Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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July 14, 2015 By Monica Gupta

बेचारी महिलाएं

 

road traffic people photo

Photo by bukrie

 

बेचारी महिलाएं

बहुत समय से कोई नया आईडिया या विचार मन मे नही आ रहा था क्या लिखूं .. क्या लिखूं ..!!  क्या लिखूं ..!! जब वाकई में कुछ समझ नही आया तो हाथ मे कागज पैन पकडा और निकल गई बाहर कुछ भी, कही भी, कुछ नया खोजने.

सडक पर जा रही थी कि कोई आपस मे बातचीत हो रही थी….कि क्या करुं बाल बहुत झडने लगे. कितनी दवा दारु की पर कोई फायदा नही हुआ. तुम्हे पता चले तो कोई घरेलू नुस्खा बताना.

बस मे चढी तो बात हो रही थी.. खाईए ना.. घर की बनी मिठाई है. मैने ही बनाई है.

शापिंग सैंटर पहुची तो वहां भी कम नजारा नही था. एक दूसरे को कोहनी मार कर बात हो रही थी .. वो देखा  सामने से मिसेज सिन्हा आ रही है इतनी लाल चटक लिप्स्टिक लगाई है मानो किसी का खून पी कर आई हो. और फिर बहुत तेज ठहाके की आवाज आई.

वहां कुछ देर शापिंग करने के बाद  एक दफ्तर मे जाना हुआ तो वहां मिलने वालो की लम्बी कतार लगी हुई थी पर वो बतियाने मे ही व्यस्त कि क्या करु…!! बहु, बहुत धीरे धीरे कार चलाती है इसलिए हमेशा आने मे देरी हो  ही जाती है….हाँ नही तो.!!!

एक घर के आगे से गुजरी तो आवाज आई कि बहू से तुम्ही बात करके देखना … मुझे तो हर हालत मे बडी वाली कार चाहिए और मायके जा रही है तो अपनी जांच भी करवा ले .. कही बेटी हुई तो !!!!!

थोडी देर थक कर बैठी तो कोई सैर करते हुए सामने से बोलते हुए निकले बहुत दिनो से गोलगप्पा नही खाया आज तो हो ही जाए … फ्रूट चाट और रसमलाई भी ..!!!

मै बहुत खुश थी कि आहा आज  का दिन बहुत अच्छा रहा. बहुत बाते सुनने को मिली. क्या??? आपको नया नही लगा???? जी नही .. ये तो बिल्कुल नया है.

असल मे, यह जितनी बाते आपने पढी है वो “पुरुष” आपस मे बाते कर रहे थे महिलाए नही …!!! जी क्या कहा आपने ??? तो फिर मैने टाईटल ऐसा क्यो लिखा है …!!! उफ ये महिलाए!!! अब गलत फहमी तो होगी ही ना !!

उफ !!! आप भी बहुत जल्दबाजी करते हैं .. पूरा तो पढा नही …असल मे, ज्यादा बडा टाईटल तो लिख नही सकते है पर मेरा यही कहना था कि  “उफ बेचारी महिलाएं” तो एवैई ही बदनाम है.

कैसा लगा आपको मेरा लिखा ये लेख …. जरुर बताईएगा !!!

 

July 14, 2015 By Monica Gupta

हमारे मित्र

हमारे मित्र

rain photo

हमारे मित्र

गर्मी के साथ बरसात  आई नही कि हमारे परम मित्रो का आगमन और चहल पहल शुरु हो जाती है.कही मेढक फुदकता मिल जाएगा तो कही कोकरोच अपना ही घर समझ कर इठलाता अकड के चलता मिल जाएगा.छिपकली और चूहो का तो पूछो ही मत.सब अपना ही घर समझ कर डेरा जमाए बैठ जाते हैं वो इसलिए की वाकई मे ये हमारे ना सिर्फ दोस्त है बल्कि हमारी सेहत का भी बहुत ख्याल रखते हैं. हमे चुस्त दुरुस्त बनाए रखते हैं.

