Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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June 23, 2015 By Monica Gupta

तुलसी जी की महिमा

तुलसी जी की महिमाtulsi by monica gupta

 

तुलसी जी की महिमा

घर पर मेरी सहेली आई हुई थी. उसने बाहर तुलसी लगी देखी और बोली बहुत खुश होकर बोली …  वाह तुम्हारे तो तुलसी जी लगी हुई है और वो भी बहुत खिली खिली. मैने हैरानी से कहा तुलसी जी.. उसने बोला कि तुलसी जी बहुत आदर मान का पौधा है.

श्री तुलसी प्रणाम
वृन्दायी तुलसी -देव्यै प्रियायाई केसवास्य च,विष्णु -भक्ति -प्रदे देवी सत्यवात्याई नमो नमः”

मैं श्री वृंदा देवी को प्रणाम करती हूँ जो तुलसी देवी हैं , जो भगवान् केशव की अति प्रिय हैं – हे देवी !आपके प्रसाद स्वरूप , प्राणी मात्र में भक्ति भाव का उदय होता है.

उसने बताया कि तुलसी जी को कई नामों से पुकारा जाता है. इनके आठ नाम मुख्य हैं – वृंदावनी, वृंदा, विश्व पूजिता, विश्व पावनी, पुष्पसारा, नन्दिनी, कृष्ण जीवनी और तुलसी.

 

विश्व में तुलसी को देवी रुप में हर घर में पूजा जाता है. इसकी नियमित पूजा से व्यक्ति को पापों से मुक्ति तथा पुण्य फल में वृद्धि मिलती है. यह बहुत पवित्र मानी जाती है और सभी पूजाओं में देवी तथा देवताओं को अर्पित की जाती है. पद्म पुराण में कहा गया है कि  नर्मदा दर्शन, गंगा स्नान और तुलसी पत्र का संस्पर्श ये तीनो समान पुण्य कारक है .

दर्शनं नार्मदयास्तु गंगास्नानं विशांवर, तुलसी दल संस्पर्श: सम्मेत त्त्रयं”

मैं बहुत हैरानी से उनकी बात सुन रही थी. गंगा स्नान, नर्मदा दर्शन के समान ही इसे भी पवित्र माना गया है सुनकर हैरानी भी हुई और खुशी भी.

उन्होनें बताया कि ऐसा भी सुनने में आता है कि  जो लोग प्रातः काल में गत्रोत्थान पूर्वक अन्य वस्तु का दर्शन ना कर सर्वप्रथम तुलसी का दर्शन करते है उनका अहोरात्रकृत पातक सघ:विनष्ट हो जाता है.

ज्यादा गूढ बातें तो मुझे समझ नही आई पर बाते करते करते हम वही बैठ गए. तभी मुझे ख्याल आया मैने एक बार तुलसी विवाह के बारे में सुना था . मैने  पूछा कि आखिर ये  तुलसी विवाह क्या होता है ?

उन्होनें बताया प्राचीन काल में जालंधर नामक राक्षस ने चारों तरफ़ बड़ा उत्पात मचा रखा था। वह बड़ा वीर तथा पराक्रमी था। उसकी वीरता का रहस्य था, उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म। उसी के प्रभाव से वह सर्वजंयी बना हुआ था। जालंधर के उपद्रवों से परेशान देवगण भगवान विष्णु के पास गये तथा रक्षा की गुहार लगाई। उनकी प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग करने का निश्चय किया। भगवान ने उनके पति का रुप धरा और उसके पास पहुंच गए. जब वृंदा ने देखा कि उसके पति आए हैं तो वो पूजा से उठ गई. और उनके चरण छू लिए … बस वही , उधर, उसका पति जालंधर, जो देवताओं से युद्ध कर रहा था, वृंदा का सतीत्व नष्ट होते ही मारा गया।

जब वृंदा को इस बात का पता लगा तो क्रोधित होकर उसने भगवान विष्णु को शाप दे दिया, ‘जिस प्रकार तुमने छल से मुझे पति वियोग दिया है, उसी प्रकार तुम भी अपनी स्त्री का छलपूर्वक हरण होने पर स्त्री वियोग सहने के लिए मृत्यु लोक में जन्म लोगे।’ यह कहकर वृंदा अपने पति के साथ सती हो गई।

