Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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September 21, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Deal with an Angry Husband – जब पति को गुस्सा आए

How to Deal with an Angry Husband

How to Deal with an Angry Husband – जब पति को गुस्सा आए कैसे डील करे…कल एक जानकार मिली वो बहुत परेशान थी.. जब  वजह पूछी तो उसने बताया  कि पति को गुस्सा बहुत आता है तो मैं क्या करुं ?? जब पति को गुस्सा आए.. किस तरह से डील करुं.. क्योंकि मैं भी अपना घर बिखरने नहीं देना चाहती.. तो जो मेरी उससे बातें हुई वो मैं आपसे भी शेयर कर रही हूं ..

How to Deal with an Angry Husband – जब पति को गुस्सा आए कैसे डील करे

सबसे पहले तो शांत रहे…

फिर ये सोचे कि ये जो गुस्सा आया है उसका कारण कही मैं तो नहीं.. मैंने तो कुछ ऐसा नहीं कह दिया.. अगर हां मैंनें ही कहा था.. सास को लेकर या पैसे को लेकर या किसी भी वजह से सुबह से कहा सुनी हुई थी तो माफी मांग लीजिए.. अपनी गलती होने पर झुकने में कोई हर्ज नहीं पर अगर आपको लगता है कि मेरी तरफ से कोई बात नहीं हुई थी..

मैं ने तो कुछ भी नहीं कहा.. तो आपको डरने कि या घबराने की कोई जरुरत नहीं…

अब आप ये सोचिए कि क्या वजह होगी.. कही ऑफिस तो वजह नहीं किसी काम को लेकर तनाव हो अगर वो भी नहीं है तो फिर ये सोचिए कि कही ये इनकी आदत तो नहीं.. बात बात पर गुस्सा करना..

और अगर मान लीजिए ये आदत ही है फिर आप ये सोचिए कि ये इनकी ताकत नहीं कमजोरी है क्योंकि गुस्सा अंदर ही अंदर शरीर को कितना नुकसान पहुंचाता है.. एक तरह से ये गुस्सा करके खुद को तकलीफ दे रहे हैं.. तो ऐसे में क्या करना चाहिए..

ऐसे में आप चुप रहे.. पता है कि पति को गुस्सा आ रहा है वजह कोई भी हो चाहे उनकी मेल इगो ही क्यों न हो पर आप शांत रहिए..

उस समय बहस या बराबर का बोलने पर लगाम लगा लीजिए.. अगर उस समय आप बोले तो आग में घी डालने जैसा होगा.. तो उसे हमें भडकाना नहीं है बल्कि शांत करना है..

उस समय आप कोई विषय भी बदल सकती हैं… कोई और बात ताकि उस बात से ध्यान हट जाए.. चाय पानी का पूछ सकती हैं

या फिर बातो बातों में आराम से आप गुस्से की वजह पूछ सकती हैं

पर अगर सही जवाब न मिले तो आप उनके चुप होने का इंतजार कीजिए.. situation नोर्मल होने तक इंतजार कीजिए..

फिर बात आती है आप बेशक वहां से हट जाईए.. कुछ और काम करने लग जाईए पर उनके शांत होने का इंतजार कीजिए..

पति के शांत होने के बाद कोशिश कीजिए कि वजह की जड तक जाईए. मिल बैठ कर सुलझाईए..

अपनी एक रेखा खींच लीजिए कि किस सीमा तक मैंनें चुप रहना है या कितना सहना है..

कई बार होता है कि पति बार बार गुस्से में हाथ उठाते हैं या कुछ अपशब्द बोलते हैं तो आप उन्हें जरुर कह सकती हैं कि आराम से रिस्पेक्ट से बात कीजिए.. Gentle warning भी दे सकती हैं..

या फिर लगता है बात इससे भी नहीं बन रही और ये हर रोज की बात हो गई है फिर घर के बडे बुजुर्ग से बात कीजिए या फिर किसी अच्छे counselor से सलाह लीजिए..

