Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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October 1, 2015 By Monica Gupta

स्वच्छ भारत

कार्टून ( मोनिका ग़ुप्ता)

कार्टून ( मोनिका ग़ुप्ता)

स्वच्छ भारत

बनाम गांधी जयंती

पिछ्ले साल यानि सन 2014 में 2 अक्टूबर से स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई. आरम्भ में झाडू हाथ मे लेकर फोटो खिचवाने का बहुत क्रेज देखा गया. नेता लोग साफ सुथरी जगह जाकर अभियान का शुभ आरम्भ  करते चाय ठंडा पीकर अपनी बाईट देकर लौट जाते पर इस बात को जब मीडिया मे उछाला गया तो फोटो का काम लगभग बंद हो गया और स्वच्छता भी कही दिखाई नही दी. और देखिए स्वच्छ भारत अभियान में बापू गांधी को ही स्वच्छता का चश्मा लगा दिया…

स्वच्छता तभी आएगी जब आम जन स्वच्छता को लेकर जागरुक होगा. मेरे विचार से हमारे देश वासी जुर्माने से बहुत डरते हैं .. जो गंदगी फैके उस पर जुर्माना कर देना चाहिए पर उससे पहले सडक पर कूडा दान होने चाहिए और जमादार नियमित रुप से घरों में आने चाहिए !!!

: | स्वच्छ भारत अभियान: एक कदम स्वच्छता की ओर

महात्मा गांधी ने अपने आसपास के लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था। उन्होंने “स्वच्छ भारत” का सपना देखा था जिसके लिए वह चाहते थे कि भारत के सभी नागरिक एक साथ मिलकर देश को स्वच्छ बनाने के लिए कार्य करें। महात्‍मा गांधी के स्‍वच्‍छ भारत के स्‍वप्‍न को पूरा करने के लिए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी – बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है ने 2 अक्‍टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान – बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है शुरू किया और इसके सफल कार्यान्वयन हेतु भारत के सभी नागरिकों से इस अभियान से जुड़ने की अपील की।

इस अभियान का उद्देश्य अगले पांच वर्ष में स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है ताकि बापू की 150वीं जयंती को इस लक्ष्य की प्राप्ति के रूप में मनाया जा सके। स्वच्छ भारत अभियान – बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है, सफाई करने की दिशा में प्रतिवर्ष 100 घंटे के श्रमदान के लिए लोगों को प्रेरित करता है। माननीय प्रधानमंत्री द्वारा मृदला सिन्‍हा, सचिन तेंदुलकर, बाबा रामदेव, शशि थरूर, अनिल अम्‍बानी, कमल हसन, सलमान खान, प्रियंका चोपड़ा और तारक मेहता का उल्‍टा चश्‍मा की टीम जैसी नौ नामचीन हस्तियों को आमंत्रित किया गया कि वह भी स्‍वच्‍छ भारत अभियान में अपना सहयोग प्रदान करें, इसकी तस्‍वीरें सोशल मीडिया पर साझा करें और अन्‍य नौ लोगों को भी अपने साथ जोड़ें, ताकि यह एक श्रृंखला बन जाएं। आम जनता को भी सोशल मीडिया पर हैश टैग #MyCleanIndia लिखकर अपने सहयोग को साझा करने के लिए कहा गया।. india.gov.in

September 30, 2015 By Monica Gupta

मन की उलझन

मन की उलझन

कुछ  देर पहले मार्किट में एक जानकार मिली. वो अपनी बिटिया के साथ शापिंग करने आई हुई थी. उसकी शादी को साल भर ही हुआ होगा. वो बिटिया मेरे पास आई और बोली कि आपसे बात करनी है. मेरे कहने पर कि बताओ इस पर वो बोली कि अकेले मे … शाम को घर आएगी पर मम्मी को बिना बताए. टेंशन तो मुझे भी हुई कि कोई न कोई गम्भीर बात है. जरुर दहेज आदि का ही मामला होगा पर मम्मी के सामने नही बोला यानि कुछ और ही बात है.