जिस जगह वह सती हुई वहाँ तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ। एक अन्य प्रसंग के अनुसार वृंदा ने विष्णु जी को यह शाप दिया था कि तुमने मेरा सतीत्व भंग किया है। अत: तुम पत्थर के बनोगे। विष्णु बोले, ‘हे वृंदा! यह तुम्हारे सतीत्व का ही फल है कि तुम तुलसी बनकर मेरे साथ ही रहोगी। जो मनुष्य तुम्हारे साथ मेरा विवाह करेगा, वह परम धाम को प्राप्त होगा।’ बिना तुलसी दल के शालिग्राम या विष्णु जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। शालिग्राम और तुलसी का विवाह भगवान विष्णु और महालक्ष्मी के विवाह का प्रतीकात्मक विवाह है।

तुलसी का पत्ता, फूल, फल, मूल, शाखा, छाल, तना और मिट्टी आदि सभी पावन हैं। तुलसी दर्शन करने पर समस्त पापों का नाश होता है, स्पर्श करने पर शरीर पवित्र होता है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुंचाती है, तुलसी का पौधा लगाने से जातक भगवान के समीप आता है। तुलसी को भगवद चरणों में चढ़ाने पर मोक्ष रूपी फल प्राप्त होता है।

अपने घर में एक तुलसी का पौधा जरूर लगाएं। इसे उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्वी दिशा में लगाएं या फिर घर के सामने भी लगा सकते हैं। पारंपरिक ढंग के बने मकानों में रहने वाले ज्यादा सुखी और शांत रहते थे।

तुलसी का धार्मिक महत्व तो है ही लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी तुलसी एक औषधि है। आयुर्वेद में तुलसी को संजीवनी बुटि के समान माना जाता है।तुलसी में कई ऐसे गुण होते हैं जो बड़ी-बड़ी जटिल बीमारियों को दूर करने और उनकी रोकथाम करने में सहायक है। तुलसी का पौधा घर में रहने से उसकी सुगंध वातावरण को पवित्र बनाती है और हवा में मौजूद बीमारी के बैक्टेरिया आदि को नष्ट कर देती है।मान्यता  यह भी है कि तुलसी का पौधा घर में होने से घर वालों को बुरी नजर प्रभावित नहीं कर पाती और अन्य बुराइयां भी घर और घर वालों से दूर ही रहती हैं। तुलसी का पौधा घर का वातावरण पूरी तरह पवित्र और कीटाणुओं से मुक्त रखता है। इसके साथ ही देवी-देवताओं की विशेष कृपा भी उस घर पर बनी रहती है।

अरे वाह तुलसी जी तो गुणों की खान है …plannt

उनके जाने के बाद मैने भी नेट पर सर्च किया तो बहुत बाते लिखी हुई हैं तुलसी जी के बारे में …

1 तुलसी की पत्तियों का रस शहद के साथ मिलाकर चाटने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। इसे एक प्रकार का टॉनिक माना जाता है।

2 तुलसी की पत्तियों का रस और अदरक मिलाकर चाटने से खांसी में आराम मिलता है और गले की खराश भी दूर होती है।

3 चेहरे पर मुंहासे और दाग-धब्बे होने पर तुलसी की पत्तियों का रस और नींबू के रस को मिलाकर लगाने से चेहरा साफ होता है। खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली से भी आराम मिलता है।

4 जुकाम होने पर तुलसी और गुड़ से बना काढ़ा पीने से राहत मिलती है।

5 विषैले कीड़े के काटने पर जहर का असर कम करने के लिए तुलसी का रस प्राथमिक उपचार के काम आता है। जिस स्थान पर तुलसी का पौधा लगा हो उसके आस-पास का वातावरण शुद्ध होता है।

6 सफेद और काली तुलसी दोनों में समान गुण होते हैं।

7 तुलसी की पत्तियों को चाय की तरह उबाल कर पीने से पेचिश में आराम मिलता है।

तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने से पित्त के विकार में लाभ मिलता है। जहां तुलसी का पौधा लगा होता है वहां लक्ष्मी जी निवास करती हैं। See more…

तुलसी जी की महिमा अपरमपार है

1 मान्यता है कि तुलसी का पौधा घर में होने से घर वालों को बुरी नजर प्रभावित नहीं कर पाती और अन्य बुराइयां भी घर और घरवालों से दूर ही रहती हैं।

2 तुलसी का पौधा घर का वातावरण पूरी तरह पवित्र और कीटाणुओं से मुक्त रखता है। इसके साथ ही देवी-देवताओं की विशेष कृपा भी उस घर पर बनी रहती है।

3 कार्तिक माह में विष्णु जी का पूजन तुलसी दल से करने का बडा़ ही माहात्म्य है। कार्तिक माह में यदि तुलसी विवाह किया जाए तो कन्यादान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।

