Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

  • About Me
  • Blog
  • Contact
  • Home
  • Blog
  • Articles
    • Poems
    • Stories
  • Blogging
    • Blogging Tips
  • Cartoons
  • Audios
  • Videos
  • Kids n Teens
  • Contact
You are here: Home / Archives for लेखिका

July 6, 2015 By Monica Gupta

माँ को भी याद आती है

 

 indian lady thinking photo

Photo by RamyaB

माँ को भी याद आती है

अक्सर

माँ को भी याद आती है

अपनी माँ की हर बात

उसका वो

नर्म हाथो से रोटी का निवाला खिलाना

होस्टल छोडने जाते हुए वो डबडबाई आखों से निहारना

उसका पल्लू पकड़कर आगे पीछे घूमना

उसके प्यार की आचँ से तपता बुखार उतर जाना

कम अंक लाने पर उसका रुठना पर जल्दी ही मान जाना

अक्सर

माँ को भी याद आती है

अपनी माँ की हर बात

पर माँ तो माँ है

इसलिए बस चंद पल खुद ही सिसक लेती है

और फिर भुला देती है खुद को

पाकर अपने बच्चों को प्यार भरी

छावँ मे,दुलार मे ,मनुहार में

पर अक्सर

माँ को भी याद आती है

अपनी माँ की हर बात

असल मॆं, हम हरदम अपनी मां की बात करते हैं उन्हें याद करते हैं पर हमारी मां को भी अपनी मां की याद आती है … है ना … बस यही सोच कर कविता बन गई …

कैसी लगी आपको जरुर बताईगा !!!

July 5, 2015 By Monica Gupta

संदेशे आते हैं

mobile messages photo

 

{व्यंग्य}

संदेशे आते हैं

मुझे तडपाते …..!!!!

यकीनन यह गीत बहुत साल पहले लिखा गया था उस समय मोबाईल भी नही होते थे पर अगर आज के संदर्भ मे बात करे तो यह गीत मेरी दुख भरी गाथा के बहुत निकट है.

आज जब लोगो को देखती हू कि हजार हजार वाला मैसेज पैक मोबाईल पर लेते है तो बहुत हैरानी सी होती है. यहां तो ये आलम है कि एक भी मैसेज आए तो बुरी तरह घबराहट होनी शुरु हो जाती है.
वैसे कुछ समय पहले तक ऐसा नही था. मुझे भी शौक था मैसेज का. मै भी बहुत चाव से मैसेज पढती थी और भेजती भी थी कि अचानक एक दिन रात को सपना देखा कि आफिस मे बास बहुत बुरी तरह से डांट रहे हैं. मै अचानक उठ बैठी.खुद को संयत किया ही था कि मेरा मोबाईल बहुत खूबसूरत ध्वनि के साथ बज उठा. दोस्त का मैसेज आया था.
“मै ईश्वर से प्रार्थना करुगां कि वो आपके सारे सपने सच करे”
मै अंदर तक कापं गई. फिर सोचा कि सपना ही तो है और खुद पर मुस्कुराई. मैने निश्चय किया कि सारी की सारी फाईले आफिस ले जाऊगी जिससे डांट पडने की कोई सम्भावना ही न रहेगी इसलिए एक एक कागज ले गई पर पैन ड्राईव ले जाना भूल गई जो सबसे ज्यादा जरुरी थी और फिर वही हुआ जो नही होना चाहिए था.
खैर, उस दिन की बात तो मैं महज इत्तेफाक समझ कर भूल गई. एक दिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि मै पुन: सोचने पर मजबूर हो गई. असल में, बदलते मौसम के चलते मुझे बहुत छींके आ रही थी. हलकी सी कम्कपी सी भी थी सोचा कि मलेरिया आदि का टेस्ट ही करवा लिया जाए आजकल बीमारी का पता थोडे ही लगता है. बस मैने टेस्ट करवा लिया और रिपोर्ट शाम को मिलनी थी. हाथ मे मोबाईल था कि अचानक एक अन्य संदेश आया.
”हमेशा पोजिटिव रहो और जिंदगी मे पाजिटिव ही सोचो”
मै मन ही मन बहुत खुश हुई कि कितनी अच्छी बात लिखी है इसलिए हाथो हाथ मैने अपने दोस्त को मैसेज किया कि धन्यवाद, वाकई मे संदेश बहुत ही प्यारा है. तभी मोबाईल घनघना उठा. मेरा मलेरिया पोजिटिव था. मै बुरी तरह से कांप गई कि अयं ये क्या हुआ. उस दिन से संदेश से डर लगने लगा कि पता नही क्या मैसेज आए और…!!!

