Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

  • About Me
  • Blog
  • Contact
  • Home
  • Blog
  • Articles
    • Poems
    • Stories
  • Blogging
    • Blogging Tips
  • Cartoons
  • Audios
  • Videos
  • Kids n Teens
  • Contact
You are here: Home / Archives for बच्चों की कहानियाँ

April 25, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी

बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी

बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी – chocolate सभी बच्चों को अच्छी लगती है … कितनी खिला दो पर कभी मन नही भरता … पर आपने कभी सुना है कि कोई बच्चा ये कहे कि मुझे चाकलेट नही खानी मुझे दूध दो , खाना दो,  दाल दो,  सब्जी दो पर  चॉकलेट नही खानी … .. नही … पर ऐसा हुआ था …

बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी

सच में ऐसा हुआ पर कहानी में … एक कहानी बहुत समय पहले मैने लिखी थी… चॉकलेट की बेटी … बहुत सारी मम्मियों  की और कुछ नन्न्हें दोस्तो की फरमाईश थी कि बच्चों की कहानी  सुनाओ … तो मैं आपको सुनाती हूं  कहानी chocolate की बेटी ..

कहानी है 10 साल की मणि की … बहुत शरारती है … मम्मी की बेटी या पापा की बेटी नही बल्कि चॉकलेट की बेटी है …

 

 

चॉकलेट day , चॉकलेट डे , छोटी बाल कहानी , बच्चों की कहानियाँ , बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ , छोटी बाल कहानी , लघु बाल कहानियां , रोचक बाल कहानी ,  बाल साहित्यकार, हिन्दी बाल कहानियाँ , बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी

Subscribe to my channel for more  videos:
https://monicagupta.info/subscribe-youtube-channel

 

March 31, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

पशु प्रेम पर बच्चों की कहानी – गाय के बारे में शिक्षाप्रद कहानी

 Art of Public Speaking in Hindi

पशु प्रेम पर बच्चों की कहानी  – गाय के बारे में शिक्षाप्रद कहानी – Moral Stories For Kids In Hindi – पशु पक्षियों का महत्व हमारी जिंदगी में बहुत है. पशु और पक्षी हमारे मित्र समान ही हैं. पशु पक्षियों के प्रति हमारा व्यवहार बहुत अच्छा होना चाहिए.

पशु प्रेम पर बच्चों की कहानी – गाय के बारे में शिक्षाप्रद कहानी

थोडी देर पहले कुछ बच्चों की बाहर से आवाजें आ रही थी … मैं  देखने के लिए बाहर आई तो देखा कि पांच सात बच्चे एक गाय को तंग कर रहे हैं एक बच्चा जोर जोर से  पूंछ खींच रहा था बाकि सब जोर जोर से हंस रहे थे …

मैं बोल पडी अरे क्या कर रहे हो … और बच्चे आवाज सुन कर भाग गए … और दूसरी तरफ गाय चुपचाप चली गई …

जब गाय जा रही थी तो मुझे याद आई मेरी एक कहानी जो मैने बहुत समय पहले लिखी थी … चलिए आज मैं आपको वही कहानी सुनाती हूं

कहानी का नाम है गाय को रोटी …

 

‘‘गाय को रोटी’’  मैं हूं मणि। अभी अभी चौथी कक्षा में हुई हूं। आप सोच रहे होंगे कि मेरे तीसरी कक्षा में कितने नम्बर आए। असल में हमें नम्बर नहीं ग्रेड मिलता है। मुझे ‘‘ए’’ग्रेड मिला था। नई-नई कॉपी, किताबें, नया स्कूल बैग बड़ा अच्छा लग रहा था। कुछ दिनों बाद छुट्टियां शुरू हो गई। मम्मी ने बताया कि वो दादा जी की बहन यानि पापा के बुआ जी गांव जाएंगे। मैं गांव कभी नहीं गई थी। पर गांव के लोग कैसे होते हैं, मुझे अच्छी तरह से पता है।

 

https://www.facebook.com/linkmonicagupta

 

