Blood donation video
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रक्तदान से बढकर कोई दूसरा पुण्य का कार्य नही है और अगर हम (खासकर महिलाए) किसी वजह से रक्तदान न कर पाए तो लोगों को स्वैच्छिक रक्तदान के लिए प्रेरित करने से बढ कर अन्य कोई नेक कार्य नही है किसी को जन्म देना हो या रक्तदान करके किसी को नया जीवन देना हो दोनों की नेक कार्य है…
जिस तरह से लोग जानकारी के अभाव मे रक्त न मिलने की वजह से मर रहे हैं लोगो को रक्तदान के लिए प्रेरित करना हमारा फर्ज है ताकि रक्त की कमी से किसी को मरने न दिया जाए. ऐसे ही रक्त दान से सम्बंधित ट्रैनिंग के दौरान प्रेरित करती !!
क्या आपने कभी रक्तदान किया है या कभी रक्तदान के लिए किसी को प्रेरित किया है जरुर बताईएगा …
अच्छे दिन आयेंगे
अच्छे दिन आयेंगे
बहुत समय से अच्छे दिनों की इंतजार है. महिला असुरक्षा इतनी बढ गई है कि घर से निकलते हुए डर लगता है. कानून अव्यवस्था , रेप, महिला असुरक्षा … बस बहुत बुरा हाल है ..
मोदी सरकार का नारा था चुनावों में कि अच्छे दिन आएंगें .. उसी की इंतजार है पता नही बाहर कब आऊं हो सकता है जल्दी या फिर कभी नही …
मन मे बार बार यही प्रश्न परेशान कर रहा है कि क्या अच्छे दिन आयेंगे ????
Mahila Diwas
Mahila Diwas
महिला दिवस
एयर पोर्ट पर एक नवयुवती पुरुषो के पास जा जा कर रोता हुआ मासूम चेहरा लिए नम्र निवेदन कर रही थी कि उसका सामान ज्यादा हो गया है प्लीज इसे आप रख ले. अपने गंतव्य पर पहुंच कर वो ले लेगी. पर यह बात सिर्फ पुरुषो से ही कह रही थी. महिलाओ के पास नही जा रही थी और जब भी समय मिलता एक किनारे पर खडी होकर किसी से हंस बोल कर मोबाईल पर बतियाने लगती. आदमी जंहा उसकी मदद को तैयार थे वही महिलाए उसे गुस्से वाली निगाहों से देख रही थी कि किस तरह अपनी मासूमियत का फायदा उठा रही है.
दो दिन पहले एक महिला से मुलाकात हुई. उसने बताया कि करीब चार महीने पहले एक जानी मानी पत्रिका के सम्पादक ने उसका साक्षात्कार लिया और उसे पहले कहा कि अगले महीने साक्षात्कार आएगा और इसी सिलसिले मे ना सिर्फ उसकीफोन पर बात हुई बल्कि पर्सनली मुलाकातें भी हुई. अब इस बात को महीनो बीत गए. महिला लगातार फोन कर रही है पर अब शायद मतलब निकल गया है तो सम्पादक ने फोन उठाना बंद कर दिया है. वैसे ऐसा ही कुछ फिल्म लाईन मे अकसर सुनने मे आता है कि हीरोईन बनने की चाह मे महिला कई बार बेवजह बहुत आगे बढ जाती है और उसका अंत दुखद होता है.
वही एक अन्य महिला अपने आसूं के बल पर ना सिर्फ आफिस मे अपने बॉस बल्कि बहुत लोगो की भावनाओ के साथ खेल रही हैं. कुल तनखाह मात्र 5000 है पर 15 हजार के फ्लैट मे रह रही है और 25 हजार फीस वाले स्कूल मे अपनी बच्ची को दाखिल करवाया हुआ है. हैरानी हो रही है ना पर ये हकीकत है. एक परिवार मे माता पिता अपनी ही लडकी को जोर देते है कि तु जा और अपने मालिक से पर्सनल तालुकात रख.
वही कुछ पति भी जल्दी प्रमोशन के चक्कर मे बास के आगे पीछे धूमने को बुरा नही मानते. इससे भी ज्यादा दुखद बात तब होती है जब कोई महिला पर पुरुष से अपना मतलब ना निकलने पर उस पर उल्टा ही रेप जैसा धिनौना अपराध का नाम लगा देती है और बात बिगडने की दशा मे अपनी शिकायत वापिस ले लेती है.
ऐसी महिलाए देर सवेर अपने ही जाल मे फस जाती है और उबरना मुश्किल नही नामुमकिन सा हो जाता है और ऐसी सीख मिलती है कि जिंदगी भर उस बात की भरपाई नही हो पाती.एक अन्य उदाहरण मे एक महिला को एक व्यक्ति ने प्राईवेट कालिज मे नौकरी दिलवाई अब उनका आभारी होने के नाते वो उनके बच्चो को ट्यूशन पढाती है और पेपर मे क्या क्या आएगा उन्हे परोक्ष रुप मे जानकारी भी देती है. ऐसे ना जाने अनगिणत उदाहरण है.