देखिए प्रयास तो करना ही चाहिए. बहुत बार लेडीज ये कहती हैं कि हम ही क्यों झुकें… क्या पति का कोई फर्ज नहीं.. तो बिल्कुल उनका भी फर्ज है पर आज भी हमारा समाज पुरुष प्रधान है बेशक बदलाव बहुत आया है और आ भी रहा है अगर हम पहले की तुलना में देखें तो बहुत फर्क आया है… पर अगर दूसरी तरफ से पहल की कोशिश न हो तो खुद कर लेनी चाहिए .. नहीं तो विकल्प है ही लडाई झग़डा तनाव और फिर घर छोड कर चले जाओ..  वो शायद कोई नहीं चाहता.. इसलिए कोशिश मिलजुल कर रहने की ही करनी चाहिए ताकि परिवार बना रहे.. वैसे गुस्सा तो हम महिलाओं को भी आता है तो ऐसे में हसबैंडस को क्या करना चाहिए.. इस बारे में जल्दी ही वीडियो बनाऊंगी..

वैसे गुस्सा माचिस की तीली की तरह होता है जिस तरह माचिस की तीली दूसरे को जलाने से पहले खुद जलती है.. उसी तरह गुस्सा है… दूसरे को जलाने से पहले वो खुद को जलता है..

रिश्ते तभी कामयाब होते हैं जब दोनों तरफ से निभाए जाएं.. एक तरफ से सेक कर तो रोटी भी नही बनाई जाती…

How to Deal with an Angry Husband – जब पति को गुस्सा आए

September 19, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Teach Your Child Life Lessons – बच्चों को सिखाएं – Life Lessons for Kids – Monica Gupta

Teach Your Child Life Lessons

Teach Your Child Life Lessons – बच्चों को सिखाएं – Life Lessons for Kids – हम बच्चों को हर रोज सिलेबस का सबक याद करवाते हैं पर क्या जिंदगी के सबक के बारे में भी क्या सीखाते है…. वो सीखाना भी बहुत जरुरी होता है… क्या है वो सबक !! मैं आपको 9 Lessons बता रही हूं… जीवन में बड़ा आदमी बनना अच्छी बात है पर अच्छा आदमी बनना बहुत बडी बात है… हम किसी पर दोष बहुत जल्दी लगा देते हैं कि ये काम उसकी वजह से नहीं हुआ.. पर अगर सपने हमारे हैं तो पूरे करने के लिए कोशिश  भी हम माता पिता को ही करनी होंगी..

Teach Your Child Life Lessons – बच्चों को सिखाएं – Life Lessons for Kids –

 

1.अपनी Respect करना… अगर बच्चे अपनी Respect करेगें तो अलग तरह का confidence उनमे आएगा… अगर किसी तरह का कॉम्प्लेक्स है तो उन्हें समझाईए कि no one is perfect हम जैसे हैं बहुत अच्छे हैं और हम खास है जो भी living being इस planet पर है वो खास है और valuable है… और हम जो चाहें वो कर के दिखा सकते हैं और हमने कुछ कर दिखाना है.. दूर कीजिए.. हम जैसे हैं उसे स्वीकार करके आगे बढें… बजाय ये कहने के कि no one likes me… there is no one like me… 🙂 ये कहना चाहिए..

2.फिर बात आती है कि दूसरों की Respect करें.. कोई छोटा है बड़ा है दूसरी जाति दूसरे धर्म का है हम सब एक है और हमें सबका समान आदर करना है… ये नहीं कि काम वाली बाई को तू तडाक करके बोलना है.. उसे भी आराम से बात करनी है आदर मान देकर बात करनी है.. इंसान बनना है.. और यह सबक बचपन से ही पढा दिया तो उसे सभी पसंद करेंगें… जितने भी बडे लोग हैं आज जिस शिखर पर हैं उनमे ये क्वालिटी जरुर मिलेगी.. अगर सभी को आदर मान  देंगें आराम से प्यार से बात करेंगें तो उनका सर्किल भी बहुत अच्छा बनेगा..  तो इस सबक को कभी नहीं भूलना और इस की प्रेरणा वो खुद बने.. वो खुद बच्चों से आदर मान देकर प्यार से बात करें.. कोई आसपास ऐसे लोग

