Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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August 7, 2015 By Monica Gupta

आतंकवाद

cartoon jail by monica gupta

 

आतंकवाद

 बडा दुख होता है कि आतंक की धटनाए लगातार बढती ही जा रही हैं और उससे भी ज्यादा दुख यह देख कर होता है कि हम मे से ही कुछ लोग आतंकी की पैरवी करने पहुंच जाते हैं..

Sorry folks, Naved’s not Kasab: Udhampur gunman shows Pak jihadi factories’ desperation – Firstpost

Pakistan should start worrying about the quality of terrorists it is sending to India.

A boy-turning-man who bleats ‘mujhe mat pakdo’ when caught by villagers; smiles sheepishly when questioned about his motives; gives replies incoherently when grilled about his target and immediately reveals his name, address and nationality…is this all the terror training industry in Muzzafarabad could conjure in its ugly fight against India?

The abject decline in standards is visible. Mohammad Naved alias Qasim Khan alias Usman Khan is not even an Ajmal Amir Kasab, himself a semi-unhinged petty criminal who was brainwashed by the trainers for attacking India. See more…

August 7, 2015 By Monica Gupta

Cartoon Sansad

cartoon politics by monica gupta

Cartoon Sansad

दस दिन हो गए पर संसद में मानसून सत्र की कार्यवाही एक दिन भी नही चली. वही कुछ लोग अपने ग्रहों को कोस रहें हैं तो  वहीं मेरी  ये पात्रा संसद  की ग्रह दशा जानने के लिए पंडित जी के पास पहुंच गई…

 

 

August 6, 2015 By Monica Gupta

Entertainment

cartoon politics by monica

Entertainment

बड बोले बयान मे हम आगे… काम न करने में हम आगे … धरना देने मे हम आगे … चैनलो पर अब तो सास बहू से भी ज्यादा लडाने भिडाने में हम आगे, टीआरपी बटोरने में हम आगे…. बोलो फुल्ल टू एंटरटेनमैंट Entertainment करते है या नही … बताओ करते हैं या नही … बोलो करते हैं या नही !!!

अब भई फिल्मों का तो पता नही कि एंटरटेनमैंट से चलती है या नही पर इतना पक्का है कि हमारी राजनीति में एंटरटेनमैंट के सभी गुण हैं और यही वजह है कि ये आज के समय मे सभी सास बहू सीरियल को हटाती हुई टीआरपी के मैसान में सबसे आगे चल रही है … कोई शक या सवाल ???

August 3, 2015 By Monica Gupta

पहला कदम पहली मुस्कान – एक अविस्मरणीय अनुभव

कहानी -थकावट ( मोनिका गुप्ता)

पहला कदम पहली मुस्कान – एक अविस्मरणीय अनुभव

टेलिविजन पर एक विज्ञापन आता था. वो पहला कदम पहली मुस्कान…. जिसमे मम्मी अपने नन्हे से  बच्चे को चलना सीखाती है और एक दिन उसे उसी के नन्हे नन्हे पैरो से डगमगाते हुए चलते देख कर भावुक हो जाती है.

सच मे समय ऐसे ही बदलता रहता है.आज जो बच्चे थे वो अब बडे हो रहे हैं और वो अपने बडो को भी सीखा रहे हैं अब आप सोच रहे होगें कि बच्चे क्या सीखाएगे. हैरान होने की जरुरत नही अब आप खुद ही देखिए अगर कुछ नेट पर,मोबाईल पर मैसेज या फोटो कैसे लेनी है या कुछ भी पूछना है तो बच्चो को सारी जानकारी होती है इसलिए यह सब हम बच्चो से ही तो सीखते हैं.

escelator photo

अब देखिए ना बडे बडे शहरो मे मैट्रो चलने लगी हैं. शापिंग माल, पीवीआर इत्यादि खुल गए हैं. अब वो इतने बडे यानि बहुमंजिला होते हैं  कि  उसमे लिफ्ट भी होती है और ऐस्कीलेटर भी.ये भी सब नए जमाने की तकनीक है और हमे इनके साथ भी चलना चाहिए पर कई बार डर भी लग जाता है.

मेरी सहेली मणि ने बताया कि उसका बडा बेटा गुडगाव मे सर्विस कर रहा है जब वो उससे मिलने गए तो उन्होने पिक्चर का प्रोग़ाम बना लिया. उस पीवीआर और शापिगं माल पर ऐस्कीलेटर था. पता नही पर मणि  को उससे बहुत डर लगता था तो  बस उसने  ऐलान कर दिया कि वो किसी भी हालत मे इस पर नही जाएगी और वो सभी बिना पिक्चर देखे वापिस जाऐगे.

