ऑड-ईवन
ध्वनि प्रदूषण एक समस्या
ध्वनि प्रदूषण एक समस्या
बढता ध्वनि प्रदूषण और हम
एक ऐसा प्रदूषण जिसका हल न मोदी जी के पास है और न ही अरविंद केजरीवाल जी के पास … इसका हल है सिर्फ हमारे पास… !!!
जाने ऐसा कौन सा है प्रदूषण !!
चलो चिल्लाए… अरे !! आप हैरान क्यो हो रहे हैं … आप भी तो चिल्लाते हैं … क्या ?? नही ?? अच्छा बताईए हाल ही में आप किसी शादी या समारोह में गए तो वहां डीजे वाला बाबू कितनी जोर से बजा रहा था डीजे … आपको चीखते चिल्लाते संगीत के इलावा कुछ सुनाई नही दे रहा था तो आप आपस में बात चिल्ला चिल्ला कर .. हां मैं ठीक हूं … आप सुनाओ कैसे हो ??? चिल्ला कर बात नही कर रहे थे…!!! हम सभी चिल्लाते हैं .
मैं भी चिल्लाई थी और कान भी झनझना उठे थे. मैनें तो एक बार मेजबान को कह ही दिया कि आवाज धीरे करवा दीजिए तब उन्होने कहा कि अरे इतने पैसे दिए है आवाज तो इतनी ही चलेगी… !!! हे भगवान !!
यकीन मानिए इसमे सरकार का कोई दोष नही हमारे अपने दिमाग में इतना प्रदूषण भरा हुआ है कि ….!! वैसे ये कम हो सकता है अगर हम जरा से जागरुक हो जाए पर क्या होंगें.. !!
शायद नही … तो आईए चिल्लाए !!!
ध्वनि प्रदूषण एक समस्या
सडकों पर, कारखानों में तो ध्वनि प्रदूषण बढ ही रहा है पर एक प्रदूषण ऐसा है जिस को हम जान बूझ कर पैसे खर्च करके निमंत्रण देते हैं … !! क्या हो सकता है दूर हमारे प्रयासों से या नही …
नरम धूप
नरम धूप
जाड़ो की नरम धूप
लो जी, आ गई सर्दी!! अच्छा लगता है गुनगुनी धूप में बैठ कर उसका आनन्द लेना.धूप के साथ साथ अपनी कुरसी भी सरकाना और अगर अडोसी पडोसी मिल जाए तो बैठ कर इधर उधर की बतियाना और चुगली चपाटियां करना. वैसे पालक, हरी हरी मैथी जिसे बीनारना साफ करना बहुत बोरिंग होता है कम्पनी मे बैठ कर वो काम भी तुरंत हो जाता है ….. पर नुकसान भी है. जहाँ ज्यादा धूप लेने से चेहरा काला सा हो जाता है. वही बातो बातो मे चाय के साथ साथ खाया भी बहुत कुछ जाता है अब देखिए ना आजकल मटर इतनी मीठी आ रही है कि दो किलो छीलने बैठो तो मुश्किल से पाव भर ही रह जाती है … चलिए, फिर भी गुनगुनी धूप अच्छी ही लगती है. है ना
जाड़ो की नरम धूप और आँगन में लेट कर 🙂
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कथा कहानी
लघु कथा विश्वास
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