लेखन के बारे में – लेखन कौशल को निखारने का सुनहरा अवसर – लेखको के लिए खुश खबरी से कम नही ये खबर… एक समय था जब लेखको की रचनाए धन्यवाद सहित सम्पादक से वापिस आ जाती और मनोबल समाप्त हो जाता या फिर अपनी किताब प्रकाशित करवाने के लिए प्रकाशक के नखरे उठाने पडते पर अब किसी के नाज नखरे उठाने की जरुरत नही बस अपना पूरा ध्यान लेखनी पर लगाईए… पल भर में अपने लेख प्रकाशित करके या अपनी लिखी किताब खुद प्रकाशित करके पूरी दुनिया को अपना कला कौशल दिखाईए …
जी हां … न तो मैं गलत बोल रही हूं और न ही मैं मजाक कर रही हूं … मेरी बात जानने से पहले आपको सुनना पडेगा मेरा लेखन अनुभव…
लेखन के बारे में – लेखन कौशल को निखारने का सुनहरा अवसर
वसुधैव कुटुम्बकम … पूरी पृथ्वी एक परिवार है … कुछ समय पहले तक मेरे मन में संशय था कि ऐसे कैसे सम्भव है पूरी पृथ्वी एक परिवार पर कैसे … पर जैसे जैसे इंटर नेट के सम्पर्क में आई मुझे यकीन होने लगा कि वाकई ये सच है आज हम नेट के माध्यम से पूरी दुनिया ना सिर्फ घूम सकते हैं बल्कि किस देश में कहां पर क्या हो रहा है क्या खबर है सब जान सकते है …कुछ् समय पहले तक ऐसा नही था.
मेरा लेखन का अनुभव …
बात बहुत पुरानी भी नही है अगर मैं अपने अनुभव की बात बताऊ तो बचपन मे यानि सन 1974 – 1975 में मुझे बाल पत्रिकाए जैसे लोटपोट पढने का बहुत शौक था. इतना शौक था कि अगर मैं स्कूल जाने के लिए तैयार हो रही होती थी और अखबार वाला पत्रिका डाल जाता तो मेरे अचानक पेट दर्द शुरु हो जाता (झूठ मूठवाला) … डांट तो पडती थी और कई बार मम्मी गुस्से मे मुझे अलमारी के उपर भी बैठा देती … तो कई बार मैं कहती कि मम्मी लोटपोट भी पकडा दो … खैर ऐसे छोटे छोटे उदाहरण तो बहुत सारे हैं पर ये तो बात थी पढने की धीरे धीरे शौक बढने लगा और मैं अपने आप कहानी बना कर लिखने भी लगी पर नेट की सुविधा नही थी और ना ही कोई जानकारी इसलिए मेरी लिखी कहानियां कभी सम्पादक तक नही पहुंच पाई..
नासमझी, आधी अधूरी जानकारी में कभी टिकट नही लगाती थी तो कभी पोस्टकार्ड पर कहानी लिख कर भेज देती … और इंतजार भी करती कि मेरी कहानी जरुर छपेगी… खैर धीरे धीरे समझ आने लगी पर तब तक मैं बहुत कहानियां लिख कर भेज चुकी थी जिनका आज की तारीख में मेरे पास न कोई रिकार्ड है और न ही कोई सबूत …और लेखन जगत में मैं दस साल पीछे चली गई .. क्योकि आज अगर मैं अपना लेखन का अनुभव 27 साल लिखती हूं अगर तब मेरे पास साधन होते, नेट जैसी सुविधा होती, कोई बताने वाला होता तो मेरे लेखन का अनुभव आज 27 की बजाय 37 साल होता …
पर जब जागो तभी सवेरा …
लेखन कला का विकास
जब समझ आई और कहानियां सही ढंग से भेजना शुरु किया तब ये नही था कि जो भी कहानी या रचना भेजी वो प्रकाशित हो गई वैसे अगर 40% वापिस आई तो 60% प्रकाशित भी हुई.
एक लेखक के लिए अपनी रचना का जानी मानी पत्रिका में प्रकाशित होना किसी सपने के सच होना से कम नही है … क्योकि मैं भी बहुत बार इस दौर से गुजरी हूं जब कहानी लिखी या कोई लेख लिखा और बहुत अच्छा लिखा पर वो छपा नही और अगर टिकट लगा कर भेजा तो धन्यवाद सहित वापिस आ गया या फिर सम्पादक की मेज के नीचे रखे डस्टबीन की भेंट चढ गया.