ऐसे मे मणि का बेटा पहले तो मम्मी को समझाता रहा फिर उसने बहुत प्यार और नर्मी  से मम्मी का हाथ पकडा और मासूमियत से बोला कि बस जैसे मै कहू वैसे ही करते रहना. मणि की दिल की धडकने बढे जा रही थी और पैर कापें जा रहे थे. लाख मना करने के बावजूद बेटा नही माना और बडो की तरह समझाते हुए उस ऐस्कीलेटर पर पहला कदम रखने को कहा. जब मणि की  एक ना चली तो उसने हिम्मत दिखाई और कुछ ही पलो मे वो ऊपर की ओर जा रहे थे.

ऐसी ही हिम्मत बढाने के लिए उसने दो तीन चक्कर और लगवाए इससे मणि का  पूरा डर खुल गया. उसने मुझे बहुत भावुक होते हुए बताया कि उसे वो समय याद आ गया जब बचपन मे वो बेटे को  चलना सीखाती थी और  जब वो चलते चलते  जमीन पर गिर जाता था था तो कभी झूठ मूठ से फर्श की पिटाई करती और कभी कहती ओ देखो ये तो चींटी मर गई आपके नीचे आकर. आज बातो बातो मे बॆटे ने भी बहुत सारे कारण देकर उसका ध्यान बांटा  और उसके अंदर छिपे हुए डर को चुटकियो मे भगा दिया. तो बताईए परिवर्तन अच्छे ही हुए ना.

मणि की बातो ने, सच मे, सोचने को मजबूर कर दिया कि समय के साथ हमेशा मिलकर चलने मे ही भलाई है.कोई बडा छोटा नही होता.सभी से मिलकर दोस्त बन कर रहना चाहिए.हम सभी एक दूसरे के काम आते है और यही तो है परिवार.बात यह भी नही है कि बेटी बेटे की बजाय ज्यादा ध्यान रखती है यह हमारी अपनी सोच है जैसा आप परिवार मे माहौल देंगे आपको वैसा ही मिलेगा.

कल आपने बच्चे को उंगली पकड कर चलना सीखाया आज वो आपकी आप उंगली थाम कर चल रहे हैं. किसी ने सच ही कहा है कि रिश्ते हथेली पर मिट्टी की तरह होते हैं यदि ढीले से पकडेगें तो वो रहेगे और अगर कस कर पकडेगे तो आपकी ऊगलियोँ मे से निकल जाएगे. अपना छोटा सा संसार सहेज कर रखे आपको यह परिवर्तन प्यारा लगेगा.

पहला कदम पहली मुस्कान – एक अविस्मरणीय अनुभव  को लेकर अगर आपकी कोई राय या अनुभव हो तो जरुर बताईएगा

परवरिश       भी जरुर पढिएगा

 

कैसा लगा आपको ये लेख … जरुर बताईएगा 🙄

August 3, 2015 By Monica Gupta

मौन व्रत

cartoon by Monica gupta

मौन व्रत

कई बार खबरों की वजह से विचारो की गहमा गहमा इतनी ज्यादा हो जाती है कि मौन रहना ही सर्वोतम है

August 2, 2015 By Monica Gupta

नया साल और संकल्प

satire by monica gupta

satire by monica gupta

 

( व्यंग्य )

नया साल और संकल्प

 

उफ्फ …!!! आखिरकार नए साल मे मैने क्या संकल्प लेना है सोच ही लिया .अब आपसे क्या छिपाना …हर साल जब भी नवम्बर समाप्त होने लगता और दिसम्बर जी का आगमन होता. मन मे अजीब सी बैचेनी करवट लेने लगती कि नए साल मे नया क्या क्या करना है और क्या क्या नही करना है.बस इसी उधेड बुन मे पूरा समय निकल जाता पर भगवान का लाख लाख शुक्र है कि इस साल यह नौबत ही नही आई और समय से पहले ही डिसाईड हो गया.