काफी दिन तक शांति रही. फिर एक मैसेज भूचाल ले आया. मेरी परम प्रिय सखी मणि ने मैसेज किया कि
आज आपका कोई पता पूछ रहे थे. उनका नाम है सुख, शांति और समृधि मैने बता दिया अब वो आपके घर कभी भी आते ही होंगे.शुभकामनाए!
मै घबरा गई क्योकि सुख और समृधि का तो पता नही पर शांति बुआ तो उतनी चिपकू  हैं कि एक बार घर आ जाए तो महीने भर से पहले जाने का नाम नही लेती. मेरी धडकन जोरो जोरो से चलने लगी. तभी दरवाजे पर घंटी बजी और शायद बुआ….!!!
अब तो यह हाल है कि मै मोबाईल हाथ मे रखने से डरने लगी हूं. मैसेज की इतनी शानदार ध्वनि रखवाई थी पर वही अब हारर फिल्मो के रामसे का संगीत बन कर डराने लगा है. या आज के समय के “आहट … जरा सी आह्ट होती है तो दिल ///  ये लो अचानक फिर से एक और मैसेज  आया…
चलो प्रकृति की ओर ..!! असली सुख वही है.!!

अब आप यही सोच रहे होंग़े कि यह तो सच है प्रकृति के साथ रहना तो हमेशा सुखकर है. जरा मेरी बात तो सुनिए! असल मे “प्रकृति” यहां का सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल है. वहां पर बहुत गम्भीर किस्म के केस ही आते है.!!!

हे भगवान!!! क्या करु क्या नही समझ नही आ रहा !!! बस एक ही बात मुंह से निकल रही है कि संदेशे आते हैं मुझे तडपाते हैं ….!!!!

वैसे ये व्यंग्य आपको थोडा अजीब लग रहा होगा क्योकि आज का समय तो वटसअप और फेसबुक मैसेनजर का जमाना है पर मैं यह बताना चाहूगी कि ये व्यंग्य बहुत पुराना है उन दिनों मैसेज का ही जमाना था …:)

पर आपको …संदेशे आते हैं… व्यंग्य लगा कैसा ??? जरुर बताईगा 🙂

July 4, 2015 By Monica Gupta

कब छटेंगे बादल

कब छटेंगे बादल

 कब छटेंगे बादल

कब छटेंगे बादल

मन में भाव तो हमेशा ही उमड़ घुमड़ कर आते रहते थे  पर ये पहली बार थी जब इन विचारों की दिशा मिली. कब छटेंगे बादल  मेरी पहली कविता है. बेशक, कविता  नकारात्मक सोच से शुरु हुई पर अंत  सकारात्मक रहा.

आखिर कब छटेंगे बादल….

दल में बादल, गहरे बादल, काले बादल
उथले बादल, क्षितिज में विचरते बादल,
पर्वतों के ऊपर छत्र की तरह छाए बादल।

बादल………. दलदल बादल,
आखिर………कब छटेंगे ये बादल
क्या बरसात में ही पैर बढ़ा दूँ मैं……….?
की रूक जाऊँ, ठहर जाऊँ मैं………?
ठहर जाऊँ………..??
जिंदगी वैसे ही है ठहरी,ठहरी
गर्जते बादल, बरसते बादल
धड़कन बढ़ा रहे दिल की,

तभी अचानक, चमकी बिजली

अंधकार  हुआ पल भर गायब
देख मन मे आस जगी…..
अरे !

