इंसान और भगवान – अच्छे इंसान का गुण – इंसान की पहचान ऐसे भी हो सकती है – अगर अच्छा इंसान बनना है तो परोपकार की भावना होनी चाहिए … क्योकि जब हम किसी की मदद की सोचते हैं तो भगवान हमारा भला करते हैं … इसी बारे में एक कहानी- परोपकार पर छोटी कहानी-
इंसान और भगवान – अच्छे इंसान का गुण
एक बार भगवान सैर पर निकले तो उन्होंने रास्ते में एक गरीब आदमी को भीख माँगते देखा। भगवान को उस पर दया आ गयी और उन्होंने उस आदमी को खूब सारे पैसे दिए जिसे पाकर आदमी खुश हुआ और जब घर जा रहा था तो रास्ते में
में एक चोर ने उससे वो सारे पैसे छीन लिए। आदमी दुखी होकर फिर से भीख मांगने लग गया। अगले दिन फिर भगवान की नजर जब उस आदमी पर पड़ी तो उन्होंने उससे इसका कारण पूछा।
आदमी ने सारा विवरण बता दिया, उसकी व्यथा सुनकर भगवान को फिर से उस पर दया आ गयी और इस बार उन्होंने आदमी को बहुत महंगा एक मोती दिया। आदमी उसे लेकर घर पहुंचा उसके घर में एक पुराना घड़ा था जो बहुत समय से प्रयोग नहीं किया गया था, आदमी ने चोरी होने के भय से माणिक उस घड़े में छुपा दिया और सो गया
इस बीच उस आदमी की पत्नी नदी में पानी लेने चली गयी किन्तु मार्ग में ही उसका घड़ा टूट गया, उसने सोचा, घर में जो पुराना घड़ा पड़ा है उसे ले आती हूँ, ऐसा विचार कर वह घर लौटी और उस पुराने घड़े को ले कर चली गई और जैसे ही उसने घड़े को नदी में डुबोया वह माणिक भी जल की धारा के साथ बह गया। आदमी को जब यह बात पता चली तो अपने भाग्य को कोसता हुआ वह फिर भीख मांगने लग गया।
भगवान ने जब फिर उसे इस गरीबी में देखा तो जाकर उसका कारण पूछा। सारी बात सुनकर उन्हें बहुत दुख हुआ अब उन्होने उस आदमी को दो पैसे दान में दिए।
अब आदमी सोच रहा था पहले पैसे चोर ले गया, मोती पानी में चला गया … अब दो पैसे का क्या करुंगा इससे तो कुछ नही आएगा …
अखिर भगवान ने इतना कम क्यों दिया? प्रभु की यह कैसी लीला है ? ऐसा विचार करता हुआ वह चला जा रहा था उसकी नजर एक मछुवारे पर पड़ी, उसने देखा कि मछुवारे के जाल में एक मछली फसी है, और वह छूटने के लिए तड़प रही है ।
आदमी को उस मछली पर दया आ गयी। उसने सोचा “इन दो पैसो से पेट की आग तो बुझेगी नहीं। क्यों न इस मछली के प्राण ही बचा लिए जाये। यह सोचकर उसने दो पैसो में उस मछली का सौदा कर लिया और मछली को अपने बर्तन में डाल लिया उसमे पानी भरा और मछली को नदी में छोड़ने चल पड़ा।
तभी मछली के मुख से कुछ निकला। उस गरीब आदमी ने देखा, वह वही माणिक था जो उसने घड़े में छिपाया था। आदमी खुशी के मारे चिल्लाने लगा “मिल गया, मिल गया ”..!!!
तभी भाग्यवश वह लुटेरा भी वहाँ से गुजर रहा था जिसने आदमी से पैसे लूटे थे जब उसने सुना कि आदमी चिल्ला रहा है कि मिल गया मिल गया तो शायद इसने मुझे देख लिया और पहचान लिया ..
अब ये राजा के पास जाकर शिकायत न कर दे तो वो उस आदमी के पास गया और उसे सारा लूटा पैसा वापिस कर दिया .. डरकर वह आदमी से रोते हुए क्षमा मांगने लगा और पैसे उसे वापस कर दिए
अब ये हुआ कैसे…. इस बारे में भगवान बताते है कि जब उसे पैसे दिए या जब उसे मोती दिया तब उसने सिर्फ अपने सुख के बारे में ही सोचा… किन्तु जब मैंने उसको दो पैसे दिए… तब उसने दूसरे के दुःख के बारे में सोचा। हम दूसरे का भला कर रहे होते हैं, तब हम भगवान का कार्य कर रहे होते हैं, और तब ईश्वर आपके साथ होते हैं।
इसी तरह जिंदगी में भी जो इंसान दूसरों के बारे में अच्छा सोचता है उसके साथ हमेशा ही अच्छा होता है। ऐसा करने से दूसरों को तो ख़ुशी मिलती है साथ ही खुद को भी जिंदगी जीने कई प्रेरणा मिलती है
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