पदम पुराण में कहा गया है की तुलसी जी के दर्शन मात्र से सम्पूर्ण पापों की राशि नष्ट हो जाती है,उनके स्पर्श से शरीर पवित्र हो जाता है,उन्हें प्रणाम करने से रोग नष्ट हो जाते है,सींचने से मृत्यु दूर भाग जाती है,तुलसी जी का वृक्ष लगाने से भगवान की सन्निधि प्राप्त होती है,और उन्हें भगवान के चरणों में चढाने से मोक्ष रूप महान फल की प्राप्ति होती है।

अंत काल के समय ,तुलसीदल या आमलकी को मस्तक या देह पर रखने से नरक का द्वार बंद हो जाता है। तुलसी का धार्मिक महत्व तो है ही लेकिन विज्ञान के दृष्टिकोण से भी तुलसी एक औषधि है। आयुर्वेद में तुलसी को संजीवनी बुटि के समान माना जाता है।तुलसी में कई ऐसे गुण होते हैं जो बड़ी-बड़ी जटिल बीमारियों को दूर करने और उनकी रोकथाम करने में सहायक है।

तुलसी का पौधा घर में रहने से उसकी सुगंध वातावरण को पवित्र बनाती है और हवा में मौजूद बीमारी के बैक्टेरिया आदि को नष्ट कर देती है। तुलसी की सुंगध हमें श्वास संबंधी कई रोगों से बचाती है। साथ ही तुलसी की एक पत्ती रोजाना सेवन करने से हमें कभी बुखार नहीं आएगा और इस तरह के सभी रोग हमसे सदा दूर रहते हैं। तुलसी की पत्ती खाने से हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ जाती है।

1. तुलसी रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित करने की क्षमता रखती है।

2. शरीर के वजन को नियंत्रित रखने हेतु भी तुलसी अत्यंत गुणकारी है। इसके नियमित सेवन से भारी व्यक्ति का वजन घटता है एवं पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है यानी तुलसी शरीर का वजन आनुपातिक रूप से नियंत्रित करती है।

3. तुलसी के रस की कुछ बूंदों में थोड़ा-सा नमक मिलाकर बेहोश व्यक्ति की नाक में डालने से उसे शीघ्र होश आ जाता है।

4. चाय बनाते समय तुलसी के कुछ पत्ते साथ में उबाल लिए जाएं तो सर्दी, बुखार एवं मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती है। 5. 10 ग्राम तुलसी के रस को 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से हिचकी एवं अस्थमा के रोगी को ठीक किया जा सकता है। 6. तुलसी के काढ़े में थोड़ा-सा सेंधा नमक एवं पीसी सौंठ मिलाकर सेवन करने से कब्ज दूर होती है।

7. दोपहर भोजन के पश्चात तुलसी की पत्तियां चबाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है।

8. 10 ग्राम तुलसी के रस के साथ 5 ग्राम शहद एवं 5 ग्राम पिसी कालीमिर्च का सेवन करने से पाचन शक्ति की कमजोरी समाप्त हो जाती है।

9. दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियां डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है।

10. रोजाना सुबह पानी के साथ तुलसी की 5 पत्तियां निगलने से कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों एवं दिमाग की कमजोरी से बचा जा सकता है। इससे स्मरण शक्ति को भी मजबूत किया जा सकता है।

11. 4-5 भुने हुए लौंग के साथ तुलसी की पत्ती चूसने से सभी प्रकार की खांसी से मुक्ति पाई जा सकती है।

12. तुलसी के रस में खड़ी शक्‍कर मिलाकर पीने से सीने के दर्द एवं खांसी से मुक्ति पाई जा सकती है।

13. तुलसी के रस को शरीर के चर्मरोग प्रभावित अंगों पर मालिश करने से दाग, एक्जिमा एवं अन्य चर्मरोगों से मुक्ति पाई जा सकती है।

14. तुलसी की पत्तियों को नींबू के रस के साथ पीस कर पेस्ट बनाकर लगाने से एक्जिमा एवं खुजली के रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है। Read more…

जय हो तुलसी जी की आप वाकई बहुमुल्य हैं. तुलसी जी की महिमा अपार है !!!

June 18, 2015 By Monica Gupta

वो तीस दिन

वो तीस दिन

वो तीस दिन ” मेरा पहला बाल उपन्यास और अब तक की सातवीं प्रकाशित किताब है. नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया की ओर से प्रकाशित बाल उपन्यास सन 2014 में प्रकाशित हुआ.

बाल उपन्यास की मुख्य पात्रा है कक्षा दस ने पढने वाली मणि. जोकि किसी भी बच्चे की तरह बेहद शरारती चुलबुली है पर कक्षा दस की परीक्षा खत्म होने के बाद नतीजा आने से पहले तीस दिनों में ऐसा क्या होता है कि मणि के एक जबरदस्त बदलाव आ जाता है…

कहानी बेहद रोचक, मनोरंजक और शिक्षाप्रद है.

