Monica Gupta

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August 16, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

बेटी बनी सरपंच – बेटी बचाओ बेटी पढाओ

बेटी बनी सरपंच - बेटी बचाओ बेटी पढाओ

बेटी बनी सरपंच – बेटी बचाओ बेटी पढाओ- एक शानदार पहल – नारी सशक्तिकरण का शानदार उदाहरण.. जब बेटी को एक दिन का सरपंच बना दिया. महिला सशक्तिकरण की अवधारणा  क्या है ?? क्या नारी सशक्तिकरण वास्तव में हो रहा है या महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका क्या है ?? महिला सशक्तिकरण के उपाय..

बेटी बनी सरपंच – बेटी बचाओ बेटी पढाओ

बेटी बचाओ बेटी पढाओ की मुहिम चारो तरफ रंग लाती दिख रही है. बेशक, आजकल चारो तरफ कही, महिला पर अत्याचार, लूटपाट तो कही रेप की खबरें सुनने को मिल जाती हैं वही एक खबर ताजी हवा कर झोंका बन कर आई. हुआ ये कि हरियाणा के हिसार जिले के गांव धांसू की बेटी सुशीला रानी को 15 अगस्त के दिन, गांव के सरपंच और पंचायत  के निणर्य से एक दिन का सरपंच बनाया गया.

 

बेटी बनी सरपंच - बेटी बचाओ बेटी पढाओ

बेटी बनी सरपंच – बेटी बचाओ बेटी पढाओ

बेशक, एक खबर पिछ्ले साल बहुत सुनी थी और मैने कवर भी किया था कि प्रदेश के गांव की सबसे पढी लिखी लडकी झंडा फहराएगी और जब बेटियों ने झंडा फहराया तो बहुत खुशी भी हुई थी पर इस साल जब ये सुना कि 15 अगस्त को एक दिन के लिए बेटी सरपंच बनेगी तो जाने अनजाने अनिल कपूर की याद आ गई वो भी फिल्म नायक में एक दिन के सीएम बने थे..

कुछ पत्रकार दोस्तों से बात करके सुशीला का फोन नम्बर लिया और खूब सारी बात यह जानने के लिए की कि कैसा अनुभव रहा एक दिन का सरपंच बन कर. उससे जो जो बात हुई बताने से पहले मैं बताना चाहूगी कि सुशीला तीन  बहनें और एक भाई है. सुशीला के पिता वीर सिंह जी प्राईवेट नौकरी करते हैं और सुशीला की माता जी अनपढ हैं. सुशीला अपने गांव के सरकारी स्कूल की छात्रा थी और उन्होने प्लस टू में 81% अंक प्राप्त किए थे.

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गांव  के सरपंच  मनोहर लाल जी हमेशा कुछ नया करने की धुन में रहते हैं तो उन्होनें अपने सरपंचों के साथ मिलकर ये फैसला लिया कि इस साल गांव में अव्वल आई बेटी को एक दिन का सरपंच बना  देना चाहिए ताकि माता पिता भी अपनी बेटियों को पढाने में पीछे न हटें.

जब नामों की छ्टनी की गई तो सुशीला का नम्बर अव्वल आया. जब यह बात सुशीला को बताई गई तो वो बहुत ही ज्यादा उत्साहित हो गई और माता पिता को अपनी बेटी पर गर्व हुआ.

अब मेरी बात हुई एक दिन की सरपंच बनी सुशीला से… सुशीला ने बताया कि आज पूरा दिन बहुत व्यस्त बीता पर एक ऐसा दिन रहा जो पूरी जिंदगी याद रहेगा..

सुशीला ने बताया कि जब पता लगा कि वो एक दिन की सरपंच बनने वाली है तो मन में एक खुशी की लहर दौड गई पर इसी के साथ वो इस सोच में भी डूब गई कि सरपंच बनने पर उसने क्या क्या काम करने हैं… क्या क्या दिक्कतें दिक्कतें बहनों को उठानी पड रही हैं और उसका क्या समाधान निकाला जाना चाहिए.

15 अगस्त की सुबह हर रोज की अपेक्षा उनकी आखं जल्दी खुल गई या यू कहिए की नींद आई ही नही.. फटाफट उठ कर रोजमर्रा के नाम से निबट कर वो तैयार हो गई. उनकी स्पीच भी बिल्कुल तैयार थी जो उन्होनें सम्बोधित करना था.

समय पर स्कूल पहुंची और सरपंच के साथ साथ मुख्यातिथि बनी सुशीला का शानदार स्वागत किया गया. झंडा फहराया और सलामी दी. सुशीला की माता जी जोकि अनपढ हैं वो यह देख कर बेहद भावुक हो गई और खुशी भी हुई क्योकि जो काम उनके माता पिता ने नही किया वो उन्होने मां बन कर किया पढाई का महत्व समझा और अपनी बेटियों को पढाया लिखाया..

