Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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December 5, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

उलझन

उलझन

 कई बार हमारे सामने कुछ ऐसी उलझन आ जाती है जो उलझा कर रख देती है दिमाग विचार शून्य हो जाता है और कुछ समझ नही आता. एक ऐसी ही उलझन सुनने को मिली…

रवि(परिवर्तित नाम) अपने मम्मी पापा का इकलौता बेटा है और अक्सर अपने पापा के साथ उनकी करियाना की दुकान सम्भालता. उसके दादा जी भी यही दुकान देखते थे. आज रवि ने कम्प्यूटर मे बहुत सफल पढाई की है और वो अपना कम्प्यूटर सैंटर खोलना चाह रहा है. हालाकि रुपए की दिक्कत नही है पर उसे आपने पापा का मानसिक रुप से कोई सहयोग नही मिल रहा. उसके पापा चाहते है कि दादा तो रहे नही इसलिए वो बरसो से चली आ रही दुकान ही सम्भाले.

रवि ने इतना भी कह दिया कि उसे एक मौका दे दो और सैंटर खोल लिया. अब नई दुकान या नया काम करने के दिक्कत तो आती ही है. रवि दिक्कत से नही धबरा रहा पर अपने पापा की बेरुखी देख कर उसका मनोबल टूट रहा है.उधर दूसरी तरफ जब भी कोई उसके पापा की दुकान पर सामान लेने आता है अपने बेटे का मजाक बनाते है, कटाक्ष करते हैं कि बडा आया. कुछ नही कर सकता देख लेना यही वापिस आएगा वगैरहा वगैरहा !!!

मैने रवि को भी समझाया कि हिम्मत रखो पर वो सुन्न सा हो गया है और मरने की भी बात करने लगा है वही उसके पापा को जब उसकी मम्मी समझाती है तो वो उनसे भी नाराज होकर खाना पीना बंद करके बैठ जाते हैं और गुस्से मे उबलने लगते हैं. इस परिवार मे बहुत तनाव है आजकल.

ऐसे मे समझाए तो कैसे और किस तरह … ???? क्या आपके पास कोई आईडिया है तो जरुर बताईगा !!!

thinking photo

Photo by @boetter

 

 

December 4, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

Monica Gupta

monica gupta

Monica Gupta

मोनिका गुप्ता लेखिका, कार्टूनिस्ट, पत्रकार तथा  समाज सेविका हैं. ये  हरियाणा के सिरसा मे रहती हैं और लेखन मे लगभग 23 सालों से हैं. राष्ट्रीय समाचार पत्र-पत्रिकाओ के साथ-साथ लोटपोट, चंपक, बालहंस, बालभारती, नैशनल बुक ट्र्स्ट की न्यूज़ बुलेटिन आदि मे इनके लेख, कहानी एवं प्रेरक प्रसंग नियमित रूप से छपते रहते हैं.

इसके साथ-साथ इन्होंने जयपुर आकाशवाणी, हिसार आकाशवाणी में भी बहुत प्रोग्राम दिए हैं. आकाशवाणी रोहतक से इनके द्वारा लिखित नाटक एवं झलकियाँ प्रसारित होती रहती हैं. इनकी पांच किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं  “मै हूँ मणि” को 2009 मे हरियाणा साहित्य अकादमी की तरफ से बाल साहित्य पुरस्कार मिला. “समय ही नहीं मिलता” (नाटक संग्रह) है जिसे हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से अनुदान मिला. “अब तक 35” (व्यंग्य संग्रह) है. “स्वच्छता एक अहसास” (सामाजिक मूल्यों पर आधारित किताब) है. ”काकी कहे कहानी” बाल पुस्तक है जोकि  “नैशनल बुक ट्र्स्ट” से प्रकाशित हुई है. इसके इलावा फिलहाल दो किताबें प्रकाशनाधीन हैं. पत्रकार, लेखिका और कार्टूनिस्ट होने के साथ-साथ ये समाज सेवा से जुडी हुई हैं और नारी सशक्तीकरण और बच्चों मे छिपी प्रतिभा पहचान कर उन्हें नई पहचान देने की दिशा मे प्रयासरत हैं.

