Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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April 22, 2015 By Monica Gupta

आईए बहस करें

आईए बहस करें
तो जनाब !!! आईए बहस करें! क्या ? मुद्दा क्या है ?

देखिए ये तो बिल्कुल ही गलत बात है . आज के समय मे भी मुझे बहस का मुद्दा बताने की जरुरत है क्या. आज हर टीवी चैनल,हर चौपाल,हर गली हर होटल हर नुक्कड पर एक ही बहस चल रही है और आप पूछ रहे है कि ??? क्या ठीक है चलिए चलिए माफ किया. हां तो बताईए आपको क्या कहना है इस बारे में.

people talking photo

आईए बहस करें
ठहरिए… इससे पहले कि आप कुछ कहे. मै बताना चाह्ती हूं कि आजकल यही सब कुछ सुनने और देखने को मिल रहा है और यकीन मानिए मै भी सच्चे देशभक्त की तरह इसके यानि भ्रष्टाचार को मिटाने के हक मे हूं. कल किट्टी पार्टी मे हम 50 महिलाओ ने इस बात का जोरदार समर्थन किया सभी ने ताली बजा कर् इसका स्वागत किया.देखिए इसकी फोटू भी छपी है आज के अखबार मे.वो अलग बात है कि मेरी तस्वीर जरा सी छिप गई है और शीला जी की तस्वीर ज्यादा साफ आई है. असल मे, हर मीटिंग मे फोटोग्राफर वही लाती है ना तो दे दिए होंगे उसे ज्यादा रुपए. हुह !!!!

चलो खैर अगली बार मे इस फोटोग्राफर को आऊट ना करवा दिया तो मेरा नाम …
हां, तो मै बात कर रही थी भ्रष्टाचार खत्म करने की. आपको पता है कि बच्चो के स्कूल मे भी इसी उपलक्ष मे तरह तरह के आयोजन करवाए गए. निबंध प्रतियोगिता,चित्रकारी और वाद विवाद. मै तो व्यस्तता के कारण जा नही सकी पर इन काम्पीटिशन मे जिसे जज बनाया मै क्या.. हम सब जानते है कि कौन कौन प्रथम , दूसरा और तीसरा स्थान पाएगा. अजी, आपने सही पहचाना जो स्कूल को सबसे ज्यादा दान देते है .. बस उन्ही के बच्चो का ही ख्याल रखा गया ताकि स्कूल मे 10 कम्प्यूटर आ सकें और एक बडा सा हाल बन सकें.
हां, तो बात हो रही थी कि भ्रष्टाचार को खत्म करने की.

आजकल सभी दफ्तरो मे यही ज्वलंत विषय बना हुआ है.वो तो उन लोगो ने शुक्र मनाया कि मामला जरा सा delay  हो गया है नही तो बहुत लोग सुसाईड करने वाले थे. अब इतने आलीशान बंगले ,ठाठ बाठ और बच्चो की ऊचीं शिक्षा कहां और कैसे दिखाते.पर कुल मिला कर चर्चा का ज्वलंत विषय जरुर बना हुआ है और बहस जारी है कि इनका अब क्या होगा.
हां, तो बात हो रही थी भ्रष्टाचार की. आज जगह जगह रैली,जूलूस और हडताल की जा रही है. सब उसका हिस्सा बनना चाह्ते है और तो और इस दौरान समोसा,चाय पार्टी का लुफ्त भी उठा रहे हैं.जिसे देखो वही इस बात की शपथ ले रहा है कि ना वो रिश्वत लेगा और ना ही देगा. अब कहिए आपके क्या विचार है इस बारे मे. अजी कुछ तो बोलिए. लगता है आप इसका समर्थन नही कर रहे. बस… आप जैसे लोगो की वजह से ही तो देश इतनी भयंकर परेशानियो से दो चार हो रहा है. हमे देखिए, ना दिन देख रहे ना रात बस जुटे है इस अभियान मे.
क्या ? क्या कहा आपने ? आप भी जुडे है इस अभियान से ? ह ह हा !!! कैसे ? जरा मै भी तो सुनु. क्या? आपने खुद से वायदा किया है कि आप किसी को रिश्वत नही देंगे. और आप यह चाह्ते है कि मै भी खुद से यानि अपने दिल मे झांक कर खुद से वायदा करु कि मै खुद इसका समर्थन नही करुगी. बस अपने सच्चे दिल से वायदा करुं.
माफ करे महाशय. इतना समय नही है मेरे पास कि अकेले बैठ कर चिंतन करु और खुद से प्रण ले लू कि कभी ना रिश्वत दूगी और ना लूगी. इतना समय नही है मेरे पास. आजकल तो इतने चैनल और सभाओ के महाबहस मे भाग लेने के लिए निमंत्रण आ रहे है कि खुद से बात करने का यानि आत्मचिंतन का समय ही नही है मेरे पास.हां अगर आपके पास समय है तो आप भी इस महा बहस मे शामिल हो सकते हैं. मै आपके इस महाबहस मे शामिल होने की सिफारिश जरुर कर सकती हू असल मे,मेरी पहुंच बहुत ऊपर तक है.ह ह हा.इसलिए …क्या आप शामिल ही नही होना चाह्ते. हद है लगता है आपने देश प्रेम का जज्बा ही नही है.

