Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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March 26, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

की एंड का

की एंड का

life is short photo

की एंड का

है एंड था  …  सुनने में जरा अजीब लगा होगा ठीक वैसे जैसे मुझे फिल्म “की एंड का” सुनकर लगा था. वो रील लाईफ है और  पर ये रियल लाईफ है जो अभी तक “है”और अगले  ही पल “था” हो गया … बस जिंदगी इतनी ही छोटी है. “है एंड था” के बीच मे झूलती !! बेशक आपको मेरी बात अजीब लगे … पर यही सच्चाई है !!

बहुत जरुरी है कि जितना हम जीए, जितना समय जीए… खुश रहें मस्त रहें .. प्यार दें और और प्यार बांटे… !! पता नही कब हमारा “है” “”था” में परिवर्तित हो जाए!!

Photo by Wootang01

March 21, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

न्यूज चैनल और मेरे मन की बात

हे भगवान

हे न्यूज चैनल

न्यूज चैनल और मेरे मन की बात

बात का बतंगड़ बनाते खबरिया चैनल और मेरे मन की बात

एक सामारोह में  जानकार की बिटिया अपनी मम्मी से बहुत बुरी तरह बत्तमीजी  से बात कर रही थी और उसकी मम्मी चेहरे पर स्माईल लिए यह दिखाने की कोशिश कर रही थी कि सब नार्मल है … कोई बात ही नही… !! आमतौर पर जब बच्चे ढंग से बात नही करते तो माता पिता उनका ढिंढोरा नही पीटते कि बच्चे ने क्या बोला … इधर उधर बुराईया नही करते फिरते अपने बच्चों की… वो बच्चे को प्यार से समझाते है और बताते है कि क्या सही और क्या गलत है …

ठीक उसी तरह मीडिया भी समाज में एक परिवार के समान ही है…!! बेशक, मीडिया का काम हमें हर बात से रुबरु करवाना है पर क्या बस इतना ही उसका कर्तव्य है … ( अगर सच भी दिखाए तो भी ठीक हैं … वो तो राजनीति के गुलाम बनें या टीआरपी या विज्ञापन के चक्कर मे पडे रहते हैं और खबरें बिखर जाती हैं )

उसकी भी कुछ जिम्मेदारी है समाज के प्रति या नही… उसका भी फर्ज होना चाहिए कि बजाय हर बात को बढा चढा कर दिखाने के, टीआरपी के चक्कर में बेसिर पैर की ब्रेकिंग न्यूज दिखाने के, जरा संयम से काम ले और खबर को इस एंगल से दिखाए कि माहौल में तनाव बढाने की बजाय दर्शक पर खबर का सकारात्मक असर पडे … !!

अक्सर हैरानी होती है जब खबर को न सिर्फ  लगाई बुझाई में बल्कि तोड मरोड् के बल्कि भडकाने में लगे रहते हैं और 24 घंटे चलने वाले चैनल में जब बहस करते हैं तो यह कह कर बहस खत्म हो जाती है कि समय खत्म हो गया … !! अरे भई !! 24 घंटे का चैनल है … जरा विज्ञापन कम कर दो … पर खबर को सार्थक तो बनाओं … एक घंटे की बहस का कोई हल तो निकालो !!! बुरा न मानना पर आज जिस माहौल में हमारा देश चला गया है उसकी कही न कही जिम्मेदारी चैनल की भी है… न्यूज हमारी जिंदगी में बहुत गहरा असर डालती है इसलिए भी यह बात कहनी जरुरी है… !!

इसलिए हे न्यूज चैनल वालो … अगर आपका चैनल वाकई संजीदा है, देश के प्रति अच्छी और सकारात्मक सोच रखता है  और  देश की दशा सुधारना चाहते हैं तो टीआरपी का लालच छोडना होगा..  आपको सुधरना होगा… खुद को राजनीति और नेताओं से दूर रखना होगा … खबर पर पैनी निगाह तो रखनी होगी पर दोनों पक्षों को भी दिखाना होगा ये नही कि बस एक ही पक्ष की राय लेकर न्यूज की इति श्री कर ली जाए…आज समाज के एक अभिन्न अंग हो… चौथे स्तम्भ हो और इसका मतलब आप शायद भली प्रकार जानते हो.  आपकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है बचकानी हरकते छोड कर गम्भीरता से अपना कार्य अंजाम दें

