Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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March 19, 2016 By Monica Gupta 1 Comment

रोचक बाल कहानी – जब पापा ने बनाए मटर के चावल

रोचक बाल कहानी – जब पापा ने बनाए मटर के चावल

रोचक बाल कहानी – जब पापा ने बनाए मटर के चावल

हमेशा ही मम्मी और रसोई का नाता रहा है. मैने आज तक पापा को रसोई से पानी का गिलास खुद लेकर पीते नही देखा. पापा सरकारी अफसर हैं इसलिए दफ्तर के साथ साथ घर पर भी खूब रौब चलता है. ओह क्षमा करें. असल में, बात बताने के चक्कर मैं यही बताना भूल गई कि मैं हू मणि. सातवीं क्लास मे पढती हूं और छोटे से शहर मे रहती हूं.

हां तो मैं बता रही थी कि मम्मी सारा दिन घर पर ही रहती हैं. दिन हो या रात सारा समय काम ही काम… हाँ भाई… नौकरों से काम लेना कोई आसान काम है क्या, हाँ… अरे भई आप तो कुछ समझते ही नही है अब जब पापा सरकारी दफ्तर में काम करते हैं तो नौकर चाकर भी होंगें न हमारे घर पर …हां तो मैं क्या बता रही थी .. मैं बता रही थी कि पिछ्ले कुछ दिनो से पापा खाने में कोई ना कोई नुक्स निकाल रहे थे. इसीलिए मम्मी ने रसोइए की छुट्टी कर के रसोई की कमान खुद सम्भाल ली थी.

पर पापा को इसमे भी तसल्ली नही हुई. नुक्स निकालने का काम तो चलता ही रहा और साथ मे एक बात और जुड गई कि मेरी माता जी खाना ऐसे बनाती थी मेरी माता जी खाना वैसे बनाती.ये सुनकर मम्मी को कभी कभार गुस्सा आ जाता जो अक्सर मेरे ऊपर ही निकलता. ह हा हा !!  खैर समय  ऐसे ही प्यार और लडाई झगडे में बीतता रहा.

peas rice photo

शनिवार को पापा यह कह कर सोए कि कि वो कल सुबह नाश्ते मे बासी परांठा और आलू मैथी ही खाएगे. मुझे पता है कि मम्मी ने बहुत दिल से बनाया. पर वो भी पापा को पसंद नही आया.

उसी समय पापा ने एलान कर दिया कि वो दोपहर को खुद ही मटर के चावल बनाएगे. मम्मी के चेहरे पर अजीब सी परेशानी  और मैं हैरान. पापा और खाना. मुझे समझ नही आ रहा था.
दोपहर के एक बजे मम्मी ने जबरदस्ती टीवी पर क्रिकट मैच देखते हुए पापा को उठाया कि भूख लग रही है.खाना बनाओ. मैच बहुत मजेदार चल रहा था.  पापा अनमने भाव से उठे. मम्मी ने चावल पहले ही भीगो दिए थे इस पर पापा ने गुस्सा किया माता जी तो पहले कभी नही भिगोते थे. अब तो खराब ही बनेंगें … फिर पापा ने कूकर माँगा. मम्मी के कहने पर कि पतीले मे ज्यादा खिले- खिले बनेगें पर पापा तो पापा ठहरे. जो बोल दिया सो बोल दिया. वैसे आप यह मत समझना कि मैं मम्मी की चमची हूँ. मैं सच बात का ही साथ देती हूँ.फिर पापा ने देसी घी लिया और खूब सारा उसमे डाल दिया ताकि मटर अच्छी तरह भुन जाए इतने में मैच मे छ्क्का लगा जल्दी जल्दी मैच देखने के चक्कर मे उन्होंने मसाला भी अंदाजे से  डाल दिया.