चलिए सादर नमस्कार.फिलहाल मै बहुत व्यस्त हूं …हुह … ना जाने कहां से चले आते है और कहते है कि खुद को बदलो जमाना बदल जाएगा…..हुह !!!

आईए बहस करें … कैसा लगा ?? जरुर बताईएगा !!

April 22, 2015 By Monica Gupta

Match Fixing

Match Fixing

मैने भी की मैच फिक्सिंग    (व्यंग्य)

क्षमा करें !!! पर माथे पर इतने बल डालने की आवश्यकता नही. मैने कोई गुनाह या कोई डाका नही डाला कि आप मैच फिक्स के नाम से इतना तुनक रहे हैं. अब समाज मे रहते हैं तो जरुरते भी होती है. कुछ काम ऐसे भी होते है जिन्हे निभाना पडता है.बस वही किया है मैने कोई दुनिया से हट कर नही किया ये काम सभी करते है. हां, वो बात है कि कोई चोरी छिपे करता है तो कोई … वैसे मुझे इस बात का कतई दुख नही है कि यह काम मैने चोरी छिपे किया.

cartoon-tihar jail

असल में, जमाना बहुत खराब है किसी को मेरे इस Match Fixing की भनक लग जाती तो बहुत बडी मुश्किल खडी हो जाती. इसलिए बस मैने परम प्रिय नेताजी को अपना हमराज बनाया और नेशनल हाईवे के ढाबे पर मीटिंग फिक्स की. मीटिंग के लिए नेता जी की कडी हिदायत थी कि खास खास लोग ही होने चाहिए.वैसे आपसे क्या छिपाना ऐसा करने से लेन देन की बाते आराम से हो जाती है.
सब कुछ आराम से हो गया. देखते ही देखते मैच फिक्स हो गया. जगह भी फिक्स हो गई कि कहाँ पर दुबारा मिलना है और किसे आना है.यकीन मानिए मेरे परिवार मे सभी बहुत ज्यादा खुश है खासकर कि मेरा बेटा वही चाह्ता था कि मै इस सीजन में मैच फिक्स कर ही दूं शायद उसके दोस्तों के पिता ने भी … खैर !!!
मैं तो नेता जी का धन्यवाद करना चाहूगां कि उन्होने इसे फिक्स करवाने मे बहुत जोर लगाया. मै इसकी कीमत शायद कभी भी नही चुका पाऊगा. अरे… आप कहां चले. क्या ? पुलिस को बताने. अरे, इसमे बताने की क्या बात है वो भी थे उस दिन. रसगुल्ले का डिब्बा दिया था मैने सभी को.
माफ करें!! फोन आ रहा है शायद पंडित जी का है. मुहुर्त निकलवाना है ना. अब आप फिर से हैरान हो गए. अरे भई, बच्चो का मैच फिक्स किया है अब शुभ मुहुर्त देख कर शादी की तारीख भी तो फिक्स करनी है या नही. लो कर लो बात !!! मै बात से क्यू पलटूगा. मैने क्या गलत कहां. वैसे एक मिनट… एक मिनट… आप सोच क्या रहे हैं जरा पता तो चले. क्या किकेट वाला मैच फिक्स?? जैसाकि बडे बडे क्रिकेटर या दूसरे लोग करते हैं.. ह हा हा …
अजी नही.वो तो कुछ दिन पहले एक लडकी देखी थी. बस पसंद आ गई.घर बार भी भला था. शरीफ से लोग है बस उसी से Match Fixing की बात हो रही थी. अब नेता जी समझ लिजिए कि बिचौलिया और अच्छे दोस्त है तो उन्होने पूरा साथ दिया और पहले बात ना फैले इसलिए गुपचुप तरीके से हाईवे पर दोनो को मिलवा दिया था और बहुत जल्दी ही सब कुछ फाईनल हो गया. ओह .. अब समझ आया कि आरम्भ मे Match Fixing की बात सुन कर आपने माथे पर बल क्यो डाल दिए थे. हे भगवान!!! आप भी ना ….. !!!!