कल्पना करे कि अचानक पलंग के नीचे से चूहा भागता हुआ आया और मेज के नीचे जाकर छुप गया. अब उसे देख कर ना सिर्फ हम भी भागते है बल्कि कूदी मार कर कुर्सी पर भी चढ जाते है तो देखा बनाया ना उसने हमे चुस्त दुरुस्त. अब कोकरोच की बात करे. वो हमे देख कर भागे या ना भागे पर हम उसे देख कर चिल्लाते बहुत तेज हैं और हमारी सांस तेज तेज चलने लगती है यानि हमारी आवाज तार सप्तक तक चली जाती है और दबी दबी सी हमारी आवाज अचानक खुल जाती है साथ ही साथ हमारे फेफडे भी मजबूत हो जाते हैं.तो हुआ ना वो भी हमारा परम हितैषी!!

अब लाल काली प्याली प्याली चींटियो की बात करें तो मैडम जी अक्सर रसोई मे चीनी और मिठाई पर कब्जा किए मिल जाती हैं तो वो भी फायदेमंद हैं. अब देखिए ना ऐसे मे क्या होता है कि अक्सर चीनी हम फेक देते हैं यानि शूगर हम नही खाएगे तो भी शरीर सही रहेगा और अगर हम उसे ना फेंके और बजाय फेंकने के साफ करने लगे तो भी हमारी आखो का अच्छा व्यायाम हो जाता है हम जान जाते है कि हमारी आखे कितना बारीक देख सकती हैं और साथ मे अगुलियो की भी कसरत हो जाती है.तो रखती है ना ये हमारा खयाल.

अब बात आती है सर्वप्रिय मक्खी रानी की.जब भी उडाओ तभी आ जाती है. जब भी उडाओ तभी आ जाती है. वो इसलिए आती है कि हमारे हाथो की कसरत हो सके नही तो उसे कोई शौक नही होता हमे तंग करने का. कोई दुश्मनी थोडे ही ना है उसे हमसे. वो तो बस हमारी ही सेहत का ख्याल रख कर ऐसा करती है.वो ज्यादा ना आए इस चक्कर मे हम सफाई भी रखते है तो देखा कितना ख्याल है उसे हमारा और हम भी ना !!!

वही गुनगुन करते मच्छर भी हमारे अच्छे दोस्त साबित होते हैं. अब अंधेरा होते ही बल्ब आदि के आसपास मच्छरो का जमावडा लग जाता है तो क्या हुआ. अच्छा ही है ना अजी इनके डर से मेहमान ही नही आते. रात को मेहमान भी घर आने से पहले दस बार सोचते है कि इनके घर तो बहुत मच्छर हैं क्या करेगे जाकर. तो वो तो फायदेमंद है ही बाकि अक्सर मच्छर जाने अंजाने हमे ताली बजाने पर मजबूर कर देते हैं भले ही ताली बजाने से वो मरे या ना मरे पर ताली बजाने के फायदे तो हम सभी जानते है कि रक्त संचार बढता है.तो देखा !! हुए ना वो अच्छे दोस्त !!

अब बात आती है मधुमक्खियो और ततैयो की जोकि घर मे लगे फूलो पर आकर्षित होकर आ ही जाते हैं और कई बार काट भी जाते हैं तो भी कोई बात नही. ऐसे मे पडोसी हमारी चिल्लाने की आवाज सुन कर आ जाते है और जरा वो सूजन कम करने के लिए अचार भी लगा देतें हैं बस उसकी महक इतनी अच्छी होती है कि हम उस अचार की तारीफ करते हैं और पडोसन भी खुश होकर एक कटोरी अचार उपहार स्वरुप दे जाती है कि कुछ दिन पहले ही डाला था.और बस ऐसे ही दोस्ती पक्की होती जाती है और उनसे लगातार मिलकर अपने परिवार और रिश्तेदारो की भडास और गुस्सा उससे शेयर करने लगते है और आपका ब्लड प्रेशर भी सही रहता है.

