Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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September 4, 2016 By Monica Gupta 2 Comments

सफाई अभियान पर नारे

11 Best Slogan On Cleanliness

11 Best Slogan On Cleanliness

स्वच्छता के प्रति कैसे बदलें लोगो की मानसिकता

बेशक, गली गली में सफाई अभियान पर नारे लगाए जा रहें हैं स्वच्छता की गूंज है. मन की बात में हो ,  देश के मंत्री होंं, फिल्मी सितारे हो या टीवी सितारों का स्वच्छता अभियान में आगे आना  सभी अपनी अपनी तरफ से भरसक प्रयास कर रहे हैंं पर जितनी स्वच्छता होनी चाहिए , आनी चाहिए आ नही पा रही .. !!  जन आंदोलन नही बन  पा रहा रहा.

जब स्वच्छता अभियान का शुभ आरम्भ हुआ

राजपथ पर सफाई अभियान पर नारे लगाते हुए , स्वच्छ भारत अभियान का शुभारंभ करते हुए प्रधान मंत्री  नरेन्द्र मोदी ने कहा, “2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर भारत उन्हें स्वच्छ भारत के रूप में सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि दे सकता है।”2 अक्टूबर 2014 को देश भर में एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई।

 11 Best Slogan On Cleanliness

नारे स्वच्छता अभियान के… कुछ गाँव वालों ने तो स्वच्छता  अभियान को नर्इ दिशा देने के लिए ढ़ेरों नारे बना दिए

मिल जुल कर छोडो़ चिंगारी
स्वच्छ हो जाए दुनिया सारी

 

ना जिलें में, न स्टेट में, सफार्इ सारे देश में

 

लोटा बोतल बंद करो, शौचालय का प्रबन्ध करों

 

1-2-3-4, कुर्इ खुदवा लो मेरे यार

 

बच्चें, बूढ़े और जवान
खुले में शौच से सब परेशान

 

हर गाँव में स्वच्छता ज्योति जगाऐंगें
देश को सुंदर बनाऐेंगें

 

मेरी बहना मेरी माँ, खुले में जाना ना ना ना….

 

करें हम ऐसा काम, बनी रहे देश की शान.

 

सभी रोगों की एक दवाई घर मे रखो साफ सफाई

 

हम सब ने अब ये ठाना हैं, भारत स्वच्छ बनाना है

 

स्वच्छता का रखिए ध्यान

तभी बनेगा देश महान

 

सफार्इ है जहाँ, पढ़ार्इ है वहाँ

 

खुले में शौच, जल्दी मौत

स्वच्छ भारत अभियान मे हमारा योगदान

 

वैसे आपका क्या विचार है कि नारा कैसा हो ताकि सम्पूर्ण स्वच्छता आ जाए..

 

 

August 30, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छता का महत्व कितना आवश्यक

स्वच्छ भारत अभियान- स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत

स्वच्छता का महत्व

स्वच्छता की बात करने से पहले हमारे लिए सबसे पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि स्वच्छता का महत्व कितना आवश्यक है क्योकि स्वच्छता और पेयजल की कमी से 80 प्रतिशत बीमारियों पैदा होती है और हर साल विश्वभर में 5 साल से कम उम्र के 15 लाख बच्चे मौत का शिकार बनते है.  निश्चित तौर पर यह आंकड़े चौका देने वाले है चाहे हैजा, टाईफाईड, पीलिया, पोलियो, अतिसार, चमडी का चाहे हैजा, टाईफाईड, पीलिया, पोलियो, अतिसार, चमडी का रोग या आखों की बीमारी हो सभी का कारण स्वच्छता का ना होना ही है.

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स्वच्छता और गंदगी

स्वच्छता का महत्व समझते हुए यह जानना जरुरी है कि गन्दगी मुख्य रूप से हमारे शरीर में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जल, मक्ख्यिों, खाने की वस्तुओं और अगुलियों के रूप में प्रवेश करती है। जिसे रोकना और स्वच्छता के प्रति जागरूक होना हमारा कर्तव्य है ताकि स्वस्थ और सुखी जीवन जी सक

सामाजिक प्रतिष्ठा आत्म सम्मान और सबसे ज्यादा महिलाओं और लड़कियों के आराम के लिए स्वच्छता के नियमों को अपनाना बहुत जरूरी है स्वच्छता रहने पर व्यक्ति की सेहत ठीक रहेगी वह हर रोज काम पर जाऐगा जिससे आय के साधन भी बढ़ेगे और जीवन का आनन्द भी लिया जाएगा।

सोच शौच की

शौच से होने वाली बीमारियों के प्रति लोगो की सोच ना के बराबर है.  वो सपने में भी नही सोच सकते कि जो शौच वो घर से बाहर दूर खेत में करके आते है घर आकर वो ना सिर्फ उसे खाते है बल्कि दूसरों को भी खिलाते है.