मैं और मम्मी चुपचाप पापा का काम देखते रहे. मम्मी तो चुपचाप गर्दन हिलाती रही और मै वँहा स्लैब पर बैठी पापा का लाईव टेलिकास्ट देख रही थी. सच. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. उधर पापा ने मैच देखने के चक्कर मे मटर मे भी नुक्स निकालने शुरु  कर दिए कि मटर तो मीठी है ही नही चावल कैसे अच्छा बनेगा. मैच मे फिर एक खिलाडी आउट हो गया. तभी दरवाजे पर घंटी बजी.मम्मी बाहर जाने को हुए तो पापा ने मना कर दिया कि पहले मसाला भुनने दो फिर जाना.मै उतर के जाने को हुई तो मुझे भी डाटं पड गई कि बार बार आने जाने से उनका ध्यान हट रहा है. तभी फिर एक खिलाडी आउट हो गया. बाहर फिर से घटीं बजी. उधर पापा से कूकर का ढ्क्कन बन्द ही नही हो रहा था. पापा बोले कि कूकर ही खराब है. मम्मी ने गर्दन मटकाते अगले ही पल उसे बन्द कर दिया. इस पर भी पापा बोलने से नही चूके कि उफ आज कल के ये बरतन और मम्मी के पल्लू से  हाथ पोंछ कर बैठक मे चले गए. दुबारा घंटी बजने पर मैं बाहर भागी.

अरे!!!  सामने दादी खडी थीं. उन्होने बताया कि शहर आने का एकदम से प्रोग्राम  बना और वो आ गई. सुबह ही मटर के चावल बनाए थे तो वो भी ले आई.  दादी ने पानी पीया ही था कि कूकर की सीटी भी बज गई. पापा ने एलान कर दिया था कि कूकर वो ही खोलेगे. दादी की मौजूदगी मे उसे खोला गया.पर….  पर …यह समझ ही नही आ रहा था कि यह चावल है या खिचडी. मटर के चावलों का पूरी तरह से हलवा बन चुका था.

पापा मैच देखते हुए धनिए की चटनी के साथ मजे से दादी वाले चावल खा रहे थे और हम. हम मटर वाली खिचडी. नाक मुहं बना कर. इसी बीच मे भारत मैच जीत गया.पर पापा खुश होकर बोले कि रात को वो आलू की परौठी बना कर खिलाएगे.यह सुनते ही मैं और मम्मी कान पर हाथ रख कर जोर से चिल्लाए. नही…. अब और नही. यह सब देख कर दादी ठहाका लगा कर हँस दी और वो किस्सा सुनाने लगी जब मेरे दादा जी ने पहली और शायद आखिरी बार गुड के चावल बनाए थे ..

 

कैसी लगी कहानी जरुर बताईएगा  🙄

Photo by pelican

March 17, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

Kids Program – DOST

मोनिका गुप्ता

https://youtu.be/Pz0p-l23_TU

 

Kids Program – DOST

Samsun Creations मे हम बच्चों के कार्यक्रम  बनाया करते ताकि बच्चो मे छिपी प्रतिभा बाहर आए. बच्चे आत्मविश्वासी बने … इसलिए अलग अलग तरह के प्रोग्राम बनाए जाते ताकि अपनी रुचि के हिसाब से  कार्यक्र्म में आए …

ये देखिए एक कार्यक्रम की एक झलक  😀

March 17, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

पशु पक्षी और हम – छोटी छोटी बातें

पशु पक्षी और हम - छोटी छोटी बातें

 

birds  photo

पशु पक्षी और हम – छोटी छोटी बातें

बेहद अजीब है पर छोटी छोटी बाते भी हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत असर डाल जाती हैं… दो दिन पहले एक बहुत छोटे से बीमार dog को जब घर के सामने से जाते देखा तो उसे एक कटोरी में दूध डाल कर दिया. वो वही बैठने लगा या फिर एक चक्कर लगा कर वापिस दूध पीने आ जाता .. पर पता नही आज नही आया … आया ही नही.. पता नही क्या हुआ होगा… !! मन में बुरे ही ख्याल आ रहे हैं !!!

