Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

  • About Me
  • Blog
  • Contact
  • Home
  • Blog
  • Articles
    • Poems
    • Stories
  • Blogging
    • Blogging Tips
  • Cartoons
  • Audios
  • Videos
  • Kids n Teens
  • Contact
You are here: Home / Archives for writer

July 13, 2015 By Monica Gupta

ऐसा प्यार कहां

ऐसा प्यार कहां

 

man drinking beer photo

Photo by Matthew Black

वाह !!! आज एक महाशय … मेरे हिसाब से महानुभाव बोलना ऊचित रहेगा .. हां, तो आज एक महानुभाव से मिलना हुआ. वो खुदकुशी कर रहे थे. उन्हे और उनके प्यार को देखकर मै उनसे प्रभावित हुए बिना नही रह सकी. अरे!! हैरान होने की जरुरत नही है और ना ही मैने कुछ गलत लिखा है. असल में, उन्हे ब्लड शूगर है और वो बस मीठा और तला चोरी छिपे खाए चले जा रहे है भले ही घर वाले नाराज हो पर खाने से वो अपना प्यार, मोह नही छोड पा रहे है.
वही मेरी प्रिय सहेली मणि के एक मित्र है मुहं पका हुआ है एक छाला महीने से ठीक नही हो रहा पर पान मसाले और गुटखे का प्रेम इतना है कि उसे छोड नही पा रहे.
वही एक अन्य जानकार है दोनो गुर्दे जवाब देने को है पर शराब… अजी, इतना प्यार है उससे कि छूट ही नही रही. जाने अंजाने ये सभी लोग खुदकुशी पर आमादा है.. भले ही घर परिवार वाले नाराज हो लडे मरे या खुद अपने शरीर के साथ कितने भी दुख उठाए पर छोड नही सकते.
देखा है आपने ऐसा प्यार!!! अब प्यार हो तो ऐसा हो वर्ना ना हो !! वैसे आप कही आप भी तो खुदकुशी ….. !!!!

ऐसा प्यार कहां

 

July 11, 2015 By Monica Gupta

Indian House wife

Indian House wife

मेरी एक सहेली हाऊस वाईफ है. आज सुबह उसके घर गई तो बच्चों के शोर से घर गूंज रहा था. बोली आज और कल ओवर टाईम करना है ?? मैने पूछा अरे !! कैसे कही ज्वाईन किया क्या तो हंस कर बोली नही री … आज इनकी और बच्चों की छुट्टी है ये सब मस्त है पूरा दिन धमा चौकडी मचाने वाले हैं जबकि उसका आज पूरा दिन रसोई मे बीतेने वाला है … बारी बारी करके सो कर उठेंगें …अलग अलग नाश्ते की फरमाईश होगी फिर बाजार भी शापिंग पर ले जाना होगा फिर बच्चों के दोस्त भी आएगें और इनके भी दो चार दोस्त तो आ ही जाएगें …

मौसम अच्छा है तो पकौडे शकौडे … फिर … मैने कहा … बस बस बस … ओह मैं तो सुनते सुनते ही थक गई इसे तो सारा दिन काम करना है पर वो बोली हां पर खुशी खुशी. एक दो दिन ही हो मिलते हैं बच्चों को मस्ती करने के नही तो सुबह से शाम तक स्कूल पढाई, टयूशन …ना आराम न नींद … !! मैने मुस्कुरा दी.. वाकई छ्ट्टी के दिन तो गृहणी की भूमिका डबल ट्रिपल ही होती है और  ये बात तो एक मां ही सोच सकती है …

मैं अक्सर फेसबुक य अन्य सोशल नेट वर्क साईट पर देखती हूं बहुत लोग हैप्पी संडे करके अपना स्टेटस डालते हैं अगर एक हाऊस वाईफ डाले तो … 🙂 

खैर !! जरुरी ये बात है हर काम खुशी खुशी किया जाए …कई महिलाए “रुस” जाती है मेरा मतलब मोदी जी की यात्रा वाला रुस नही बल्कि नाराज हो जाती है. इतना काम देख कर मुहं बना लेती है अरे भई   छुटी है  आप भी खुश रहो  इसलिए खूब खाओ और खिलाओ …. !!!!