असल में, होता इस तरह से है कि जब व्यक्ति खुले में मल त्यागता है तो मल पर ढेरो मक्खियां बैठ जाती है वही गन्दगी मक्खियां हमारे भोजन, कपड़े, शरीर ओर पानी पर बैठ कर अपने छः पैरो पर चिपकाए मल को कर उड़ जाती है और अनजाने में व्यक्ति कम से कम 10 से 20 मिली ग्राम मल खा जाता है एक मिलीग्राम मल में एक करोड़ विषाणु होते है और बीमार व्यक्ति के मल में तो असंख्य मात्रा में बीमारी पैदा करने वाले विषाणु जीवाणु, कृमि और उनके अण्डे मौजूद रहते है जिन्हे सूक्ष्मदर्शी यंत्र से ही देखा जा सकता है।

खुले में पड़ा यह शौच पानी, सब्जी, गन्दे हाथो, मिटटी, मक्खी और छोटे-2 अद्वश्य जीवो के माध्यम से होता हुआ स्वस्थ व्यक्तिक पहुंच कर उसे ही अस्वस्थ बना देता है इसके कारण आंतो में कीड़े, पेचिश, दस्त, हैजा, टायफायड, हार्ट-अटैक जैसी गम्भीर और जानलेवा बीमारिया हो जाती है।

यह जानकर बहुत हैरानी होगी कि पोलियो का एक मात्र कारण पोलियोग्रस्त व्यक्ति के मल से ही होता है ये विषाणु सबसे पहले बच्चो को ही अपना शिकार बनाते है।

आकड़े भी बताते है कि गांव के लगभग आधे से ज्यादा आबादी बाहर ही शौच के लिए जाती है। मानले कि अगर एक व्यक्ति एक दिन में 300 ग्राम शौच करता है और प्रतिदिन गांव का हजार आदमी शौच जाता है जब हम गांव की 1 महीने की शौच की गिनती करेगे तो हम पाऐगे कि हर मीने इस गाव में 30 टन (30 दिन 1000 व्यक्ति 300 ग्राम) (लगभग दो ट्रक) शौच की जाती है अगर हम एक साल का अनुमान लगाए तो इससे लगभग 24 ट्रक शौच के भर सकते है। और 10 सालों में 240 ट्रक शौच के भरे जा सकते है।

व्यक्ति द्वारा त्यागा हुआ शौच  जानवरों के खुरो से, बच्चों की चप्पल से, टायरों से, मक्खियों द्वारा वापिस घर पहुंच जाता है और हमारे हाथ द्वारा खाने पीने की चीजो में शामिल हो जाता है इसलिए यह बताने में कोई संकोच नही है कि व्यक्ति शौच ना सिर्फ खाता है एक दूसरों को भी खिलाता है अगर शौच के प्रति इस सोच को जागृत कर दिया जाए तो निश्चित तौर पर शौच के प्रति उसे इतनी घृणा हो जाऐगी और उसकी सोच बदलनी शुरू हो जाऐगी।

असल में, सदियो से खुले में शौच जाने की आदत को छुड़वाना बहुत मुश्किल है ऐसे में गांव के लोगों के पास ढ़ेरो प्रश्न होते है कि हम बाहर जाना किसलिए बंद करे, शौचालय बनवाना आसान नहीं है। जगह भी नही है, शौचालय बनवाने से उन्हे क्या फायदा होगा, और सबसे ज्यादा मुश्किल तो बुर्जुगो को समझाना है।

ऐसे में उनके प्रश्नों का उतर देना उन्हे समझाना बहुत जरूरी हो जाता है ताकि वो संतुष्ट हो जाए और स्वच्छता को अपना ले।

ज्यादातर लोगो की सोच होती है कि वो अपने जीने का तरीका क्यों बदले उससे उन्हे क्या फायदा होगा। तो उन्हे यही समझाना चाहिए कि अच्छी आदत और जीवन को सुखी बनाने के लिए, सम्मान जनक रूप से जीने के लिए और दूसरो के सामने उदाहरण बनने के लिए स्वच्छता को अपनाना ही होगा। इसे अपनाने से स्वास्थ्य सही रहेगा, बीमारियां होगी ही नही, खर्चा कम होगा और आय के साधन ज्यादा बनेगे।

सोच कैसी कैसी … 

कई लोगो का मानना होता है कि सुबह सुबह सैर भी हो जाती है और शौच भी तो इसमें गलत क्या है ? ऐसे में अपनी बहू बेटियों की सुरक्षा का अहसास करवाना चाहिए उन्हे अहसास दिलाना चाहिए कि शर्म के साथ-2 समय का दुरूपयोग होता है। सड़क पर, खेतो में पड़ा मल पैरो व चप्पलों के सहारे घर तक आ जाता है वाशिश के मौसम में या देर सवेर जाने से जंगली जानवरों का निरन्तर खतरा बना रहता है।