April 22, 2015 By Monica Gupta

Intuition in our life

ब्लड ग्रुप ओ और मच्छर

 

Intuition in our life

 पूर्वाभास और हमारी जिंदगी …!!!

हमारी जिंदगी मे यदा कदा Intuition या दूसरे शब्दो मे कहे पूर्वाभास होना अक्सर सुनने को मिल जाता है.जैसाकि अरे !! मुझे तो पहले ही पता चल गया था कि कुछ ना कुछ जरुर होने वाला है, या आखं फडकने को लेकर भी ऐसा अनुमान लगा लिया जाता है कि कुछ होने वाला है या फिर अगर पडोस मे बिल्ली अजीब सी आवाज निकाले तो हुश हुश करके उसे इसलिए भगा दिया जाता है कि कही कुछ बुरा ना हो जाए.चाहे तो पक्षियो का बहुत ज्यादा शोर हो या उनकी चुप्पी हो तो भी सहज ही ऐसा अनुमान लगा लिया जाता है कि कुछ होने वाला है.

cartoon oh no Intuition in our life some times makes us sad.

कुछ लोग इसे छठी इंद्रिय का नाम भी देते हैं. अब प्रश्न यह उठता है कि क्या वाकई मे ऐसा कुछ होता है? कुछ लोग इसे हकीकत मानते हैं और कुछ कोरी कल्पना. वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में स्पष्ट किया है कि छठी इंद्रिय की बात सिर्फ कल्पना नहीं, वास्तविकता है, जो हमें किसी घटित होने वाली घटना का पूर्वाभास कराती है.
यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के रॉन रेसिक ने एक अध्ययन कर पाया कि छठी इंद्रिय के कारण ही हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास होता है.

हाल ही में दीपक से मिलना हुआ. उन्होने बताया कि उनके दादा इन दिनो बीमार चल रहे थे. वो दादा के पास ही थे. अचानक सोते हुए वो उठे और बोले कि वो मुझे बुला रहें हैं. मैं जा रहा हूं. सबका ख्याल रखना. देखते ही देखते उनकी सासं उखड गई. अब ये पूर्वाभास नही तो क्या है.

वही रिचा ने बताया कि उसके अंकल बीमार थे. ऐसा लग रहा था कि वो कभी भी स्वर्ग सिधार सकते हैं. देर सवेर जब भी कोई फोन आता लगता उन्ही की कोई खबर होगी. समय बीता और वो ठीक होते चले गए.इतने ठीक हुए कि आफिस भी जाने लगे. तभी एक दिन दोपहर को फोन आया. पता नही पर अचानक वो बोल पडी कि अकंल हम सब को छोड कर चले गए. पास बैठी उसकी मम्मी ने टोका कि क्या बोल रही है. अब तो वो ठीक हैं. पर जैसे ही फोन पर बात की खबर सच्ची साबित हुई. सभी हैरान थे और रिचा ने बताया कि वो खुद भी हैरान थी कि अचानक यह बात उसने कैसे कह दी.
रवि कश्यप ने बताया कि वो अपनी लडकी के लिए बहुत समय से लडका देख रहे थे पर कोई बात नही बन रही थी. तभी एक दोपहर पता नही उन्हे झपकी आई या क्या हुआ कि उन्हे Intuition हुई  कि घर मे बहुत मेहमान है और खुशी का माहौल है. वो एकदम से उठ बैठे.अपनी पत्नी को सारी बात बताई. तभी अचानक एक फोन आया और देखते ही देखते उनका सपना सच हो गया. अचानक बात बन गई और लडकी को लोग चुन्नी चढा कर हाथो हाथ ले गए. बताते बताते उनकी आखे नम हो गई.