ऐसे में उस समय आत्मविश्वास की बहुत कमी हो जाती है … लगने लगता है कि शायद हममें काबिलियत ही नही है लेखक बनने की…
वो तो अब जाकर पता चला कि अकसर रचनाएं धन्यवाद सहित वापिस इसलिए भी आ जाती है कि ज्यादातर पत्र-पत्रिका के संपादक मंडल की अपनी एक रचनात्मक रुचि होती है अपनी टीम होती है और ज्यादातर उन्हीं की रचनाएं ली जाती हैं यानि हमारी रचना का न छपना इस बात का सकेंत नही होता था कि हम अच्छे लेखक नही है या अच्छा नही लिखा इसलिए प्रकाशित नही हुआ…
तो यानि हम में काबलियत है … हम न सिर्फ सोच सकते हैंं बल्कि अच्छा लिख भी सकते हैं अब रही बात कि बेशक लिख तो लिया पर दिखाएगें कहा यानि प्रकाशित कहां करें कौन पढेगा हमारी रचना को … … कोई माध्यम ही नही … किताब की पांडुलिपि तैयार है पर कोई प्रकाशक तैयार नही … ऐसे में क्या किया जाए ??? .
क्योकि बार बार रचना ना छपना या धन्यवाद सहित वापिस आ जाना लेखक के लिए निराशा का कारण बनता जाता है और एक समय ऐसा आता है कि वो लेखन से विमुख होता जाता है यानि लेखक बनने से पहले ही लेखनी दम तोड डेती है… बात सिर्फ लेखन की ही नही बल्कि पब्लिशर की भी है हम अपनी किताब छपवाना चाह्ते है पर पब्लिशर या तो मिलते नही या वो मनमानी करते हैं इस करके हमारा लेखन कही दब सा जाता है… तो क्या रास्ता है .. ? क्या है कोई आशा के किरण … !!!
लेखन कौशल का मूल्यांकन
जी … हां बिल्कुल है … आशा की किरण है जिससे न सिर्फ आपको लेखने का बल मिलेगा बल्कि अपनी लिखी किताब भी पब्लिश करवा सकते हैंं.. आज जो कुछ हमें इंटर नेट ने दिया है हमें उसका धन्यवाद करना चाहिए … बस हममे लिखने का दम खम होना चाहिए फिर नाम कमाते समय नही लगेगा … लेखन कैसा हो ये तो खैर ये अलग विषय है फिलहाल आज बात हो रही है कि हम अपना लेखन दुनिया तक कैसे पहुंचा सकते हैं और वो माध्यम है ढेर सारी सोशल नेटवर्किंग साईटस और इन सब मे सबसे उपर है ब्लॉग लेखन …
ब्लॉग लेखन के माध्यम से हम अपनी बात कही तक भी पहुंचा सकते हैं और रही बात अपनी किताब प्रकाशित करवाने की तो वो भी हम बहुत आसानी से कर सकते हैं … मैं भी बहुत रास्तों से गुजरी, बहुत उदासी झेली पर अब नही क्योकि अब मैं अपनी किताब खुद प्रकाशित करके उसे नेट पर डाल सकती हूं …
अगर किताब का सारा मैटर हमारे सम्पादन करके बिल्कुल पास तैयार है तो 24 घंटे के भीतर भीतर आपकी किताब ऑन लाईन हो सकती है… मैने हाल ही में एक किताब ऑनलाईन की है जिसका लिंक आप देख सकते हैं . मैने एक किताब लिखी और उसे प्रकाशित भी किया जिसकी बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली जिस कारण मैं अपनी अगली ऑनलाईन किताब पर काम कर रही हूं कुल मिलाकर अगर नई टेक्निलोजी का अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो लेखको के लिए आशा की किरण बन सकती है…
My Experience and Blogging – Monica Gupta
एक कडवी सच्चाई जिससे मुझे दो चार होना पडा… और मैं जिंदगी की रेस में दस साल पीछे रह गई. read more at monicagupta.info
लेखन के बारे में आपको ये लेख कैसा लगा … ??
तो तैयार है आप भी ब्लॉग के माध्यम से अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए या ऑनलाईन अपनी लिखी किताब खुद प्रकाशित करने के लिए …
आज, जब, हमारे पास नेट जैसी सारी सुविधाएं है तो हमें ज्यादा सोचने मे समय नही लगाना चाहिए …
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