बहुत लोग अडियल किस्म के होते है उनके अकसर यही प्रश्न होते है कि उनके पास तो जगह ही नही है या वो तो गरीब है वो इसे बनवाने के लिए रूपया कहा से लाऐगे ऐसे में उन्हे समाझाना चाहिए कि इसके लिए कोई बहुत ज्यादा जंगह की जरूरत नही होती या फिर पड़ोसी या ग्राम पंचायत जमीन दे सकती है ऐसे में सामुदायिक शौचालय का भी निर्माण करवाया जा सकता है या फिर शौचालय का उपरी ढाचा छत पर और गडडा नीचे आगन पर बनाया जा सकता है या फिर दोनों पड़ोसी उपरी ढा़चा अलग अलग बना कर गढ़ढा एक ही रख सकते है इसके साथ साथ पड़ोसी ग्राम हित में अपनी जमीन भी दे सकता है समाधान तो बहुत निकल सकते है बशर्त स्वच्छता को जीवन का महत्वपूर्ण अंग माना जाए

अब बात आती है उनकी गरीबी की बात घूम फिर कर पैसे की गरीबी की नही बल्कि मानसिकता की गरीबी है जिससे जानबूझ कर वो उतरना ही नही चाहते । गरीब लोग शादी के लिए बीमारी के लिए रिश्तेदार में कामकाज शुरू करने पर कर्ज ले सकते है पर शौचालय बनवाने के लिए सरकार का मुंह ताकते है।

शौचालय ना बनवाने की इच्छा वाले बहाने  ढूढ ही लेते है मसलन वो कह देते है कि हम तो मजदूर आदमी है दिहाड़ी पर काम करते है इसे बनवाने में कितना समय लग जाऐगा या फिर पीने का पानी तो है नही इसके लिए कहा से लाऐगे या फिर बदबू की दुहाई देकर किनारा करना चाहते है।

ऐसे में हर बात का जबाव तैयार होना चाहिए. शौचालय बनाना मात्र आधे दिन का भी काम नही है जहां तक पानी की कमी की बात है जितना बोतल में वो भरकर बाहर ले जाते है उतना ही पानी लगता है।

 

स्कूली  स्वच्छता

बच्चे नए विचारों को बहुत जल्दी ग्रहण करते है स्कूल ऐसी संस्था है जहां शिक्षको की मदद से बच्चो के आचार व्यवहार में बहुत जल्दी बदलाव लाया जाता है क्योंकि बच्चों पर अपने शिक्षकों का प्रभाव बहुत ज्यादा पड़ता है इसलिए उन्हे प्रेरित करके शिक्षा के माध्यम से खुले में शौच ना के लिए भली प्रकार समझाया जा सकता है इसके लिए विद्यालय में अभिभावक शिक्षक संध का गठन भी बहुत फायदेमंद रहेगा।

स्कूली बच्चों का योगदान

अगर सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान में बच्चों और स्कूली अध्यापको की बात नही की जाऐगी, तो यह अभियान अधूरा ही रहेगा। अक्सर स्कूली बच्चें अपने अध्यापकों से बहुत प्रेरित होते हैं। अध्यापकों ने स्वच्छता की गम्भीरता को समझते हुए सुबह प्रभात फेरी, रैलियाँ और नारे लगवाएं ताकि बच्चें अपना संदेश घर लेकर जाएँ।

बच्चों के माध्यम से स्वच्छता अभियान बहुत जल्दी फैलता है  क्योंकि बच्चें जब सुबह स्कूल जातें हैं तो आसपास उन्हीं जैसे बच्चें शौच के के लिए बैठे मिल जाते हैं  जिससे उन्हें बहुत बुरा लगता है  और दूसरी बात स्कूल के मैदान में ना तो खेल सकते थे और ना ही भागदौड़ कर सकतें थे क्योंकि वहाँ पड़ी शौच उनके पाँव पर लग जाती थी और जूते, चप्पल के सहारे वो कक्षा तक आ जाती और वहाँ मक्खियाँ ड़ेरा जमा लेती। जहाँ एक ओर बदबू से उनका बैठना मुहाल हो जाता वही दूसरी ओर जो खाना मिड़ डे़ मिल के रूप में परोसा जाता, वहाँ भी स्वच्छता नही रहती। इन सभी परेशानियों को ध्यान में रखते हुए स्वच्छता अभियान स्कूली बच्चों से आरंभ किया जाना चाहिए

महिलाओं का योगदान

बाहर शौच जाने से महिलाए सबसे ज्यादा पीडित हैं क्योकि दिन भर  शौच जा नही सकती और इसलिए अंधेरे में जाना पडता है जहांं जानवरों का खतरा है वहींं आदमियों से भी खतरा बना रहता है … हर रोज कही न कही की खबर छ्पती रहती है कि फलां महिला के साथ बलात्कार हुआ … फलांं बच्ची के साथ बलात्कार  हुआ ..  इसलिए चाहे वो अनपढ हो, धूंधट निकालती हो. अपनी किस्मत पर रोने से बेहतर  है कि घर मे ही शौचालय बना कर इस्तेमाल किया जाए और शर्म के साथ साथ बीमारियों से भी बचा जाए.