इसकी एक छोटी सी झलक ….

वो तीस दिन
मै हूँ मणि। आज मेरी दसवीं क्लास की बोर्ड़ परीक्षा का आखिरी दिन है। हे भगवान! कितनी टेन्शन थी ना………। आज पता है मैं घर जाकर सबसे पहले क्या करूंगी। शर्त लगा लो आप लोग बता ही नहीं सकते। मैं सबसे पहले टेलिविज़न चलाऊंगी और दो महीने से जो पिक्चरें मैंने नहीं देखी वो देखूंगी और अपने मोबार्इल पर आए मैसेज पढूंगी। पता है पिछले दो महीनों से मम्मी-पापा ने मुझे कुछ भी नहीं करने दिया बस…………..पढ़ार्इ………..पढ़ार्इ………पढ़ार्इ……… इस करके………. आज मैं ढे़र सारी मनमानी करने वाली हूं।
उफ……….शुक्र है………. आज आखिरी पेपर उम्मीद के अनुसार ठीक ही हो गया अब तो जल्दी थी घर पहुंचने की। मैं रास्ते में जा रही थी कि मेरे सामने वाली सड़क पर एक स्मार्ट सी युवती, छोटे-छोटे बालों वाली, आंखों में धूप का चश्मा लगाए, बैग कन्धे पर लटकाए सड़क पार कर रही थी कि शायद उसका पांव फिसल गया या पता नहीं………..क्या हुआ………पर वो बहुत बुरी तरह से गिर गर्इ। पता नहीं उसे देखकर मेरी बहुत बुरी तरह हंसी निकल गर्इ और मैं ठहाका लगाती ताली बजाकर हंसती हुर्इ आगे बढ़ी। उधर वो तुरन्त उठी मेरी तरफ देखा फिर अपने कपड़ों को झाड़ा और ऐसे चल दी मानो कुछ हुआ ही ना हो। मैं हंसती हुर्इ आगे बढ़ी। सामने से पुनीता आ रही थी उसने बताया कि वो आज से ही ब्यूटीशियन का कोर्स ज्वाइन कर रही है और उसकी बहन कुकिंग का। मैंने मुंह बिचका लिया और बोली भर्इ मैं तो आराम करूंगी और टेलिविज़न ही देखूंगी। उसको बाय बोलकर मैं घर की ओर बढ़ गर्इ। दूसरी तरफ से गीता मैड़म आ रहे थे………मैंने उन्हें देख कर भी अनदेखा कर दिया क्योंकि देखती तो उन्हें नमस्ते करनी पड़ती………….कौन करे नमस्ते…………..यही सोचती हुर्इ मुंह दूसरी तरफ करके मैं आगे बढ़ गर्इ।

घर पहुंची तो मम्मी छोले-भठूरे बना रहीं थीं। मैं बिना हाथ धोए और बिना कपड़े बदले रसोर्इ में घुसी और प्लेट लगाने लगी। मम्मी ने हमेशा की तरह टोका और और ड़ांटा और मैंने भी हमेशा की तरह उनकी बात अनसुनी कर दी और गर्मागर्म भठूरे का पहला निवाला आदत के अनुसार मम्मी को खिलाया और फिर खुद खाया। मम्मी गरमा-गर्म भठूरे उतारती रही मेरी प्लेट में ड़ालती रही और मेरे पेपर के बारे में पूछती रही कि कितने नम्बर आ जाएंगे। मेरा पूरा ध्यान टेलिविज़न पर आ रहे धारावाहिक पर केंद्रित हो चुका था इसलिए मैंने मम्मी को साफ तौर पर कह दिया कि आज का पेपर ठीक हो गया और आज पढ़ार्इ के बारे में कोर्इ बात मत करना। आज मैं सिर्फ टी.वी. देखूंगी और मोबार्इल पर आए मैसेज़ पढूंगी और आगे भेजूंगी। इतने में लार्इट चली गर्इ। मुझे गुस्सा तो बहुत आया पर सोचा चलो समय का फायदा उठाती हूं और मैसेज पढ़ती हूं। बाप रे………बीस मैसेज़ थे।

woh tees din by monica gupta

ये किताब आप नेशनल बुक ट्रस्ट की साईट से ओनलाईन भी खरीद सकते हैं ..

http://www.nbtindia.gov.in/books_detail__10__nehru-bal-pustakalaya__1676__wo-tees-din.nbt