जब काले घन में भी है बिजली चमकी……..

है एक आशा की किरण, एक आस जगी
फिर……..

हे मन, तू क्यों है व्यथित……….
क्यों……… आंखों के आगे काले बादल बैठाए हैं…….
ज़रा अश्रू तो पोंछ, पलक साफ कर…….

देखा………..!! छट गए न बादल…..

ना बादल, ना दल में बादल

पैर बढ़ा, चल मंज़िल की ओर……….
ठहरी जिंदगी को दे नया बल……..
दल में बादल…….??
भुज बल में भी तो है आंधी…….
देखा…… छट गए ना बादल……….!!

आपको कैसी लगी … जरुर बताईएगा 🙂

आई बरसात तो भी जरुर पढिएगा

Photo by Jo Naylor

July 4, 2015 By Monica Gupta

Audio Poem- Female Foeticide by Monica Gupta

जब कोई बात बिगड़ जाये तो रहें बी पॉजिटिव
girl child photo

Photo by U.S. Fotografie

Audio Poem- Female Foeticide by Monica Gupta

सुनिए मेरी लिखी कविता मेरी आवाज में …

हद हो गर्इ

मोनिका गुप्ता

 

https://monicagupta.info/wp-content/uploads/2015/07/poem-monica-gupta.wav

( भ्रूण हत्या पर लिखी कविता )

हमारे देश मॆं जिस तरह से भूण हत्याएं हो रही हैं  अकसर मन विचलित हो जाता है और उसी विचलित मन से बन जाती हैं ऐसी कविता कि हद हो गई … बस बहुत हो गया …

अब बहुत हो गया

बस
अब बहुत हो गया
हद हो गर्इ
टी.वी. हो या समाचार पत्र
कविता प्रतियोगिता हो या राज्यस्तरीय विवाद
पर लगा नहीं पा रहे
भ्रूण हत्या पर लगाम
कह कह कर थक गए हम
पर हम अडि़ग हैं कि
कन्या नही…… कन्या नही
बस चाहिए पुत्र रत्न ही
कोर्इ बात नही

ज्यादा दूर नही है, देख लेंगेें
आज से बीस साल बाद
जब…..
लड़की नही मिलेगी कोर्इ
आपके कुल दीपक से ब्याहने को
आपका वंश चलाने को
ना होगी तब नवरात्रि में कंजको की पूजा
ना होगी पति की लम्बी उम्र के लिए उपवास पूजा
ना छम छम पायल से किसी का घर आँगन चहकेगा
नाना-नानी बनने का शौक अधूरा ही रह जाऐगा
ना रहेगा प्रेम, ना होगी करूणा
क्योंकि यह तो है नारी का गहना
बेबस मन कन्यादान से वंचित रह जाऐगा
हरा भरा घर मकान बन कर ही रह जाऐगा
मनु, इंदिरा, कल्पना का नाम पन्नों में ही रह जाऐगा
बस……….
कुछ ही सालों की है बात
हैरान, परेशान हताश खुद ही कह उठेंगें आप
कन्या थी अनमोल रत्न
पर तब तक शायद बहुत देर हो चुकी होगी
हमें इन्तज़ार करना होगा
शायद फिर से बीस सालों का
पर तब तक सब कुछ बदल चुका होगा
खामोशी, उदासी, मायूसी का फैल चुका होगा आतंक
तो फिर………..
क्यों हो रही हैं ये भ्रूण हत्याएँ
ठान लो
बस बहुत हो गया
जानते हो
हम भारतवासी……… एक जुट हो क्या है कर सकते
मुसीबत पडने पर दे सकतें हैं जान
चीर सकतें हैं धरती की छाती
उधेड़ सकतें हैं पहाड़ों का सीना
जब ला सकतें हैं हरियाली बंजर धरा पर
फिर क्यों है रोक कलियों के प्रस्फुटन पर
चलिए लें संकल्प
आज, अभी, यहीं
भ्रूण हत्या पर लगाए
कस कर लगाम सभी
मत ड़गमगाने दें भारत का आधार
नर और नारी से ही है हमारा घर संसार
उठो, जागो, चलो
बनाए संसार में भारत की अलग पहचान
ताकि फिर से ना पड़े कहना कि…….
मोनिका, अब बहुत हो गया
हद हो गर्इ

