कड़वा सच – एक सच्ची कहानी – Zindagi Ka Ek Kadwa Sach – हम जितना भी झूठ बोल लें पर सच्चाई या कड़वी सच्चाई सामने आ ही जाती है… हर सुबह वो पार्क में मिलती.. जान पहचान कोई नही थी पर रोज सैर करते आमना सामना हो ही जाता और एक दिन जब स्माईल का आदान प्रदान हुआ और फिर वो अक्सर कुछ पल पार्क में बैठने लगीं..
कड़वा सच – एक सच्ची कहानी – Zindagi Ka Ek Kadwa Sach
एक ने बताया कि उनका बेटा विदेश में रहता है और इतनी दूर रहते हुए भी बहुत ख्याल रखता है दिन में दो दो बार फोन करता है.. उसे मेरी तबियत की बहुत फिक्र रहती है… वही दूसरी महिला ने बताया कि उनका बेटा तो दूर जाना ही नही चाहता… उसने साफ मना कर दिया कि वो हमेशा साथ ही रहेंगें… और इसी तरह हर रोज बाते होने लगी.. एक दिन हमेशा की तरह कुछ देर बैठ कर बातें करती वो अपने अपने घर चली गई..
अगले दिन जब दोनों मिली तो आपस में नजरें नही मिला पा रही थी क्योंकि दोनों के मोबाइल फोन अदल बदल गए थे. पहले तो पता ही नही चला… पता तो तब चला जब फोन की घंटी बजी.
विदेश में रहने वाले ने फोन करके गुस्से से बोला कि क्या आप दिन में दो दो बार फोन करती रहती हो… बार बार मत किया करो जब समय हुआ करेगा हफ्ते दस में मैं खुद ही कर लिया करुगां और फोन रख दिया.. न हाल चाल पूछा न कुछ और
वही दूसरी महिला के पास भी फोन आया और जब उसने फोन सुना तो आवाज आई.. कल कचहरी पहुंच जाना… ये घर मैं अपने नाम करवा रहा हूं फिर इसे बेच दूंगा आप अपना कोई और ठिकाना देख लेना.. सुन रही हो ना… कल सुबह 11 बजे कचहरी पहुंच जाना… वही मिलूंगा… और फोन रख दिया… बिना हाल चाल जाने… !!
और वो एक दूसरे का फोन देकर बिना बात किए दोनों चुपचाप लौट गई..
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