 

tees din

ISBN 978-81-237-7087-1

आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार है …

June 18, 2015 By Monica Gupta

अब मुश्किल नही कुछ भी

ab mushkil nahi kuch bhi by monica guptaअब मुश्किल नही कुछ भी

बच्चे हैं तो पढार्इ है, पढार्इ है तो किताबे हैं, और अगर किताबे प्रेरक, मनोरंजक और ज्ञानवर्धक हैं तो कहना ही क्या।
वाकर्इ में, ऐसी किताबो से हमें बहुत कुछ सीखने और जानने का मौका मिलता है। असल में,  देखा जाए तो हम सभी मे कोर्इ ना कोर्इ हुनर छिपा होता है पर कर्इ बार अपने माहौल, रहन सहन या परवरिश से हम खुद को कम आकंने लगते हैं और हमारे अंदर छिपी प्रतिभा वही दम तोड़ देती है जबकि इसी छिपी प्रतिभा के माध्यम से हम अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाब हो सकते हैं.
आज भी समाज में हमें अपने आस पास ऐसे बहुत से उदाहरण देखने को मिल जाएगें जिनके जीवन से प्रेरित हो कर हम बहुत कुछ सीख सकते है। उनको आदर्श मान कर उनका अनुकरण कर सकते है पर उसके लिए जरुरी है कि हम उनके बचपन और जीवन के बारे मे जाने कि ऐसा क्या है उनमे जो आज वो अपनी अलग पहचान बनाए हुए है।
इन्ही सब बातों को ध्यान मे रख कर मैं कुछ चुनिंदा प्रतिभाओ से रुबरु हुर्इ। उनके बारे में विस्तार से जाना और यह जान कर बहुत हैरानी हुर्इ कि उन सभी ने हमारी तरह ही साधारण परिवारो में जन्म लिया। साधारण जीवन जीया पर अपने जीवन के मूल्यो को असाधारण बनाए रखा और आज उसी वजह से वो एक अलग मुकाम हासिल किए हुए हैं।

अब मुश्किल नही कुछ भी  …
बेशक, यह किताब मैने बच्चो को प्रेरणा और सीख देने के लिए लिखी है पर मैने भी इन सभी शखिसयतो से मिलकर बहुत कुछ सीखा है। लिम्का बुक आफ रिकार्डस की सम्पादिका श्रीमति विजया घोष, काटूर्निस्ट संकेत गोस्वामी, माऊंट ऐवेरेस्ट फतह करने वाली सुश्री ममता सोढा, भारतोलन मे अर्जुन एर्वाड विजेता श्रीमति भारती सिंह, जिला उपायुक्त और रक्त दान के क्षेत्र मे अलग पहचान बनाने वाले डा0 युद्धवीर सिंह ख्यालिया , निर्माता, निर्देशक सिनेमेटोग्राफर और गायक श्री मनमोहन सिंह, मैनेजेमैंट फंडा के गुरू और लेखन के प्रति समर्पित श्री नटराजन रघुरामन, सुप्रसिद्ध कवि, लेखक प्रोफेसर अशोक चक्रधर, मशहर टेलीविजन अदाकारा सुश्री नेहा शरद जोशी, एक पैर से मैराथान मे हिस्सा ले रहे जाने माने पहले भारतीय ब्लेड रनर  और जाबांज  मेजर देवेन्द्र पाल सिहं।

अब मुश्किल नही कुछ भी   प्रेरणादायक बाल साहित्य है.सन 2008 में प्रकाशित पुस्तिका को हरियाणा साहित्य अकादमी की तरफ से  अनुदान मिला.

ISBN -978-93-82197-47-5

 

June 18, 2015 By Monica Gupta

Figure Conscious

 

maniquines photo

Photo by Irene2005

कुछ देर पहले एक खबर पढी कि   Figure conscious Barbie switches from heels to flats…खबर पूरी पढी. वैसे कोई शक नही कि आज के समय में  हम सभी  Figure Conscious हो गए हैं.  बडे तो है ही पर बच्चे भी बहुत Conscious हो गए हैं . पहले ऐसा नही हुआ करता था.  कुछ समय पहले एक परिवार से मिलना हुआ. उनका बच्चा बहुत गोलू मोलू चीकू मूच्चू सा था. उसके गाल पकडने में बहुत मजा आ रहा था और बच्चा  भी खूब मुस्कुरा रहा था. मैने 5 महीने के बच्चें को  दस मिनट गोद मॆ लिया और मेरा हाथ ही थक गया ( आप अंदाजा लगा सकते हैं).  सभी माता पिता का यही सपना होता है कि उनका बच्चा जब पैदा हो तो खूब मोटू हो ताकि जो भी देखे वाह वाह कर उठे और कई बार जब बच्चे पतले दुबले (पर एक्टिव) पैदा होते हैं तो माता पिता, दादा दादी नाना नानी सब अपने अपने अनुभव बताने लग जाते हैं कि बच्चा गोलू मोलू कैसे बनें. उसके लिए टोनिक या कुछ भी लगातार बच्चे को दिया जाता है … फिर बच्चा बडा होता है.