गांव के भोले भाले बच्चों पर मैं खूब धाक जमाऊंगी। अगले दिन सुबह-सुबह ही हमने गांव जाना था। मैंने तीन चार सुंदर-सुंदर ड्रैस, उसी से मेल खाते रंग-बिरंगे चश्मे, सैडि़ल और छतरी भी अटैची में रख लिए। शाम होते-होते हम गांव पहुंच गए। गांव का वातावरण शहर से एकदम अलग था।

खुल्ले-खुल्ले घर, घरों में हैंडपंप, चौड़े-चौड़े रास्ते….सब बहुत अच्छा लग रहा था। घर के बाहर कितना भी,कैसे भी खेलो, किसी गाड़ी या स्कूटर का डर नहीं। घर में तो मैं छोटी सी जगह में ही बैडमिंटन खेलती हूं पर यहां तो जगह ही जगह थी।

पापा की बुआ यानि दादी जी के गांव में मेरे बहुत सारे दोस्त बन गए। बबीता, मोहन, कर्ण, सुनीता और रेखा से तो मेरी जल्दी ही अच्छी दोस्ती हो गई थी।

पहले पहल तो वो सब मेरे चश्मे और छतरी से दूर भागते रहे, पर दोस्ती हो जाने के बाद उनका डर दूर भाग गया। मैंने अपनी सब चीजें उनको इस्तेमाल करने के लिए भी दीं। वो सब बहुत ही शरीफ बच्चे थे लेकिन मैंने दो ही दिन में उनको शरारती बना दिया।

दादी जी पशुओं और पक्षियों को बेहद प्यार करती थीं। पक्षियों को दाना डालना और गाय को गुड और रोटी देना कभी नहीं भूलती थी।

हर सुबह और शाम, दिन छिपने से पहले एक गाय हमेशा आती थी। एक दिन उस गाय को रोटी खिलाते-खिलाते दादी जी ने बताया कि चाहे कुछ भी हो जाए, यह गाय यहां गुड़ और रोटी खाने जरूर आती है।

दादी जी की बात गलत साबित करने के लिए मैंने एक दिन एक तरकीब बनाई। मोहन कुछ पटाखे ले आया और शाम को गाय जब रोटी खाने आई तो मैंने चुपचाप उसकी पूंछ पर पटाखे बांध दिए। दादी जी गाय को रोटी देकर अंदर चली गई।

माचिस मुझे जलानी नहीं आती थी तो मोहन ने ही मेरी मदद की। आग लगते ही पटाखे फटफट करके जलने लगे। धागा ठीक से नही बांधा था इसलिए पटाखे जमीन पर ही गिर गए पर शायद एक पटाखा गाय को लग गया था और वो घबरा कर भाग गई पर इसकी सजा हमें बहुत बड़ी मिली। मोहन को तो उसी समय उसकी बहन ले गई और मुझे कमरे में बंद कर दिया गया

अगले दिन मौसम बहुत अच्छा था और मेरा मन कहीं बाहर जाने को कर रहा था। दादी जी सो रही थी। मम्मी पापा भी पास वाले गांव में किसी से मिलने के लिए गए हुए थे। मुझे बबीता ने अपने घर का पता बताया था और आने के लिए भी काफी बार कहा था।

वो कह रही थी कि उसके घर के पास बहुत सारे खेत हैं। वहां खेलने में बहुत मजा आएगा। मैंने सोचा कि चुपचाप निकल जाती हूं और दादी जी के उठने से पहले ही वापिस आ जाऊंगी। मैं बबीता के बताए रास्ते पर दौड़ पड़ी। दिन का समय था इसलिए मुझे डर भी नहीं लग रहा था पर अचानक देखते ही देखते आसमान में बादल इतने ज्यादा हो गए कि अंधेरा सा हो गया।

बरसात भी शुरू हो गई। दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था। मैं तो डर के मारे रोने लगी। जल्दबाजी की वजह से किस रास्ते से आई थी यह भी याद नहीं रहा। उधर जमीन पर बहुत पानी जमा हो गया था और पता ही नहीं चल रहा था कि कहां सड़क है और कहां नहीं।

दो तीन बार तो मैं बहुत बुरी तरह से गिरी। अंधेरा बढ़ता ही जा रहा था। मुझे अपने ऊपर गुस्सा आ रहा था…हुंह, बड़ा समझती है अपने आपको।