Indian House wife

 lady working in kitchen photo

Photo by Internet Archive Book Images

July 7, 2015 By Monica Gupta

Increase vs decrease

  graph photo

Increase vs decrease

जनसंख्या लगातार बढ रही है. महंगाई का तो कोई हिसाब ही नही बेरोजगारी ,भ्रष्टाचार,प्रदूषण, पेट्रोल, राशन आदि की तो बात ही मत करो . हाल बेहाल है. क्या इनसे कभी छुटकारा मिलेगा.  क्या हमारे सामने कभी कमी भी आएगी या कमी का नाम भी इतिहास हो जाएगा    क्या इनसे कभी छुटकारा मिलेगा…..

अगर आप ऐसा ही कुछ सोच रहे हैं तो परेशान होने की कोई जरुरत नही है क्योकि आज के समय मे बहुत सी चीजो मे कमी या गिरावट आई है और तो और कुछ चीजे तो इतनी सस्ती हो गई है कि उनका कोई मोल ही नही रहा और आप हैं कि राग अलापे जा रहे हैं.

 

 

सुनिए हमारी जान(जिंदगी) सस्ती हो गई है इसकी कोई कीमत नही रही.

जीवन के मूल्य गिर गए है.

आँखो का पानी खत्म होता जा रहा है.

विश्वास की नीव कमजोर हो गई है.

सहनशक्ति कम हो गई है.

जंगल खत्म हो गए हैं हरियाली मे भारी कमी आई है.पक्षियो की चहचाहट कम हो गई है.

चीनी मे मिठास कम हो गई है.

बिजली की सप्लाई कम हो गई है.

स्कूलो मे टीचर और अस्पतालो मे डाक्टरो की कमी हो गई है.

खाने मे पोषक तत्वो की कमी हो गई है.

लडकियो मे खून की कमी हो गई है.जागरुकता, इज्जत, आदर मान ना के बराबर रह गए है और भी बहुत उदाहरण है इसलिए यह मत कहिए कि आज के समय मे कमी की कमी हो गई …..

 

कैसा लगा आपको ये Increase vs decrease लेख जरुर बताईगा 🙂  )

July 6, 2015 By Monica Gupta

Take Care

Take Care

Pic by Monica Gupta

अभी कुछ देर पहले मणि मेरे घर खीर ले कर आई … अरे वाह खीर !!!! किस खुशी में … वो बोली कि जब पिछ्ले दिनों वो छुट्टियों में बाहर चले गए थे तो पौधे सूख गए थे. एक को तो बचा नही पाई थी पर एक पौधे को उसने बचा लिया. उसकी खूब देखभाल की सुबह दोपहर शाम पानी दिया और आज सुबह उसमे फूल खिला है. उसी खुशी में खीर … मैने उसकी आखों मे झिलमिलाती खुशी देखी.

सच, हम अक्सर पौधो के मामले मे सुस्त हो जाते हैं अगर उन्हे लगाया है तो पानी देना तपती गर्मी से बचाना भी हमारा ही फर्ज है. घर की सुंदरता बढाने के साथ साथ वो हमारे अच्छे दोस्त भी है. अगर आप भी बचा सकते हैं तो किसी को मुरझाने से बचा लिजिए… Take Care of plants …

पर्यावरण को सुरक्षित रखने के बहुत लोग अपने अपने तरीके से संदेश देते हैं … कोई टीवी पर, कोई नाटिका के माध्यम से तो कोई गीत गाकर तो कोई समाचार पत्र मे माध्यम से जनता को प्रेरित करते हैं …

दैनिक भास्कर ने भी एक अभियान छेडा

बरसात के इस मौसम में अपने नाम का पौधा लगाएं।

औषधीय पौधा लगाएंगे तो और भी उत्तम होगा।

एक पौधा हमारे लिए माध्यम बनेगा, अपने बचपन को फिर से जीने का।

मा नसून ने दस्तक दे दी है। फिलहाल इसने तेजी नहीं पकड़ी है। मगर पूरी उम्मीद है कि कुछ देर से ही सही, घटाएं जमकर बरसेंगी।

हर वर्ष की तरह, इस बार भी दैनिक भास्कर समूह अपने करोड़ों पाठक परिवारों के साथ मिलकर आज से पौधरोपण अभियान की शुरुआत कर रहा है। यही तो सही समय है, जब हमारे द्वारा लगाए गए पौधे धरती की गोद में आसानी से पल-बढ़ सकते हैं।

आइए, आज हम एक नई परंपरा की शुरुआत भी करते हैं। बरसात के इस मौसम में हम अपने नाम का एक पौधा लगाते हैं। और फिर उसकी देखभाल उतने ही प्यार से करें, जैसी हमारे बड़े हमारी करते थे। यकीन मानिए, जब हम रोज सुबह अपने नाम के इस पौधे को देखेंगे तो हमारे चेहरे पर कुछ वैसी ही मासूम मुस्कुराहट होगी, जैसी बचपन में हुआ करती थी। वह पौधा हमारे लिए माध्यम बनेगा, अपने बचपन को फिर से जीने का।