वृद्धों का योगदान

बेशक,  गाँव के बडे बूढों को समझाना किसी चुनौती से कम नही … उनकी मानसिकता बदलनी बहुत जरुरी है… और अगर वो समझ गए तो यकीन मानिए  गांव स्वच्छ हो गया… !! उन्हें अपने बच्चों की सेहत का और महिलाओं की सुरक्षा का वास्ता देकर समझाया जा सकता है.

 

स्वच्छता के नारे – Monica Gupta

स्वच्छता के नारे / स्वच्छता पर नारे स्वच्छता हम सभी के लिए बेहद जरुरी है जानते हैं हम सब पर फिर भी मानते नही है और गंदगी फैलाए चले जाते हैं. read more at monicagupta.info

 

स्वच्छता अभियान अगर एक जन आंंदोलन के रुप में चले तो कोई ताकत स्वच्छता आने से नही रोक सकती…

अगर आज आपने अपने पर्स से या बैग  से कुछ निकाल कर सडक पर नही फेंका तो यकीन मानिए आपने आज स्वच्छता अभियान में बहुत बडा योगदान दिया है…

(तस्वीर गूगल से साभार)

August 25, 2016 By Monica Gupta 3 Comments

स्लोगन स्वच्छ भारत अभियान

स्लोगन स्वच्छ भारत अभियान

स्लोगन स्वच्छ भारत अभियान

सफाई अभियान पर नारे – स्लोगन स्वच्छ भारत अभियान – खुले में शौच मुक्त भारत

मोदी जी के निर्देशन में आज पूरे भारत में  देश में सम्पूर्ण  स्वच्छता अभियान , जन आंदोलन के रुप में चला हुआ है जहां लोगो ने इसकी महत्ता को समझ रहें हैं  वहां स्वच्छता आ भी रही है…

अभियान पर नारे,

मेरा, स्वच्छता अभियान से जुडना एक यादगार अनुभव रहा.  बात 2008 की है तब मैंं ज़ी न्यूज की सिरसा (हरियाणा) से सम्वाददाता  थी और जब पता चला कि सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के अंतर्गत सिरसा  3 महीने में स्वच्छ बन जाएगा यानि गांव के लोग बाहर शौच जाना छोड देंगें और घर में ही शौचालय और कुई बनवाएगें तो तुरंत न्यूज आईडिया भेज दिया… और जिला प्रशासन के साथ गांव जा पहुंची न्यूज कवर करने … सोच कर तो ये ही गई थी कि ये तो असम्भव है हो ही नही सकता … पर जैसे जैसे अभियान आगे बढता रहा गांव वाले जिले के एडीसी डाक्टर युद्दबीर सिह ख्यालिया से प्रेरित होते रहे और स्वच्छता आने लगी …

गांव गांव मे अपना गांव स्वच्छ बनाने की होड सी लग गई… जय स्वच्छता  के नारे गूंजने लगे और पूरा का पूरा गांव एक परिवार बन कर स्वच्छ करने में जुट गया …

और इतनी उर्जा देख कर मुझे लगा कि मुझे इसे किताब का रुप देना चाहिए और मैने लिख डाली किताब  … स्वच्छता एक अहसास !!

पेश है उसका एक छोटा सा अंश

Slogans on cleanliness

स्वच्छता पर नारे

गाँव वालों ने तो अभियान को नई दिशा देने के लिए ढ़ेरों नारे बना दिए….

 

आँखों से हटाओ पट्टी, खुले में न जाओ टट्टी

हम सब का है  एक ही नारा, साफ और सुथरा हो देश हमारा
मूँगफली में गोटा, छोड़ दो लोटा।

ना जिलें में, न स्टेट में, सफाई सारे देश में

1-2-3-4, कुई खुदवा लो मेरे यार

सफाई करना मेरा काम, स्वच्छ रहें हमारा गाँव।

सुन ले सरपंच, सुन ले मैम्बर, कुई खुदवा लें घर के अंदर

बच्चें, बूढ़े और जवान, सफाई का रखो ध्यान
खुले में शौच, जल्दी मौत

सफाई है जहाँ, पढ़ाई है वहाँ

गाँव-2 में जाना है, गंदगी को दूर भगाना है।

नक्क तै मक्खी बैन नी देनी, खुल्ले में टट्टी रहन नी देनी

लोटा बोतल बंद करो, शौचालय का प्रबन्ध करों।

मेरी बहना मेरी माँ, खुले में जाना ना ना ना….

