … पर … कोई शक नही कि शौक के चक्कर मे सारा शरीर शोक मे है और घबराहट और डर के मारे शेक कर रहा है. अब मै उसे निकालना चाह रही हूँ पर इतने रुपए खर्च करके खरीदा था इतने मे कोई खरीदने को तैयार ही नही है.

उसे घर मे लाए आज 10 दिन हो चुके हैं मुझे शक है कि मै उसकी वजह से बहुत जल्दी पागल होने वाली हूं. रात के 12 बजे है और वो फिर भौंक रहा है पता नही उसे भूख लगी है या धूमने जाना है. बस अब तो जैसे भी हो…  इसे बाहर का रास्ता दिखाना ही पडेगा चाहे जो हो सो हो.!!!

Satire …   व्यंग्य

शौक, शोक, शेक और शक  ….कैसा लगा आपको ये व्यंग्य जरुर बताईएगा …

 

 

 

July 15, 2015 By Monica Gupta

आपका बहुत बहुत धन्यवाद

thanks photo

Photo by opensourceway

 

आपका बहुत बहुत धन्यवाद

कुछ समय पहले की बात है कि एक महिला को अपनी नन्ही बच्ची के लिए खून की जरुरत थी.वो खून का ग्रुप जल्दी से उपलब्ध नही होता था यानि रेयर ग्रुप था. मेरी सहेली मणि ने उन्हे ना जानते या पहचानते इंसानियत के नाते बहुत दौड धूप की और उस रक्त का इंतजाम करवा दिया. आप्रेशन सफल रहा. कुछ समय बाद वह् लडकी आईसीयू से बाहर भी आ गई और कुछ समय बाद वो ठीक होकर अपने घर भी चली गई.

इसी बीच मणि ने  एक दो बार बच्ची का हाल चाल पूछ्ने के लिए इस महिला को फोन भी किया. पर हैरानी ही बात यह रही कि महिला ने एक बार भी उसका धन्यवाद नही किया. वैसे तो उसे उम्मीद ही नही रखनी चाहिए थी क्योकि मेजर आप्रेशन था और उस महिला को मानसिक परेशानी भी बहुत रही होगी उस समय. पर जब बच्ची भी ठीक होकर घर आ गई तो भी उसने एक बार भी फोन करके मणि का धन्यवाद नही किया. इस बात से मणि का मनोबल बहुत गिरा पर क्योकि उसका ये किसी की मदद करने का यह उसका पहला मौका था.

पर फिर मेरे समझाने पर वो फिर अपने नेकी के काम मे दुबारा से जुट गई पर उसके जाने के बाद मैं जरुर सोचने लगी कि हम अक्सर कहते रहते है कि हमे दूसरो की मदद करनी चाहिए या जब किसी को जरुरत पडे उसकी सेवा निस्वार्थ भाव से करनी चाहिए पर इसके साथ साथ जिन लोगो को मदद मिलती है या जिन लोगो का ऐसे प्रोत्साहन से मनोबल दुगुना होता हो उन्हे भी इस बात का ध्यान रखना चहिए कि जो लोग उनके लिए आगे आए है समय निकाला है या उन्हे कुछ समय दिया है.

उनका दिल से “धन्यवाद” या “आभार” जताना बहुत जरुरी है उसे बिल्कुल नही भूलना चाहिए … तो अगर आप किसी का धन्यवाद करना भूल गए है तो प्लीज और देर मत कीजिए!!! यकीनन जितनी आपको खुशी मिली है उससे भी दुगुनी उन्हे मिलेगी आप एक बार धन्यवाद कर के तो देखिए !!!

July 14, 2015 By Monica Gupta

अच्छे दिन

Cartoon BJP by monica gupta

 अच्छे दिन

अच्छे दिन के इंतजार मे मेरे बनाए कुछ कार्टून … कभी कछुए पर, कभी परदे के पीछे छिप कर, तो कभी आखें टेस्ट करवा क,र कभी दूरबीन लगा कर अच्छे दिन देखने की कोशिश की कई बार मुझे सम्मोहित भी किया गया कि अच्छे दिन आ चुके हैं पर…. Thank God  🙂  आज पता चल गया कि बस 25 साल बाद आने ही वाले हैं अच्छे दिन… 🙂

July 14, 2015 By Monica Gupta

कहानी फिल्मी नहीं

watching movie photo

Photo by NASA Goddard Photo and Video

 

कहानी फिल्मी नहीं

कुछ देर पहले मेरी एक सहेली का फोन आया. बहुत शोर भी आ रहा था. मैने पूछा कि शोर कैसा ?? इस पर वो बोली कि असल में, हम बाहुबली फिल्म देखने आए हुए है. और फिल्म शुरु हो चुकी है. बस बताने के लिए किया था फोन. मेरे ओह बोलने पर वो अचानक बोली अच्छा एक और फोन भी आ रहा है. जब मैने उसे किया तब बिजी था और बाय बोल कर फोन रख दिया.

मेरे चेहरे पर स्माईल थी क्योकि मैं उसकी इस दिखावे की आदत से बहुत परिचित हूं पर गुस्सा इस बात का भी आ रहा था कि फिल्म में उसके आगे पीछे बैठे लोग भी कितना डिस्टर्ब हो रहे होंगें.. अरे भई फिल्म देखने आए हो चुपचाप देखो और अगर बताना ही है तो इंंटरवल में बता दो ताकि दूसरों को असुविधा तो न हो … वैसे आप तो ऐसे हरगिज नही होंगें अगर हैं तो जरा नही बहुत सोचने की दरकार है…

कहानी फिल्मी नहीं

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