अरे वाह !! आप तो मेरी बात सुन कर ताली क्यो बजा रहे हैं. धन्यवाद!! धन्यवाद !! आपको मेरा लेख अच्छा लगा! क्या? आप मच्छर मार रहे है और आपको गुस्सा भी बहुत आ रहा है !!! जी मै समझ गई. मै चलती हू. पर आप माने या ना माने पर ये कीट पंतग़े है हमारे मित्र ही!!!

तो कैसे हैं आपके मित्र 🙂 जरुर बताईएगा !!!

July 14, 2015 By Monica Gupta

ये कैसा फल

ये कैसा फल !!!

 

नमस्कार !!!  हमारे देश मे तरह तरह के फल पाए जाते हैं. कुछ खट्टे कुछ मीठे तो कुछ कडवा स्वाद देते हैं. वैसे मै जिस फल की बात कर रही हूं  वो फल हर जगह हर समय पाया और देखा जाता है.  

चाहे सर्दी हो या गर्मी वो फल हर भाव मे उपलब्ध है और अपने तरह तरह के रुप धर के हमे अपनी ओर आकर्षित करता है. कई बार तो ये ठंडी हवा का झोंका जैसे बन कर आता है तो कभी …!!! यह फल हम सभी ही  पहुंच मे होता है हां, ये अलग बात है कि उसे चखने के बाद व्यक्ति विशेष का स्वाद अलग अलग हो जाता है.यानि एक ही फल पर अलग अलग स्वाद !!!

अयं, आप सोच रहे होगें कि भई ये कौन सा फल है तो मै आपको ज्यादा उलझन मे नही डालती. वो क्या है ना कि  मै भी जानती हूं कि आप एक तो पैट्रोल और दूसरा गर्मी की मार से त्रस्त है और उपर से ये फल!!! चलिए मै बताती हूं. असल मे, इस फल का नाम है “ राशि”फल” है ना !!! देखा आप चौक भी गए और आपके चेहरे पर मुस्कान भी आ गई. अब क्या करे!! हर कोई इसका स्वाद जरुर लेना चाहता है.

रवीना की आदत है कि सुबह सबसे पहले उठ कर अपना राशि फल देखती है उसके हिसाब से अपना दिन बिताती है. परसो टीवी पर देखा तो बहुत खुश हो गई कि आज का दिन बहुत अच्छा बीतेगा. चेहरे पर  मुस्कान आई ही थी कि अचानक पति की आवाज आई कि आज भी कमीज मे बटन नही लगाया. बस फिर शुरु हुआ टेंशन का दौर कि आप सोच नही सकते . पति बिना नाश्ता किए दफ्तर गए और बच्चो का टिफिन गुस्से मे उसने तैयार नही किया. कुल मिला कर फल का मीठा स्वाद कडवाहट मे बदल गया.

ऐसे ही संगीता हैं. आफिस मे काम करती है पर हमेशा जहां भी मौका मिले इस फल को चखना चाह्ती हैं. आज उसने अखबार मे राशिफल पढा कि  अजनबी से बच कर रहना. उसी समय घर की धंटी बजी. उसकी नई काम वाली बाई आई थी. बस, वो तो उस फल के शिकंजे मे इतनी कसी कि उसने सोचा शायद उपर वाले ने कोई संदेश ही भेजा हो. बिना समय गवाए उसने बाई को तुरंत  नौकरी से निकाल दिया.तब से अभी तक कोई बाई  नही मिली और वो बेचारी सिर पकड के …!!!

