Monica Gupta

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March 31, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

पशु प्रेम पर बच्चों की कहानी – गाय के बारे में शिक्षाप्रद कहानी

 Art of Public Speaking in Hindi

पशु प्रेम पर बच्चों की कहानी  – गाय के बारे में शिक्षाप्रद कहानी – Moral Stories For Kids In Hindi – पशु पक्षियों का महत्व हमारी जिंदगी में बहुत है. पशु और पक्षी हमारे मित्र समान ही हैं. पशु पक्षियों के प्रति हमारा व्यवहार बहुत अच्छा होना चाहिए.

पशु प्रेम पर बच्चों की कहानी – गाय के बारे में शिक्षाप्रद कहानी

थोडी देर पहले कुछ बच्चों की बाहर से आवाजें आ रही थी … मैं  देखने के लिए बाहर आई तो देखा कि पांच सात बच्चे एक गाय को तंग कर रहे हैं एक बच्चा जोर जोर से  पूंछ खींच रहा था बाकि सब जोर जोर से हंस रहे थे …

मैं बोल पडी अरे क्या कर रहे हो … और बच्चे आवाज सुन कर भाग गए … और दूसरी तरफ गाय चुपचाप चली गई …

जब गाय जा रही थी तो मुझे याद आई मेरी एक कहानी जो मैने बहुत समय पहले लिखी थी … चलिए आज मैं आपको वही कहानी सुनाती हूं

कहानी का नाम है गाय को रोटी …

 

‘‘गाय को रोटी’’  मैं हूं मणि। अभी अभी चौथी कक्षा में हुई हूं। आप सोच रहे होंगे कि मेरे तीसरी कक्षा में कितने नम्बर आए। असल में हमें नम्बर नहीं ग्रेड मिलता है। मुझे ‘‘ए’’ग्रेड मिला था। नई-नई कॉपी, किताबें, नया स्कूल बैग बड़ा अच्छा लग रहा था। कुछ दिनों बाद छुट्टियां शुरू हो गई। मम्मी ने बताया कि वो दादा जी की बहन यानि पापा के बुआ जी गांव जाएंगे। मैं गांव कभी नहीं गई थी। पर गांव के लोग कैसे होते हैं, मुझे अच्छी तरह से पता है।

 

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गांव के भोले भाले बच्चों पर मैं खूब धाक जमाऊंगी। अगले दिन सुबह-सुबह ही हमने गांव जाना था। मैंने तीन चार सुंदर-सुंदर ड्रैस, उसी से मेल खाते रंग-बिरंगे चश्मे, सैडि़ल और छतरी भी अटैची में रख लिए। शाम होते-होते हम गांव पहुंच गए। गांव का वातावरण शहर से एकदम अलग था।

खुल्ले-खुल्ले घर, घरों में हैंडपंप, चौड़े-चौड़े रास्ते….सब बहुत अच्छा लग रहा था। घर के बाहर कितना भी,कैसे भी खेलो, किसी गाड़ी या स्कूटर का डर नहीं। घर में तो मैं छोटी सी जगह में ही बैडमिंटन खेलती हूं पर यहां तो जगह ही जगह थी।

पापा की बुआ यानि दादी जी के गांव में मेरे बहुत सारे दोस्त बन गए। बबीता, मोहन, कर्ण, सुनीता और रेखा से तो मेरी जल्दी ही अच्छी दोस्ती हो गई थी।

पहले पहल तो वो सब मेरे चश्मे और छतरी से दूर भागते रहे, पर दोस्ती हो जाने के बाद उनका डर दूर भाग गया। मैंने अपनी सब चीजें उनको इस्तेमाल करने के लिए भी दीं। वो सब बहुत ही शरीफ बच्चे थे लेकिन मैंने दो ही दिन में उनको शरारती बना दिया।

दादी जी पशुओं और पक्षियों को बेहद प्यार करती थीं। पक्षियों को दाना डालना और गाय को गुड और रोटी देना कभी नहीं भूलती थी।

हर सुबह और शाम, दिन छिपने से पहले एक गाय हमेशा आती थी। एक दिन उस गाय को रोटी खिलाते-खिलाते दादी जी ने बताया कि चाहे कुछ भी हो जाए, यह गाय यहां गुड़ और रोटी खाने जरूर आती है।

दादी जी की बात गलत साबित करने के लिए मैंने एक दिन एक तरकीब बनाई। मोहन कुछ पटाखे ले आया और शाम को गाय जब रोटी खाने आई तो मैंने चुपचाप उसकी पूंछ पर पटाखे बांध दिए। दादी जी गाय को रोटी देकर अंदर चली गई।

