सकारात्मकता
सकारात्मकता
सकारात्मकता
क्या ??? आप किसी ऐसे व्यक्ति को खोज रहे हैं जिसकी सोच सकारात्मक हो और आत्मविश्वास से भरी हो … जिससे आप जिंदादिली सीख सकें तो यकीन मानिए आप बहुत सही जगह आए हैं … क्योकि मैं जानती हूं ऐसे व्यक्ति को और आप कहे तो पता भी बता सकती हूं … !!! बला का आत्मविश्वास और बला का उत्साह है उनमें !!!सोच तो ऐसी की बस पूछिए ही मत !! आप भी मान जाएगें कि मैं सही कह रही हूं !!
और वो हैं … हमारे … आपके … नेता … नेता … नेता … !!! ये नेता लोग कितने आत्मविश्वास से भरपूर होते हैं … चुनाव के समय से नतीजा आने तक … भरपूर सकारात्मकता … अगर खुदा ना खास्ता चुनाव हार गए तो भी आत्मविश्वासी … अगले पाचं साल तक विपक्ष में शानदार भूमिका निभाते हैं और तो और भले ही पता हो कि चुनाव हार जाएगें फिर भी गजब का मनोबल बनाए रखते हैं … चेहरे पर ओजपूर्ण स्माईल बिखरी होती है और कभी भी ना उम्मीदी की बात नही करते … !!!
बताना मेरा फर्ज था … आगे आप खुद समझदार हैं !! 🙂
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस …
हिंदी दिवस पर मेरा धन्यवाद गूगल को है जिसमे हिंदी की पहचान को बढाया और हमे अपनी बात हिंदी में लिख पाए … बेशक हिंदी का क्रेज विदेशियों में भी बहुत बढा है और पढ कर अच्छा लगता है जब वो हमारी हिंदी में लिखी पोस्ट को पसंद करते हैं
हिंदी दिवस
बेशक पलडा आज भी अंग्रेजी का ही भारी है फिर भी तुम हमें हमेशा से प्रिय थी , हो और हमेशा रहोगी … मेरी प्यारी हिंदी 🙂
अच्छे दिन
अच्छे दिन
अच्छे दिन लाने के लिए बहुत मेहनत करनी पडती है .. ऐसा नही की आपने गाना गाया और अच्छे दिन आ गए. समय लगता है बहुत कुछ त्यागना पडता है बहुत कुछ निगलना या गटकना पडता है बहुतों से ना चाह्ते हुए भी मिलना पडता है और बहुत चाह्ते हुए भी किसी से मुहं फेरना पडता है..!!! कई बार उपहास का पात्र बनना पडता है तो कई बार शर्मिंदा होना पडता है. अरे आप क्या सोचने लगे !!! हे भगवान !! इसमे कही आप राजनीति तो नही ले आए !! कमाल हैं आप भी !! अरे भई !! वो क्या है ना वजन बढ रहा है उसे धटाने के लिए मेहनत ज्यादा करनी पड रही है तभी तो आएगें अच्छे दिन !!! आलू ,पूरी .टिक्की जैसी मुंह मे पानी लाने वाली चीजे त्यागनी पडती हैं उबला खाना या सब्जी निगलनी या गटकनी पडती है ना चाहते हुए भी खाना पडता है और बहुत चाह्ते हुए भी उस खाने से देखने से इंकार करना पडता है. कई लोग उपहास करते हैं कि वजन कम हो ही नही सकता तो कई बार लोगो के सामने जब वजन टस से मस नही होता तो शर्मिंदा भी होना पडता है!!
यहां हालत खस्ता हो रही है और आप है कि राजनीति ले कर आ रहे हैं अरे भई कम खाएगें … हल्का खाएगे, कसरत करेगें तो आएगें ना जल्दी से अच्छे दिन … बस वो ही तो कह रही हूं !!! अच्छे दिन आने वाले है:)
कितने दूर कितने पास
कितने दूर कितने पास
किससे दूर किसके पास …
मैं नेट पर काम कर रही थी कि अचानक गेट पर धंटी बजी. ओफ !! कौन होगा !! असल में, वो क्या है ना कि कई बार कुछ शरारती बच्चे ऐसे ही घंटी बजा कर भाग जाते हैं तो सोचा शायद वही हों पर एक ही मिनट में दुबारा घंटी बजने पर मैं समझ गई कि बाहर जरुर कोई है.बाहर गई तो एक महिला खडी थी. मेरे पूछ्ने पर उस महिला ने इशारा करके बताया कि वो हमारे घर के पीछे ही रहते हैं उनका नया घर बन रहा है इसलिए वो POP देखने आई है क्योकि आपका घर नया बना है ना … मैने उसे कभी नही देखा था इसलिए मैं उसे भीतर लाने में इच्छुक नही थी इसलिए गेट पर ही खडे खडे बोला कि हमने बिल्कुल साधारण सा पीओपी करवाया है पर जब उसने हमारे अडोस पडोस में रहने वालो के बारे में बताया कि वो उन्हें जानती है तो ना चाह्ते हुए भी मैं एक घर के साथ भीतर ले आई. उसने दो चार मिनट लगाए एक दो कमरे देखे और कुछ ही पल में हम बाहर आ गए.