ठीक चार बजे वो घर आई. उसने कहा कि आप मम्मी को समझाईए वो बहुत फोन करती हैं मुझे. एक दिन मे कम से कम पाचं सात बार… क्या कर रही हो ? आज क्या खाया? कौन सी साडी पहनी? दहेज खूब दिया है ठाठ से रह.. किसी की मत सुनियो और घर का काम करने की जरुरत नही. रानी की तरह रह… वो बोलती ही जा रही थी कि वो अपने नए परिवार के साथ मिलजुल कर रहना चाह्ती है पर मम्मी की बात सुन कर उनकी बातों में आने का डर लगा रहता है. अब आप ही मम्मी को समझाईए कि दखल न दें उसे अपने हिसाब से घर चलाने दें…

मैं उसकी बात से सहमत हूं. कई बार माओं के ज्यादा प्यार के चक्कर में बसा बसाया घर बिखर भी जाता है पर मुझे खुशी इस बात की है कि बिटिया समझदार है. वो सही गलत जानती है. बिटिया तो चली गई और सोच रही हूं कि उसकी मम्मी को समझाना भी एक अभियान है या तो उसकी मम्मी से सीधी बात करुं या कि सीधी बात न करके किसी दूसरे का उदाहरण देकर उसे समझाऊं या फिर उसकी बिटिया ही मां को समझाए  हो सकता है उसने समझाया होगा पर बात नही बनी होगी… वैसे क्या आप आईडिया दे सकते है ???

मन की उलझन tension photo

 

 

 

September 30, 2015 By Monica Gupta

Rotary Blood Bank

Rotary Blood Bank

 

आईएसबीटीआई की दिल्ली में कांफ्रेस के दौरान बहुत से ऐसे लोगों से मिलना हुआ जो रक्तदान पर बहुत जबरदस्त कार्य कर रहे थे. किसी की संस्था है तो कोई संस्था के साथ मिलकर रक्तदान जैसे सामाजिक कार्य में निस्वार्थ भावना से कार्य कर रहें हैं. लक्ष्य और उद्देश्य सभी का एक है कि देश में शत प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान हो.

इसी कार्यक्रम में आई रोट्ररी ब्लड बैंक दिल्ली की सीएमओ अंजू वर्मा  और चीफ टैक्निकल आफिसर आशा बजाज जी से मिलना हुआ. बेहद मिलनसार और सबसे अच्छी बात ये कि रक्तदान के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं. आशा जी ने बताया कि  वो और अंजू वर्मा जी जब से रोट्ररी ब्लड बैंक शुरु हुआ वो तभी से यानि 2001 से इसके साथ जुडी हैं.

रोट्ररी ब्लड बैंक का मिशन यही है कि दिल्ली और दिल्ली के आसपास रहने वालों की रक्त की कमी से कभी जान न जाए. इसलिए उनकी संस्था कभी कालिज, कभी स्कूल कभी किसी संस्थान में तो कभी कैम्प के माध्यम से रक्त एकत्र करने के साथ साथ जागरुक भी करते हैं. स्कूल में पेरेंटस टीचर मीटिंग के दौरान कैम्प लगाते हैं क्योकि अगर टीचर या माता पिता रक्तदान करेंगें तो निसंदेह  बडे होने पर बच्चे भी आगे आएंगें.

उन्होने बताया कि ब्लड बैंक में किसी भी तरह से रिप्लेसमैंट नही है और 24 घंटे खुला रहता है. जिसे जब भी जरुरत हो वो फोन करके या मिलकर विस्तार से  जानकारी ले सकता है. दिल्ली मे तुगलकाबाद में उनका रोट्ररी ब्लड बैंक है और  टेलिफोन नम्बर 01129054066- 69 तक नम्बर हैं.

आशा जी ने यह भी बताया कि थैलीसिमिया  का टेस्ट भी यहां होता है. इस बारे में भी वो लगातार जागरुक करते रहतें हैं कि शादी से पहले थैलीसीमिया टेस्ट जरुरी होता है ताकि शादी के बाद किसी भी तरह की दिक्कत का सामना न करना पडे.