माचिस मुझे जलानी नहीं आती थी तो मोहन ने ही मेरी मदद की। आग लगते ही पटाखे फटफट करके जलने लगे। धागा ठीक से नही बांधा था इसलिए पटाखे जमीन पर ही गिर गए पर शायद एक पटाखा गाय को लग गया था और वो घबरा कर भाग गई पर इसकी सजा हमें बहुत बड़ी मिली। मोहन को तो उसी समय उसकी बहन ले गई और मुझे कमरे में बंद कर दिया गया

अगले दिन मौसम बहुत अच्छा था और मेरा मन कहीं बाहर जाने को कर रहा था। दादी जी सो रही थी। मम्मी पापा भी पास वाले गांव में किसी से मिलने के लिए गए हुए थे। मुझे बबीता ने अपने घर का पता बताया था और आने के लिए भी काफी बार कहा था।

वो कह रही थी कि उसके घर के पास बहुत सारे खेत हैं। वहां खेलने में बहुत मजा आएगा। मैंने सोचा कि चुपचाप निकल जाती हूं और दादी जी के उठने से पहले ही वापिस आ जाऊंगी। मैं बबीता के बताए रास्ते पर दौड़ पड़ी। दिन का समय था इसलिए मुझे डर भी नहीं लग रहा था पर अचानक देखते ही देखते आसमान में बादल इतने ज्यादा हो गए कि अंधेरा सा हो गया।

बरसात भी शुरू हो गई। दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था। मैं तो डर के मारे रोने लगी। जल्दबाजी की वजह से किस रास्ते से आई थी यह भी याद नहीं रहा। उधर जमीन पर बहुत पानी जमा हो गया था और पता ही नहीं चल रहा था कि कहां सड़क है और कहां नहीं।

दो तीन बार तो मैं बहुत बुरी तरह से गिरी। अंधेरा बढ़ता ही जा रहा था। मुझे अपने ऊपर गुस्सा आ रहा था…हुंह, बड़ा समझती है अपने आपको।

अब जान निकल रही है। किसी को बता कर आती तो शायद कोई खोजता हुआ आ भी जाता। अब बैठ यहां और रो जोर से…और मैं जोर-जोर से रोने लगी। धीरे-धीरे बरसात कुछ कम हो गई थी। मैं एक पेड़ से चिपक कर बैठी हुई थी।

तभी मुझे किसी के चलने की आवाज आई। मैं बहुत बुरी तरह से डर गई। आवाज धीरे-धीरे पास आ रही थी। मैं आंखें बंद कर ली। फिर आवाज आनी बंद हो गई।

मैंने आहिस्ता से अपनी आंखें खोली तो देखा कि जो गाय रोज दादी जी के घर रोटी खाने आती थी, वही गाय मेरे पास खड़ी पूंछ हिला रही थी। वही पूंछ जिस पर मैंने पटाखे बांधे थे।

उसकी पूंछ पर अब भी जलने के निशान थे। अनायास ही मैं उससे लिपट गई। अब मेरा डर कुछ कम हो गया था। फिर उसने धीरे-धीरे चलना शुरू कर दिया। मैं भी चुपचाप उसके ऊपर हाथ रखकर चलती रही। कुछ ही देर में हम खेत वाले रास्ते से निकलकर घर वाले रास्ते पर पहुंच चुके थे।

अब मुझे रास्ता भी याद आ गया था। लेकिन मैं फिर भी गाय के साथ-साथ ही चलती रही। कुछ ही देर में हम घर पहुंच गए। घर के बाहर बहुत लोग खड़े थे।

दादी जी ने काफी लोगों को इकट्ठा कर रखा था। मेरे लिए सब परेशान हो रहे थे। मुझे देखते ही दादी जी की जान में जान आई। आंखों में आंसू लिए उन्होंने मुझे गले से लगा लिया।

मैं भी उनसे गले लग कर रोने लगी। फिर मैंने गाय की पीठ पर प्यार से हाथ फेरते हुए उन्हें सारी बात बताई कि किस तरह आज इस गाय की वजह से ही मैं घर वापिस लौट पाई हूं।

काले बादल अब धीरे-धीरे छंट गए थे। ठीक उसी तरह मेरे मन से भी अहंकार के बादल छंट गए थे। मैंने दादी जी से कहकर पशुओं के डाक्टर को बुलवाया और गाय के जख्मों पर दवाई लगवाई।

उस दिन के बाद से मैं भी दादी जी के साथ उस गाय को गुड़ और रोटी खिलाने लगी। मुझे यह सब बहुत अच्छा लगने लगा। शहर लौटते वक्त मैंने दादी जी से वायदा किया कि आगे से मैं कभी भी किसी भी पशु या पक्षी को तंग नहीं करूंगी, बल्कि उनकी ही तरह से सभी को प्यार करूंगी।

 

पशु और पक्षी का हमारे जीवन में महत्व – पशु पक्षी हमारे मित्र है – YouTube

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पशु प्रेम पर बच्चों की कहानी

March 18, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

हिंदी बाल साहित्य लेखक – हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार

हिंदी बाल साहित्य लेखक - हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार

हिंदी बाल साहित्य लेखक – हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार – hindi bal sahitya lekhak साहित्य सम्मान मिलना बेहद सम्मान की बात होती है.हाल ही में मुझे हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से बाल साहित्य सम्मान मिला है और किताब है बाल उपन्यास “ वो तीस दिन” ये किताब नेशनल बुक ट्र्स्ट से प्रकाशित हुई है ..