वही एक कबूतर जी ने सपरिवार बाहर की ओर AC में अपना घर बना लिया है और एक ने बरामदे में पंखे के उपर पर… भगाना तो पडेगा पर हिम्मत भी नही हो रही कि कैसे भगाए !! पता ही नही चला कब मे को तिनका तिनका ला कर अपना घर बना लिया नही तो पहले ही रोक देते … अक्सर ऐसी छोटी छोटी बाते मन को  🙄

पशु पक्षी और हम – छोटी छोटी बातें

February 24, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

Sweet Sixteen Ladies

Sweet Sixteen Ladies

 

Sweet Sixteen Ladies

Sweet Sixteen Ladies

मेरी त्वचा से मेरी उम्र का पता ही नही चलता

महिला सशक्तिकरण के दौर में जहां महिलाएं आज पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने में आगे हैं वही ज्यादातर महिलाए अक्सर अपनी उम्र बताने में बेहद गुरेज करती हैं. अगर उन्हॆं आंटी या माता जी कहा जाए तो बहुत जल्दी नाराज हो जाती है और अगर उन्हॆ यह कहा  जाए कि आप तो अपनी उम्र के हिसाब से बहुत छोटी सी लगती हैं तो उनका खुशी का कोई पारावार नही रहता …

कल मेरी सहेली मणि बहुत गुस्से में घर आई और बोलने लगी कि लोगो को जरा भी समझ नही है पता नही क्या समझतें हैं अंकल टाईप लोग… मेरे पूछ्ने पर उसने बताया कि सामने कोई किसी का पता पूछ रहा था जब उसने पता  बताया तो वो बोला  थैक्यूं आंटी  … अरे  !!! आंटी … काश वो उसे गलत पता बता देती तो धूमता रहता इधर उधर …. अरे !!पहले खुद को देख लेते सारे बाल सफेद हैं और आंटी मुझे बोल रहे हैं …

मैं हंस दी और ताजा कच्ची मटर खिला कर उसका गुस्सा शांत किया .. मुझे पता था कि आज जो मैं मटर के चावल बनाने वाली हूं वो बना नही पाऊंगी क्योकि मणि और मटर का जन्म जन्म  का साथ है एक बार खानी शुरु करें तो पाव क्या और आधा किलो क्या … बस फिर तो खत्म समझों पर चलो कोई बात नही गुस्सा उतारने के लिए ये ही सही…!!

वैसे कई महिलाए ब्यूटी पार्लर जाकर अपने चेहरे को एकदम फिट रखती है ताकि झुरियां कलाई न खोल दें वही कई महिलाएं सफेद झूठ बोलती भी पकडी जाती है…!!

Sweet Sixteen Ladies के बारे में आपके विचारों का स्वागत है

February 22, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

नशा एक बीमारी

नशा एक बीमारी

mobile photo

नशा एक बीमारी

ओह .. आप इतने चुप चुप से कैसे हैं … क्या सोच रहे हैं .. क्या !!! आप बीमार है … !! बेहद गम्भीर बीमारी  !! ओह नो !!! क्या हुआ ???

वायरल !! खांसी, गला खराब, बुखार!!! ये नही !!! तो …!!! बीपी.शूगर.. !!! ये भी नही!! तो …!!! टीबी,पत्थरी,थाईराईड..!! क्या??? ये भी नही !!! ओह तो क्षमा करें !! कही वो …. …!!!! क्या ??? वो भी नही. अब मेरा और इम्तेहान ना लॆं.

प्लीज, आप ही खुलासा करे कि क्या बीमारी हुई है आपको.???? क्या!! बार बार मोबाईल को चैक करने की बीमारी कि किसी का मैसेज आया नही, मोबाईल तो ठीक चल रहा है ना या जिसे मैसेज भेजा उसे मिला या नही उसके जवाब की इंतजार करना!! …. हे भगवान !! ये तो बहुत भयंकर बीमारी है इस बीमारी से तो ईश्वर सभी को बचाए…!!