कृप्या अपने मतलब के लिए अपना शोषण मत होने दें. चाहे नौकरी की बात हो, शादी ब्याह की बात हो या किसी भी अन्य तरह के लालच या प्रलोभन की बात हो. इससे पहले की कोई अनहोनी हो जाए. लोग आपका फायदा उठा जाए और आप सिर पर हाथ पे हाथ धर के बैठे रह जाए. और तब आत्महत्या के इलावा कोई दूसरी राह ही ना सूझे. आपको स्वयं ही जागरुक बनना पडेगा.
बेशक, राह बहुत कांटो भरी है इसलिए कई बार मन का विश्वास डगमगा जाता है पर ऐसी बाते ना हो उसके लिए अपने मन मे पक्का विश्वास पैदा करना होगा और और जल्दबाजी भी नही दिखानी होगी.अगर हम कदम सोच समझ कर चलेगी तो राह मुश्किल जरुर लगेगी पर सफलता भी जरुर मिलेगी. बस किसी भी वजह से खुद को शोषित ना होने दें, जागरुक बनें.
Mahila Diwas पर आपकी राय आपके विचारों का स्वागत है !!
Swine Flu H1N1
नमस्कार
नमस्कार
टीवी चैनल पर निरंतर बहस चलती रहती है..पर किसी तह तक नही पहुंचती. आईए आपको भी एक ऐसी ही बेसिर पैर की बह्स में लिए चलते हैं
नमस्कार !! आज बहस का मुद्दा है वेलेंटाईन डे !!! हमारे फेसबुक स्टूडियो मे साथ चार विशेषज्ञ जो इस क्षेत्र मे माहिर है, पधारे हुए हैं. आप सभी का स्वागत है. “अ”, “ब” “स” “ड”.
मिसेज “अ” सबसे पहले मैं आप से पूछती हूं कि क्यो मनाते हैं हम वेलेंटाईन.
“अ” जैसे ही बोलने को होती हैं जी देखिए, असल मे, वो क्या है, न कि ….!!! (बात काटते हुए)
जी.. बिल्कुल… अभी आपके पास दुबारा आउगी. अभी श्री “ब” कुछ कहना चाह रहे हैं.
“ब” कुछ कहने लगते हैं कि मैं “अ” की बात पर ही आ रहा हूं असल में… जी बिल्कुल, “अ” और “ब” अभी आपके पास दुबारा आउगीं पर अभी लेना पड रहा है एक बहुत ही छोटा सा ब्रेक. जी मैं आऊंगी आपके पास (12 मिनट बाद) ब्रेक पर जाने से पहले मैं बात कर रही थी … जी हां, लग रहा है मिस “स” कुछ कहना चाह रही है
( “अ” और “ब” का गुस्से मे पारा हाई हो गया क्योकि बोलने का मौका नही मिल रहा इसलिए “स” की बात काटने के लिए अ, ब और स तीनो एक सुर मे बोल रहे हैं और %ं$#@$%ं&*(*&ं%ंक्या बोल रहे हैं कुछ समझ नही आ रहा….!!) इसी बीच मे लेते हैं एक छोटा सा ब्रेक, कही जाईएगा मत( 15 मिनट बाद)
एक बार फिर से हमारे स्टूडियो मे आपका स्वागत है. हमारे साथ हमारे संवाददाता फोन लाईन पर जुड गए हैं. जी क्या कहना है आपको. लोगो की वेलेंटाईन डे पर क्या प्रतिक्रिया है….. हैलो… हैलो… !!! ओह, लगता है हमारे संवाददाता तक हमारी आवाज नही पहुचं रही है .चलो थोडी देर मे फिर बात करने की कोशिश करेंगे…
अभी “ड्” साहब एक दम शांत बैठे हैं उनसे पूछ्ते हैं कि उनका क्या कहना है आज के दिन के बारे मे… “ड्” कुछ बोलने को होते ही हैं कि उससे पहले …. लेते हैं एक बहुत ही छोटा सा ब्रेक कही जाईएगा मत आज का विषय बहुत ही रोचक चल रहा है…( 15 मिनट बाद ) !!हां, तो ब्रेक पर जाने से पहले बात हो रही थी कि क्यो मनाते हैं हम वेलेंटाईन डे. पर अफसोस के साथ कहना पड रहा है कि समय बहुत कम है और विज्ञापन ज्यादा. सभी पधारे मेहमानो का धन्यवाद. पढते रहिए और अपने विचार देते रहिए. अगले सप्ताह फिर मिलेंगे एक नए विषय के साथ ….!! 🙂
नमस्कार
मोनिका गुप्ता
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