हिंदी बाल साहित्य लेखक – हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार

बच्चों के लिखना बाएं हाथ का या बच्चों का खेल नही है  इससे पूर्व भी मुझे हरियाणा साहित्य अकादमी से “मैं हूं मणि” के लिए बाल साहित्य सम्मान मिल चुका है … अभी तक 8 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं … जिसमें से तीन किताबें नेशनल बुक ट्र्स्ट से हैं

हिंदी बाल साहित्य लेखक - हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार

 

 

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June 14, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

रक्तदान और हमारी सोच

रक्तदान और हमारी सोच – Birth of Karl Landsteiner who discovered human blood groups & made donation safe – रक्तदान यानि Blood Donate करना सुखद अहसास है और हमें इस नेक कार्य पुण्य कार्य में कभी पीछे नही हटना चाहिए .

रक्तदान और हमारी सोच

रक्तदान करते समय कुछ बातों का ख्याल भी रखना चाहिए …

ये तो हम सभी जानते हैं कि जिनकी उम्र 18 साल से 60 साल के बीच की हो हीमोग्लोबिन 12.5 ग्राम हो.  शरीर का वजन 45 किलोग्राम से कम न हो वो रक्तदान कर सकते हैं पर यह जानना भी जरुरी है कि कौन लोग रक्तदान नही कर सकते…

world blood donor day by monica gupta

रक्तदान और हमारी सोच – Birth of Karl Landsteiner who discovered human blood groups & made donation safe – रक्तदान यानि Blood Donate करना सुखद अहसास है और हमें इस नेक कार्य पुण्य कार्य में कभी पीछे नही हटना चाहिए .

 किन  स्थितियों में नहीं हो सकता रक्तदान

जैसा कि हेपेटाइटिस, एचआईवी, एड्स, सिफिलिस, टीबी आदि के रोगी रक्त दान नहीं कर सकते…. जिसने टैटू गुदवाया हो या कान छिदवाया हो वो भी 6 महीने तक  रक्तदान नही कर सकते
पीलिया के मरीज और कम  हीमोग्लोबिन  होने पर भी रक्तदान नहीं करना चाहिए
गर्भवती , स्तनपान कराने वाली महिला हो या महिला को मासिक धर्म यानि पीरियडस हो उन महिलाओं को भी रक्तदान नहीं करना चाहिए….

इसके साथ साथ जिन्हें आने वाले 12 – 14 घंटों में लंबी यात्रा या वायु यात्रा करनी हो या किसी तरह का भारी काम करना हो उन्हें भी रक्तदान नही करना चाहिए
या फिर  लगातार खांसी, जुकाम, गला खराब या लंबे समय से एंटीबायोटिक ले रहे हों या फिर अस्थमा के मरीज जो स्टीरइड ले रहे होंं उन्हें भी रक्तदान से परहेज करना चाहिए
या  मेजर अथवा माइनर ऑपरेशन होने की दशा में भी रक्तदान से परहेज करना चाहिए
या फिर डायबिटीज के रोगी जो इंसुलिन लेते हो… रक्तदान से बचें

बाते तो और भी बहुत है सबसे ज्यादा जरुरी है कि आप स्वस्थ रहे अपने शरीर का ख्याल रखे और जब भी रक्तदान करने जाए रक्तदान करने से पूर्व फार्म जरुर पढे और उसे सही सही भरे …

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Karl Landsteiner’s 148th birthday

You might not know the name Karl Landsteiner, but his discoveries have saved the lives of so many millions of us.

In 1901, Landsteiner discovered the existence of blood types A, B, AB and O, and that people of the same or compatible types can receive transfusions from one another. The first successful blood transfusion occurred in 1907 as a direct result of his work, which led to advances in medicine, therapies, and surgery.