वही रजनी ने बताया कि एक बार वो सुबह उठी और बेवजह ही रोने लगी. ना उसे और ना उसके परिवार वालो को समझ आया कि आखिर बात है क्या. पर रजनी को मन ही मन लग रहा था Intuition हो रही थी कि  कुछ बुरी खबर आने वाला है. तभी उसकी सहेली घर पर आई और उसने बताया कि रश्मि जोकि उन दोनो की सहेली थी सडक एक्सीडेंट मे मारी गई.
मीना ने बताया पूर्वाभास उसे कई बार होता है और वो अक्सर ठीक भी होता है. काम के सिलसिले मे उसे अक्सर बाहर जाना पडता है. कई बार उसे खुद ही लगने लगता है कि आज उसे वहां नही जाना चाहिए और वो नही जाती. कुछ समय बाद खबर मिलती है कि जहां उसे जाना था वहां कोई ना कोई अनहोनी हुई है.
ऐसे ना ना जाने अनगिनत उदाहरण है. ऐसी बातो पर कुछ लोग विश्वास करते है तो कुछ अंधविश्वास !!! पर चाहे कुछ भी हो आज के इस कम्प्यूटर युग मे भी कुछ ना कुछ तो ऐसा जरुर है जो हमे सोचने पर मजबूर कर देता है…!!

अगर आपका भी कोई ऐसा अनुभव हो तो जरुर बताईएगा …

April 20, 2015 By Monica Gupta

बाल साहित्यकार

बाल साहित्यकार

आज नेट पर सर्च करते हुए अचानक कुछ ऐसा पढने को मिला कि दिल खुश हो गया. असल में , सर्च के दौरान मैने अपनी कहानी भईया पर जाने माने साहित्य कार श्री मनोहर चमोली “मनु” जी की प्रतिक्रिया पढी. वैसे तो वो लेख है जिसमे देश भर के  जाने माने  बाल साहित्यकारों की रचनाओं को लेकर  उन्होने अपनी राय दी है. मेरी लिखी कहानी “भईया” पर उन्होनें अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है

Monica gupta

बाल साहित्यकार

मोनिका गुप्ता (हरियाणा)रिश्तों की कथाकार हैं। वे बच्चों के बीच आत्मीय संबंधों का खुलासा भी करती हैं। उनकी एक कहानी है ‘भईया‘। भाई-बहिनों में कभी-कभार तकरार-नोंकझोंक हो ही जाती है। लेकिन एकदम से वह प्यार में भी बदल जाती है।

यह कथाकार बेहद सरल तरीके से गहरे तक रिश्तों की पड़ताल कर लेती हैं। दोस्ती से लेकर झगड़ों के भावपूर्ण कथाएं कहना आसान नहीं। वह भी तब जब उनका अंत सकारात्मक हो। मोनिका गुप्ता की कहानियों में बालिकाओं की मनस्थिति का सूक्ष्म अवलोकन मिलता है।

बाल साहित्यकार

 

April 20, 2015 By Monica Gupta

Only for Ladies

विश्व स्वास्थ्य दिवस और हमारा खानपान

केवल महिलाओ के लिए

Only for Ladies

केवल महिलाओ के लिए …!!

इस लेख का महिला दिवस से कोई सम्बन्ध नही है पर यह लेख केवल महिलाओ के लिए ही है.

मै जानती हू कि हम सभी अपनी आदत से मजबूर है और जिस काम को मना किया जाए  उसे तो किसी भी कीमत पर करना ही होता है.जैसे कि आमिर खान ने देहली बैली फिल्म बनाई और उसने  सभी से कहा कि बच्चे ना देखे. जो अपशब्द भाषा इस्तेमाल नही करते वो भी ना देखे पर नतीजा क्या हुआ.बच्चो ने सबसे ज्यादा देखी.इसका सीधा सीधा  कारण बस उन्हे मना करना ही था है ना. नन्हे मुन्ने बच्चो को मुहँ मे चप्पल डालने का बहुत शौक होता है जितना मना करो वो उतना ज्यादा ही करते  है. हमारा स्वभाव ही ऐसा बन चुका है कि मना करने पर एक हिलोर सी उठती है कि इसे तो करके ही देखे कि आखिर मना किसलिए किया गया है.

तो अब मै अपनी बात पर आती हूं. असल मे, मै यही चाह्ती थे कि हम सब चाहे पुरुष,बच्चे या बुजुर्ग हो इस लेख को पढे क्योकि इसका सम्बंध हमारे घर की धूरी यानि महिला से हैं.

Only for Ladies

कोई शक नही कि आज घर हो या द्फ़्तर दोनो काम बखूबी सम्भाले हुए है पर खुद कितने तनाव मे रहती है इसका किसी को कोई अंदाजा नही हो सकता. मेरा सभी महिलाओ  से अनुरोध है कि प्लीज टेंशन को अपने घर मे  घर मत बनाने दें. खुश रहे और मस्त रहे. मुझे पता है कि कहना बहुत आसान है कि खुश रहो पर जिस पर बीतती है वही जानता है आप यही सोच रही होंगी.है  ना. पर यकीन मानिए आज के समय मे एक भी घर या परिवार   ऐसा नही जिस को  तनाव, चिंता या परेशानी ना हो.हर एक घर की  अपनी  ही राम कहानी होती है.फालतू की बातो पर तूल देने की बजाय, उधर उधर बाते बनाने मे  समय बेकार गवाने की बजाय  कुछ भी रचनात्मक करें.