Audio Poem- Female Foeticide by Monica Gupta

 

July 2, 2015 By Monica Gupta

बाल कहानी-मणि

story by monica gupta

बाल कहानी-मणि

मणि छ्ठी क्लास में पढने वाली बेहद चुलबुली और शरारती लडकी है. वो भी बडे होकर कुछ बनना चाह्ती है. कभी सोचती है पत्रकार बन जाऊ कभी सोच में आता है कि टीचर बन जाऊ तो कभी पुलिस अधिकारी पर आखिर में क्या होता है और क्या बनने की सोचती है …

इसी का ताना बाना है बाल कहानी-मणि में …

कहानी का अंत और भी ज्यादा रोचक है कि मणि का फैसला क्या रहता है …

बाल कहानी-मणि

 

ये कहानी नेशनल बुक ट्रस्ट की पत्रिका पाठक मंच बुलेटिन में प्रकाशित हुई थी …

July 2, 2015 By Monica Gupta

लेखों का संसार

Article in champak by Monica guptaPhotograph (131)champak story  monica guptaलेखों का संसार

बेशक आज नेट का जमाना है हर एक चीज क्लिक करके सोशल मीडिया पर डाली जा सकती है जिस करोडों लोग एक ही पल में देख सकते हैं पर आज से 20- 25  साल पहले ऐसा नही था.

एक कहानी या लेख लिखने के बाद पत्र के माध्यम से सम्पर्क करना पडता था. कुछ जाने माने हाउस अकसर जवाब भी देते थे पर कई बार भेजा गया पत्र कही गुम होकर रह जाता था न ही वापिस आता था और न ही प्रकाशित होता था.

जानी मानी बाल पत्रिका जैसे “चंपक” में लेख या अन्य कोई भी सामग्री छपना बेहद गर्व की बात होती थी.

  • « Previous Page
  • 1
  • …
  • 28
  • 29
  • 30
  • 31
  • 32
  • …
  • 48
  • Next Page »

Stay Connected

  • Facebook
  • Instagram
  • Pinterest
  • Twitter
  • YouTube

Categories

छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही

Blogging Tips in Hindi

Blogging Tips in Hindi Blogging यानि आज के समय में अपनी feeling अपने experience, अपने thoughts को शेयर करने के साथ साथ Source of Income का सबसे सशक्त माध्यम है  जिसे आज लोग अपना करियर बनाने में गर्व का अनुभव करने लगे हैं कि मैं हूं ब्लागर. बहुत लोग ऐसे हैं जो लम्बें समय से […]

GST बोले तो

GST बोले तो

GST बोले तो –  चाहे मीडिया हो या समाचार पत्र जीएसटी की खबरे ही खबरें सुनाई देती हैं पर हर कोई कंफ्यूज है कि आखिर होगा क्या  ?  क्या ये सही कदम है या  देशवासी दुखी ही रहें …  GST बोले तो Goods and Service Tax.  The full form of GST is Goods and Services Tax. […]

डर के आगे ही जीत है - डर दूर करने के तरीका ये भी

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन – Social Networking Sites aur Blog Writing –  Blog kya hai .कहां लिखें और अपना लिखा publish कैसे करे ? आप जानना चाहते हैं कि लिखने का शौक है लिखतें हैं पर पता नही उसे कहां पब्लिश करें … तो जहां तक पब्लिश करने की बात है तो सोशल मीडिया जिंदाबाद […]

  • Home
  • Blog
  • Articles
  • Cartoons
  • Audios
  • Videos
  • Poems
  • Stories
  • Kids n Teens
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Terms of Use
  • Disclaimer
  • Anti Spam Policy
  • Copyright Act Notice

© Copyright 2024-25 · Monica gupta · All Rights Reserved