फिर शुरु होता है आज के समय का  दूसरा फेज … ह हा हा पहले हंसी कंट्रोल कर लू… रुक ही नही रही… वो क्या हुआ कि मैं अपने जानकार के घर गई हुई. उस दिन उनकों स्कूल जाना था. बच्चे की पेरेंटस टीचर मीटिंग थी. पर वो नही गए क्योकि बच्चा लिखवा कर ले गया कि वो दोनों शहर से बाहर गए हुए हैं. जब मैने झूठ बोलने का कारण जानना चाहा तो उन्होनें बताया कि असल में, उनके बच्चे के सभी दोस्तों के मम्मी पापा पतले पतले से हैं और वो दोनों मोटे है अगर वो स्कूल आएगें तो बच्चे को शर्म आएगी क्योकि दूसरे बच्चे देख कर हसेंगें. माता पिता ये बात गम्भीरता से बता रहे थे और मेरी हंसी ही नही रुक रही थी..

वही एक तो और भी मजेदार बात सुनी कि एक बच्चा जो अब कालिज में  है . वो अपने मम्मी पापा से नाराज चल रहा है कारण कि बचपन में उसे इतने टानिक पिलाए गए.. इतने टानिक पिलाए गए  कि अब उसकी चर्बी कम ही नही हो रही. जिम भी ज्वाईन कर लिया और उसका ट्रैनर हर रोज उसे गुस्सा करता है कि बचपन से अपना ख्याल क्यों नही रखा और वो सारा गुस्सा घर आकर निकालता है.

 

Figure Conscious Barbie Switches From Heels To Flats

Times have certainly changed, as now Barbie will be stepping out in flats for the first time in 56 years.According to Cosmopolitan, Mattel is giving the iconic doll a makeover with their Barbie Fashionista line, by changing the shape of their feet and ankles, which were previously designed to fit only heels.

Kim Culmone, vice president of design for Barbie said in an interview that Barbie was never designed to be realistic, and was always meant to be easy for girls to dress and undress them. See more…

कोई शक नही आज के बच्चे बहुत figure conscious गए हैं इसलिए बस कोशिश करिए कि जब वो पैदा हों तो तंदुरुस्त हो मोटे नही अगर  मोटे हुए तो आपकी खैर नही … ह हा हा !!! वैसे हाई हील देखने में जरुर अच्छी लगती है पर कई बार पावं और  एडी को नुकसान दे जाती है इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि heels को कम ही पहनें… बाकि आप खुद ही समझदार है .. जी क्या कहा … बहुत समझदार हैं … ह हा हा !! जी मैं सहमत हूं आपसे और आपकी समझदारी से 🙂

June 17, 2015 By Monica Gupta

काकी कहे कहानी

kaki kahe kahani by monica gupta

काकी कहे कहानी  नेशनल बुक ट्रस्ट , इंडिया से प्रकाशित बाल कहानी है. काकी कहे कहानी का प्रकाशन 2011 में हुआ. ये एक ही  छोटी सी कहानी है जिसके मात्र 16 पेज है. कहानी आज के बच्चें की सोच पर आधारित है.

ये मेरी पांचवी किताब है. कहानी में काकी शहर में रहने वाले  बच्चें मोहित को  मजेदार मजेदार कहानियां  सुनाना चाहती है ऐसे में क्या मोहित कहानी सुनता है या अपनी मोबाईल और टीवी की दुनिया में ही खोया रहता है या पढाई के बेहद तनाव की वजह से वो कहानी नही सुन पाता … ये सब जानने के लिए आपको पढनी पडेगी काकी कहे कहानी …

ये किताब आपको नेशनल बुक ट्रस्ट से मिल सकती है किताब का ISBN  नम्बर है 978-81-237-6234-0

 

http://www.nbtindia.gov.in/books_detail__10__nehru-bal-pustakalaya__1585__kaki-kahe-kahani-hindi-.nbt

June 17, 2015 By Monica Gupta

मैं हूं मणि

मैं हूं मणि -मोनिका गुप्ता

mai hu mani by monica gupta

मैं हूं मणि …

मैं हूं मणि, मेरी पहली प्रकाशित किताब. सन 2008 में प्रकाशित बाल पुस्तिका में 54 पेज  में  16 कहानिय़ां है. पुस्तक को हरियाणा साहित्य अकादमी से बाल साहित्य पुरुस्कार मिला.