अब जान निकल रही है। किसी को बता कर आती तो शायद कोई खोजता हुआ आ भी जाता। अब बैठ यहां और रो जोर से…और मैं जोर-जोर से रोने लगी। धीरे-धीरे बरसात कुछ कम हो गई थी। मैं एक पेड़ से चिपक कर बैठी हुई थी।

तभी मुझे किसी के चलने की आवाज आई। मैं बहुत बुरी तरह से डर गई। आवाज धीरे-धीरे पास आ रही थी। मैं आंखें बंद कर ली। फिर आवाज आनी बंद हो गई।

मैंने आहिस्ता से अपनी आंखें खोली तो देखा कि जो गाय रोज दादी जी के घर रोटी खाने आती थी, वही गाय मेरे पास खड़ी पूंछ हिला रही थी। वही पूंछ जिस पर मैंने पटाखे बांधे थे।

उसकी पूंछ पर अब भी जलने के निशान थे। अनायास ही मैं उससे लिपट गई। अब मेरा डर कुछ कम हो गया था। फिर उसने धीरे-धीरे चलना शुरू कर दिया। मैं भी चुपचाप उसके ऊपर हाथ रखकर चलती रही। कुछ ही देर में हम खेत वाले रास्ते से निकलकर घर वाले रास्ते पर पहुंच चुके थे।

अब मुझे रास्ता भी याद आ गया था। लेकिन मैं फिर भी गाय के साथ-साथ ही चलती रही। कुछ ही देर में हम घर पहुंच गए। घर के बाहर बहुत लोग खड़े थे।

दादी जी ने काफी लोगों को इकट्ठा कर रखा था। मेरे लिए सब परेशान हो रहे थे। मुझे देखते ही दादी जी की जान में जान आई। आंखों में आंसू लिए उन्होंने मुझे गले से लगा लिया।

मैं भी उनसे गले लग कर रोने लगी। फिर मैंने गाय की पीठ पर प्यार से हाथ फेरते हुए उन्हें सारी बात बताई कि किस तरह आज इस गाय की वजह से ही मैं घर वापिस लौट पाई हूं।

काले बादल अब धीरे-धीरे छंट गए थे। ठीक उसी तरह मेरे मन से भी अहंकार के बादल छंट गए थे। मैंने दादी जी से कहकर पशुओं के डाक्टर को बुलवाया और गाय के जख्मों पर दवाई लगवाई।

उस दिन के बाद से मैं भी दादी जी के साथ उस गाय को गुड़ और रोटी खिलाने लगी। मुझे यह सब बहुत अच्छा लगने लगा। शहर लौटते वक्त मैंने दादी जी से वायदा किया कि आगे से मैं कभी भी किसी भी पशु या पक्षी को तंग नहीं करूंगी, बल्कि उनकी ही तरह से सभी को प्यार करूंगी।

 

पशु और पक्षी का हमारे जीवन में महत्व – पशु पक्षी हमारे मित्र है – YouTube

https://monicagupta.info पशु और पक्षी का हमारे जीवन में महत्व – पशु पक्षी हमारे मित्र है पशु पक्षियों के संरक्षण, भारतीय पक्षी, पशु पक्षियों के प्रति प्रे… Read more…

 

पशु और पक्षी हमारे मित्र ,

पशु पक्षियों के प्रति हमारा कर्तव्य,

पशु प्रेम,

पशु प्रेम पर कहानी ,

पशु पक्षियों के प्रति हमारा व्यवहार,

पशु पक्षियों का महत्व,

पशु पक्षी पर निबंध , बच्चों की कहानी हिंदी में ,

पशु पक्षियों के प्रति हमारा व्यवहार , गाय के बारे में , बच्चों की मनोरंजक कहानी ,

बच्चों की कहानी , गाय पर कहानी , बच्चों की छोटी कहानियाँ , बच्चों की मनोरंजक कहानियाँ , गाय पर कहानी – पशु प्रेम पर बच्चों की कहानी ,

पशु पक्षियों के प्रति हमारा व्यवहार  , बच्चों की कहानियाँ , बच्चों की कहानी , छोटे बच्चों की कहानी , storytelling in hindi for kids , Moral Stories For Kids In Hindi , stories for kids in hindi with moral, शिक्षाप्रद बच्चों की कहानी ,

 

पशु पक्षियों का महत्व हमारी जिंदगी में बहुत है. पशु और पक्षी हमारे मित्र समान ही हैं. पशु पक्षियों के प्रति हमारा व्यवहार बहुत अच्छा होना चाहिए.