सफाई का रखो पूरा ध्यान
गाँव को बना लो निर्मल ग्राम

स्वच्छता है जहाँ, जिन्दगी है वहाँ
खुले में शौच नही जाना है
गाँव को निर्मल बनाना है

सफाई है जहाँ, खुदाई है वहाँ

ताऊ बोला ताई से, सबसे बड़ी सफाई सै

साफ पानी पीऐंगे
सुरक्षित जीवन जीऐंगें

बच्चें, बूढ़े और जवान
खुले में शौच से सब परेशान

जब गंदगी को जड़ से मिटाऐगें
तभी अच्छे नागरिक को कहलाऐगें

मिल जुल कर छोडो़ चिंगारी
स्वच्छ हो जाए दुनिया सारी

खुले में शौच, पिछड़ी हुई सोच

हर गाँव में ज्योति जगाऐंगें
देश को स्वच्छ बनाऐंगें

धरती माता करे पुकार, आस-पास को कर लो  साफ

 

पिछला जमाना बीत गया, अब नया सवेरा आया है
हर घर में शौचालय हो यही समझ अब लाया हैं

मोनिका गुप्ता , स्वच्छता अभियान

स्वच्छता को लेकर महात्मा गाँधी कहते थे

स्वच्छता स्वतंत्रता से भी महत्वपूर्ण है
स्वच्छता में ही ईश्वर का वास होता है

पं0 जवाहर लाल नेहरू का स्वच्छता के बारे में कहना था कि …

जिस दिन हम सबके पास अपने प्रयोग के लिए एक शौचालय होगा मुझे पूर्ण विश्वास है कि उस दिन देश अपनी प्रगति की चरम सीमा पर पहुँच चुका होगा।

नया साल नया सवेरा

1 जनवरी सन् 2008 को सूरज की पहली किरण ने दस्तक दी। लोग जागे और घरों के बाहर, खेत-खलिहानों का नजारा लेने लगे। ओस की बूँदे फसलों से अठखेलिया कर रही थी। पक्षी मधुर कंठ से अपने राग अलाप रहे थेे। मानों उन्हें भी पता चल गया था कि नया साल, नया सवेरा लेकर आया है। आज के बाद से कोई भी, कभी भी खेतों में शौच के लिए ना जाकर घरों में ही बनें शौचालय का ही इस्तेमाल करेगा ताकि एक नए समाज को बनाने का सपना हकीकत में बन जाए। पहले जो लोग खेतों की ओर जाते नाक पर कपड़ा रख लेते, आज वही लोग बाहर खेतों में घूमते हुए खुली हवा में फेफड़ो में ताजी और स्वच्छ हवा भर रहें हैं।

जि़ला सिरसा के सभी 333 गाँवों की काया पलट होने में सिर्फ तीन महीने यानि 2 अक्तूबर, 2007 से 31 दिसंबर 2007 तक का समय लगा और आज नतीजा यह निकला कि सभी गाँव खुले में शौच से मुक्त्त और निर्मल है।

अगर इस कार्य को जिला ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा युद्ध स्तर पर व्यापक रूप से ना चलाया जाता तो सवाल ही पैदा नही होता कि लोगों को स्वच्छता के बारे में ज़रा सी भी जानकारी मिल पाती।

लेकिन इस अभियान को यानि सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान को इतने सुनियोजित ढ़ंग से चलाया गया कि सिर्फ गाँव-गाँव ही नही बल्कि हर गाँव की हर गली, हर घर में जाया गया। स्कूलों में जाकर उन्हें स्वच्छता की जानकारी दी गई। अभियान में बच्चें-बूढ़े, महिला, पुरूष हर वर्ग को जोड़ा गया और अभियान ने इस कदर रंग दिखाया कि वो लोगों की सोच बदलने में कामयाब रहा।

जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के साथ ’जय स्वच्छता समिति’ ने जुड़कर उन्हें ट्रेंनिग दी और गाँव-गाँव में जागरूकता फैलाने के लिए भेज दिया। गाँव वालों ने भी माना कि उनके समझाने से पहले तो मानो वो गहरी नींद में थे। टीम के आने के बाद ही वो उस नींद से जागे हैं और ऐसे जागे हैं कि आज पूरे भारत में सिरसा जिला सूरज बन कर चमक रहा है और अन्य जिलों तथा प्रदेशों को भी अपनी किरणों के माध्यम से संदेश दे रहा है कि स्वच्छता रखो। सदियों पुरानी चली आ रही परम्परा को आज के बच्चों ने पूरी तरह से समझ लिया है और अपने बड़े-बुर्जुगों की सोच बदल कर स्वच्छता का स्वागत दोनों बाहें फैलाए कर रहें हैं।