मुझे महसूस तो हुआ पर मैने उससे चाय पानी का भी नही पूछा. असल में, आज के माहौल को देखते हुए एक डर सा रहता है कि पता नही कौन है कितनी सही है वगैरहा वगैरहा… !! जाते जाते मैनें उसे जता भी दिया कि क्षमा करें मैने आपको पहले कभी देखा भी नही और आज का समय ठीक नही है इसलिए.. इस पर वो बोली कि वो समझती है और थैक्स कह कर चली गई.
कुछ देर नेट पर काम करने का मन ही नही किया. सोच रही थी कि हम कितना बदल गए हैं कभी हम भारतीयों की पहचान यही होती थी कि घर आए मेहमान का स्वागत करते थे बेशक गांव में ये परम्परा आज भी है पर छोटे शहरों में किसी अनजाने भय से गुमनाम सी होती जा रही है और मैंट्रो में तो यह खत्म ही हो गई है. तभी देखा कि फेसबुक पर दो तीन मैसेज आए हुए हैं जिन्हें मैं जानती तक नही. मैं सोच रही थी कि फेसबुक या अन्य सोशल नेट वर्किंग साईटस पर हम कितना जानते हैं लोगो को पर उन अनजाने लोगो को जवाब देने में जरा भी देर नही लगाते … चाहे मित्रता स्वीकार करनी हो या मैसज करना हो पर जो हमारे घर के नजदीक रहते हैं उन्हें हम जानते तक नही….
कितने दूर कितने पास
रसोईघर की सफाई
रसोईघर की सफाई
घर का सबसे महत्वपूर्ण कमरा है रसोईघर यानि किचेन .. जहां सुबह से लेकर देर रात तक चहल पहल रहती है खाने बनाने के साथ साथ कभी चाय, कभी खाना तो कभी मीठा कुछ न कुछ बनता ही रहता है.कुल मिलाकर व्यंजनों की महक से महकता रहता है रसोईघर..!! लेकिन रात को रसोई सोई सोई सी हो जाती है. एक दम शांत.मानो पूरा आराम लेकर अगले दिन के लिए खुद को तैयार कर रही हो..
बात उस रात की है जब पानी पीने के लिए रसोई में जाना पडा. रात का दो बज रहा था. हर जगह सन्नाटा ही सन्नाटा था. सडक पर बहुत दूर से एक आध कुत्ते के भौकने की आवाज आ रही थी. कुल मिला कर माहौल पुरा डरावना था.फिर भी मैं लाईट जला कर रसोई की ओर बढ गई.
कुछ ही पल बाद मै रसोई के बाहर थी और भीतर जाने से पहले मैणे रसोई की लाईट भी जलाई. अचानक कुछ ऐसा देखा की मेरी सांस उपर की उपर और नीचे की नीचे अटक गई. इतने भयावह सीन की तो मैनें सपने मे भी कल्पना नही की थी. मैं तो जहां खडी थी वही ठिठक कर खडी रह गई.
आगे कुछ बताने से पहले मैं आपको बता दूंकि आमतौर पर महिलाए रात को गैस चूल्हा और स्लैब साफ करके सोती हैं ताकि सुबह सुबह रसोई साफ न करनी पडी और बच्चों के लिए नाश्ता व अन्य चीजें समय पर बन जाए.
मैं भी ऐसा ही करती हूं और कई बार साफ सुथरी रसोई मे दाल इत्यादि भी भिगो कर रखी या बादाम भिगो कर रखे तो उन्हे ढकने की जरुरत नही समझती कि सारी रसोई साफ है कोई क़ीट, मकौडा तक नही है तो क्या जरुरत और कई बार तो साफ स्लैब पर सुबह बिना कपडा लगाए स्कूल के टिफिन के लिए चपाती भी बना लेती.
