Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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October 24, 2015 By Monica Gupta

हिंदी साहित्य और साहित्यकार

सिरसा जनपद

सिरसा जनपद

हिंदी साहित्य और साहित्यकार

हिंदी साहित्य , साहित्यकार और हरियाणा

आज के समय में जहां न्यूज चैनलों ने साहित्यकारों का साहित्य  सम्मान लौटाना सुर्खियों बनाया हुआ हैं वही हरियाणा के सिरसा के साहित्यकार इन सब बातों से दूर  कुछ हट कर दिखाने में जुटे हैं. जिसका ताजा उदाहरण है “सिरसा जनपद की काव्य सम्पदा” नामक किताब .

इस किताब में सिरसा जनपद के 115 लेखकों का परिचय है और दो उनकी दो दो रचनाए. इस किताब के बारे में मैने प्रोफेसर रुप देवगुण जी से बात की तो उन्होने बताया कि कुछ समय पहले राज्य कवि उदय भानु हंस सिरसा आए हुए थे. उन्होने कहा कि हरियाणा के सिरसा में इतने लेखक है ऐसा लगता है मानो सिरसा हरियाणा की साहित्यिक राजधानी है… बस ये बात उनके दिल के कोने मे कही घर कर गई. रुप जी ने सोचा कि “हंस” जी ने बहुत सही कहा बेशक, साहित्यिक राजधानी है सिरसा पर इसे सिद्द कैसे किया जाए और इसी बात को और पुख्ता करने के लिए उन्होनें योजना बनाई कि एक किताब बनाई जाए जिसमें लेखकों का परिचय और उनकी दो दो रचनाओं को सम्मलित किया जाए.
आज उनकी वही सोच पुस्तक रुप मे हमारे सामने हैं. इस पुस्तक को तीन खंडों में बांटा गया है. पहले खंड “स्मृति” में सिरसा के दिवंगत कवि , दूसरे खंड में समकालीन कवि व लेखक तथा तीसरे खंड में “नई कलम“हैं जिन्होनें हाल ही में लेखन आरम्भ किया है.
115 लेखकों की रचनाए और उनका परिचय सिलसिलेवार लिखने में लगभग एक साल का समय लगा. पुस्तक के सम्पादक मंडल में तीन लेखकों ने अपनी भूमिका बहुत अच्छी तरह निभाई.

उनका इस तरह का काम देख कर बेहद खुशी हुई और मैने सोचा कि क्यों ना इसे” लिम्का बुक आफ रिकार्डस” के लिए भेजा जाए. पूरे विश्वास के साथ, मैनें इस किताब के बारे में लिम्का बुक आफ रिकार्डस में विस्तार से जानकारी भेज दी है. रुप जी से पूछ्ने पर कि किताब छपने पर कैसा महसूस हो रहा है उनका कहना था कि टीम ने मिलकर मेहनत की और वो किताब रुप में छ्प कर मेहनत सफल हुई. जिसकी खुशी शब्दों में बयान नही की जा सकती. इस किताब का विमोचन पहली नवम्बर को होगा.

 

हिंदी साहित्य और साहित्यकार

October 21, 2015 By Monica Gupta

कन्या भ्रूण

जय माता की ( मोनिका गुप्ता)

जय माता की ( मोनिका गुप्ता)

कन्या भ्रूण

कन्या भ्रूण, अष्टमी और कंजके…

मेरी नजर से

वैसे इस बार अष्टमी पर कंजके करते हुए एक बात जरुर महसूस हुई कि अब की बार लडकियों के लिए ज्यादा मेहनत नही करनी पडी. असल में, नवरात्र की अष्टमी पर कन्या को भोजन करवाया जाता है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है.पिछ्ले काफी बार से अष्टमी पर कन्याए बहुत कम मिलती थी और बहुत भागमभाग रहती थी कि किसी तरफ आठ कन्या मिल जाए पर इस बार सब बहुत आराम से हो गया.बहुत कन्याए आई और बाद में भी आती रहीं.

पहले तो अष्टमी आने से पहले टेंशन सी हो जाती थी कि कहां कहां से लडकी को इकठ्ठा करें या फिर मंदिर में ही हलवा पूरी दे आएं … पिछ्ले काफी समय से, हमारे हरियाणा में जो लिंग अनुपात कम हो रहा था कन्या भ्रूण हत्या बेहिसाब हो रही थी. सरकार द्वारा उठाए गए कठोर कदम और जनता में जागरुकता भी  इसका एक कारण हो सकता है…. शायद  ये एक शुभ संकेत हो … शायद जल्द ही अनुपात बराबर हो जाए … !!! जय माता की !!!

मैं हमेशा कहती हू कि गर्ल है तो कल है … !!! जय माता की !!!

