मुद्दे की बात
मुद्दे की बात
कल से कुछ खबरों को देख पढ कर विचारो की बहुत उथल पुथल हो रही है. पता नही क्यो पर बार बार मन यही सोचने पर मजबूर हो रहा है कि हम अक्सर मुद्दे से भटक जाते हैं.अब जैसे एक गायक पर ही केस दर्ज करवा दिया कि उसके गीत के बोल अच्छे नही हैं वही लडकियो के पहनावे को लेकर बवाल है तो वही लडकियों के मोबाईल इस्तेमाल करने पर भी कुछ लोगो को आपति है वही एक बात और सामने आई कि हम गैंग रेप पीडिता का नाम छुपाया नही जाना चाहिए.
अरे भई, ये हो क्या रहा है. अगर पीडिता के माता पिता चाहें तो नाम सार्वजनिक हो सकता है पर अगर वो ना चाहे और कोई नाम पता सार्वजनिक कर दे तो यह भी किसी अपराध से कम नही है.
मुद्दे की बात ये है कि एक जधन्य अपराध हुआ है और अपराधी को ऐसी कडी से कडी सजा मिलनी चाहिए कि कोई भी ऐसा दुष्कर्म करने से पहले लाख बार सोचे. हां, ये बात जरुर है अगर इस पीडिता की वजह से कोई नया कानून बनता है तो जरुर उस नए कानून मे उसका नाम हो (अगर उसके माता पिता की सहमति हो). ठीक वैसे ही जैसे संजय गीता के नाम से पुरुस्कार दिया जाता है.
आज सुबह एक टीवी चैनल की रिपोर्ट देख कर मै हैरान रह गई कि इस कडाके की ठिठुरती सर्दी मे कुछ कुछ लोग जंतर मंतर पर सिर्फ इसलिए बैठे हैं कि पीडिता जो ज्वाला जगा गई है उसकी लौ ठंडी ना पडे.
इंसाफ की लडाई लडने के लिए वो वहां बैठे हैं. वो बेनाम पीडिता समस्त महिलाओ की अगवाई कर रही है उसका क्या नाम है वो कहां रहती है इससे उन्हे कोई मतलब नही.
इन सब के बीच एक अच्छी खबर यह सुनने मे आ रही है कि गैंग रेप केस वाली चार्ज शीट तैयार हो गई है और फास्ट ट्रैक कोर्ट मे कल से सुनवाई शुरु हो रही है. मेरे विचार से अगर इस तरह से कोर्ट बन जाएगी और कठोर कानून बन जाएगा तो निश्चय तौर पर इस अपराध मे जरुर कमी आएगी और इन सभी का क्रेटिड जाएगा हमारे देश की जनता को जो अब जाग चुकी है !!!!
मुद्दे की बात
Monica Gupta
Monica Gupta
मोनिका गुप्ता लेखिका, कार्टूनिस्ट, पत्रकार तथा समाज सेविका हैं. ये हरियाणा के सिरसा मे रहती हैं और लेखन मे लगभग 23 सालों से हैं. राष्ट्रीय समाचार पत्र-पत्रिकाओ के साथ-साथ लोटपोट, चंपक, बालहंस, बालभारती, नैशनल बुक ट्र्स्ट की न्यूज़ बुलेटिन आदि मे इनके लेख, कहानी एवं प्रेरक प्रसंग नियमित रूप से छपते रहते हैं.
इसके साथ-साथ इन्होंने जयपुर आकाशवाणी, हिसार आकाशवाणी में भी बहुत प्रोग्राम दिए हैं. आकाशवाणी रोहतक से इनके द्वारा लिखित नाटक एवं झलकियाँ प्रसारित होती रहती हैं. इनकी पांच किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं “मै हूँ मणि” को 2009 मे हरियाणा साहित्य अकादमी की तरफ से बाल साहित्य पुरस्कार मिला. “समय ही नहीं मिलता” (नाटक संग्रह) है जिसे हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से अनुदान मिला. “अब तक 35” (व्यंग्य संग्रह) है. “स्वच्छता एक अहसास” (सामाजिक मूल्यों पर आधारित किताब) है. ”काकी कहे कहानी” बाल पुस्तक है जोकि “नैशनल बुक ट्र्स्ट” से प्रकाशित हुई है. इसके इलावा फिलहाल दो किताबें प्रकाशनाधीन हैं. पत्रकार, लेखिका और कार्टूनिस्ट होने के साथ-साथ ये समाज सेवा से जुडी हुई हैं और नारी सशक्तीकरण और बच्चों मे छिपी प्रतिभा पहचान कर उन्हें नई पहचान देने की दिशा मे प्रयासरत हैं.
मोनिका गुप्ता रक्तदान से जुडी संस्था “आईएसबीटीआई” की पत्रिका ”जय रक्तदाता” का सम्पादन करने मे जुटी हैं. आजकल “दैनिक जागरण” मे हर सोमवार को प्रकाशित मुद्दा विषय पर इनके कार्टून नियमित छ्प रहे हैं और “दैनिक नवज्योति”, जयपुर से हर रविवार “दीदी की चिठ्ठी” नियमित रुप से छ्प रही हैं.चाहे खबर हो या कार्टून, या लेखन के माध्यम से मोनिका अपनी बात इस तरीके से कह जाती हैं कि एक बारगी लोग सोचने पर जरुर मजबूर हो जाते हैं.
दीदी की चिट्ठी
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