ऐसा हम अपने परिवार के सभी सदस्यों के लिए करें। परिवार का प्रत्येक सदस्य अपने नाम का एक पौधा लगाए। यदि भास्कर के करोड़ों पाठक अपने नाम का एक पौधा लगाएं और उसकी देखभाल करें, तो हम पर्यावरण को हराभरा करेंगे ही, आने वाली पीढ़ियों को अपने नाम की अनमोल विरासत भी देंगे।

 

 www.bhaskar.com

Via bhaskar.com

Take Care

July 2, 2015 By Monica Gupta

पोस्ट अच्छी बुरी

 

social networking sites photo

Photo by Franco Bouly

पोस्ट अच्छी बुरी

 

कल  फेसबुक पर एक पोस्ट देखी.  फोटो में आटो वाला अपने वाहन मे विकलांगों को फ्री सर्विस देता है उन्होने अपने ओटो मे यही बात बडा करके लिखवाई हुई थी. उस पोस्ट पर लिखा था बताओ कितने लाईक मिलेंगें और उस पर मुश्किल से 10 -12 लाईक थे.

बात लाईक करने या न करने की नही है क्योकि यकीनन पढते तो सभी है बस अच्छाई को पसंद करने के लिए बस क्लिक नही कर पाते. पर मुझे यकीन है कि ऐसे लोग दिल ही दिल मे प्रशंसा भी करते होंगें.

दो दिन पहले एक अन्य तस्वीर भी देखने को मिली. आठ दस साल की लडकी की तस्वीर थी और उसमे लिखा था कि ” मेरे पापा ने कहा है कि अगर इस फोटो को एक हजार लाईक मिले तो वो सिग्रेट पीना छोड देंगें. मुझे अच्छा लगा कि लगभग 900 से ज्यादा लाईक हो चुके थे. मैने भी तुरंत लाईक कर दिया. हालाकि उसके बाद मुझे वह फोटो न्यूज फीड मे नही दिखी. पता नही लोगो ने उसे लाईक किया या  नही  वैसे आप चाहे कुछ भी कहें पर कई पोस्ट वाकई में अच्छी होती है.

एक पोस्ट तो पढ कर मजा ही आ गया . उसमे लिखा था कि मैने अभी भगवान की फोटो शेयर की है. इंतजार कर रहा हूं कि शुभ समाचार क्या मिलेगा… क्योकि उस पोस्ट पर लिखा था कि जल्दी से शेयर करो और शुभ समाचार पाओ…

बहुत समय पहले इसी प्रकार के पोस्टकार्ड आया करते थे तब समझ नही आता था कि इसे फेंक दे , फाड दें या जवाबी 50 पत्र लिख कर डाल दे…

खैर पोस्ट हर तरह की है अच्छी बुरी … हमारी ऊपर है कि हम उसे देख कर अनदेखा कर देतें हैं या लाईक करके अपनी सहमति जताते हैं.

July 1, 2015 By Monica Gupta

Loudspeakers

Loudspeakers- कुछ ही देर पहले मेरी सहेली मणि का फोन आया. अरे !! आवाज ही नही पहचानी गई.. मैने पूछा क्या हुआ… पर आवाज ही नही निकल रही थी कल तक तो ठीक थी एक ही दिन में …. !!! मैं  तुरंत उसके घर गई. उसकी तो आवाज बिल्कुल  ही बंद थी.

मैने गुस्से मे कहा कि कितनी बार मना किया है बर्फ मत खाया कर … उसने  मायूस सा होते हुए इशारे से बताया कि नही खाई. फिर मैने पूछा खट्टी चटनी ?? उसने फिर  न की मुद्रा मे गर्दन हिला दी !! अरे तो फिर हुआ क्या? उसने लिख कर बताया कि कल किसी समारोह मे गए थे वहां डीजे पर  गाने बहुत तेज आवाज मे बज रहे थे. वहां बहुत जानकार भी मिले और उनसे बात भी करनी थी इसलिए महा भयंकर शोर मे कान के पास चिल्ला चिल्ला कर बोलना पडा इसलिए गला बैठ गया.