 

October 20, 2015 By Monica Gupta

हे न्यूज चैनल्स

कार्टून ( मोनिका गुप्ता )

कार्टून ( मोनिका गुप्ता )

  हे न्यूज चैनल्स

 

बचपन में हम एक खेल खेलते थे. गाय उड, चिडिया उड, फल उड, आज शायद यही खेल न्यूज चैनल खेल रहा है. एक खबर बनती है और दूसरी फुर्र करके उड जाती है… किसान आत्महत्या की खबर उड. इंद्राणी उड, रेप उड, विवादित बयान उड, अकादमी सम्मान उड…

कल मणि से बात होते होते बहस में तबदील हो गई. असल में, बात हो रही थी न्यूज चैनल की. जिस तरह से खबरें परोसी जा रही हैं… अंतहीन बहस हो रही है उस का क्या प्रभाव हो रहा है समाज पर. मेरी राय यह थी कि  न्यूज चैनल आतंक फैला रहे है जहां उनकी भूमिका निष्पक्ष होनी चाहिए पर उससे उलट वो टीआरपी बढाने के चक्कर मे कुछ भी परोसे जा रहे हैं जबकि उनके उपर बहुत बडा दायित्व है समाज के प्रति. उसके क्या पूछ्ने पर मैने बताया चाहे हिंदू मुस्लमान के झगडे हो या बडबोले नेताओ के विवादित बयान… अरे !!! जो जरुरी ही नही है वो किसलिए दिखाए जाएं… ना दिखाने की बात तो दूर वो तो तोड मरोड के पेश किए जा रहे हैं फिर उस पर लोगो के टवीट दिखाते हैं और एक घंटा बहस करवाते हैं और नतीजा … गई भैंस पानी में …यानि शून्य…

इस पर उसका कहना था कि कई खबरे जरुरी होती है दिखाना चाहिए कि समाज में क्या क्या हो रहा है  !!! और हिंदू मुस्लमान के झगडे ??? मैने बीच मे ही बात काटी… ये क्या है इससे क्या भला होगा समाज में बल्कि बार बार दिखा कर आपसी नकारात्मकता और हिंसा को ही बढावा मिलेगा… बिल्कुल गलत ट्रैक पर चले गए हैं न्यूज चैनल..बस अपने 24 घंटे पूरे करने हैं जिसमें मार काट, दंगे, विवादित बयान और विज्ञापन ही मकसद रह गया है. एक तरफ कैंसर की बात करेंगें दूसरी तरफ पान मसाला उस  कार्यक्रम को प्रायोजित करता है !!  बहुत उलझा हुआ मसला है ये !!

ऐसा नही था हमारा देश.. !! अचानक मैं इमोशनल हो गई. हिंदू ,मुस्लमान को हमने कभी नही अलग समझा. बचपन मे भी यही पढा था कि भारत में भिन्नता होते हुए भी एकता का देश है और वाकई था … पर जिस तरह से घर वापिसी और बीफ, मार काट के मुद्दे उठे मानों खबरों का पूरा संसार ही बदल गया. बीफ गौ वध सुन सुन कर कान ही पक गए. मेरे एक मित्र बता रहे थे कि आजकल न्यूज चैनल लगाने मे एक डर सा लगने लगा है..पता नही क्या झेलना पड जाए. और तो और साहित्य अकादमी को लेकर सम्मान लौटाने के मुद्दे को भी इन्होने बेवजह बहुत तूल दे दिया और भिडा दिया साहित्यकारों को …!!! राजनीति डाल दी उनके लेखन में !!! बेशक, जिस तरह से साहित्यकारों में अपवाद हैं ठीक वैसे ही न्यूज चैनल्स में भी अपवाद हैं …

पर फिर भी समझ नही आता कि बेसिर पैर की खबरे दिखा कर क्या मकसद पूरा करना चाह्ते हैं.

अरे भई !!!दिखाओ पर दोनो पहलू तो दिखाओ … सकारात्मक दिखाते नही बस नकारात्मकता के पीछे ही पडे हुए हैं. मैं खुद भी दस साल ज़ी न्यूज से जुडी रही हूं पर यकीनन तब इतना बुरा हाल नही था खबरों का…!!! शायद इसलिए कि तब टवीटर और सोशल मीडिया इतना तेज नही था..

आज इंसानियत उड, संवेदनशीलता उड…. गम्भीरता उडन छू हो चली है और बिना किसी निष्कर्ष के हमारी भी बह्स गर्म चाय पर समाप्त हो गई.

ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मानों ये न्यूज चैनल रावणी हंसी हंस रहे हों और हम दर्शक सीता के समान हाय राम हाय राम चिल्ला रहे हो … कि आओ हमे इससे बचाओ …!!!( राम लीला का मौसम  है न इसलिए ये डायलाग लिखना जरुरी है)

हे न्यूज चैनल्स जरा रहम करो !!! ईश्वर आपको सदबुधि प्रदान करे!!!