पशु प्रेम पर बच्चों की कहानी

November 13, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

बच्चों का व्यक्तित्व विकास कैसे हो – बच्चों में छिपी प्रतिभा पहचानिए

दूसरों की मदद करना अच्छा – एक प्रेरक कहानी

बच्चों का व्यक्तित्व विकास कैसे हो – बच्चों में छिपी प्रतिभा पहचानिए – आज के इस बदलते दौर में हमें अपने बच्चों में छिपी हुई प्रतिभा को पहचान कर दुनिया के सामने रखना होगा … पढाई के साथ साथ अन्य क्षेत्रों में भी उनका मनोबल बढाना होगा…

बच्चों का व्यक्तित्व विकास कैसे हो – बच्चों में छिपी प्रतिभा पहचानिए

थोडी देर पहले कुछ बच्चे आए और पूछ्ने लगे कि 14 नवम्बर को हमारा कोम्पीटिशन है फैंसी ड्रेस में हमें क्या बनना चाहिए दो बच्चे चित्रकारी मे हिस्सा ले रहे थे और दो बच्चे रेस में … कुल मिला कर बहुत बहुत उत्साहित थे… सच मे … उन्हॆ 14 नवम्बर की खुशी इसलिए थी कि कुछ अलग कर दिखाने का मौका मिलेगा..

वही पेरेंटस भी अपना प्रोग्राम बना रहे हैं कोई पिकनिक पर जा रहे हैं तो कोई कि मूवी और फिर डिनर पर जाने का प्रोग्राम बना रहे है… और कोई जानना चाह रहा है कि क्या गिफ्ट चाहिए … मेरे विचार से अगर पेरेंटस बच्चों को कुछ देना ही चाह्ते हैं तो उनके भीतर छिपी प्रतिभा को बाहर लाए उन्हें प्रोत्साहित करें

बच्चो को कभी कम नही समझना चाहिए कई बार बच्चे कुछ ऐसा काम कर जाते हैं कि बडे भी हैरान हो जाते हैं … बहुत समय पहले मैने एक कहानी पढी थी  …  कहानी कुछ ऐसे थी कि एक लडकी होती है

6 क्लास मे पढती है … मम्मी ने दाल चावल बनाए होते हैं और लडकी खाना न्ही खा रही होती है मम्मी गुस्सा करती है और पापा उसे कहते हैं अगर उनकी बेटी सारा खाना खत्म कर देगी तो जो वो कहेगी वही उसे मिलेगा …

लडकी पापा से प्रोमिस ले लेती है कि पक्का ना … आप देंगें न मुझे जो मैं कहूंगी … पापा हामी भरते है … लडकी फटाफट सारा खाना खा जाती है खाना खाकर वो पापा से कहती है अब पूरा कीजिए अपना वायदा

… पापा हसंते हुए कहते हैं बताईए मेरी राजकुमारी का क्या हुक्म है … क्योकि उन्हें लगता है कि छोटी मोटी चीज की ही फरमाईश होगी … पर लडकी की बात सुनकर वो सकते में आ जाते हैं … पता है बिटिया क्या कहती है वो कहती है कि मुझे गंजा होना है और वो भी अभी … मम्मी पापा हैरान …

मम्मी का गुस्सा तो सातवें आसमान पर पहुंच जाता है … पापा पहले मम्मी को शांत करते हैं फिर बेटी को समझाते हैं पर वो जिद कर लेती है कि अपना किया प्रामिस पूरा करो … बहुत समझाने के बाद पापा को बाल कटवाने लेकर ही जाना पडता है और उस दिन पूरा दिन तनाव रहता है अगले दिन वो स्कूल छोडने जाते है और ये सोचते है कि बच्चे कया कहेंगें टीचर क्या कहेगी कि ये क्या …