3. ईमानदार रहें honest रहें.. ये भी बहुत महत्वपूर्ण सबक है जिंदगी का… सच्चे रहें.. स्कूल की दीवारों पर लिखा होता है और उसे अपनाना भी चाहिए.. इससे जिंदगी बेहतर नहीं बेहतरीन बनती है.. मैं आपको एक बात बताती हूं दो बच्चे दोस्त थे और एक ही स्कूल में पढते थे.. दोनो के पापा सरकारी नौकरी में थे.. एक बच्चा के बहुत साधारण रहता.. और ऑटो में स्कूल जाता वही दूसरा बच्चा अपनी कार में और कार भी बडी वाली.. तो जो साधारण वाला बच्चा था वो पापा से हमेशा नाराज रहता कि आप तो कुछ नहीं करते.. उसको देखो.. सब कुछ है उसके पास.. पापा समझाते कि हम जो है इसी में खुश है.. एक बार दूसरे वाला दोस्त स्कूल नहीं आया.. घर आकर पता चला कि इनके घर रेड हुई थी और बहुत पैसा निकला अब वो जेल में है.. वो पापा के पास भाग कर गया और लिपट गया.. तो बच्चों को बचपन से ही समझाना चाहिए.. बहुत बार पेरेंटस नकल मारने को भी बहुत प्रोत्साहित करते हैं या कोई प्रैक्टिकल सब्जेक्ट हुआ तो सिफारिश लगवा दी कुछ खिला पिला दिया ताकि नम्बर अच्छे आ जाए.. पर ऐसे बच्चे भले ही उस समय नम्बर अच्छे ले लें पर जिंदगी के इम्तेहान में कभी पास नहीं हो पाएगें.. समय सम्य पर बच्चों को ईमानदार से जुडी कहानियां सुनाते रहना चाहिए  ताकि  उनमें आत्मविश्वास बना रहे..

4. मेहनत का फल जरुर मिलता है इसलिए कठिन परिश्रम से घबराना नहीं चाहिए.. और हमेशा नया सीखते रहना चाहिए.  मेहनत का फल मीठा होता है… कई बार बच्चे हार मान जाते हैं कि नहीं हमसे नहीं हो पाएगा पर बच्चों को बताईए कि आप करो.. जीवन के जिस भी क्षेत्र में वो आगे आना चाहते हैं उसमे मेहनत ही छिपी है.. चाहे वो गाना गाना हो या डांस करना या कोई खेल मेहनत से नहीं घबराना चाहिए.. बचपन से ही मजबूत बना दिया तो बडे होकर तो वो मजबूत इरादे वाले ही बनेंगें

5.समय की कीमत बताना बहुत जरुरी है. अगर उसकी कीमत नहीं समझेंगें तो ये भी हमारी वेल्यू नहीं करेगा.. बच्चों में काम टालने की आदत बहुत होती है.. टालमटोल की आदत नहीं कि कल कर लूंगा.. ये रास्ता उन्हें असफलता की ओर ले जाएगा… परसो कर लूंगा काल करे सो आज कर, आज करे सो अब । पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब..  जीवन में समय का अत्यधिक महत्त्व है जिसने इसे पहचान लिया वो सफल जरुर होगा… है समय को सही पहचानना ही समय का सदुपयोग है । टिक टिक करके घडी चलती रहती है निरंतर सरकती हुई हमें यही चेतावनी देती है कि समय निकला जा रहा है, कुछ कर लो..  समय पर स्कूल नहीं पहुंचते तो सजा मिलती है ना… जितना हो सकता है समय को मैंनेज करके इसका उपयोग करना चाहिए.. punctual होना सीखाना चाहिए.