ओह ..नो !! इस पर उसने लिखा अरे तू क्यो लिख रही है मेरे कान तो ठीक है … ह हा हा !! मैने कहा ये भी एक बडा चिंता का विषय है. कान फूडू संगीत भी आज कल स्टेटस सिंबल बन गया है. कुछ दिन पहले मै भी एक प्रोग्राम मे गई  वहां भी बहुत तेज संगीत बज रहा था इस पर जब  मालिक से बोला कि क्या संगीत की ध्वनि धीमे  हो सकती है  इस पर वो बोले अजी आप कमाल करती हैं इतने पैसे खर्च किए हैं डीजे के लिए…  आवाज  कम नही होगी..

और पूरे कार्यक्रम में हम इशारों मे ही बात करते रहे… या फिर वटस अप पर मैसेज भेज कर बाते करते रहे. मेरी सहेली ने जब अपना मोबाईल देखा तो बीस मिस्ड काल थी उसके पति बाहर बुलाने के लिए कर रहे थे… पर सुनाई ही नही दिया…मैने सलाह दी कि ऐसे मे वाईब्रेशन पर लगा देना चाहिए और मोबाईल हाथ में पकडे रहना चाहिए.

वैसे  वो भी अच्छा अनुभव था. मूड खराब करने का कोई फायदा नही क्योकि लोग नही सुधरेंगें पर हम नई नई भाषा जरुर सीख जाएगे.

Loudspeakers

 

 

Loudspeakers photo

Be kind to your ears, listen quietly

Give it a try, turn the volume down a little, and once you get used to listening quietly, turn it down a little more. Granted, quiet listening works best in quiet places; in noisy environments stick with in-ear, closed-back, or noise-canceling headphones. Avoid ear buds and open-back headphones, they don’t hush external noise so you have to play music a lot louder than you might realize.

If you do the bulk of your listening in noisy places, continuing with ear buds (the type that come with phones) may eventually lead to hearing loss from continued exposure over a long period of time to excessively loud sound. I covered how ear buds, in-ear, and closed- and open-back headphones work and how they differ on previous blogs.

If you have to listen in noisy places or while commuting, consider buying in-ear or closed-back full-size headphones to seal out noise. When you reduce the background noise level competing with the music, you can turn the music’s volume way down, and the difference can be very significant. Even inexpensive closed-back or in-ear headphones will help you listen more quietly.

I find with the better-sounding in-ear and closed-back headphones I can listen at a much lower volume and still not feel like I’m losing detail or the music’s energy. Quiet listening draws me in more, so I listen more attentively. Once you get used to listening quietly it will become the new norm, and your ears will suffer less listening fatigue.

Noise-canceling headphones block more noise than any other type of headphone, so you can turn the music down even more, but most noise-canceling models don’t sound as good playing music as equivalently priced closed-back headphones. See more…

  • « Previous Page
  • 1
  • …
  • 7
  • 8
  • 9
  • 10
  • 11
  • 12
  • Next Page »

Stay Connected

  • Facebook
  • Instagram
  • Pinterest
  • Twitter
  • YouTube

Categories

छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही

Blogging Tips in Hindi

Blogging Tips in Hindi Blogging यानि आज के समय में अपनी feeling अपने experience, अपने thoughts को शेयर करने के साथ साथ Source of Income का सबसे सशक्त माध्यम है  जिसे आज लोग अपना करियर बनाने में गर्व का अनुभव करने लगे हैं कि मैं हूं ब्लागर. बहुत लोग ऐसे हैं जो लम्बें समय से […]

GST बोले तो

GST बोले तो

GST बोले तो –  चाहे मीडिया हो या समाचार पत्र जीएसटी की खबरे ही खबरें सुनाई देती हैं पर हर कोई कंफ्यूज है कि आखिर होगा क्या  ?  क्या ये सही कदम है या  देशवासी दुखी ही रहें …  GST बोले तो Goods and Service Tax.  The full form of GST is Goods and Services Tax. […]

डर के आगे ही जीत है - डर दूर करने के तरीका ये भी

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन – Social Networking Sites aur Blog Writing –  Blog kya hai .कहां लिखें और अपना लिखा publish कैसे करे ? आप जानना चाहते हैं कि लिखने का शौक है लिखतें हैं पर पता नही उसे कहां पब्लिश करें … तो जहां तक पब्लिश करने की बात है तो सोशल मीडिया जिंदाबाद […]

  • Home
  • Blog
  • Articles
  • Cartoons
  • Audios
  • Videos
  • Poems
  • Stories
  • Kids n Teens
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Terms of Use
  • Disclaimer
  • Anti Spam Policy
  • Copyright Act Notice

© Copyright 2024-25 · Monica gupta · All Rights Reserved