वैसे  मैं क्या कहूं … कही न कही इस बीमारी की चपेट मे तो मैं भी हूं   🙁

 

February 17, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

लेखन कला और मेरा सफर

मोनिका गुप्ता

लेखिका रुप में मेरा अनुभव

अपने 26 साल के लेखन के अनुभव को 6 मिनट में वीडियों में दिखाने का प्रयास किया है..बेशक,  लेखन  चंद मिंंनट की वीडियों में दिखाना बहुत मुश्किल था क्योकि लेखक का हर लेख बहुत प्रिय होता है अगर सभी लेख लेती तो वीडियों बहुत लम्बी बन जाती इसलिए बहुत कम में अपना सफर बताने की कोशिश की है… बताईएगा जरुर कि आपको, मेरे द्वारा बनाया गया ये वीडियों कैसा लगा

नमस्कार

हरियाणा के सिरसा में रहती हूं और लेखन में लगभग 26 साल से सक्रिय हूं. वैसे देखा जाए तो लेखन का बचपन से ही शौक था बहुत कहानियां भी लिखी थी पर ये समझ नही थी कि कहां भेजे और कैसे भेजे इसलिए प्रकाशित भी नही हुई.

बात सन 1989 ,गाजियाबाद( यूपी) की है. एक दिन अचानक बैठे बैठे विचार आया और कहानी लिख दी इतना ही नही उसे उसी समय सांध्य समाचार पत्र में दे आई. उसी शाम वो कहानी सचित्र प्रकाशित हो गई. बस उस दिन ऐसा हौंसला मिला कि लगातार लेखनी चल रही है.

जाने माने राष्ट्रीय समाचार पत्र-पत्रिकाओं जैसा कि “दैनिक भास्कर”, “राजस्थान पत्रिका”, “दैनिक जागरण”, “दैनिक ट्रिब्यून”, “दैनिक नव ज्योति”, “पंजाब केसरी”, आदि अखबारों के साथ-साथ “लोटपोट”, “चंपक,” “बालहंस”, “बालभारती”, “नन्हें सम्राट”, “नैशनल बुक ट्रस्ट” की “न्यूज़ बुलेटिन” आदि में लेख, कहानी एवं प्रेरक प्रसंग नियमित रूप से छपते रहे ।

“दिल्ली सिटी केबल” में अनेंको कार्यक्रम जैसे “हम मतवाले नौजवान” आदि के स्क्रीप्ट लेखन के साथ साथ जिंगल्स और वायस ओवर भी किया. “भास्कर टीवी” जयपुर में भी अनेंक कार्यक्रमों की स्क्रीप्ट लिखी और जयपुर आकाशवाणी के कई प्रोग्राम में न सिर्फ हिस्सा लिया बल्कि महिला जगत की एकंरिंग भी की है। आकाशवाणी में उदघोषिका के रुप मे भी कार्य किया. इसके इलावा दूरदर्शन जयपुर मे “कुछ जानी अनजानी” कार्यक्रम की स्क्रिप्ट भी लिखी. जिसमे जानी मानी हस्तियों से साक्षात्कार लिए थे.

आकाशवाणी रोहतक व जयपुर से मेरे लिखे नाटक, क्षणिका एवं झलकियां प्रसारित होते रहे. सिरसा मे लोकल केबल पर बच्चों के ढेरों कार्यक्रम बनाए. बच्चो के अति उत्साह को देखते हुए “सैमसन क्रिएश्सन” आरम्भ की जिसमें बच्चों की वीडियों रिकार्डिग करके कार्यक्रम बनाते और केबल पर दिखाए जाते. इसके इलावा महिलाओं के कार्यक्रम तथा अन्य प्रेरित करने वाली सोशल डोक्यूमैंट्री भी बनाई.

इसी बीच जब से सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम बन कर उभरा तभी से न सिर्फ लेखन में और ज्यादा सक्रिय हो गई बल्कि अपनी अभिव्यक्ति के लिए कार्टून भी बनाने लगी. धीरे धीरे कार्टून “दैनिक जागरण “ मुद्दा के तहत मे छपने लगे और लगभग डेढ साल तक नियमित छपते रहे. पिछ्ले दस साल से राष्ट्रीय स्तर के चैनल “ज़ी न्यूज” के साथ संवाददाता के रुप में जुडी रही.