वही दिनेश की भी सुन लीजिए. वो अपनी लडकी ले लिए लडका खोज रहे थे. बात लगभग पक्की हो गई थी. आज बस हां ही बोलना था पर महाशय भी इस फल के दीवाने निकले. राशिफल मे लिखा था कि आज कोई भी फैसला ना लें. बस, वो इस फल के मोह माया मे ऐसा जकडे कि फैसला कल पर छोड दिया. उसे पता था कि आज जवाब देना बहुत जरुरी है क्योकि लडके वालो के  हाथ मे भी एक अच्छी लडकी है पर बस !!!  और सच मे, बहुत अच्छा लडका हाथ से निकल गया और अभी तक दिनेश जी लडका ही खोज रहे हैं.

 

a lady thinking photo

Photo by faith goble

इस बारे मे बहुत लोगो से बातचीत हुई. आमतौर पर सभी इसके दीवाने हैं यह जानते हुए भी इसके परिणाम अधिकतर सही नही निकलते हैं. कुल मिला कर बस आकर्षण मात्र है  लोगो मे.

बात करते करते मेरा ध्यान भी अखबार के इस राशिफल पर चला गया और ना चाहते हुए भी मैने अपना राशिफल पढ डाला. उसमे लिखा था कि  आप दूसरो की नुक्ता चीनी  बहुत करते है. कृप्या सावधान रहें. मैने माथे पर बल डाल कर् अखबार एक कोने मे पटका ही था कि सम्पादक महोदय का फोन आ गया कि आपके व्यंग्य और लेख पाठको को बहुत पसंद आ रहे हैं. अब मुझे समझ नही आ रहा था कि इस फल के स्वाद को क्या नाम दूं.:)

वैसे आपने भी चखा होगा इस फल का स्वाद…..  आपको कैसा लगा ???  जरुर बताईएगा !!!

 

July 13, 2015 By Monica Gupta

एक पाती प्यार भरी- बेटे का पत्र मां के नाम

 Art of Public Speaking in Hindi

एक पाती प्यार भरी – बेटे का पत्र मां के नाम – एक खूबसूरत रिश्ता , रिश्ता प्यार भरा , एक अच्छी किताब 100 दोस्तो के बराबर होती है पर एक उत्साहित करने वाला दोस्त तो पूरी की पूरी लाईब्रेरी होता है
और आप मेरे बहुत अच्छे दोस्त हो ….. (एक पाती प्यार भरी)
पिछ्ले संडे हमारे पडोसी की बिटिया की शादी थी… वैसे तो इतना आना जाना नही था पर पर जब भी मिलते स्माईल एक्सेंज होती और उसके जाने के बाद एक खामोशी सी है….

एक पाती प्यार भरी – बेटे का पत्र मां के नाम

ऐसा ही होता है और यही है जिंदगी … हर माता पिता की जिंदगी मॆं ये लम्हा जरुर आता है जब बच्चा पढने के लिए या नौकरी के लिए उनकी आखों से ओझल होता है … हम सभी को उसे सकारात्मक लेना है और बच्चॉं के सामने कमजोर नही पडना ….मुझे याद आया एक आर्टिकल जो इसी बारे मे मैने लिखा था और आज आपसे शेयर कर रही हूं ये उन मममियों को समर्पित है जो बच्चो को याद करके सारा समय रोती रहती है  ये एक बेटे ने लिखा है अपने मम्मी पापा के नाम …  जब उसने पहली बार अकेले घर से बाहर कदम रखा

 

paper and pen photo

एक पाती प्यार भरी- बेटे का पत्र मां के नाम

प्यारी सी माँ,

कैसी हो? कल मैने पहली बार 17 साल के बाद घर से बाहर होस्टल मे जाने के लिए कदम निकाला है. मां, मै चोरी चोरी निगाहो से आपकी आँखे देख रहा था जब आप अपने आंसूओ को मुस्कान मे छिपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी. पता है, मै भी बहुत ज्यादा उदास था पर मैने खुद को पक्का किया हुआ था कि कुछ भी हो जाए आपके सामने कमजोर नही दिखूगा. आपका राजा बेटा हू ना और आपने ही तो कहा था कि जो राजा बेटा होता है वो कभी नही रोता.