झंडा फहराते वक्त दिल गर्व से भर उठा क्योकि कभी सोचा भी नही था कि इतना सम्मान उसे मिल सकता है और सम्मान दिलाया उसकी पढाई ने … सलामी देने के बाद  बारी आई स्पीच देने की तो सुशीला ने बताया कि जो मुद्दे अक्सर परेशान करते हैं उन्होनें उसी पर फोकस किया जैसाकि जो लडकियां  शहर पढने जाती हैं उनके लिए अलग बस चलाई जाए ताकि लडकियां आराम से आ जा सकें और पूरा ध्यान पढाई पर लगा सकें

दूसरा ये कि जो उनके गांव में सरकारी स्कूल है उसमे कमरे नही है इसलिए बच्चों को पेड के नीचे बैठ कर पढाई करनी पडती है जब कभी बरसात हो या बहुत गर्मी हो तो बहुत दिक्कत होती है.

तीसरा और अहम मुद्दा सीसीटीवी कैमरा लगवाया जाए ताकि सभी पर नजर रखी जा सके. इसके इलावा वॉटर कूलर भी जरुरत पर भी बहुत बल दिया. सुशीला बता रहीं थी कि स्पीच  बोलते हुए बहुत गर्व महसूस हो रहा था.ऐसा महसूस हो रहा था कि वो समाज का एक अह्म हिस्सा है और उन्हें उसके लिए बहुत कुछ करना है…

वही जब गांव के सरपंच मनोहर लाल जी से बात हुई तो उन्होनें बताया कि वो मोदी जी से बहुत ज्यादा प्रभावित है और उनकी चलाई गई बेटी बचाओ बेटी पढाओ  वाली स्कीम ने तो उन्हें ही एक नई दिशा दे डाली. वो इस विचार मे डूब गए कि वो कुछ हट कर करके दिखाए फिर उन्होनें सभी पंचों के मिलकर यह फैसला किया कि इस बार सरकारी स्कूल में अव्वल आई बेटी को एक दिन का सरपंच भी बनाया जाए..

मेरे पूछ्ने पर कि क्या अगले साल भी आप यही प्रक्रिया दोहराएगें इस पर वो हंसते हुए बोले कि जी नही…. इसी साल और भी अलग अलग मौके और खास दिन पर ऐसे चमत्कार करते रहूंगा…  कभी कोई खिलाडी लडकी तो कभी जो स्वच्छता में अच्छा काम कर रहीं है तो कभी शिक्षा में अव्वल बेटी को मौका दिया जाएगा ताकि माता पिता की जो ये सोच है … के करवाना है गोबर ही तो थापना है बेटियों ने ….  दूर हो और बेटियों को पढवाने में ज्यादा से ज्यादा आगे आएं !!

बहुत सही फैसला है और बहुत खुशी भी हुई यह सब देख कर !!

बातें तो और भी करनी थी पर समय कम था इसलिए सुशीला से विदा लेते हुए कोई संदेश देने को कहा तो सुशीला ने दो लाईने सुनाई …

बेटी बिना नही सजता घर

बेटी ही है संस्कारों का परिंदा

अगर उसे दोगे खुला आसमान

तो वह भी बढाएगी परिवार का मान …

बेटी बनी सरपंच - बेटी बचाओ बेटी पढाओ

बेटी बनी सरपंच – बेटी बचाओ बेटी पढाओ

सुशीला ने अब हिसार कालिज में बीए में दाखिला लिया है और वो अब समाज के लिए बहुत कुछ करना चाहती है… !!

यह् एक बहुत ही सकारात्मक पहल है और अगर इसी तरह सरकार के साथ मिलकर गांव के सरपंच, पंच इस मुहिम को आगे बढाते रहेंगें तो वाकई में एक नया समाज जागृत होगा.. !!!

बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान

बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान और तिरंगा फहरा दिया ….!!!! लहराते तिरंगें को देख कर मन गर्व से भर उठता है और हाथ खुद ब खुद सेल्यूट की मुद्रा में आ जाते हैं. read more at monicagupta.info

 

बेटी बनी सरपंच – बेटी बचाओ बेटी पढाओ

गांव धांसू में सुशीला बनेगी एक दिन की सरपंच | Panchayat | Panchayat Hisar | Village Dhansu | Hisar | | Hindi Latest News

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August 15, 2015 By Monica Gupta

बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान

beti bachao beti padhao abhiyan

बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान –  और तिरंगा फहरा दिया – beti bachao beti padhao abhiyan – लहराते तिरंगें को देख कर मन गर्व से भर उठता है और हाथ खुद ब खुद सेल्यूट की मुद्रा में आ जाते हैं. कल्पना कीजिए अगर आपको मौका मिले देश का तिरंगा फहराने का तो कैसा लगे ?? जी क्या कहा आपने की … आप सपने में भी नही सोच सकते ? जी बिल्कुल सही कहा… मेरी भी यही सोच थी पर मेरी इस सोच को बदल दिया हरियाणा के “”बेटी बचाओ बेटी पढाओ” अभियान ने. अभियान ये था कि गांव की जो लडकी सबसे ज्यादा पढी लिखी होगी वो अपने अपने गांव में तिरंगा लहराएगी.

बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान –  और तिरंगा फहरा दिया

मुझे ये अभियान बेहद प्रोत्साहित करने वाला लगा और इस अभियान को लेकर बेहद उत्सुक थी और उत्सुकता से इंतजार था 15 अगस्त का जब ये मौका  गांव की पढी लिखी बेटियों को मिलेगा.

इस सिलसिले में मेरी बात हुई जिला फतेहाबाद के गांव जांडली कलां की सुमन रानी से जिन्हें अपने गांव में तिरंगा फहराने का  सुअवसर मिला. उसके पिता किसान हैं और वो तीन भाई बहन हैं .

सुमन से मैने सारी बात विस्तार से जाननी चाही कि आखिर उन्हें ये मौका कैसे मिला. सीधी सादी सी सुमन ने बताया कि कुछ समय पहले उनके गांव में सर्वे हुआ था और दूसरों की तरह, सुमन ने अपनी पढाई की सारी जानकारी सर्वे मे दी.

वो B.Com , M.Com, B.Ed और MBA हैं और आजकल फतेहाबाद के भूना कालिज में कोमर्स पढा रही हैं. जानकारी के बाद उन्हें 12 तारीख को फिर बुला कर बताया गया कि स्कूल के प्रांग़ण में वो ही तिरंगा लहराएगी.

अचानक सुनकर उन्हें विश्वास ही नही हुआ. खुद को संयत करने के बाद वो भावुक हो गई. और मैं बताना चांहूगी कि आज भी वो ये सारी बात बताते बताते भावुक हो गई. जब उन्होनें अपने पिता जी श्री रमेश कुमार को बताया तो एक बार तो उन्हें विश्वास ही नही हुआ पर जब विश्वास दिलाया तो उनका सीना गर्व से चौडा हो गया कि उनकी बेटी तिरंगा फहराएगी.

beti bachao beti padhao abhiyan

ध्वजारोहण करती सुमन रानी, फतेहाबाद (गांव जांडली कलां)

मेरे पूछ्ने पर कि जब  आज सुबह स्कूल आए तो कैसा लगा? मन में क्या क्या  चल रहा था. वो बोली कि जो उस समय महसूस हो रहा था वो तो शब्दों मे बताया ही नही जा सकता. उनके साथ सुबह उनके पापा, भाई और उनकी छोटी बहन आए थे.

ऐसा महसूस हो रहा था मानो ये सब सपना हो. बहुत गर्व महसूस हो रहा था और मन ही मन ढेरो धन्यवाद इस बात के लिए भी थे कि सरकार ने  बेटी की शिक्षा के लिए इतना सार्थक कदम उठाया. इस कदम के बाद तो ज्यादा से ज्यादा लोग अपनी बेटियों को पढाएगें ताकि उनकी बेटियों को भी तिरंगा फहराने का मौका मिले.

सुमन बता रही थी कि उन्हें गर्व इस बात का भी है कि प्रदेश में पहली बार ये अभियान चला और वो पहली ही बारी में ही  इसका हिस्सा बनी. तिरंगा फहराने के बाद सुमन ने भाषण भी दिया जिसमें सरकार के इस अभियान की प्रशंसा के साथ साथ बेटी की शिक्षा पर बल दिया.

सभी गांव वासियों से अपील की कि वो अपनी बेटियों को ज्यादा से ज्यादा पढाए ताकि वो ना सिर्फ गांव में बल्कि समाज में भी अपनी अलग पहचान बना सके. कार्यक्रम में पाचं लडकियों को भी सम्मानित किया गया.

पढाई इस तरह भी पहचान करवा सकती है ये वो अभी तक भी सोच सोच कर रोमांचित हैं. सुमन ने बताया कि उनकी छोटी बहन जोकि अभी M.A कर रही हैं वो भी जिंदगी में कुछ बनना चाह्ती है और इस अभियान ने एक रास्ता दिखाया  है.

वही  जांडली कलां, गर्ल्ज स्कूल के मुख्य अध्यापक श्री कृष्ण कुमार जी ने बताया कि  सुमन इसी स्कूल की पढी हुई है और उन्हें  सुमन पर गर्व है.  अभियान के बारे में उन्होनें  बताया कि  बहुत अच्छा अभियान है और ये अभियान जारी रहना चाहिए क्योंकि जो गांव वाले बेटी को पढाने से कतराते थे आज वो ही बेटी को पढाने के लिए आगे आ रहे हैं.

girl- monica gupta

(अन्य गांव में ध्वजारोहण करती हरियाणा की बेटी)

बेटी बनी सरपंच – बेटी बचाओ बेटी पढाओ

ये अभियान प्रदेश भर में ही नही बल्कि देश भर में चले और  निरंतर चले और  बेटिया पढती रहें … !!!

सुमन रानी और हरियाणा की उन सभी लडकियों को जिन्होनें तिरंगा लहराया उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं !!!

 

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