पर आज कुछ ऐसा देखा कि …. !!! असल में जब लाईट जलाई तो देखा कि स्लैब पर तीन चार कोकरोच आराम से घूम रहे थे और छिपकली भी अपने परिवार के साथ टहल रही थी. अचानक लाईट पडते थे उनका चौंकना भी स्वाभाविक था. सब इधर उधर दौडने लगे. कभी स्लैब पर रखे तवे पर तो कभी भिगाई हुई दाल पर और धो कर रखे बर्तनों पर ऐसे भाग रहे थे ऐसे भाग रहे थे कि बस पूछिए ही मत…एक तो भाग दौड के चक्कर में मेरे पैरों पर ही आ गिरी. एक तरफ वो मुझे देख कर भाग रही थी तो दूसरी तरफ मैं उससे डर कर भाग रही थी
हे भगवान !! वो रसोई जिसे मैं रात को चमका कर जाती थी छिपकली और काकरोचों का अड्डा बना हुआ था.
खैर, तीन चार मिनट के अंदर अंदर सब नार्मल हो गया पर मुझे बडी सीख दे गया सबसे पहली तो जो भी रसोई मे रखो सब ढक कर रखना चाहिए. प्लेट कटोरी आदि सोने से पहले भीतर या स्टेट्ड पर लगा देने चाहिए. और रात को रसोई कितनी भी साफ करके क्यो न सोए सुबह एक बार स्लैब पर कपडा जरुर लगाना चाहिए.
उस रात मैं फिर सोई नही और गूगल सर्च करने की छिपकली या काकरोचों आदि को कैसे भगाना चाहिए.
Natural Alternatives To Pest Control |
मच्छर पर रोक- मच्छरों को भगाने के लिये आप नीम, तुलसी और गंजनी की पत्तियों को अपने घर के आस-पास लगाएं। इस बात का ध्यान रहे कि इनको प्रभावित करने वाली चीजें घर पर ना रखें। गहरे रंग के कपड़े, परफ्यूम और हेयर स्प्रे से यह काफी आकर्षित होते हैं।
कपूर का प्रभाव- कपूर में सल्फर पाया जाता है जो कि कीट को दूर रखने के लिये बहुत ही कार्यगर है। इसके अंदर एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल तत्व पाए जाते हैं। अपने घर पर कपूर की दो-तीन गोलियां जलाएं जिससे आपको छोटे-मोटे कीटों से छुटकारा मिल सके।
चींटी उपचार- क्या आपके किचन में चिटियों का प्रकोप है, जो आपके चाय के कपों और अलमारी में रखी चॉकलेट को खा जाती हैं। अगर ऐसा है तो अपने किचन को हमेशा साफ-सुथरा बनाएं रखनें में ही भलाई है। इसके साथ ही हफ्ते में एक बार कैरोसीन से पोछा लगाने पर भी वह गायब हो जाती हैं। Read more…
Ajab Gjab
जानिए छिपकली से जुड़े शकुन और अपशकुनों के बारे में। 1 – नए घर में प्रवेश करते समय यदि गृहस्वामी को छिपकली मरी हुई व मिट्टी लगी हुई दिखाई दे तो उसमें निवास करने वाले लोग रोगी हो सकते हैं, ऐसा शकुन शास्त्र में लिखा है। इस अपशकुन से बचने के लिए पूरे विधि-विधान से पूजन करने के बाद ही नए घर में प्रवेश करना चाहिए। 2 – अगर छिपकली समागम करती मिले तो किसी पुराने मित्र से मिलना हो सकता है। लड़ती दिखे तो किसी दूसरे से झगड़ा संभव है और अलग होती दिखे तो किसी प्रियजन से बिछुडऩे का दु:ख सहन करना पड़ सकता है। 3 – शकुन शास्त्र के अनुसार दिन में भोजन करते समय यदि छिपकली का बोलना सुनाई दे शीघ्र ही कोई शुभ समाचार मिल सकता है या फिर कोई शुभ फल प्राप्त हो सकता है। हालांकि ये घटना बहुत कम होती है क्योंकि छिपकली अधिकांश रात के समय बोलती है। 4 – छिपकली अगर माथे पर गिरती है तो संपत्ति मिलने की संभावना बढ़ जाती है। 5 – यदि छिपकली आपके बालों पर गिरती है, इसका मतलब मृत्यु सामने खड़ी है। Read more…
वैसे पढा ये भी है कि मोर पंख रखने से छिपकली नही आती अब उसी की तालाश मे हूं … शायद काम बन जाए … फिलहाल तो बस बहुत सर्तक हो गई हूं …
रसोईघर की सफाई के बारे में आपके पास भी कोई टिप्स हो तो जरुर बताईएगा …
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