6.गलती को मान लेना चाहिए… Admit mistakes. हम इंसान गलती से ही सबक सीखते हैं.. तो अगर कभी कोई गलती हो तो सबक सीखना पर ये नहीं है कि डर के मारे उसे करना ही नहीं… साईकिल सीखते हैं तो गिरते हैं ना… सीखना बंद तो नहीं करते… इससे उसकी स्किल भी निखरेगी.. बार बार प्रयास करेगें तो अच्छे से सीख भी जाएगें… उसे challenge की तरह स्वीकार करना चाहिए..

7. दोस्ती की Value करनी चाहिए.. अच्छे दोस्तों का साथ हमेशा बनाए रखना चाहिए.. और दोस्त को जरुरत हो तो उसकी मदद करनी भी चाहिए.. Cooperate करना चाहिए… अच्छे दोस्त बहुत भाग्य से मिलते हैं अगर कोई बहुत sincere है तो दोस्ती निभानी चाहिए..

  1. Be patient: संयम रखना सीखाना चाहिए और इसका उदाहरण पेरेंटस को खुद बनना चाहिए… खुद भी बने और बच्चों को भी सिखाएं.. बात बात पर गुस्सा करना, इमपेशेट होना अच्छा नहीं..थोडा तसल्ल्ली से आराम से बैठ कर सोचने का समय दें.. जल्दबाजी करें तो समझाए कि इससे नुकसान ही होता है और हम ओर्गेनाईज रहेंगें तो फिर कोई दिक्कत आएगी ही नहीं… इसलिए पेशेंस होनी बहुत जरुरी है.. अपने इमोशन पर काबू रखना आना चाहिए. किसी से लड़ाई हो गई.. नाराजगी हो गई…

9. अपना परिवार priority होनी चाहिए अपने परिवार का ख्याल रखना उनकी केयर करना प्राथमिकता होनी चाहिए.  उनका आदर करना.. वो कोई काम कहें तो उसे करना… उन्हें हग करना.. उनकी सुनना..

Teach Your Child Life Lessons

September 17, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Bring Happiness in Family – What brings Happiness in Family –

Bring Happiness in Family

Bring Happiness in Family – What brings Happiness in Family – बातें जो घर में खुशी लाती हैं… परिवार साथ रहने से नहीं, बल्कि हमेशा साथ जीने से बनता है… हम सभी चाहते हैं कि घर का माहौल अच्छा बना रहे.. घर में सुख शांति बनी रहे…  पर कई बार समझ नहीं आता कि क्या करें और किस तरह से करें… कुछ  लोग  “ज़िन्दगी” होते हैं, कुछ  लोग  “ज़िन्दगी” में होते हैं… कुछ  लोगों  से “ज़िन्दगी” होती है, “पर” कुछ  “लोग होते हैं”  तो “जिंदगी” होती है. वो हैं हमारा अपना प्यारा परिवार.. तो इसी बारे में मैं आपको बता रही हूं सात बातें.. अगर हम उन्हें अपनी जिंदगी में उतार लेंगें तो यकीनन खुशियां आएगी… तो क्या हैं वो बातें…सबसे पहली बात..

Bring Happiness in Family – What brings Happiness in Family –

 

1.Enjoy the company परिवार के हर सदस्य की कम्पनी Enjoy करें..  जैसे हम दोस्तों के साथ कम्पनी एंज्वाय करते हैं और बोलते हैं ना कि अरे वो दोस्त.. वो मेरी फैमली जैसा है यानि बहुत close है.. बस ऐसे ही अपने फैमली के साथ उनकी कम्पनी एंज्वाय करेंगें तो खुशियां यकीनन आएगीं.. उसके लिए आप समय दीजिए.. जैसे हम अपना टाईम टेबल बनाते हैं उसमें कुछ समय फन टाईम को दीजिए… कि इस समय सभी ने मिलकर पूरी मस्ती करनी है…

