Cartoon- Self help
Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber
By Monica Gupta
By Monica Gupta
Headache media and Earth Quake मीडिया आज के दौर में सिरस दर्द से कम नही … खबरो में भूकम्प लाना हो या ऐसे प्रश्न
होते हैं कि सिर दर्द ही हो जाता है ऐसा लगता है मानो भूकम्प ही आ गया …. सिर दर्दी बनाम चैंनल
24 -24 घंटे के लगातार बिना रुके चलने वाले चैनल, जब बहस के मुद्दे पर आते हैं तो पहली बात तो प्रतिभागी को अपनी बात रखने नही देते और फिर बार बार यही बात दोहराते हैं… क्षमा कीजिए.. मेरे पास समय नही है… मेरे पास समय बहुत कम है… मेरे पास बस दो सैंकिंड हैं आप जल्दी से अपनी बात कह डालिए और फिर एक घंटे की डिबेट बिना निष्कर्ष के खत्म हो जाती है .. पर … पर … पर … बेसिर पैर की खबरे दिखाने के लिए समय ही समय है… उदाहरण के तौर पर हाल ही मैं एक खबर आई कि सलमान खान ने नेपाल भूकम्प पीडितों को अपना प्राईवेट जहाज और करोडो रुपए दिए .जबकि अभी टवीटर पर पढा कि
Headache/ media
Superstar Salman Khan, also known for helping the underprivileged, says his Being Human foundation is not donating money to the victims of the Nepal earthquake.
“There are rumours about Being Human donating money for the Nepal earthquake. This is NOT TRUE as Being Human Foundation currently operates only in India,” Salman posted on his official page on Facebook on Saturday.
और एक अन्य खबर में वही जिस तरह से हमारा मीडिया नेपाल मे जुटा पडा था अब वहां से भी भूकंप से जुड़ी ख़बरों के भारतीय टेलीविज़न चैनलों के प्रस्तुतीकरण को लेकर सोशल मीडिया में तीखी प्रतिक्रियाएं देखी जा रही हैं.
“भारतीय मीडिया और उसके लोग ऐसे व्यवहार कर रहे हैं मानो वे कोई पारिवारिक धारावाहिक शूट करने आए हों.
“हिमाल साउथ एशियन के संपादक कनक मणि दीक्षित का कहना है कि नेपाल और नेपाल के लोग राहत और बचाव कार्यों में भारत की भूमिका के प्रति आभारी हैं, लेकिन हिंदी न्यूज़ चैनलों के प्रस्तुतिकरण का तरीका उन्हें पसंद नहीं आ रहा है.
उनका ये भी कहना है कि नेपाल में उग्र राष्ट्रवाद की भावना हमेशा से रही है जिसकी वजह से #GoHomeIndianMedia हैंडल ट्विटर पर काफ़ी देर तक ट्रेंड करता रहा. लेकिन नेपाल के अख़बारों में ऐसा कुछ नहीं छप रहा है.
कई लोगों ने भारतीय टेलीविज़न पत्रकारों पर संवेदनहीन होने का आरोप लगाया है और उन्हें सुझाव दिया है कि वे थोड़ा ऐहतियात बरतें.
एक यूज़र ज्ञान लोहनी ने ट्वीट किया, “भारतीय मीडिया की अनैतिक, तथ्यहीन और बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जा रही ख़बरें स्वीकार्य नहीं हैं.”
साजन राजभंडारी ने लिखा, “मुझे हैरानी है कि भारतीय अपने न्यूज़ चैनलों को रोज कैसे देखते हैं. मेरा सिर तो पाँच मिनट में ही चकरा गया.”
खबरों की तह तक जाकर अपनी बात रखनी चाहिए ना कि बस एक ही पक्ष दिखा कर किसी पर आरोप लगाकर अगली खबर पर बढ जाना चाहिए
भूकम्प की खबर ने एक बार फिर चौंका दिया… तभी ध्यान मोबाईल पर आए एक मैसेज पर किया …
मैसेज मे लिखा था कि भूकम्प आने पर धबराए नहीं …
फेसबुक और सोशल साईटस पर तुरंत स्टेटस अपडेट करें.
समय मिले तो एक वीडियो भी बना लें …
डरे धबराए लोगो के साथ सैल्फी लें
क्लिक की गई तस्वीरें और वीडियो ग्रुप में सबसे पहले भेजने का प्रयास करें… क्योकि जीवन में भूकम्प बार बार नही आते …
हे भगवान वैसे आप ऐसा नही कीजिए … क्योकि जान है तो फेसबुक और वटसअप है अन्यथा ……..