आजकल बहुत ज्यादा व्यस्तता है क्योंकि डेंग़ू की वजह से प्लेटलेटस  और रैड ब्लड सैल की बहुत मांग है. उन्होनें बताया कि ब्लड बैंक का सारा स्टाफ स्वैच्छिक रक्तदाता है और हर तीन महीने बाद रक्तदान करता है.

मेरे पूछने पर कि एक महिला होने के नाते महिलाओं की खून की कमी के बारे में क्या कहना चाहेंगी इस पर वो मुस्कुरा कर बोली कि एनीमिया प्रोजेक़्ट पर भी उनका  ब्लड बैंक जुटा हुआ है और समय समय पर चैकअप कैम्प लगाए जाते हैं और जागरुक किया जाता है.

रही बात आज के समय कि तो उन्होनें बताया कि बहुत बदलाव आया है और आ भी रहा है. बहुत अच्छा लगता है जब स्वैच्छिक रक्तदान के लिए ना सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाए भी आगे आती हैं. हालाकि यूरोपिय देशों की तुलना में तो बहुत कम है पर फिर भी ऐसी जागरुकता होना एक शुभ संकेत है.

आशा जी ने बताया कि वो लगभग 30 सालों से इस क्षेत्र से जुडी है. जब भी कोई परेशान, दुखी व्यक्ति रक्त के लिए आता है और उसे वो मिल जाता है तो उसके चेहरे की खुशी देख कर एक ऐसी आत्मसंतुष्टि मिलती है जिसे शब्दों मे व्यक्त नही किया जा सकता.

मीटिंग का अगला सैशन शुरु हो गया था इसलिए मुझे अपनी बात को यही रोकना पडा. जिस सच्चे मन से उनकी संस्था कार्य कर रही है उसके लिए पूरी टीम बधाई की पात्र है… शुभकामनाएं !!!

यकीनन देश में अगर हम शत प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान देखना चाह्ते हैं तो हम सभी को मिल कर सांझा प्रयास करना होगा.

Rotary Blood Bank

Rotary Blood Bank

 

 

Rotary Blood Bank

 

September 30, 2015 By Monica Gupta

Digital India

Digital India by Monica Gupta

Digital India by Monica Gupta

Digital India

बेशक, डिजिटल इंडिया बहुत अच्छा प्रयास है और् स्वागत योग्य है पर जिस तरह से नेट वर्क इतना धीमा चल रहा है कि सुबह से दोपहर हो जाती है बस Page is loading ही चलती रहती है कुछ पोस्ट नही कर पाते ऐसे मे किस मन से सुस्वागत करें हम इसका …

 

Digital India

 

Here’s what you need to know about the Digital India initiative | Latest News & Updates at Daily News & Analysis

Several people have changed their Facebook profile pictures after CEO Mark Zuckerberg and Prime Minister Narendra Modi did so and urged other to follow suit to support the Digital India initiative. But wait–this profile picture change actually ties more closely in to Facebook’s own Internet.org strategy, which should not be confused as being congruous with India’s Digital India movement.

So merely switching to a tricolour profile picture has, in fact, nothing to do with the Digital India initiative. Lets clear the air and re-look at the tenets that define the Digital India initiative.

Also Read: From Microsoft’s Satya Nadella to Apple’s Tim Cook, who said what about ‘Digital India’

Launched by Prime Minister Narendra Modi on July 1, 2015, the Digital India initiative was started with a view to empower the people of the country digitally. The initiative also aims to bridge India’s digital segment and bring big investments in the technology sector. Via dnaindia.com

Digital India

September 23, 2015 By Monica Gupta

ऐसा भी होता है

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ऐसा भी होता है

कई बार कुछ ऐसा पढने या सुनने को मिल जाता है कि लगता ही नही है कि यह हकीकत है. ऐसा लगता है मानो कोई फिल्मी कहानी है और किरदार अपना अपना काम खत्म कर के चले जाएगे. पर ये हकीकत है.जिसे मै आपको जरुर बताना चाहूगी. बात है सन 2012 की जिसे मैने नेट पर ही पढा था.

