हिंदी की बाल साहित्यकार – बाल साहित्य की विधाएँ – बाल साहित्य लेखन हमेशा से बहुत आकर्षित करता है.. सबसे अच्छी बात ये लगती है कि बाल लेखन के समय मन भी बच्चा बन जाता है …
हिंदी की बाल साहित्यकार – बाल साहित्य की विधाएँ –
देखा जाए तो लगभग 27 साल से सक्रिय हूं । दिल्ली सिटी केबल से अपने कार्य की शुरुआत की. राष्ट्रीय समाचार पत्र-पत्रिकाओं के साथ-साथ लोटपोट, चंपक, बालहंस, बालभारती, नैशनल बुक ट्रस्ट की न्यूज़ बुलेटिन आदि में इनके लेख, कहानी एवं प्रेरक प्रसंग नियमित रूप से छपते रहे हैं।
इसके साथ-साथ इन्होंने जयपुर और हिसार आकाशवाणी के कई प्रोग्राम में भी भाग लिया और एकंरिंग भी की । आकाशवाणी रोहतक से इनके द्वारा लिखित नाटक एवं झलकियां प्रसारित होती रही हैं। बाल नाटक बहुत लिखे जोकि आकाशवाणी में भी प्ररसारित हुुुए
अभी तक 8 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। दो किताबों को बाल साहित्य सम्मान मिला है हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से …
हिंदी की बाल साहित्यकार – बाल साहित्य की विधाएँ –
‘मैं हूं मणि’ को 2009 में हरियाणा साहित्य अकादमी की तरफ से बाल साहित्य पुरस्कार मिला।बच्चों की कहानियों का सकंलन है.
‘काकी कहे कहानी’
‘काकी कहे कहानी’ बाल पुस्तक है जो ‘नैशनल बुक ट्रस्ट’ से प्रकाशित हुई है. काकी कहे कहानी नेशनल बुक ट्रस्ट , इंडिया से प्रकाशित बाल कहानी है. काकी कहे कहानी का प्रकाशन 2011 में हुआ. ये एक ही छोटी सी कहानी है जिसके मात्र 16 पेज है. कहानी आज के बच्चें की सोच पर आधारित है.
कहानी में काकी शहर में रहने वाले बच्चें मोहित को मजेदार मजेदार कहानियां सुनाना चाहती है ऐसे में क्या मोहित कहानी सुनता है या अपनी मोबाईल और टीवी की दुनिया में ही खोया रहता है या पढाई के बेहद तनाव की वजह से वो कहानी नही सुन पाता …
बाल पुस्तक ‘अब मुश्किल नहीं कुछ भी’
एक अन्य बाल पुस्तक ‘अब मुश्किल नहीं कुछ भी’ को भी हरियाणा साहित्य अकादमी की तरफ से अनुदान मिला है।इसमे जानी मानी शख्सियत के साक्षात्कार हैं कि उनका बचपन कैसा था और आज कितनी जबरदस्त उपलब्धियां मिली हैं. अब मुश्किल नही कुछ भी प्रेरणादायक बाल साहित्य है.सन 2008 में प्रकाशित पुस्तिका को हरियाणा साहित्य अकादमी की तरफ से अनुदान मिला.
अब मुश्किल नही कुछ भी …
यह किताब बच्चों को प्रेरणा और सीख देने के लिए लिखी है पर मैने भी इन सभी शखिसयतो से मिलकर बहुत कुछ सीखा है। इसमें मेहनत की पटकथा पर जीवन की सफलता की फिल्म रचने वाले दस व्यक्तित्वों की रोचक एवं प्रेरणास्पद कहानियां हैं।
लिम्का बुक आफ रिकार्डस की सम्पादिका श्रीमति विजया घोष, काटूर्निस्ट संकेत गोस्वामी, माऊंट ऐवेरेस्ट फतह करने वाली सुश्री ममता सोढा, भारतोलन मे अर्जुन एर्वाड विजेता श्रीमति भारती सिंह, जिला उपायुक्त और रक्त दान के क्षेत्र मे अलग पहचान बनाने वाले डा0 युद्धवीर सिंह ख्यालिया , निर्माता, निर्देशक सिनेमेटोग्राफर और गायक श्री मनमोहन सिंह, मैनेजेमैंट फंडा के गुरू और लेखन के प्रति समर्पित श्री नटराजन रघुरामन, सुप्रसिद्ध कवि, लेखक प्रोफेसर अशोक चक्रधर, मशहर टेलीविजन अदाकारा सुश्री नेहा शरद जोशी, एक पैर से मैराथान मे हिस्सा ले रहे जाने माने पहले भारतीय ब्लेड रनर और जाबांज मेजर देवेन्द्र पाल सिहं।
‘वो तीस दिन’ बाल उपन्यास
‘वो तीस दिन’ बाल उपन्यास ,नैशनल बुक ट्रस्ट के नेहरू बाल पुस्तकालय की ओर से 2014 में प्रकाशित हुआ है। इस किताब को हरियाणा साहित्य अकादमी की तरफ से 2016 का बाल साहित्य पुरस्कार मिला है.
TV पर बच्चों को मोटिवेट करने के लिए ढेर सारे प्रोग्राम बनाएं
स्वच्छ्ता पर गाना भी फिल्माया और एक गाना खुद भी लिख कर बच्चोंं पर फिल्माया
दैनिक नवज्योति, जयपुर से हर रविवार लगभग 4 साल तक लागतार ‘दीदी की चिट्ठी’ के नाम से बच्चों के लिए लेख नियमित रूप से छ्पे हैं
इसके अतिरिक्त आजकल यूटयूब पर चैनल पर बच्चों की कहानियां व अन्य मोटिवेशनल विचार देकर प्रेरित करती हैं
नेशनल बुक ट्र्स्ट की वेबसाईट पर मेरी लिखी किताब का कवर पेज …
अब तक प्रकाशित 8 किताबें
सफर जारी है … शेष फिर
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