 

 

 

 

October 19, 2015 By Monica Gupta

साहित्य सम्मान

साहित्य सम्मान ( मोनिका गुप्ता)

साहित्य सम्मान ( मोनिका गुप्ता)

      साहित्य सम्मान

साहित्य अकादमी अवार्ड लौटाने का जिम्मा जिस तरह से न्यूज चैनल वालो ने लिया हुआ है वो कमाल है …

हद तो तब हो गई जब वो घर घर घुस कर साहित्य अकादमी सम्मान आन लाईन लाईव लौटाने की बात कर रहे हैं … भई हम तो नही लौटाने वाले ये बात तो पक्का है .

 

BBC

उर्दू के जाने माने शायर मुनव्वर राना ने एक लाइव टीवी कार्यक्रम के दौरान अपना साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटाने का ऐलान किया है.

राना से पहले चालीस से ज़्यादा साहित्यकार अपने साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटा चुके हैं.

बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा से बात करते हुए मुनव्वर राना ने कहा कि वे ये अवॉर्ड मौजूदा हालात के विरोध में लौटा रहे हैं.

कुछ दिन पहले ही मुनव्वर राना ने फ़ेसबुक पर पोस्ट किया था कि अवॉर्ड लौटाने से हालात नहीं बदलेंगे, साहित्यकारों को अपनी क़लम उठानी होगी.

लेकिन अब अपने अवॉर्ड लौटाने के फ़ैसले का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, “लोग ये समझते हैं कि या तो मुनव्वर राना डर गए हैं या बिक गए हैं, अगर मुझे बिकना होता तो मैं चालीस बरस पहले बिक गया होता, अब कौन मेरी क्या क़ीमत देगा. मेरे लिए ये अवॉर्ड बोझ बन गया था. बस वो बोझ उतारा है.” Read more…

वैसे न्यूज चैनल जिस तरह से इन दिनों अपनी भूमिका निभा रहे हैं अत्यंत दुखद है

साहित्य सम्मान

October 18, 2015 By Monica Gupta

रावण का इतिहास – रावण की सैलरी

रावण का इतिहास

रावण का इतिहास बेहद दमदार और शानदार रहा तभी तो रामलीला के राजा राम भी कह रहे हैं कि अगली बार राम लीला में उन्हें ही रावण बनाना क्योकि उसकी सैलरी भी अच्छे है और गहने भी

कार्टून रावण ( मोनिका गुप्ता)

कार्टून रावण ( मोनिका गुप्ता)

 

रावण की सैलरी

रावण का इतिहास मुझे नही पता… मुझे भी रावण बनना है राम नही … क्योकि रावण की सैलरी भी अच्छी है और ज्वैलरी भी इस लिए मुझे भी रावण बनना है !!

ravan got much salary than ram in ramleela – Navbharat Times

रामलीला में राम-लक्ष्मण का रोल हो या हनुमान का, ऐक्टिंग कर रहे कलाकारों को अच्छा मेहनताना तो रावण का रोल करने में ही मिल रहा है। गौरतलब है कि अभिनय कर रहे मर्यादा पुरुषोत्तम राम और रावण की सैलरी में दोगुने तक का अंतर है। इतना ही नहीं कॉस्ट्यूम के वजन की बात करें तो रावण के कॉस्ट्यूम का वजन रामलीला के अन्य सभी पात्रों की ड्रेस पर कहीं ज्यादा भारी है।
राम की ड्रेस बनाने में 10 लाख रुपये लगे, वहीं रावण का कॉस्टयूम में 15 लाख रुपयों का खर्च आया। इसी तरह से शालीमार बाग की रामलीला के आयोजक दावा कर रहे हैं कि रावण जितनी महंगी ड्रेस किसी भी अन्य पात्र की नहीं है। उनकी पांच किलो की ड्रेस में लाइट लगी हुई है और अकेले मुकुट का वजन 9 किलो है। वहीं तलवार का वजन पांच किलो है और उनका ये पूरा गेटअप राम ही नहीं, रामलीला के हर कलाकार पर भारी है। Read more…

रावण की सैलरी को लेकर आपके क्या विचार हैं जरुर बताईगा !!!

October 16, 2015 By Monica Gupta

बीफ मुद्दा

beef cartoon by monica gupta

beef cartoon by monica gupta

 

बीफ मुद्दा

आपरेशन बीफ

यही सही रहेगा… नेता जी की जुबान से बीफ शब्द ही डिलीट कर देता हूं … न नेता बोलेगें न मीडिया भैस ओह क्षमा न मीडिया इस मुद्दे पर बहस करेगी!!! लगता है समाज मे इसके अतिरिक्त और कोई मुद्दा ही नही रह गया !!! बहुत अफसोस होता है ये सब देख सुन कर !!

बीफ मुद्दा

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