अगर आप कामकाजी है तो समय निकालिए अपने बच्चों और परिवार के लिए और अगर आप घर पर ही रहती हैं तो आप कुछ रचनात्मक करें. अपनी अनदेखी ना करें कि आप किसी भी काम की नही या किसी को आपकी कोई कद्र ही नही.आप बहुत समझदार हैं और आप समय का बहुत अच्छा उपयोग कर सकती हैं  आज कल तो नेट भी बहुत जानकारी दे सकता है.पर इस पर लाभदायक काम कर सकती हैं पर इसका मतलब यह भी नही है कि सारा सारा दिन नेट पर ही जुटी रहे. और घरवाले परेशान ही हो जाएं. हर काम का समय बाधं ले और जिंदगी को जीना सीखें.

सबसे पहले खुद को अच्छा माने कि मै अच्छी हूं क्या हुआ कि कई बार सब्जी अच्छी नही बनी. क्या हुआ कि कई बार साहब की कमीज मे दाग लगा रह गया.क्या हुआ अगर हिसाब किताब करते समय हम अपनी उगलियो पर गिनना शुरु कर देते हैं .परिवार मे किसी दूसरे के दर्द को देख कर अपना दर्द भुला देते है.खुद फ्रिज का बचा हुआ खाना पसंद करते हैं और परिवार के लिए ताजा ही  बनाना चाह्ती है.जब दूसरे के प्रति हम  इतनी सोच रखती है तो अपने को क्यो भूल जाती है. बस आज से और अभी से आप अपने से बात करके उसे जानिए और अपना ख्याल रखते हुए मस्त रहिए यकीन मानिए अगर आप खुश रहेगी तो सारा परिवार भी खिलखिला उठेगा.

मुझे उम्मीद है कि परिवार के सभी लोग इसे पढ रहे होगे और उनको उचित प्यार,मान सम्मान  और समय देगे जिसकी वो सच्ची हकदार हैं.

petrol by monica gupta

Only for Ladies

बस हमे इतना सा करना है कि सकारात्मक सोच ही रखनी है. मैने कही पढा था कि आपके आसूं बताते है कि आप प्याज काट रही हैं. आपकी चुप्पी यह बताती है कि आपके पर्स मे रुपए खत्म हो गए हैं और आपकी मुस्कान यह बताती है कि आज आपने बहुत अच्छी तरह से दातं साफ किए हैं. ह हा हा !!! कहने का मतलब यही है कि जिंदगी को बहुत खुशी खुशी जीए इसे मुसीबत मत बना कर रखो. हर बात मे अच्छाई खोजें,खुशियां खोजें और जो भी अच्छा लगे उसकी खुल कर प्रशंसा करें फिर देखें जिंदगी कितनी प्यारी लगेगी. है ना….शुभकामनाएं …!!!

तो कैसा  आप सभी को ये लेख .. जरुर बताईएगा

 

April 20, 2015 By Monica Gupta

पहचान

 

 ( मोनिका गुप्ता)

( मोनिका गुप्ता)

पहचान (कविता)

नन्हू की चाची
दिव्या की मौसी
गीता की ताई
नीरु की आंटी
जमुना की बाई जी
दीप की भाभी
लीना की देवरानी
रानो की जेठानी
सासू माँ की बहू रानी
माँ की मोना
पति की सुनती हो
रामू की बीबी जी
मणि की मम्मी
इन नामो से मेरी

पहचान कही गुम हो गई
एक दिन
आईने के आगे
खुद को जानने की कोशिश की
तो
मुस्कुरा दिया आईना
और बोला
मेरी नजरो मे ना तुम
चाची हो ना ताई
ना भाभी हो ना बाई
बस

तुम सिर्फ तुम हो
सादगी की मूरत
दयालुता की प्रतीक
प्रेम की देवी

ईश्वर का प्रतिबिम्ब
बस …
तभी से अपने पास
आईना रखने लगी हूं
ताकि पहचान धुंधलाने पर
उसके अक्स मे खुद को जान सकू
पहचान सकू….
कि मैं भी कुछ हूं
कि मैं भी कुछ हूं ….( पहचान )

 

 

 

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