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सभी गाँव वालों के प्रयासों से उन्होंने असम्भव काम को सम्भव कर दिखाया है। आज उन्हें स्वच्छता मिल गई मानों दूसरा जन्म मिल गया हो, इसी खुशी में हर गाँव वासी खुद को नाचने गाने से रोक नही पा रहा और एक ही बात उनके दिल से निकल रही है। और वो है……………

जय स्वच्छता   जय स्वच्छता      जय स्वच्छता

 

August 12, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छ भारत मिशन – सफलता की कहानी(वीडियो)

स्वच्छ भारत मिशन – सफलता की कहानी(वीडियो)

स्वच्छ भारत मिशन – सफलता की कहानी(वीडियो)

ये सफलता की कहानी किसी एक व्यक्ति की नही बल्कि पूरे गांव की है.  पूरा गांव  जय स्वच्छ्ता के नारे गूंज उठा. एक कहानी नही हकीकत है और हकीकत है हरियाणा के जिला सिरसा के गांव फूलकां की.

ये तभी सम्भव हुआ जब जिला प्रशासन की टीम ने गांवों का दौरा किया और लोगो में जागृति  आई…

गांव की निवासी पुष्पा देवी बताती है कि पहले अपने गांव में आते जाते जाते शर्म आती और आज इस गांव में इतनी स्वच्छता आ गई है कि हमारा गांव अपने नाम जैसा  फूल जैसा खूबसूरत हो गया है..

वही गांव के बच्चों प्रदीप और कलावती ने बताया कि वो निगरानी करते और लोगो को खुले में शौच जाने को मना करते जब लोग नही मानते तो इनके शौच पर मिट्टी डाल कर आते ताकि बीमारियों से बचाव हो सके.

स्कूली टीचर श्री जगदेव फौगाट ने भी बताया कि बच्चों ने स्वच्छता के मह्त्व को बहुत जल्दी समझा.

आज ये गांव पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त है यही इस गांव की सफलता की कहानी है क्योकि सभी के सांझे प्रयासों से स्वच्छता आई तभी आज इस गांव की महिला नाच रही है गा रही है और जय स्वच्छता नारे गूंज रहे हैं

स्वच्छ भारत मिशन – सफलता की कहानी(वीडियो)

Swachh Bharat Mission-Gramin

Swachh Bharat Mission-Gramin Swachh Bharat Mission-Gramin – Kanganpur – Nirmal Bharat Abhiyan – TSC – DOST बात उन दिनों की है जब गांव के लोग खुले में See more…

 

 

August 12, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छ भारत अभियान के असली हीरो

स्वच्छ भारत अभियान के असली हीरो

स्वच्छ भारत अभियान के असली हीरो – Total Sanitation Campaign in India ,Nirmal Bharat Abhiyan ,’Swachh Bharat Abhiyan या स्वच्छता अभियान नाम कोई भी हो मकसद सिर्फ एक है कि हमारा भारत देश स्वच्छ हो खुले में शौच से मुक्त हो 

  स्वच्छ भारत अभियान के असली हीरो

स्वच्छ भारत अभियान के एक नए जारी किए गए वीडियो में कंगना रनौत लक्ष्मी के रूप में दिखती हैं और अमिताभ बच्चन जी  की आवाज़ है. इस वीडियो में संदेश दिया गया है कि सफाई न रखने पर लक्ष्मी आपका घर छोड़ कर चली जाएंगी, आप चाहे तो उन्हें रोक लें. बेशक, स्वच्छता अभियान में चाहे विद्द्या बालन जी हों या अमिताभ जी….  पर असली हीरो होते हैं गांव वाले जो  स्वच्छता से प्रेरित होकर अपने गन्दे और शौच युक्त गांव का नक्शा ही बदल देते हैं . एक बडा सा सलाम हैं उन गांव वालो को जिन्होने अपने गांव को गांव नही परिवार समझा और देखते ही देखते गांव का नक्शा ही बदल गया..

यह कोई सुनी सुनाई बात नही बल्कि मेरे सामने की बात है और गांव वालो के जज्बे से उनका सफाई के प्रति प्रेम देख कर मैं इतना उत्साहित हो गई कि मैने स्वच्छता एक अहसास पर पूरी किताब ही लिख डाली.