बुरा न मानिएगा पर आपके कंधों पर एक बहुत बडी जिम्मेदारी है और उसे निभाना होगा … अन्यथा इस दिशा में हमारा देश जा रहा है ….. !!! बस … बाकि आप खुद समझदार  हैं…

(कुछ दिनों से न्यूज चैनल पर देश के हालात देख कर मन परेशान सा है इसलिए यह सब लिखने पर मजबूर हुआ… )

March 20, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

रिजल्ट, बच्चे और अविभावक

बच्चे, रिजल्ट और अविभावक

रिजल्ट, बच्चे और अविभावक

mother and parents photo

जरा सोचिए

कुछ देर पहले एक जानकर आए हुए थे…चाय पीते हुए उन्होनें बताया कि बहुत टेंशन हैं बच्चों का रिजल्ट आना है … 31 मार्च को पेरेंटस टीचर मीटिंग है… मैने भी कहा कि ओह … शायद बच्चों के पेपर अच्छे नही हुए … वो बोले अरे नही पेपर तो बहुत अच्छे हुए हैं और ये हर साल फर्स्ट ही आते हैं… इस बात की तो चिंता नही … तो प्रोब्लम क्या है … मेरे पूछ्ने पर काजू खाते खाते उसने बताया कि असल में , बच्चे हमेशा खाने के लिए टोकते हैं कि और बच्चों के पेरेंटस भी आते हैं सभी फिट और स्मार्ट है पर आप दोनों बहुत मोटे हो … अगर 31 तक वजन कम हुआ तो ठीक है नही तो रिजल्ट लेने आप लोग नही आओगे… अचानक मेरा ध्यान काजू कतली पर चला गया जोकि लगभग खत्म हो चुकी थी… शायद बच्चों की चिंता जायज थी पर हम लोग क्यों नही सोचते अपनी सेहत के बारे में … !!

एक बेचारा संडे मिलता है और उसी में ओवर ईंटिंग …पराठीं, पूरी आलू, मिठाई …… !!! अरे भई !! खा खा कर क्यों बेचारे शरीर को दुख दे रहे हैं !! अगर बच्चे अभी से चिंता कर रहे हैं तो अच्छी बात है …!! मोटापे के लिए, शादी, त्योहार, थाईराईड या दूसरे बहाने बहाने बनाने छोडिए और अपनी सेहत पर ध्यान देना शुरु कीजिए अन्यथा डाक्टरों के चक्कर भी कम बुरे नही !! बाकि आप खुद समझदार हैं … है ना !! 

Take care …एक दूसरे को कहना  या वटस अप करना बहुत अच्छा लगता है  कि हमें आपकी परवाह है पर क्या वाकई हम अपना ख्याल रखते हैं ??

जरा सोचिए और वाकई में अपना ध्यान रखिए … अच्छा नही बहुत अच्छा लगेगा  😆

रिजल्ट, बच्चे और अविभावक

March 19, 2016 By Monica Gupta 1 Comment

रोचक बाल कहानी – जब पापा ने बनाए मटर के चावल

रोचक बाल कहानी – जब पापा ने बनाए मटर के चावल

रोचक बाल कहानी – जब पापा ने बनाए मटर के चावल

हमेशा ही मम्मी और रसोई का नाता रहा है. मैने आज तक पापा को रसोई से पानी का गिलास खुद लेकर पीते नही देखा. पापा सरकारी अफसर हैं इसलिए दफ्तर के साथ साथ घर पर भी खूब रौब चलता है. ओह क्षमा करें. असल में, बात बताने के चक्कर मैं यही बताना भूल गई कि मैं हू मणि. सातवीं क्लास मे पढती हूं और छोटे से शहर मे रहती हूं.