Headache/ media नमक मिर्च लगाना ही नही चाहिए निष्पक्ष खबरों का वाचन करना चाहिए और जो चैनल वाले किसी पार्टी से सम्बधित है उनका लाईसैंस रद्द कर देना चाहिए( हालाकि मुश्किल जरुर है पर नामुमकिन नही) और खबरों को फोलो भी करना चाहिए ना कि आगे दौड पीछे छोड वाला रवैया रखना चाहिए …
ज्यादा दिक्कत है तो समय कम कर देना चाहिए दस धंटे या बारह धंटे ही सही पर सही खबरे ही हों… ( यकीनन अब आप को दूरदर्शन याद आ गया होगा)यकीन मानिए कम से कम सिर दर्द से तो बचेंगें
पर वही खबरे बार बार खबरे … अब आप ही बताईए कि ऐसे मीडिया को क्या कहना चाहिए … Headache/ media सही नाम है … है ना 🙂
By Monica Gupta
Exclusive News – Earthquake – आजकल खबरें अर्थ का अनर्थ करती नजर आती है . जिस तरह से न्यूज चैनल खबर परोसते हैं वो भूकम्प से कम नही…
जी हां, ज्यादा हैरान परेशान होने की आवश्यकता नही क्योकि आज की यही हकीकत है.. ये खबरें जिस तरह से दिखाई जाती हैं वो किसी भूकम्प से कम नही…. भूकम्प के झटके तो कुछ पल ही लगते हैं पर इन खबरिया चैनलों के झटके तो 24 घंटे लगते ही रहते हैं …
कभी ब्रेकिंग न्यूज तो कभी अर्थ का अनर्थ करती खबरे …Exclusive News – Earthquake terror
By Monica Gupta
By Monica Gupta
By Monica Gupta
कुछ देर पहले मार्किट में एक सहेली अपनी छोटी बेटी के साथ मिली. वो जल्दी जल्दी बहुत सारी शापिंग कर रही थी. बातो बातों मे उसने मुझे बताया कि ये बिल्डिंग तीसरी मंजिल पर है अगर भूकम्प आ गया तो … इस लिए बस जल्दी जल्दी खरीद कर बाहर निकलना चाह्ती हूं . वही बेटी भी मुझे कहने लगी आंटी अब हम सब भी मर जाएगें.मैने अपनी खरीददारी बीच मे ही छोडी और उनके साथ बाहर आ गई.
सबसे पहले बेटी को समझाया कि कुछ नही होगा. Tremor Terror को न बनाए और न ही दिल से लगाएं. उसको साथ वाली दुकान से आईसक्रीम लाने भेजा और फिर सहेली को डांटा कि क्या कर रही हो… मासूम के दिल मे क्यों Tremor Terror का डर बैठा रखा है. स्कूल भी नही भेज रही खुद भी आफिस नही जा रही आखिर कब तक. ऐसे में ध्यान बटाने की बजाय तुम डर पैदा कर रही हो.रही बात भविष्यवाणी की किसी को नही पता कि भूकम्प आज अभी आएगा या 50 साल बाद .. ऐसे मे डर डर के कब तक जीओगी उसने बताया कि सारा दिन चैनल पर भी तस्वीरे… मैने कहा कि फिर बदल दो चैनल, फिल्म देखो, सीरियल देखो, बाहर घूमों , फोन करो दस काम है कि नही कि बस सारा समय खबरे ही देखनी हैं. मेरा शायद बोलने का लहजा ज्यादा तल्ख हो गया था.
उसकी Tremor Terror वाली बात सुनकर असल में, मुझे गुस्सा आया गया कि अपने साथ साथ बच्चे के दिल मे भी डर बैठा दिया है उसने… फिर मैं उन्हें अपने घर ले आई. बहुत सारी बातें की और बेटी से poems भी सुनी और उसने कागज पर पेड और फूल भी बना कर दिखाया फिर मैनें भी उसको अपने कार्टून दिखाए. जाते जाते उसके चेहरे पर स्माईल और सहेली के होठों पर थैक्स था… ऐसी बात नही है कि मुझे डर नही नही है पर मैने खुद को समझा दिया है और फिर ही औरों को समझा रही हूं कि डर के बैठने से कुछ नही होगा … इससे बचाव के तरीके पढो, समझो और दूसरो तक पहुंचाओ … होगा वही जो ईश्वर को मंजूर होगा…. !!!
उम्मीद है ये लेख पढने के बाद आपका भी Tremor Terror से ध्यान हटा होगा … अगर नही हटा तो दुबारा लेख को पढिए 🙂
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