एक सच्ची घटना – एकता का महत्व – ek sachchi ghatna इस बारे में कहानियां और प्रेरक प्रसंग हम सभी ने पढे हैं पर कल मैने एकता का जीता जागता उदाहरण देखा .जीवन की अविस्मरणीय घटना के बारे में आपसे शेयर कर रही हूं जो दो दिन पहले मेरे परिवार के साथ हुई और जाने अजाने मुझे ये बात समझा गई कि एकता का कितना महत्व है
एक सच्ची घटना – एकता का महत्व
एकता में बल है … … हुआ ये कि घर के सामने बहुत बडा कृषि विभाग का फार्म है जहां एकड में गेहूं की बुआई हुई थी … अब फसल पक कर तैयार है … कल अचानक दोपहर को खेत में अचानक शार्ट सकिट से या पता नही कैसे आग लग गई … क्योकि बिल्कुल सामने ही घर था तो हम तुरंत घर से बाहर निकले .. मैने फायर ब्रिगेड को फोन किया और हवा और आग मिल कर मानो तांडव कर रही थी … अचानक पता नही कहां कहां कहां से लोग आने शुरु हो गए और फफटाफट आग बुझाने में जुट गए …
सबसे पहले जिस कमरे मे लगी थी वहा भर भर के पानी डालने लगे … उस घर का सिलेंडर और गाडिय़ा बाहर निकाली गई … और इसी बीच फायर ब्रिगेड भी आ गई … तब जा कर जान मे जान आई लेकिन जितने लोग वहां आए हुए थे वो तब तक घर के अंदर की आग कर बुझा चुके थे … और फिर उसने खेत की और छिडकाव करना शुरु किया …दो एकड फसल राख हो चुकी थी
अगर लोग मिल जुल कर प्रयास नही करते तो पूरा घर खाक होने में समय नही लगता . पर एक जुट होकर आग को भी खदेड दिया इसी लिए कहते हैं कि एकता में बल है..
ये है अलग अलग उंगलिया पर जब मिल जाती हैं तो मुठ्ठी बन जाती हैं एक बार हाथ की पाँचों उंगलियों में आपस में झगड़ा हो गया| वे पाँचों खुद को एक दूसरे से बड़ा सिद्ध करने की कोशिश में लगे थे | अंगूठा बोला की मैं सबसे बड़ा हूँ, उसके पास वाली उंगली बोली मैं सबसे बड़ी हूँ इसी तरह सारे खुद को बड़ा सिद्ध करने में लगे थे जब निर्णय नहीं हो पाया तो वे सब अदालत में गये |
जज ने सारी बात सुनी और उन पाँचों से बोला की आप लोग सिद्ध करो की कैसे तुम सबसे बड़े हो? अंगूठा बोला मैं सबसे ज़्यादा पढ़ा लिखा हूँ क्यूंकी लोग मुझे हस्ताक्षर के स्थान पर प्रयोग करते हैं|
पास वाली उंगली बोली की लोग मुझे किसी इंसान की पहचान के तौर पर इस्तेमाल करते हैं| उसके पास वाली उंगली ने कहा की आप लोगों ने मुझे नापा नहीं अन्यथा मैं ही सबसे बड़ी हूँ | उसके पास वाली उंगली बोली मैं सबसे ज़्यादा अमीर हूँ क्यूंकी लोग हीरे और जवाहरात और अंगूठी मुझी में पहनते हैं| इसी तरह सभी ने अपनी अलग अलग प्रशन्शा की |
जज ने अब एक रसगुल्ला माँगाया और अंगूठे से कहा की इसे उठाओ, उंगूठे ने भरपूर ज़ोर लगाया लेकिन रसगुल्ले को नहीं उठा सका | इसके बाद सारी उंगलियों ने एक एक करके कोशिश की लेकिन सभी विफल रहे| जब जज ने सभी को मिलकर रसगुल्ला उठाने का आदेश दिया तो झट से सबने मिलकर रसगुल्ला उठा दिया |
फ़ैसला हो गया कि सभी एक दूसरे के बिना अधूरे हैं और अकेले रहकर शक्ति का कोई अस्तित्व नहीं है, जबकि संगठित रहकर तुम कठिन से कठिन कम आसानी से कर सकते हैं तो मित्रों, संगठन में बहुत शक्ति होती है मिलजुल कर रहना चाहिए …
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