हां तो मैं बता रही थी कि मम्मी सारा दिन घर पर ही रहती हैं. दिन हो या रात सारा समय काम ही काम… हाँ भाई… नौकरों से काम लेना कोई आसान काम है क्या, हाँ… अरे भई आप तो कुछ समझते ही नही है अब जब पापा सरकारी दफ्तर में काम करते हैं तो नौकर चाकर भी होंगें न हमारे घर पर …हां तो मैं क्या बता रही थी .. मैं बता रही थी कि पिछ्ले कुछ दिनो से पापा खाने में कोई ना कोई नुक्स निकाल रहे थे. इसीलिए मम्मी ने रसोइए की छुट्टी कर के रसोई की कमान खुद सम्भाल ली थी.

पर पापा को इसमे भी तसल्ली नही हुई. नुक्स निकालने का काम तो चलता ही रहा और साथ मे एक बात और जुड गई कि मेरी माता जी खाना ऐसे बनाती थी मेरी माता जी खाना वैसे बनाती.ये सुनकर मम्मी को कभी कभार गुस्सा आ जाता जो अक्सर मेरे ऊपर ही निकलता. ह हा हा !!  खैर समय  ऐसे ही प्यार और लडाई झगडे में बीतता रहा.

peas rice photo

शनिवार को पापा यह कह कर सोए कि कि वो कल सुबह नाश्ते मे बासी परांठा और आलू मैथी ही खाएगे. मुझे पता है कि मम्मी ने बहुत दिल से बनाया. पर वो भी पापा को पसंद नही आया.

उसी समय पापा ने एलान कर दिया कि वो दोपहर को खुद ही मटर के चावल बनाएगे. मम्मी के चेहरे पर अजीब सी परेशानी  और मैं हैरान. पापा और खाना. मुझे समझ नही आ रहा था.
दोपहर के एक बजे मम्मी ने जबरदस्ती टीवी पर क्रिकट मैच देखते हुए पापा को उठाया कि भूख लग रही है.खाना बनाओ. मैच बहुत मजेदार चल रहा था.  पापा अनमने भाव से उठे. मम्मी ने चावल पहले ही भीगो दिए थे इस पर पापा ने गुस्सा किया माता जी तो पहले कभी नही भिगोते थे. अब तो खराब ही बनेंगें … फिर पापा ने कूकर माँगा. मम्मी के कहने पर कि पतीले मे ज्यादा खिले- खिले बनेगें पर पापा तो पापा ठहरे. जो बोल दिया सो बोल दिया. वैसे आप यह मत समझना कि मैं मम्मी की चमची हूँ. मैं सच बात का ही साथ देती हूँ.फिर पापा ने देसी घी लिया और खूब सारा उसमे डाल दिया ताकि मटर अच्छी तरह भुन जाए इतने में मैच मे छ्क्का लगा जल्दी जल्दी मैच देखने के चक्कर मे उन्होंने मसाला भी अंदाजे से  डाल दिया.

मैं और मम्मी चुपचाप पापा का काम देखते रहे. मम्मी तो चुपचाप गर्दन हिलाती रही और मै वँहा स्लैब पर बैठी पापा का लाईव टेलिकास्ट देख रही थी. सच. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. उधर पापा ने मैच देखने के चक्कर मे मटर मे भी नुक्स निकालने शुरु  कर दिए कि मटर तो मीठी है ही नही चावल कैसे अच्छा बनेगा. मैच मे फिर एक खिलाडी आउट हो गया. तभी दरवाजे पर घंटी बजी.मम्मी बाहर जाने को हुए तो पापा ने मना कर दिया कि पहले मसाला भुनने दो फिर जाना.मै उतर के जाने को हुई तो मुझे भी डाटं पड गई कि बार बार आने जाने से उनका ध्यान हट रहा है. तभी फिर एक खिलाडी आउट हो गया. बाहर फिर से घटीं बजी. उधर पापा से कूकर का ढ्क्कन बन्द ही नही हो रहा था. पापा बोले कि कूकर ही खराब है. मम्मी ने गर्दन मटकाते अगले ही पल उसे बन्द कर दिया. इस पर भी पापा बोलने से नही चूके कि उफ आज कल के ये बरतन और मम्मी के पल्लू से  हाथ पोंछ कर बैठक मे चले गए. दुबारा घंटी बजने पर मैं बाहर भागी.