माँ, आप बैग से सामान निकाल कर मेरे होस्टल की अलमारी मे लगा रही थी और मै सोच रहा था कि आपके जाने के बाद मैं  कैसे रहूगां.कौन मुझे सुबह सुबह बालों में हाथ फेरते हुए उठाएगा. कौन मेरे लिए नाश्ते पर इंतजार करेगा. मेरे तैयार होने के बाद और वापिस लौटने पर कौन गेट पर खडा रहेगा.

 

 

 

 

मेरे लिए यह मुश्किल होगा पर मुझे विश्वास है कि आपका राजा बेटा सब कर लेगा. बस आप मेरी चिंता मत करना. पिछ्ले दस दिनो से देख रहा था जब से आप मेरे लिए पैंकिग कर रही थी कि बात बात पर आप उदास हो जाती थी. मेरा सामान पैक करते करते दस मिनट बाथरुम मे लगाती और वहाँ से ऐसे बाहर निकलती मानो कुछ हुआ ही ना हो. मै सब देखता रहता था. कई बार आपकी और पापा की बाते भी सुनता जब पापा आपको समझाते हुए कई बार नाराज भी हो जाते थे.

मैने पापा की हिम्मत को देखा है और मै आज आप दोनो के प्यार और विश्वास से जिंदगी मे बडा आदमी बन कर दिखाउगाँ. आपने जो संस्कार मुझे दिए है वो अब बहुत काम आएगें. हो सकता है शुरु शुरु मे मेरा मन ना लगे. ये भी हो सकता है कि मै जल्दी जल्दी घर के चक्कर लगाऊ या ये भी हो सकता है कि कई बार आप मेरा मोबाईल मिलाओ और वो बंद आए. आप किसी भी हालत मे फिक्र नही करना. आपका राजा बेटा खुद को मजबूत बनाएगा ताकि हर हालात का सामना कर सके और पढाई के साथ साथ अन्य गतिविधियो मे भी अव्वल आए जैसे स्कूल मे आया करता था.

बस, चार साल की तो बात है इंजीनियरिंग की पढाई तो पलक झपकते पूरी हो जाएगी और फिर तो हमने हमेशा ही साथ रहना है .. है ना माँ.

आप अब मेरी चिंता छोड कर अपना और पापा का ख्याल रखना. आप अपनी दवाई और कैलशियम हर रोज लेना और दूध पीना तो बिल्कुल मत भूलना और बासी रोटी और सब्जी छोड कर ताजी रोटी ही खाना और खुश रहना. अगर आप खुश रहोगे तो समझ लेना मै भी खुश हू और अगर आप रो रहे होंगे तो समझ लेना कि मै भी …

याद है ना आप मेरे लिए हमेशा कहा करती थी कि सीढियाँ उनके लिए बनी है जिन्हे छ्त पर जाना है ….. आसमान पर जिनकी नजर है उन्हे अपना रास्ता खुद बनाना है … बस माँ, मै रास्ता बनाने ही निकला हूँ आपके आशीर्वाद के साथ.

आज मुझे भी आपके लिए दो लाईने कहनी है मैने पढी थी…. एक अच्छी किताब 100 दोस्तो के बराबर होती है पर एक उत्साहित करने वाला दोस्त तो पूरी की पूरी लाईब्रेरी होता है

और आप मेरे बहुत अच्छे दोस्त हो और मुझे बहुत खुशी है कि भगवान जी ने इतने प्यारे मम्मी पापा दोस्त रुप मे दिए हैं सच मे , मुझे अपने पर बहुत गर्व महसूस हो रहा है. अच्छा, अब पत्र लिखना बंद करता हू शायद डिनर का समय हो गया है.

अच्छा…. अपना ख्याल रखना और रोना रोना नही करना… याद है ना …

आपका राजा बेटा

हर माता पिता की जिंदगी मॆं ये लम्हा जरुर आता है जब बच्चा पढने के लिए या नौकरी के लिए उनकी आखों से ओझल होता है … हम सभी को उसे सकारात्मक लेना है और बच्चॉं के सामने कमजोर नही पडना …. !!!

