आत्महत्या, कारण और हमारा समाज
कल्पना कीजिए कि आपको एक व्यक्ति का पता है कि वो बार बार आत्महत्या की बात कर रहा है उसे कैसे समझाएगें आप ?? असल में, हम टोकने में या बुराई करने में तो जुटे रहते हैं पर समाधान नही निकालते कि कैसे उसे समझाए कि वो अपना इरादा बदल दे… अगर आप के पास कोई टिप्स हो तो जरा बताईए हो सकता है कि आपकी दी गई टिप्स किसी की जिंदगी बदल दे…
सोशल मीडिया हो या समाचार पत्र हर रोज कभी किसान तो कभी कोई स्कूली, कॉलिज या विश्वविधालय मे पढने वाला छात्र, बहू, कोई मॉडल या अभिनेत्री की आत्महत्या से जुडी खबरे पढने सुनने को मिलती ही रहती हैं जिससे एक रोष एक दुख सा मन में भर जाता है और जिसका असर लम्बे समय तक समाज में देखा जा सकता है.
आज एक मशहूर टीवी अदाकारा प्रत्यूषा जोकि ना सिर्फ बालिका वधू में आनन्दी के किरदार में बल्कि, झलक दिखला जा और बिग बॉस जैसे शो में भी काम कर चुकी है बल्कि सावधान इंडिया जैसे क्राईम से जुडे कार्यक्रम में एंकरिंग भी कर चुकी है उसका पंखें से लटक कर अपनी जान दे देना बेहद दुखद है … यकीनन उसकी मृत्यु ने बहुत सारे प्रश्नवाचक चिन्ह खडे कर दिए.
आत्महत्या की बात हो तो दिव्या भारती, परवीन बॉबी, जिया खान और सिल्क स्मिता आदि के नाम जहन में चले आते हैं उन्हें आजतक कोई नही भूला. सिल्क स्मिता की असल कहानी पर तो डर्टी पिक्चर नामक फिल्म भी बनी थी जिसे विधा बालन ने बखूबी निभाया था.
मेरी एक जानकार जोकि मुम्बई में टीवी धारावाहिको की दुनिया में अपनी जगह बनाने में जुटी हुई है जब उससे इस बारे में बात की तो उसने कहा कि ऐसी खबरें बहुत दुख देती है उसने बताया कि इस खबर के बाद से दस बार उसके माता पिता का फोन आ गया है कि वापिस आ जाओ यही कोई छोटी मोटी नौकरी कर लो .. कुछ नही रखा वहां … !!!
बात महज फिल्म इंडस्ट्री की ही नही बल्कि छात्रों की, दहेज के कारण महिला की, खेतों में काम करने वाले किसानों की भी है जोकि बेहद बेहद दुखद है.
यकीनन हल हालात से, परेशानी से भागने में नही बल्कि सामना करने में हैं.
मुझे एक घटना याद आ रही है जब हम कॉलिज में पढते थे. कॉलिज के ही एक लडका, लडकी शादी करना चाह्ते थे पर घर से मंजूरी नही मिली और दोनों रेल की पटरी पर चले गए. बाद में ये पता चला कि रेल के आते ही लडका पटरी से अचानक हट गया और लडकी हट नही पाई उसे अपने दोनो पैर कटवाने पडे. सारी उम्र के लिए एक दाग लग गया कैसे जीया होगा उसने कोई नही जानता … ऐसे एक नही हजारो उदाहरण हैं …
जरुरत खुद को मजबूत करने की है और परिवार का साथ मिलने की भी है. आमतौर पर व्यस्त जिंदगी में अपनो से बात करने का समय ही नही मिलता किसी दूसरे से दिल की बात कह नही सकते या फिर अगर किसी हम उम्र से बात करें भी तो इस बात की कोई गारंटी नही कि सलाह सही ही मिलेगी या भडकाने वाली… !! इस लिए ऐसे विचार आने पर खुद बेहद संयम से काम लेने की दरकार है…
Suicide of a News जरुर पढे
आमतौर पर जब जब ऐसे धटना सामने आती हैं हमारा मीडिया एक्टिव हो जाता है. हम बडी बडी बाते करने लगते हैं एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं और अगले ही दिन फिर कोई नया मुद्दा किसी दूसरे विषय पर लेकर झगड रहे होते हैं.. और समय गुजर जाता है..
खुद के भीतर को जागना जरुरी है
बेशक आत्महत्या करने की वजह सभी की अलग अलग हो सकती है पर जब मन में इस तरह के विचार चल रहे हों तो समझाना हमारा परम कर्तव्य है ताकि नकारात्मक चल रहे विचारों पर रोक लगाई जाए… जिंदगी परीक्षा लेती है तो उसे लेने दीजिए, यकीन मानिए हम हौसलों से हर बाजी जीतने का दम रखते हैं. बस यही विश्वास हर मन में हमेशा रहना चाहिए.
कैसा लगा आपको ये लेख … जरुर बताईएगा !!
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