अरे!!!  सामने दादी खडी थीं. उन्होने बताया कि शहर आने का एकदम से प्रोग्राम  बना और वो आ गई. सुबह ही मटर के चावल बनाए थे तो वो भी ले आई.  दादी ने पानी पीया ही था कि कूकर की सीटी भी बज गई. पापा ने एलान कर दिया था कि कूकर वो ही खोलेगे. दादी की मौजूदगी मे उसे खोला गया.पर….  पर …यह समझ ही नही आ रहा था कि यह चावल है या खिचडी. मटर के चावलों का पूरी तरह से हलवा बन चुका था.

पापा मैच देखते हुए धनिए की चटनी के साथ मजे से दादी वाले चावल खा रहे थे और हम. हम मटर वाली खिचडी. नाक मुहं बना कर. इसी बीच मे भारत मैच जीत गया.पर पापा खुश होकर बोले कि रात को वो आलू की परौठी बना कर खिलाएगे.यह सुनते ही मैं और मम्मी कान पर हाथ रख कर जोर से चिल्लाए. नही…. अब और नही. यह सब देख कर दादी ठहाका लगा कर हँस दी और वो किस्सा सुनाने लगी जब मेरे दादा जी ने पहली और शायद आखिरी बार गुड के चावल बनाए थे ..

 

कैसी लगी कहानी जरुर बताईएगा  🙄

Photo by pelican

March 7, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

सरकार नौकरी और फोटोशॉप

cartoon photoshop by monica gupta

cartoon photoshop by monica gupta

सरकार नौकरी और फोटोशॉप

आईए सीखे फोटोशॉप

एक समय था जब पता ही नही होता था कि फोटोशॉप क्या बला है और आज महिमा देखिए कि फोटोशॉप सीखने की ऐसी लहर चली है … ऐसी कभी कहीं नही चली … टवीटर, फेसबुक हो या गूगल प्लस photoshop की मदद से  एक फोटो से न जाने क्या क्या अंनर्थ हो रहा है.  लोग कुछ और सीखें न सीखें पर फोटोशॉप जरुर  photoshop tutorials ले रहे हैं …

अरे भई पार्टी में नौकरी मिलनी आसान थोडे ही ना है हां पर अगर आपको फोटोशॉप आता है तो फिर कोई चिंता नही !!!

March 5, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

खबरों की खबर – मीडिया का प्रभाव

पत्रकार, पत्रकारिता और नेताजी

 

media photo

खबरों की खबर – मीडिया का प्रभाव

आज तो मेरी मणि से ही बहस हो गई.. मेरा कहना था कि कन्हैया को मीडिया कुछ ज्यादा ही भाव दे रहा है… ठीक है वो जेल से बाहर आया .. उसकी कवरेज करो …भाषण भी दिखाओं पर पूरा पूरा दिन उसी की खबर !! सभी चैनल वाले उसी के पीछे जुटे हुए है … बहस पर बहस बहस पर बहस … इतनी कवरेज किसलिए !!

वही मणि का मानना था कि दिखाना चाहिए कोई आवाज उठा रहा है तो दिखाना चाहिए ..वही मैं नेताओं की अट्शंट बयान बाजी दिखाने के पक्ष में नही हूं. जिस तरह से मीडिया एक नेता के दिए गए बेफालतू के बयान को दिखाता है फिर टवीटर दिखाता है फिर बहस करवाता है अरे … जिसने ठीक ही नही बोला उसे क्या भाव देना … !!

पर यहां भी मणि का कहना था कि अगर दिखाएगें नही तो हमें पता कैसे लगेगा कि हमारे देश मे क्या हो रहा है… !!

कुछ समझ नही आ रहा कि देश किस दिशा में जा रहा है पर इतना जरुर पता है कि मीडिया देश का भला करने नही बैठा … उसे मजा आता है लडवाने भिडवाने में और अपनी टीआरपी बढते देखने में.. !! काश अदालत मीडिया को भी फटकार लगाए … !!

इस पर हमारी राय एक थी ..

Thank God!! वैसे आप क्या सोचते हैं ??

 

Photo by stevebustin

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