अहसास स्वच्छता का ………… पुस्तक को लेकर आपके मन में ढ़ेरो सवाल उठ रहें होंगें कि आखिर इस पुस्तक के माध्यम से स्वच्छता का अहसास कैसे करवाया जा सकता है। सच पूछो तो, हम सभ्य समाज के सभ्य नागरिक हैं, पढे़- लिखे और समझदार भी हैं लेकिन सही मायनों में देखा जाए तो अनपढ़ और असभ्य की श्रेणी में आते हैं क्योंकि जिस समाज में हम रहतें हैं उसी को गंदा कर रहें हैं।

यहां बात भ्रष्टाचार की नहीं बल्कि उस कूडे़- कर्कट की है जो हमारें चारों तरफ फैला है और कूडेदान एक तरफ खडे़- खडे़ गंदगी का मुँह ही ताकते रह जातें हैं और तो और सड़क के किनारें, दीवारों की ओट को शौचालय का रूप देकर दिन-रात गंदगी में इजाफा किया जा रहा है। सड़क पर चलते हुए थूकना और पूरी सड़क को कूडादान समझना आम बात है। अगर यह पढ़े- लिखे सभ्य समाज को चित्रित करता है तो गाँव वालों को किस श्रेणी में रखेंगें क्योंकि वो तो वैसे भी अनपढ़, सीधे-साधारण गरीब, किसान और मज़दूर होतें हैं।

भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के अन्तर्गत गाँव वासियों की सोच में एक ऐसा बदलाव, ऐसी जागरूकता देखने को मिली जिसकी सपनें में भी कल्पना नहीं की जा सकती थी। बस, यहीं मुझे पुस्तक लिखने का मकसद मिल गया कि आज जो अहसास इन गाँव वासियों को हो रहा है उसकी महक उन लोगों तक भी पहुँचे जो अभी तक इससे अछूते हैं। मैनें अपनी तरफ से पुस्तिका में स्वच्छता और उससे आए बदलाव के बारे में जानकारी देने की पूरी कोशिश की है और मुझे उम्मीद ही नही पूरा विश्वास है कि इसको पढ़ने के बाद आप भी और लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने में मदद करेंगें।
अहसास ……………स्वच्छता का

“देशोऽस्ति हरयाणारव्यः पृथिव्यां स्वर्गसनिन्नभः” यानि हरियाणा नाम का एक देश हैं जो धरती पर स्वर्ग के समान है। यह विक्रमी संवत् 1385 के शिलालेख से उद्घृत है जो दिल्ली के निकट सारवान गाँव से मिला है।

सन् 2005 में जिला फतेहबाद के निकट भिरड़ाना गाँव में खुदाई के दौरान एक ऐसी सभ्यता मिली जो स्वच्छता से रहती थी। खुदाई के दौरान नालियाँ और मुख्य नाला इस ढ़ंग से बनाया गया था कि ऐसा मालूम देता था कि जिस समय यहां लोग रहते होंगें उस समय गंदगी का नामो-निशान नही होगा क्योंकि घर-घर में नालियाँ इस सफाई से बनाई गई थी कि पानी रूकने या जमा होने का कोई मतलब ही नही था।

सफाई, एक अनमोल गहना है जिसे हर एक अपने पास रखना चाहता है पर उसे सहेज कर रखने के चक्कर में वो इसे सम्भाल कर नहीं रख पाता और नतीजा…….. हमें चारों तरफ गंदगी, कूडे़, कीचड़ आदि का साम्राज्य मिल जाता हैं। बात शहर की हो या गाँव की, गन्दगी हर जगह हैं। हाँ, अगर तुलना की जाए तो गाँव में गंदगी का तो बहुत ही बुरा हाल है। गलियों में जमा पानी, रूढि़यों के ढे़र, कूड़ा-कर्कट और तो और बाहर खेतों में शौच जाते गाँव-वासी गन्दगी और फैलती जानलेवा बीमारियों में बढ़-चढ़ कर योगदान दे रहें हैं।

ना तो उन्हें कोई समझाने वाला है और ना ही कोई जागरूक करने वाला। जबकि इतिहास के पन्ने पलटने पर हम पढ़ते है कि खाना खाने से पहले और खाने के बाद हाथ धोना, प्रतिदिन नहाना, कमरे मे जाने से पहले चप्पल-जूतें उतारना, बिना स्नान किए रसोई में ना जाना, प्रसूति के बाद माँ तथा बच्चें को कुछ समय के लिए संक्रमण से बचाने के लिए अलग कमरें में रखा जाता था। व्यक्तिगत स्वच्छता का उल्लेख मनुस्मृति में भी मिलता है। मोहनजोदाड़ो और हड़प्पा की खुदाई भी स्वच्छता की साक्षी रहीं हैं।
आज जबकि देश इतनी प्रगति कर रहा है। हर रोज नई-नई वैज्ञानिक खोजें हो रही है ऐसे में लोग गन्दगी से दूर क्यों नहीं जा पा रहें? क्यों वो घर और गलियों के आगे इकट्ठा बदबूूदार पानी देखकर भी कुछ नहीं करते? क्यों मच्छरों को उन्होनें अपनी नियति समझ लिया है और क्यों सदियों पुरानी चली आ रही खुल्ले में शौच जाने आदत से उन्हें इतना भावनात्मक लगाव है।