 पूना के एक जाने माने industrialist श्री जावेरी पूनावाला हैं और उनका ड्राईवर है देवी दत्तजोकि पिछ्ले तीस सालो से उनके यहां कार चला रहा है.श्री पूनावाला उस समय जरुरी मीटिंग के सिलसिले मे पूना आए हुए थे जब उन्हे पता चला कि उनके ड्राईवर की मृत्यु हो गई है. उन्होने सारे काम रोक कर देवी दत्त के परिवार वालो से विनती की कि वो जरा उनका इंतजार करे और वो तुरंत हैलीकाप्टर से मुम्बई रवाना हो गए. वापिस लौट कर उन्होने उसी गाडी को सजवाया जिसे देवीदत्त चलाया करते थे और उसमे देवीदत्त का पार्थिव शरीर रखवाया और उस गाडी को स्वंय चला कर घाट तक ले कर गए.

जब उनसे पूछा कि उन्होने ऐसा क्यो किया तो उन्होने कहा कि देवीदत्त मे दिन रात उनकी सेवा की. वो उसके बहुत आभारी है जिसके एवज मे वो इतना तो कर ही सकते है.इसके साथ साथ देवीदत्त बहुत गरीबी से ऊपर उठे थे और इन हालातो मे उन्होने अपनी लडकी को सी.ए. बनाया है जोकि तारीफ के काबिल है.
श्री जावेरी ने बताया कि इसमे कोई शक नही कि रुपया तो हर कोई कमा लेता है पर हमे उन लोगो का भी धन्यवादी होना चाहिए जिनका सफलता मे योगदान रहा. उनका ऐसा मानना है और उन्होने वही किया.
वाकई मे,यह मानवता का एक शानदार उदाहरण है जो कुछ ना कुछ सोचने पर मजबूर कर देता है कि ऐसा भी होता है.

September 23, 2015 By Monica Gupta

सफलता की कहानी

 

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सफलता की कहानी

रक्तदान के क्षेत्र में एक प्रेरणा है अशोक कुमार

रक्तदाता श्री अशोक कुमार

रक्तदान से सम्बंधित एक कार्यक्रम चल रहा था. मीडिया, नेता, वक्ता, टीचर, डाक्टर आदि बहुत सज्जन मौजूद थे. सभी बहुत ध्यान पूर्वक कार्यक्रम सुन रहे थे तभी अचानक दरवाजा खुला और एक पुलिस वाले भीतर आए. उन्हे देख कर अन्य लोगो की तरह मेरे मन मे भी यही सवाल उठ रहा था कि यह यहां किसलिए आए हैं इनका यहां क्या काम है. इतने मे उन्हे स्टेज पर बुलाया गया. मैने सोचा कि स्पीच वगैरहा देकर चले जाएगे. पर स्पीच के दौरान सुना कि वो तो स्वयं रक्तदाता हैं और अभी तक 45 बार रक्तदान कर चुके हैं और 15 बार रक्तदान के कैम्प लगा चुके हैं. उनकी बातो से प्रभावित होकर मैने विस्तार से उनसे बात की.

सफलता की कहानी

उनका पूरा नाम है श्री अशोक कुमार. 3 सितम्बर सन 1972 मे जन्मे अशोक जी का जन्म हरियाणा के करनाल मे हुआ. पिता आर्मी मे थे. उन्होने सन 1962 और 1965 की लडाई भी लडी इसलिए बचपन से ही वो उनसे प्रेरित थे और बस एक ललक थी कि बडे होकर या तो आर्मी या पुलिस मे जाना है. कालिज मे जाने के बाद एनसीसी ज्वाईन कर ली थी. वैसे ना तो उन्हे सांइस और ना ही कामर्स का शौक था पर बडो के कहने पर उस विषय को लेना पडा. इससे पहले मैं कुछ और पूछती उन्होने बताया कि आज की तारीख मे उनके पास चार डिग्री बीकाम, एमकाम, एलएलबी और एलएलएम की हैं. फिर सन 98 मे वो पुलिस मे भर्ती हुए और आजकल हरियाणा के कुरुक्षेत्र मे वो फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट हैं.

