भेदभाव की राजनीति – युवा बनाम प्रौढ लेखक
भेदभाव बहुत है समाज में … जी नही, ना तो मैं किसी जाति न किसी गोरे, काले और ना ही अमीर, गरीब का भेदभाव कर रही हूं ये भेदभाव है युवा और प्रौढ लेखको के बीच… बात बहुत पुरानी है जब बचपन में लिखा करती थी तो यही कहा जाता था अभी बच्चे हो, बडे हो जाओ फिर लिखना … समय बीता और लो जी हम बडे यानि युवा भी हो गए … फिर सम्पादक महोदय के चक्कर काटे… अपने लेख छपवाने के सिलसिले मे… बेशक, बहुत सराहना मिली पर यह भी कहा गया कि हम अपनी पत्रिका में जरा अनुभवी लेखको को लेते हैं जरा आप आठ दस साल अनुभवी हो जाईए Mature हो जाईए फिर देखिए हमारी पत्रिका आपके लेख जरुर लेगी..
इसी बीच एफएम भी शुरु हुआ वहां भी बहुत सराहना मिली, आवाज की तारीफ भी हुई पर यह भी कहा गया कि एफएम पर युवाओ को ही मौका दिया जा रहा है… वहीं जब एक सम्मान और पुरस्कार की बात हुई वहां कहा गया कि भले ही आपकी उपलब्धियां अलग हों पर फिर भी आप थोडे से और परिपक्व हो जाईए…ये सुनते सुनते अब तो बालों से भी सफेदी झांकने लगी थी… और इंतजार था और परिपक्व होने का फिर …. लिख लिख कर अब हम पूरी तरह से बडे, Mature या दूसरे शब्दों में बूढे हो चुके हैं अब क्या …
आज फिर एक सम्पादक के आफिस जाना है एक घंटा इंतजार करवा कर सम्पादक महोदय मिले और मेरी उपलब्धियों से प्रसन्न हुए और बोले कि इस बार से हम कुछ बदलाव करने जा रहे हैं और इस बार से एक साल तक हम सिर्फ युवाओ को ही स्थान देंगें… आप फिर भी अपने लेख छोड जाईए मैं खुश हो गई तो क्या अब मेरे लेख प्रकाशित करेंगें इस पर वो बोले जी इसकी तो गारंटी नही पर अगर खुदा न खास्ता आप अचानक ऊपर चली गई तो यानि खुदा को …. तो ह हा हा हम सबसे पहले आपका पूरा परिचय प्रकाशित करेंगें…और एक आधा लेख भी … क्या !!!
मैं गुस्से में उठी और अचानक मेरी नींद खुल गई… जान मे जान आई …कि ये सब सपना था असल में, आज एक अखबार मे आया हुआ था कि वो युवा लेखकों को ही मौका देंगें … मन भी बहुत उधेड बुन चल रही थी शायद यही सोचते सोचते नींद आ गई होगी… वो तो शुक्र है कि आज के समय में ब्लॉग है अपनी बात कहने के लिए … अन्यथा उन्होनें तो मेरे मरने के बाद का ही प्रोग्राम तय कर रखा था… ह हा हा .. मैं खुद पर मुस्कुरा दी.
मैने अपना ब्लॉग़ खोला और युवाओं और प्रौढ लेखको के भेदभाव पर लिखना शुरु कर दिया …..और निशाने पर लिए देश को चलाने वाले नेता … जब पचास पचास साल के अधेड नेता युवा हो सकते हैं तो लेखक युवा क्यो नही हो सकता …
वैसे आपके इस बारे में क्या विचार हैं जरुर बताईएगा …