Landsteiner is also credited with laying the groundwork, together with fellow scientist Erwin Popper, that led to the discovery of the polio virus. This was the first step towards developing a treatment for the disease which affected millions of children worldwide. read more at google.com

 

वैसे आप रक्तदान के बारे में क्या विचार रखते हैं जरुर बताईएगा

ऑडियो – टैटू गुदवाना- रक्तदान और हमारी जागरुकता जरुर सुनिएगा 🙂

जय रक्तदाता

May 15, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

बच्चोंं की कहानी – ऑडियो – काम ही काम – मोनिका गुप्ता

टैटू गुदवाना और रक्तदान https://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/05/kids-story-kaam-hi-kaam-by-monica-gupta.wav

क्लिक कीजिए और सुनिए 3 मिनट और 20 सैंक़िड की  बाल कहानी

बच्चोंं की कहानी – ऑडियो – काम ही काम – मोनिका गुप्ता

दोस्तों… मेरा हमेशा ये प्रयास रहा है कि मैं अपनी writing के माध्यम से आप सभी का  मनोरंजन कर सकूं…. अब टेक्नोलोजी इतनी fast हो गई है कि blog में Audio और Video भी डाला जा सकता है… तो अकसर मैं कहानियांं और व्यंग्य ब्लॉग में Audio रुप में  post करती रहती हूं .

आज कुछ दोस्तों ने फरमाईश की कि बच्चों की कहानी भी सुनाईए … इसलिए  आज  चुनी है अपनी लिखी बच्चों की  कहानी         ” काम ही काम” ..  जोकि आपको कहानी कम और वास्तविकता ज्यादा लगेगी…

यह कहानी 9 क्लास में पढने वाली मणि की है कि कल उसका टेस्ट है और वो घर पर पढना चाहती है पर मम्मी जिद करती है कि एक शादी में चलने के लिए … क्या मणि शादी मे जाएगी या घर पर रह कर पढेगी और अगर घर पर रहती है तो घटना होती है … बहुत तरह के ताने बाने मे बुनी है ये बच्चों की कहानी … काम ही काम …

सुनिए और बताईए कि कैसी लगी ताकि और भी ऐसी कहानियां आपको सुना सकूं …

 मोनिका गुप्ता

मोनिका गुप्ता

 

मेरे Blog में आपको बहुत कुछ पढने देखने सुनने को मिलेगा… आप सब कुछ देखिए और बताईए कि आपको कैसा लगा … !!! ताकि अगर कोई कमी है तो मैं और बेहतर करने का प्रयास कर सकूं

इसे भी जरुर सुनिएगा

ऑड ईवन कार नम्बर – दिल्ली और कोर्ट का आदेश

और बताईए कि आपके क्या विचार हैं ??

 

May 6, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

Audio – Short Story- Dard by Monica Gupta

Audio - Short Story- Dard by Monica Guptahttps://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/05/story-dard-by-monica-gupta.wav

Audio – Short Story- Dard by Monica Gupta

पति पत्नी के खूबसूरत रिश्तों को दर्शाती कहानी है दर्द …   हमे किसी की कीमत का तभी अहसास होता है जब वो हमारी जिंदगी से हमेशा हमेशा के लिए चला जाता है … !!

आईए सुनिए मेरी ही लिखी एक और कहानी  दर्द और बताईए कि कैसी लगी ??

Audio - Short Story- Dard by Monica Gupta

Audio – Short Story- Dard by Monica Gupta

थैलेसीमिया और सफलता की कहानी – Monica Gupta

Blood donation, रक्तदान , रक्तदाता या स्वैच्छिक रक्तदान  की जब भी करते हैं तो thalassemia का जिक्र जरुर आता है. थैलेसीमिया और सफलता की कहानी भी जरुर पढनी चाहिए कि कैसे वो इससे जूझ रहे हैं. read more at monicagupta.info

 

May 2, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

लघु कथा – ऑडियो – रफ्तार – मोनिका गुप्ता

मोनिका गुप्ताhttps://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/05/story-speed-by-monica-gupta.wav

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लघु कथा – ऑडियो – रफ्तार – मोनिका गुप्ता

नमस्कार

आप हमेशा कहानियां पढते हैं चलिए आज आपको कहानी सुनाते हैं. कहानी का शीर्षक है ” रफ्तार” कहानी की अवधि 1 मिनट 46 सैंकिंड है.

कहानी -थकावट ( मोनिका गुप्ता)

कहानी -थकावट

इस कहानी का पात्र दिनेश गलत कामों में लिप्त है और  पकडे जाने के डर से अपनी पत्नी और बच्चों के साथ गांव में साधारण जीवन जीने की इच्छा करता है पर अन्त में क्या होता है क्या वो बच जाता है या पुलिस के सामने डर कर घुटने टेक देता है … यही सब जानने के लिए सुनिए कहानी ” रफ्तार” और बताईए कि कहानी कैसी लगी ??

कहानी महिला दिवस भी जरुर सुनिएगा

लघु कथा – ऑडियो – रफ्तार – मोनिका गुप्ता

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