मैं हूं मणि  के माध्यम से मैने कुछ अपना बचपन और कुछ बच्चों का बचपन सम्मलित किया है. चाहे कहानी  चाकलेट की बेटी हो या मैं हूं राजकुमारी या मुझे नही बनना मम्मी वम्मी … बच्चों के मासूम मन को दर्शाता है …!!

मेरी लिखी एक बाल कहानी …

ऐसी ही हूँ मैं…………!

सुबह का समय……! मैं यानि मणि, स्कूल जाने के लिए तैयार हो रही हूँ पर मैंने जुराबें कहां रख दी मिल ही नही रही। बेल्ट भी देखने के लिए पूरी अलमारी छान मारी पर जब मम्मी मेरा स्कूल बैग ठीक करने लगी तब देखा उसी बैग में बेल्ट पड़ी थी। एक जुराब ना मिलने से अलमारी से दूसरा जोड़ा निकाल कर दिया। मेरा कमरा ऐसा हो रहा था मानो अभी-अभी भूकम्प आया हो। वैसे यह आज की बात नहीं है। मैं ऐसी ही हूँ। कमरा साफ-सुथरा रखना मेरे बस की बात नहीं………… वैसे मैं अभी तीसरी कक्षा में ही तो हूँ।

फिर पढ़ार्इ के अलावा मुझे पता है कितने काम होतें हैं….. गिनवाऊँ……… ओ.के. गिनवाती हूँ। पापा के पैरों पर खड़े होकर उन्हें दबाना, मम्मी की टेढ़ी-मेढ़ी चोटी बनाना, मटर छीलते समय उन्हें खाना ज्यादा डि़ब्बे में ड़ालना कम…….और….और…. पापा के हाथों व पैरों की उंगलियां खींचना, दादाजी की पीठ पर कंधे से खुजली करना…….ऊपर से पढ़ार्इ….पढ़ार्इ और पढ़ार्इ……….. है ना कितना काम। ओफ………..बस का हार्न बजा………… लगता है मेरी स्कूल बस मुझे लेने आ गर्इ है……….।

दोपहर के दो बजे मैं स्कूल से लौटती हूँ। उस समय मुझे अपना कमरा चमकता-दमकता मिलता है। यही हर रोज होता है।

हर सुबह मेरी तलाश, खोजबीन जारी रहती है और मम्मी मेरी हमेशा सहायता करती है क्योंकि ऐसी ही हूँ मैं…..। एक दिन मम्मी को कहीं जाना था तो मम्मी ने मुझे सुबह ही घर की डुप्लीकेट चाबी थमा दी। चाबी अक्सर मैं गुम कर देती हूँ इसलिए मम्मी मेरे गले में पहने काले धागे में चाबी ड़ाल देती हैं इससे चाबी गुम नहीं होती। मैं स्कूल से लौटी तो घर पर ताला लगा था। मैंने घर खोला और अंदर से बंद कर लिया। मम्मी मुझे हिदायत देकर गर्इ थी क्योंकि हमारे शहर में चोरियां बहुत हो रही थी।

हमेशा की तरह मैंने साफ-सुथरे घर को गंदा कर दिया। स्कूल बैग जमीन पर पटका। बेल्ट कहीं, जुराबें कहीं और कौन सी ड्रेस पहनूं के चक्कर में सारी अलमारी अस्त-व्यस्त कर दी। ड्रेस मैंने निकाली पर अलमारी बंद नहीं की क्योंकि ऐसी ही हूँ मैं।

फ्रिज में से कोल्ड़ डि्ंक निकाला और ठाठ से लेट कर टीवी देखने लगी। बार-बार चैनल बदले जा रही थी क्योंकि मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या देखूं और क्या न देखूं। फिर मम्मी की ड्रेसिंग टेबल वाली दराज खोल कर बैठ गर्इ कि मम्मी की सारी चूडि़यां, बिन्दी ठीक कर के लगाती हूँ। इसी बीच घर की लाइट चली गर्इ। मैं बोर होने लगी। मम्मी अभी आर्इ नही थी। मैंने सोचा कि घर बंद करके अपनी सहेली सुधा के यहां चली जाती हूँ। फिर मैंने घर ढंग से बंद किया और सुधा के घर गुडि़या-गुडि़या खेलने चली गर्इ ।

शाम हो गर्इ थी। मम्मी को सुधा की मम्मी से कुछ काम था इसलिए वो बाजार से सीधा ही सुधा के घर आ गर्इ। मुझे वहां खेलते देख उन्होंने गुस्सा किया कि पढ़ार्इ कब करूंगी और पापा भी बेचारे दफ्तर से आ गए होंगे और बाहर ही खड़े गुस्सा हो रहे होंगे।