पता है, पिछ्ले साल मैने यह सोचा था कि सच बोलना शुरु कर दूगी. अरे नही.. नही … आप गलत समझ गए.असल मै, वैसे मै, झूठ नही बोलती पर ना जाने क्यू टीवी पर सच का सामना देख कर डर सी गई थी इसलिए बोल्ड होकर यह निर्णय लिया कि यह आईडिया ड्राप.फिर सोचा था कि कुछ भी हो जाए पतली हो कर दिखाऊगी पर पर पर .. सर्दियो के महीने मे ऐसा विचार मन मे लाना जरा मुश्किल हो जाता है.सरदी की गुनगुनी धूप हो,रजाई हो और गर्मा गर्म पराठे हो और उस तैरता और पिधलता मखन्न.मन भी पिधलना शुरु हो जाता अब ऐसे मे भला खाने पर कैसे ब्रेक लग सकती है.चलो इसे भी सिरे से नकार कर यह सोचा कि सुबह शाम की सैर ही शुरु कर दी जाए. इस पर तुरत अमल करना भी शुरु कर दिया था पर दो ही दिन मे यह मिशन फेल होता सा प्रतीत हुआ. असल मे , ऊबड खाबड सडके, सडको पर मस्ती मे धूमते आवारा बैल,और गंदगी के ढेर के साथ साथ सीवर के ढक्कन गायब.अब बताईए ऐसे मे हाथ पैर तुडवाने से अच्छा है कि कुछ और सोचा जाए.

वैसे सोचा तो मैने यह भी था कि नए साल मे किसी पर गुस्सा नही करुगी.चेहरे पर स्माईल रखूगीं. पिछ्ले साल 31 की रात सबसे यही कह कर सोई कि सभी 1 जनवरी को सुबह सुबह मंदिर चलेगे .मै तो सुबह सुबह तैयार हो गई पर कोई सुबह उठने को तैयार ही नही था. मुस्कुराते मुस्कुराते उठाती रही पर रात को देर से सोने के चक्कर मे सभी गहरी नींद मे थे. इतने मे काम वाली बाई आ गई. उसे पता नही क्या हुआ. बर्तनो को जोर जोर से शोर करते हुए धोने लगी .एक तो देर से आई ऊपर से मुहं बना रखा था इसने. मैने खुद को संयत किया कि मोनिका स्माईल … कंट्रोल कर… कहती हुई ताजा हवा लेने के लिए खिडकी पर जा खडी हुई कि अचानक मेरी नजर पडोसियो की नई चमचमाती कार पर पडी शायद कल ही के लर आए थे.बस आगे आपको बताने की जरुर नही कि ….. !!!!

इस साल भी यही विचार चल रहा था कि नए साल मे क्या संकल्प लिया जाए कि पूरा भी किया जा सके. घर के एक बडे बुजुर्ग ने सुझाया कि हम लोगो को तीर्थ यात्रा करवा दिया करो हर चार महीने मे एक बार. पुण्य मिलेगा.बात जमी नही और मै बच्चो के कमरे मे गई तो बच्चे कहते कि छोडो मम्मी… हर महीने हमे पिक्चर और पिकनिक पर ले जाया करो.काम वाली बाई भी कहा पीछे रहने वाली थी बोली कि मेरी पगार बढा दो और छुट्टी भी बढा दो. बाहर निकली तो ये बोले कि तुम फुलके पतले नही बनाती जरा श्रीमति ऋतु से सीख लो इतने पतले,मुलायम और गोल गोल चपाती बनाती है और कृष्णामूति से डोसा बनाना भी सीख लो … खश्बू से ही मुहं मे पानी आ जाता है.वो बात कर ही रहे थे कि इतने मे मेरी सहेली मणि का फोन आ गया उसने राय दी कि दो चार किट्टी पार्टी ज्वायन कर ले. थोडी सी चालाक बन बहुत भोली है तू.!!! अगले साल ही तुझे सोसाईटी की सैकट्ररी ना बनवा दिया तो मेरा नाम मणि नही!! मैने कोई बहाना कर के तुरंत फोन रख दिया.उफ्फ !!!किस की सुनू किस की ना सुनूं… देखा कितना टेंशन था.

 

अब आपको भी टेंशन हो रही होगी कि आखिर इस साल मैने क्या सकंल्प लिया है. तो सुनिए … पिछ्ले दो तीन सालो के अनुभव को देखते हुए… बहुत सोच विचार के मै इस नतीजे पर पहुंची हूँ कि चाहे कुछ भी जाए बस बहुत हुआ. अब और नही इसलिए इस साल … इस साल … इस साल … नए साल के लिए कोई सकंल्प ही नही लूगी.इसलिए मै खुश हू और बहुत ही खुश हूं ..

कैसा लगा आपको ये व्यंग्य     नया साल और संकल्प   जरुर बताईगा 🙂

दैनिक भास्कर की मधुरिमा मे प्रकाशित

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