“दैनिक नवज्योति”, जयपुर से लगातार तीन साल तक रविवारीय में, “दीदी की चिठ्ठी” प्रकाशित होती रही.”नन्हें सम्राट” में बाल उपन्यास “ वो तीस दिन “ को धारावाहिक के रुप मे प्रकाशित कर रहा है. “नव भारत टाईम्स” आनलाईन में ब्लाग है. अभी तक सात किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं और कार्य निरन्तर जारी है.

Monica Gupta

“मैं हूं मणि’ को 2009 में” हरियाणा साहित्य अकादमी” की तरफ से बाल साहित्य पुरस्कार मिला। इस पुस्तक में मणि के बचपन की कुछ कहानियां हैं. जिसमे शरारत है. मासूमियत है जिद्दीपना है और बहुत सारा प्यार छिपा है. ‘समय ही नहीं मिलता’ नाटक संग्रह है जिसे हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से अनुदान मिला। ये वो नाटक हैं जिनका प्रसारण आकाशवाणी जयपुर और रोहतक से हो चुका है.

‘अब तक 35’ व्यंग्य संग्रह है।राष्ट्रीय समाचार पत्रों जैसाकि दैनिक भास्कर में “राग दरबारी” एक कालम छ्पता था जिसमॆ ये व्यंग्य प्रकाशित हुए. इसके इलावा “मधुरिमा” व अन्य पत्रिकाओं में भी व्यंग्य प्रकाशित हुए उनमे से ये किताब कुछ चुनींदा व्यग्यों का सकंलन है.

‘स्वच्छता एक अहसास’ सामाजिक मूल्यों पर आधारित किताब है। खुले मे शौच जाने की सोच किस तरह बदली और लोगो ने शौचालय बनवाए उसी पर यह प्रेरित करती किताब है.

‘काकी कहे कहानी’ बाल पुस्तक है जो ‘नैशनल बुक ट्रस्ट’ से प्रकाशित हुई है। काकी बच्चे को कहानी सुनाती है पर बच्चा पढाई की वजह से कहानी सुनने मे शौक नही रखता पर जब कहानी सुनना शुरु करता है तो काकी के पीछे ही पड जाता है कि और कहानी सुनाओ पर फिर काकी कहानी से तौबा कर लेती है.

‘अब मुश्किल नहीं कुछ भी’ को भी “हरियाणा साहित्य अकादमी” की तरफ से अनुदान मिला है। इसमें जानी मानी दस शख्सियतें हैं उनका बचपन कैसा था और साधारण परिवार से होते हुए भी आज किस मुकाम पर पहुंचे हैं “अब मुश्किल नही कुछ भी “उनके बारे में बताता है.

‘वो तीस दिन’ बाल उपन्यास ,नैशनल बुक ट्रस्ट के नेहरू बाल पुस्तकालय की ओर से प्रकाशित हुआ है। “वो तीस दिन” उपन्यास की कहानी दसवीं में पढने वाली जिद्दी, शरारती लडकी मणि की है जिसकी हाल ही में बोर्ड परीक्षा समाप्त हुई है और अब वो कुछ दिन पढाई से दूर मौज मस्ती में रहना चाहती है पर उन तीस दिनों में कुछ ऐसा होता है कि उसकी सोच में बदलाव आ जाता है. इस उपन्यास में हंसी मजाक, प्रेरक प्रसंग, पहेलियां, चुटकुले, और भी बहुत कुछ है जिससे बच्चे सीख सकते हैं और बहुत अच्छे इंसान बन सकते हैं….

फिलहाल बहुत जल्द स्वच्छता पर एक अन्य किताब प्रकाशित होने वाली है और लघु कथाओं पर कार्य चल रहा है…

सफर जारी है

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