मैं खेल भूल कर तुरन्त मम्मी के साथ घर चल पड़ी। घर गर्इ तो बाहर पापा और उनके दोस्त परेशान से खड़े थे। पापा ने बताया कि वह पाँच मिनट से बाहर खड़े हैं। घर का ताला तो बंद है पर अंदर से हल्की-हल्की आवाजें आ रही है। पीछे की खिड़की भी खुली है। वैसे पड़ोस के जैन साहब ने बताया कि उन्हाेंने पुलिस को फोन भी कर दिया है। पापा गुस्से से मुझे ही घूरे जा रहे थे। सभी अंदाजा लगा रहे थे कि पता नहीं, भीतर कितने लोग हैं।

पुलिस भी आ गर्इ। मम्मी ने घर की चाबी पुलिस वालों को दे दी। दोनों पुलिस वालों ने दरवाज़ा धीरे से खोला और धीरे-धीरे कमरे में प्रवेश किया। भीतर वाले कमरे से हल्की-हल्की रोशनी व आवाजें भी आ रही थी। एक पुलिस वाले ने भीतर से बाहर आकर यह रिर्पाट दी।

मेरी मम्मी भी पूरी तरह से घबरा गर्इ। पता नहीं क्या हो रहा होगा। तभी दूसरे वाला पुलिस मैन बाहर अपनी बन्दूक लेने आया तो उसने बताया कि भीतर का कमरा बिल्कुल फैला हुआ है। ऐसा लग रहा है मानो पूरी खोजबीन की हो। पांव तक रखने की जगह नहीं है। मैं तो बिल्कुल ही रूआंसी हो गर्इ। पापा-मम्मी दोनों मुझे गुस्से से देख रहे थे। आसपास के पड़ोसी भी इकटठे हो गए। चारों तरफ फुसफुसाहट हो रही थी।
तभी भीतर गए पुलिस वाले ने मेरे पापा को आवाज देकर भीतर बुलवाया। पिताजी ड़रते-ड़रते अन्दर गए फिर उन्होंने मेरी मम्मी और मुझे आवाज दी। हम दोनों भी अंदर गए। अन्दर जाकर देखा तो भीतर कोर्इ नहीं था। सिर्फ पापा और दो पुलिस वाले थे और हां कमरे में टीवी जरूर चल रहा था।
मुझे याद आया कि टीवी तो मैं चलता ही भूल गर्इ थी। बिजली चले जाने के कारण मुझे टीवी को बंद करना ध्यान ही नही रहा।

पुलिस वाले अंकल पापा को कह रहे थे कि वह तो इतना बिखरा कमरा देख कर हैरान थे और सोच रहे थे कि इतना तो चोर ही चोरी करते वक्त कमरा फैला कर जाते हैं।

पापा-मम्मी मेरी तरफ घूर कर देख रहे थे। मुझे एक तरफ तो खुशी थी घर में चोर नहीं है लेकिन पुलिस वालों के आगे मुझे बहुत बेइज्जती महसूस हुर्इ क्योंकि वह सारा कमरा तो मैंने ही फैलाया था…….। पुलिस अंकल मुझ से पूछने लगे कि क्या मैंने ही यह कमरा फैलाया है।

मैं जोर से रो पड़ी और कहने लगी कि प्लीज़ अंकल आप मेरी शिकायत किसी से मत करना। सारी गलती मेरी थी। मैं ऐसी ही हूँ। स्कूल से आकर सारा कमरा फैला देती हूँ। फिर टीवी देखते-देखते लाइट चली गर्इ। मैंने खिड़की खोल दी पर…. घर पर बोर हो रही थी तो मैं बिना खिड़की, टीवी बंद किए ही सुधा के घर खेलने चली गर्इ। पर बाहर से ताला जरूर लगा गर्इ।

पुलिस वाले अंकल ने बताया कि फिर शाम हुर्इ, अंधेरा हुआ तो टीवी की हल्की-हल्की आवाज और कम ज्यादा होती रोशनी से ऐसे लगा कि घर पर कोर्इ है और खुली खिड़की देख कर तो मन का शक पक्का हो चला। मैं रो रही थी। पर मुझे सबक मिला चुका था। मैंने मम्मी-पापा और पुलिस अंकल से वायदा लिया कि मैं आगे से ऐसा नहीं करूंगी। कमरा ठीक रखूंगी। दो-तीन दिन बाद फिर वही रोज मर्रा की तरह कमरा फैलाना शुरू हो गया क्योंकि…….. ऐसी ही हूँ मैं…….. है ना!

कैसी लगी कहानी जरुर बताईएगा …. 🙂

मैं हूं मणि …

 

 

 

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