 

देखा जाए तो क्यों यानि प्रश्न बहुत हैं। आखिर कोई तो रास्ता होगा इससे बाहर निकलने का। जबकि सभी को पता है कि स्वच्छता और स्वच्छ पेयजल की कमी से 80ः बीमारियाँ पैदा होती हैं। प्रति वर्ष विश्व भर में 5 वर्ष से कम आयु के 15 लाख बच्चें मौत के शिकार बनते हैं।
आंकड़ा सुनकर सिरहन दौड़ जाना स्वाभाविक है पर स्वाभाविकता से परे एक कटु सत्य है और वो है कैसे भी करके गंदगी को दूर भगाना, लोगों को अच्छे रहन-सहन के तरीकों की जानकारी देना, बेकार पानी की निकासी, पीने के पानी की सम्भाल, कूडे़-कर्कट के साथ-साथ मानव मल का सही ढ़ंग से निपटान, व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ-साथ ग्रामीण स्वच्छता को जान कर, समझ कर उस पर अमल करना।
इन्हीं सभी बातों को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर प्रयास किए जाते रहे और सन् 1986 में भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम (सी0आर0एस0पी0 ) की शुरूआत की गई। सन् 1999 में भारत सरकार द्वारा सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान की शुरूआत की गई।

sawacchta book by monica gupta

स्वच्छ भारत अभियान के असली हीरो

स्वच्छता अभियान और मेरे मन की बात – Monica Gupta

क्लिक करिए और सुनिए स्वच्छता अभियान पर 4 मिनट और 35 सैकिंड की ऑडियो… मेरा अनुभव स्वच्छता अभियान और मेरे मन की बात बात स्वच्छता अभियान के दौरान की है. जब गांव गांव जाकर लोगों को जागरुक किया जा रहा था.लोगो को समझाया जा रहा था कि खुले मे शौच नही जाओ आसान नही था क्योकि सदियों से चली आ रही मानसिकता बदलना मुश्किल था.

https://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/07/audio-sani.mp3 क्लिक करिए और सुनिए स्वच्छता अभियान पर  4 मिनट और 35 सैकिंड की ऑडियो… मेरा अनुभव बात स्वच्छता अभियान के दौरान की है. Read more…

स्वच्छ भारत अभियान के असली हीरो

August 8, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्वच्छ भारत अभियान और बच्चों की भूमिका

स्वच्छ भारत अभियान के असली हीरो

स्वच्छ भारत अभियान और बच्चों की भूमिका

स्वच्छता अभियान के दौरान, गांव के  बच्चों मे स्वच्छता के प्रति उत्साह देख कर हमनें ये वीडियो बनाई थी

सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान, सिरसा , हरियाणा , गांव सिकंंदरपुर

बात उन दिनों की है जब हरियाणा के सिरसा में सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान जोरो शोरो से चला हुआ था और सभी गांव वाले एक जुट होकर अपने अपने गांव को स्वच्छ बनाने में जुटे थे. तभी हमने यह महसूस किया कि बच्चे इस अभियान को बहुत गम्भीरता से ले रहे हैं और अपने गांव की न सिर्फ निगरानी कर रहे हैं बल्कि जो भी बाहर शौच के लिए जाता है उसे समझाते हैं और जो नही समझता उसकी शौच पर मिट्टी डाल कर आते ताकि बीमारी न फैले … ये देख आदमी इतना शर्मसार हो जाता  कि वो कुई बना कर उसी में जाने लगा… !!!

बेशक, बच्चों को  जिला प्रशासन और टीचर्स ने मिलकर गाईड किया पर उन्होनें इसके महत्व को समझा और स्वच्छ  गांव  बनाने में जुट गए. कभी रैली निकालना तो कभी खुद झाडू लेकर सफाई में जुट जाना …उनके इसी जोश को देख कर हम भी प्रेरित हुए और बच्चों की वीडियों बना डाली. उन दोनो शकंर अहसान जी का ये गीत बहुत सुर्खियों में था और  इस गाने पर कोई थीम बेस्ड वीडियो भी बनानी थी तब हमने इसे बनाया  स्वच्छता पर …

sawacchta-book-by-monica-gupta

स्वच्छता के नारे – Monica Gupta

• 1-2-3-4, कुर्इ खुदवा लो मेरे यार read more at monicagupta.info

वैसे स्वच्छता को लेकर आपकी क्या सोच है जरुर बताईगा … !!!

 

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