एक पत्र दुल्हनियां के नाम – Monica Gupta

एक पत्र दुल्हनियां के नाम …. बचपन मे घर घर खेलने वाली देखते ही देखते इतनी बडी हो गई कि आज अपना ही घर बसाने पिया के घर जा रही है.जहां read more at monicagupta.info

 

कैसी लगी आपको ये पाती … जरुर बताईएगा !!!

 

 

 

July 13, 2015 By Monica Gupta

मैं तीस हजारी से बोल रही हूं

मैं तीस हजारी से बोल रही हूं

आज मणि बहुत घबराई हुई घर आई और बोली कि वो जेल जाएगी. वो जेल जाएगी … !!! मैने उसे आराम से बैठाया और सारी बात पूछी क्योकि जितना मै मणि को जानती हूं वो और जेल !!! असम्भव !! पर हुआ क्या!!! मैंने उसे पानी का गिलास पकडाया. गिलास हाथ मे लिए लिए  उसने घबराई हुई आवाज मे बताया कि उसके पास एक महिला का फोन आया. वो दिल्ली तीस हजारी कोर्ट से बोल रही थी. उसने नाम पूछ कर कहा कि आपके नाम से केस रजिस्टर हुआ है. क्या आपको नोटिस मिला ? मणि की तो वही सासं फूल गई. उसे कुछ समझ नही आ रहा था. उसने फोन काट दिया और मेरे पास दौडी चली आई. मैने उसे संयत करके बैठाया और विश्वास दिलाया कि ऐसा कुछ नही होगा क्योकि जब उसने कुछ किया ही नही तो !!! जब उसी नम्बर पर दुबारा फोन किया तो नही मिला. मैने यही कहा कि किसी ने मजाक किया है.

तभी उसी नम्बर से फोन आ गया. मैने बात करके पूछा तो उस महिला ने बताया कि हाई कोर्ट के सरकारी वकील है वो आपको सारी हिस्ट्री बताएगे और उसने उनका नम्बर तो दिया ही साथ मे मणि की केस फाईल नम्बर भी दे दिया. मै हैरान !! उस नम्बर पर फोन किया तो कोई आदमी बोल रहा था. इसने बताया कि पिछ्ले साल आपका आईडिया का नम्बर था उसका भुगतान नही किया इसलिए उन्होने केस दर्ज करवाया है. या तो पैसे जमा करवा दो या केस तो डल ही चुका है. मैने यह कह कर फोन रख दिया कि बाद मे बात करती हूं. फिर मणि से पूछ कि कभी किसी मोबाईल का बकाया था. इस पर वो याद करती हुई बोली कि एक बार एक नम्बर का प्लान बदलवाया था पर आईडिया वालो ने बदला की नही लगभग दो महीने तक वो लगातार फोन करके कहती रही पर बिल पहले वाले प्लान का लग कर आता रहा.इस चक्कर मे तंग आकर उसने दूसरा नम्बर ले लिया.

उसके बाद आईडिया से तो तीन बार भुगतान के लिए फोन आए पर उसने कहा कि गलती उनकी है कि प्लान बदला क्यो नही और हमे भी इतनी दिक्कत दी है इसलिए आपकी ही गलती है हम पैसे नही देंगे और उसके बाद कोई फोन नही आया. और आज आया तो !!! वो बता ही रही थी कि इतने मे उसी महिला का दुबारा फोन आया कि आपकी बात हो गई क्या उनसे. और मेरी हैरानी की सीमा नही जब वो महिला अपशब्द बोलने लगी. मै हक्की बक्की रह गई. ये क्या तरीका हुआ. बहुत बुरा लगा. दुख इस बात का हुआ कि मणि के पास कोई इमेल या कार्यवाही नही थी जिसका सबूत वो दिखा सकती कि आईडिया वालो ने कितना तंग किया था. खैर, दो तीन वकीलो और न्यायाधीश मित्र से बात की तो उन्होने बताया कि ऐसा बहुत हो रहा है और ये लोग बहुत गंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं. इस बारे मे जब दो चार लोगो ने आईडिया मे बात की तो वो तुरंत माफी मांग ली कि क्या करे जी.!!!