मोनिका गुप्ता रक्तदान से जुडी संस्था “आईएसबीटीआई” की पत्रिका ”जय रक्तदाता” का सम्पादन करने मे जुटी हैं. आजकल “दैनिक जागरण” मे हर सोमवार को प्रकाशित मुद्दा विषय पर इनके कार्टून नियमित छ्प रहे हैं और “दैनिक नवज्योति”, जयपुर से हर रविवार “दीदी की चिठ्ठी” नियमित रुप से छ्प रही हैं.चाहे खबर हो या कार्टून, या लेखन के माध्यम से मोनिका अपनी बात इस तरीके से कह जाती हैं कि एक बारगी लोग सोचने पर जरुर मजबूर हो जाते हैं.

 

 

 

 

December 4, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

फेसबुक

 

 फेसबुक

पिछ्ले हफ्ते एक फेसबुक मित्र फेसबुक से गायब थी. असल मे, वो  पूरे दिन आन लाईन रहती और अक्सर मेरे लिखे पर कमेंट या लाईक जरुर करती थी. अपनी न्यूज फीड  पर वो हमेशा ईमानदारी और सच्चाई की बहुत बाते और उदाहरण दिया करती थी. जब वो हफ्ते भर से नही आई तो  मेरा  चिंतित  होना स्वाभाविक था.

 करीब दस दिन बाद जब  वो फेसबुक पर आई तो मेरे पूछ्ने पर उसने बताया कि असल मे, वो सरकारी दफ्तर मे काम करती है. पिछ्ले हफ्ते छुट्टी बहुत थी इसलिए … मेरे पूछ्ने पर कि क्या घर पर नेट नही है. उसने बताया कि कौन घर पर नेट लगवाए और  खर्चा भी बढाए. वैसे भी घर पर सैकडो काम होते हैं और कौन इस नेट के पचडो मे पडे. ये तो खाली बैठे और निठल्लो का काम होता है.  बच्चे  भी बिगडते है इसकी वजह से.  आफिस की बात तो अलग है. यहां नेट  फ्री भी है और दूसरी बात सारे दिन खाली ही बैठते है काम तो होता नही है कुछ इसलिए समय इसमे व्यर्थ ही गवाती हूं वैसे कोई ढंग की चीज नही है ये नेट वेट !!!

पता नही, पर,मै हैरान थी कि ईमानदारी और सच्चाई की बाते करने वाली कैसी बाते कर रही है. मुझे अच्छा नही लगा और मैने उसे बता कर अनफ्रेंड कर दिया. facebook photo

      ऐसी सोच वाले !!!बाप रे बाप !!! वैसे आप तो ऐसे नही होगे … है ना !!!

फेसबुक

मोनिका गुप्ता

December 3, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

कैसे कैसे समाज सेवी

कैसे कैसे समाज सेवी

पिछ्ले  दिनो  कुछ समाज सेवियों से वास्ता पडा. आप सोच रहे होंगे कि ये वास्ता शब्द किसलिए इस्तेमाल किया.तो ज्यादा हैरान या परेशान होने की जरुरत नही. सुनिए! एक महाशय बस या ट्रेन मे सफर करना पसंद करते है और अपनी यात्रा के दौरान लोगो को बिस्कुट चाय इत्यादि भी देते हैं. आप सोच रहे होगे तो क्या हुआ ये तो अच्छी बात है.ओहो, पूरी बात तो सुनिए आप तो बोलते बहुत है. हां, तो अक्सर चाय और बिस्कुट पीने के बाद वो व्यक्ति बेहोश हो जाता है और वो उसका सारा सामन लेकर रफूचक्कर हो जाते है.

एक महाशय तो और भी बढ कर हैं. असल मे वो, जरुरत मंद की किसी ना किसी रुप मे मदद करते है और फिर उनके घर मानो डेरा ही जमा लेते हैं. अहसान के तले बेचारा बोल ही नही पाता और उनका पूरा परिवार उन्हे झेलने पर मजबूर हो जाते हैं.