रक्तदान के बारे मे अपने पहले अनुभव को उन्होने इस तरह से बताया कि सन 90 मे जब एनएसएस का कैम्प लगा था तब वो और उनके तीन चार दोस्त रक्तदान करने गए. तब अपने तीनो दोस्तो मे वो ही रक्तदान कर पाए और उनके दोस्त किसी ना किसी वजह से रक्त दान नही कर पाए. उस दिन इनमे एक अलग सा ही आत्मविश्वास आ गया और बस तभी से रक्तदान की शुरुआत हुई. एक और अच्छी बात यह भी हुई कि घर पर सभी ने शाबाशी दी और प्रोत्साहित किया. वैसे भी आर्मी मे समय बेसमय रक्त की जरुरत तो पडती ही रहती थी तब उनके पिता भी हमेशा आगे रहते. यही भावना उनके मन मे भी घर कर गई थी कि वो भी कभी भी जरुरतमंद को अवश्य खून दिया करेगें.

अब मेरे मन मे एक ही सवाल था कि पुलिस वालो के लिए अक्सर लोग बोलते है कि ये लोग तो खून पीतें हैं. इस पर वो मुस्कुराते हुए बोले कि यकीनन बोलते हैं और कई बार दुख भी होता है पर खुद काम अच्छा करते चलो तो कोई परेशानी नही आएगी. एक बार का वाक्या याद करते हुए उन्होने बताया सन 2010 मे जब उन्होने खून दान किया तो अखबार मे प्रमुखता से खबर छपी तो श्री सुधीर चौधरी (आईपीएस) ने भी यही बात की थी और शाबाशी भी दी थी कि बहुत अच्छा कार्य कर रहे हों. तब भी विश्वास को एक नया बल मिला था.

कोई मजेदार बात सोचते हुए उन्होने बताया कि जब भी वो कैम्प लगाते है कि जानी मानी शखसियत को बुलाते हैं. एक बार ( नाम नही बताया) जब उन्होने अपने कैम्प मे आने का निमत्रंण दिया तो पहले तो उन्होने सहर्ष स्वीकार कर लिया पर बाद मे बोले कि उन्हे रक्त देख कर ही डर लगता है इसलिए वो नही आ पाएगे. पर बहुत प्रयास और समझाने के बाद वो आए और पूरे समय कैम्प पर ही रहे पर रक्तदान के नाम से आज भी कतराते हैं.

अशोक जी ने बहुत गर्व से बताया कि आज की तारीख मे लगभग 1000 पुलिस विभाग के लोग उस मुहिम से जुडे हैं और वो जब भी खुद कैम्प आयोजित करते हैं ज्यादा से ज्यादा पुलिस को जोडते हैं ताकि समाज मे फैली धारणा को वो बदल सकें. समाज सेवा मे मात्र रक्तदान ही नही वो भ्रूण हत्या, वृक्षारोपण, सडक दुर्धटना मे घायल लोगो की मदद करना और गरीब बच्चो को छात्रवृति भी प्रदान करवाते हैं. आज की तारीख मे अशोक जी के पास दो नेशनल एवार्ड हैं. 15 स्टेट एवार्ड ,13 जिले व प्रशासन की ओर से मिले सम्मान और 23 एनजीओ की तरफ से मिले विशेष सम्मान मिले है जोकि बहुमूल्य हैं. मैं उनकी बातों से शत प्रतिशत सहमत थी.

अंत मे जब मैने पूछा कि जनता के लिए क्या संदेश है इस पर वो बोले कि एक कविता लिखी हैं. ये बात फिर चौका गई क्योकि पहली बात तो वो पुलिस वाले फिर रक्तदाता और फिर अब कवि भी. अपना संदेश उन्होने कुछ इस तरह से रखा….

आओ मिल कर कसम ये खाए

खून की कमी से ना कोई मरने पाए

जात पात और मजहब से उपर उठ कर

इंसानियत की जोत जगाए

हम तो है भारत वासी देख का गौरव ऊंचा बढाए !!!

अशोक जी इसी तरह रक्तदान की मुहिम को आगे बढाते रहॆं. आईएसबीटीआई परिवार की ओर से ढेरो शुभकामनाएं !!!!

सफलता की कहानी आपको कैसी लगी ?? जरुर बताईगा !!

मोनिका गुप्ता

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