खैर, मणि अपने दो हजार रुपए तो अगले दिन ही जमा करवा दिए पर उस महिला के खिलाफ केस करने का मन भी बना रही है जिसने इतने अपशब्द बोले!
वाह रे आईडिया वालो …. वट एन आईडिया !!! वैसे ये अक्टूबर 2012 की बात है पर याद इतनी ताजा है मानो कल की ही बात हो …

मैं तीस हजारी से बोल रही हूं

jail photoमैं तीस हजारी से बोल रही हूं

July 12, 2015 By Monica Gupta

उलझन

लघु  कथा   उलझन

 

 

lady  photo

आज मीता मे जैसे ही अखबार पढा वो खुशी के मारे चहकने लगी. असल मे, उसने अखबार के एक कालम उलझन सुझाव के लिए अपनी राय भेजी थी और उसके पत्र को पुरुस्कृत किया गया था.

उलझन यह थी कि  नीना यानि सुशांत की पत्नी की तरफ से यह लिखा गया था कि उसकी और सुशांत की शादी को आठ साल हो गए हैं और उसकी सासू माँ  कुछ समय से उसी के पास रहने आ गई हैं और साथ मे ननद भी है. दोनो की जिम्मेदारी सुशांत के कंधे पर ही है.दिक्कत यह है कि सास बहू की बनती नही वही दिन भर किच किच.इसी  उलझन मे और अब  पति पत्नी के आपसी रिश्ते मे भी दरार आ गई है. उसे क्या करना चाहिए. पाठको के सुझाव मांगे गए थे.

इसी बारे मे मीता ने लिखा था

नीना, रिश्ते बहुत अनमोल और नाजुक होते है इसे सहेज कर रखने मे ही समझदारी है. आप थोडा सा झुकना सीखो और सास को पूरा आदर मान दो.उन्हे बाहर धूमाने ले जाओ. हर बात मे उनकी महत्ता जतलाओ.छोटी ननद को अपनी बहन की तरह रखो उसे बेहद प्यार दो.  अगर आप सही तालमेल रखोगी तो आपके पति भी आपसे बहुत खुश रहेगें. देखना बहुत ही जल्द  आपका प्यार रंग लाएगा और आपका घर आगंन खुशी से महकने लगेगा. आपकी मीता.

वैसे तो मीता अक्सर लिखती ही रहती है पर उसे उम्मीद नही थी कि यह सुझाव सम्पादक को इतना पसंद आएगा कि इसे पुरस्कार ही मिल जाएगा. बस इसी खुशी मे वो धंटे से फोन पर ही अपनी सहेलियो को बताने मे जुटी हुई थी. इसी बीच मे उसकी बीमार  सास  दो बार आवाज दे चुकी थी कि उसकी दवाई का समय हो गया है.

माथे पर बल डालती हुई मीता सास के कमरे मे घुसी और चिल्लाते हुए बोली…” क्या हुआ अगर एक घंटा दवाई नही लोगी तो मर नही जाओगी. अच्छी मुसीबत आ गई है आपके आने से. सारा दिन बस काम काम और काम… अपनी तो कोई लाईफ रही नही.”ये” भी आफिस चले जाते हैं और दिन भर तो झेलना मुझे ही पडता है.

कुछ देर अपनी सहेली से भी बात नही कर सकते और हुह बोलती हुई मुहं मार कर कमरे से बाहर निकल गई.

सास चुपचाप दवाई लेकर अपने कमरे का दरवाजा जोर से पटक कर बंद कर दिया

 

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