कैसे कैसे समाज सेवी !!! एक और महानुभाव है. असल मे, उनके लिंक सरकारी बाबू से लेकर अफसर और फिर मंत्री जी तक हैं. अब जिसे भी कोई काम निकलवाना होता है वो सीधा उनके पास जाता है और सैंटिग के अनुसार काम हाथो हाथ हो जाता है. अब भई वैसे तो यह बहुत अच्छी बात है पर इस बीच “जरा सा” कमीशन भी तो बनता है बस “जरा सा” लेते है क्योकि समाज सेवी जो है. जनता जनार्दन का दर्द वो नही देख सकते.

एक बुजुर्ग महाशय है. उन जैसी लग्न तो मैने कही नही देखी. असल मे. 60 साल के हो गए है. पर खुद को स्वीट 30 ही समझते हैं और बालो मे तेल लगा कर, कपडो पर इत्र का छिडकाव करके और कपडे अच्छी पर इस्त्री करके अपना स्कूटर लेकर लडकियो के कालिज की तरफ दो घंटे के लिए निकल जाते है और किसी लडकी को बस स्टेण्ड तक लिफ्ट देनी हो या कही जाना हो तो उनका स्कूटर तैयार रहता है. इस सिलसिले मे पुलिस भी उन्हे धमका चुकी है पर समाज की सेवा का प्रेम इस कदर सवार है कि बस पिट पिटा कर भी वही पहुंच जाते हैं.

आप सोच रहे होगे की महिला का जिक्र नही आया क्या महिला समाज सेवी नही?? जी नही. वो भी बिल्कुल है. असल मे, एक महिलाओ का समूह है. वो शादी करवाता है. यानि शादी के लिए लडकियां उपलब्ध करवाता है.आप सोच रहे होंगे कि तो क्या हुआ. आजकल लडकियां मिलती कहा है पर साहब आगे तो सुनिए शादी होने के सात दिन  रुपया गहना लेकर उडन छू और और पूरा समूह भी किसी और “बेचारे” की तलाश मे.

अब आप इसे क्या मानेगे ना !!! ये आपके ऊपर है !!! क्या !!! आप भी कह उठे …कैसे कैसे समाज सेवी !!!

man  photo

December 2, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

छुट्टी की छुट्टी

 छुट्टी की छुट्टी

छुट्टी किसे अच्छी नही लगती. शनिवार आते ही मन मे अजीब सी खुशी घर कर जाती है कि अब रविवार आएगा और बस आराम ही आराम …. !!! ठहरिए!!! अगर आप भी ऐसा सोचते है तो जरा रुकिए क्योकि हर घर मे कोई ना कोई प्राणी ऐसा होता है जिसे छुट्टी कतई पसंद नही. पिछ्ले दिनो जब बहुत छुट्टियां आई तो कुछ हाउस वाईफ से बात हुई. असल मे, वो छुट्टी को लेकर बेहद नाखुश रहती है.

  छुट्टी की छुट्टी

सोमवार से शनिवार एक अनुशासन मे जिंदगी चलती है कि इतने बजे जाना है और इतने बजे वापिस लौटना है पर छुट्टी वाले दिन तो इतनी हाय तौबा मचती है कि dont ask!!!. ना सुबह रजाई छोडने का समय, ना नाश्ता करने का और नहाने धोना तो गया पानी लेने !!!

 छुट्टी की छुट्टी

कुल मिला कर एक छुट्टी मे घर का इतना बुरा हाल हो जाता है कि काम वाली बाई भी आधी अधूरी सफाई करके खिसक लेती है. और बच्चे तो बच्चे बडे लोग भी कम्प्यूटर, टीवी, मोबाईल मे बस जुटे ही रहते है और बेचारी गृहणियो का काम दस गुणा बढ जाता है !!!

अब अगर श्रीमति जी की भ्रृकुटि जरा तनी हुई है तो जरा सम्भल कर !!! वैसे इस क्षेत्र मे अपवाद भी होते हैं 🙂 तो क्या सोचा !!!

 छुट्टी की छुट्टी कैसी रही आपकी !!!

 

 

December 2, 2012 By Monica Gupta Leave a Comment

दैनिक जागरण मे कार्टून

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दैनिक जागरण मे कार्टून

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