जैसे ही वो स्कूल पहुंचते है इतने में एक कार और आती है … उनकी बेटी फटाफट कार से बाहर निकलती है और दूसरी कार से भी एक लडकी बाहर निकलती है और वो भी बिल्कुल गंजी थी …

पिता देख ही रहे होते है तभी उस कार से एक महिला बाहर निकलती है और रोते हुए बोलती है कि भाई साहब आपकी बेटी बहुत महान है … उन्हें समझ नही आया कि गंजा होना क्या महानता दर्शाता है  तब उस महिला ने बताया कि उनकी बेटी को कैसर है और अब वो ठीक हो रही है क्योकि ईलाज के दौरान उसको गंजा किया गया और अभी बाल नही आए बेटी स्कूल आना चाहती थी पर गंजे होने पर उसका मजाक बनाया जाएगा इस वजह से नही आ पा रही थी पर जब आपकी बेटी को पता चला तो उसने कहा कि आप कल स्कूल जरुर आना …

आज आपकी बेटी को भी गंजा देखा … पिता अब समझ चुके थे कि इनकी बेटी ने कितना बडा काम किया कल तक जो गुस्सा आ रहा था

आज वो प्यार में बदल चुका था … इस कहानी को बताने का  मतलब यही है कि बच्चो को कम नही वे समझए जिस भी फील्डड में वो है उन्हे आगे लाएं और एक नया आसमान दें …

बच्चा बनना बच्चो का खेल नही है …

 

बच्चों का व्यक्तित्व विकास कैसे हो – बच्चों में छिपी प्रतिभा पहचानिए
चिल्ड्रन स्टोरीज, बच्चों की कहानियाँ, बाल दिवस पर भाषण, बाल दिवस पर प्रेरक कहानी , माता पिता ध्यान दें

 

स्वच्छ भारत अभियान और बच्चों की भूमिका – Monica Gupta

स्वच्छ भारत अभियान और बच्चों की भूमिका स्वच्छता अभियान के दौरान, गांव के बच्चों मे स्वच्छता के प्रति उत्साह देख कर हमनें ये वीडियो बनाई थी सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान, सिरसा , हरियाणा , गांव सिकंंदरपुर बात उन दिनों की है जब हरियाणा के सिरसा में सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान जोरो शोरो से चला हुआ था और सभी गांव वाले एक जुट होकर अपने अपने गांव को स्वच्छ बनाने में जुटे थे. तभी हमने Read more…

 

Stay Connected

  • Facebook
  • Instagram
  • Pinterest
  • Twitter
  • YouTube

Categories

छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही

Blogging Tips in Hindi

Blogging Tips in Hindi Blogging यानि आज के समय में अपनी feeling अपने experience, अपने thoughts को शेयर करने के साथ साथ Source of Income का सबसे सशक्त माध्यम है  जिसे आज लोग अपना करियर बनाने में गर्व का अनुभव करने लगे हैं कि मैं हूं ब्लागर. बहुत लोग ऐसे हैं जो लम्बें समय से […]

GST बोले तो

GST बोले तो

GST बोले तो –  चाहे मीडिया हो या समाचार पत्र जीएसटी की खबरे ही खबरें सुनाई देती हैं पर हर कोई कंफ्यूज है कि आखिर होगा क्या  ?  क्या ये सही कदम है या  देशवासी दुखी ही रहें …  GST बोले तो Goods and Service Tax.  The full form of GST is Goods and Services Tax. […]

डर के आगे ही जीत है - डर दूर करने के तरीका ये भी

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन – Social Networking Sites aur Blog Writing –  Blog kya hai .कहां लिखें और अपना लिखा publish कैसे करे ? आप जानना चाहते हैं कि लिखने का शौक है लिखतें हैं पर पता नही उसे कहां पब्लिश करें … तो जहां तक पब्लिश करने की बात है तो सोशल मीडिया जिंदाबाद […]

  • Home
  • Blog
  • Articles
  • Cartoons
  • Audios
  • Videos
  • Poems
  • Stories
  • Kids n Teens
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Terms of Use
  • Disclaimer
  • Anti Spam Policy
  • Copyright Act Notice

© Copyright 2024-25 · Monica gupta · All Rights Reserved