समय साथ बीते इसके लिए अलग अलग तरीके अपना सकते हैं मान लीजिए एक साथ मिल कर खाना खा सकते हैं. नाश्ता नहीं तो लंच लंच नहीं तो शाम की चाय, चाय भी नहीं तो डिनर.. ज्यादातर परिवारों में डिनर एक साथ बैठ कर किया जाता है.. बस तब बातें भी कीजिए और खाना भी एक साथ खाईए.. ये सही मायनो में quality time कहलाएगा.. बस इसमें सबसे ज्यादा जरुरी है कि उस समय मोबाइल, कम्प्यूटर, टीवी सब से दूर सिर्फ और सिर्फ परिवार.. घर में हंसी खुशी और प्यार का वातावरण हो.

2 जादू की झप्पी का खुल कर इस्तेमाल कीजिए –  वो कहते हैं ना कि टच में बहुत power होती है.. पति के सिर दर्द है तो पत्नी सिर सहला दे, बच्चा स्कूल जाने में आनाकानी कर रहा है तो पेरेंटस एक प्यारा सा hug, kiss दें कि क्या बात है.. किसलिए नहीं जाना.. इसमे इतनी ताकत होती है कि बच्चा सारा डर या तकलीफ भूल जाता है.. जितना प्यार को शेयर करेंगें ये उतना ही बढेगा..

3. अपनी बातें, अपनी stories शेयर कीजिए… इससे भी घर का माहौल खुशनुमा बनता है.. आज ऑफिस में क्या क्या हुआ या बच्चे से पूछिए कि आज स्कूल का दिन कैसा रहा.. फिर जैसे एक दिन पहले बच्चे ने कोई बात बताई हो उसका कि अरे भई उसका क्या रहा.. इससे परिवार के प्रति बॉंडिग मजबूत बनती है और जिससे प्यार बढता है.. टीवी चलाने की जरुरत ही नहीं… हम टीवी किसलिए चलाते है जब कोई होता ही नहीं बात करने के लिए और जब पूरा परिवार बात कर रहा है तो ये हुआ ना मनोरंजन..

4. पेरेंटस आपस में अच्छी तरह रहे तो ROLE MODEL बन सकते हैं. मैं आपको एक example बताती हूं कुछ दिन पहले पार्क में दो बच्चे खेलते खलते बात कर रहे थे… एक बच्चा दूसरे बच्चे से बोल रहा था कि मुझे तेरे घर आना बहुत अच्छा लगता है तो उसने पूछा कि क्यों ?? तो वो बोला तो कि तेरे घर में मम्मी पापा कितने आराम से प्यार से बात करते है.. और एक मेरा घर है सारा दिन लडते झगडतें रहते हैं अब बात वही है कि रोल मॉडल बनना चाहिए.. बच्चा घर से ही सीखे बाहर से नहीं.. और न सिर्फ सीखे बल्कि एप्लाई भी करे. इसलिए पेरेंटस को भी चाहिए कि बच्चों के सामने कुछ ऐसा न करें कि उन्हें महसूस हो.. घर का माहौल एकदम शांत रखें.. आपस में कुछ बात हो भी जाए तो अलग से बात करेंगें तो बच्चे भी ऐसे ही संस्कार लेकर बडे होंगें..

5.घर के माहौल को अच्छा बनाने के लिए बच्चों को हमेशा प्यार से रहने की शिक्षा दी जाए तो भी बहुत फर्क पडता है.. भाई बहन आपस में झगडते हो तो उन्हें समझाया जाए कि आप भी लक्की हो कि आपके भाई है या बहन है.. हमेशा भगवान का GRATEFUL होना चाहिए.. और बजाय झगडा करके के एक दूसरे की मदद करनी चाहिए.. ये परिवार की एकता को दर्शाता है.. जैसा हम दूसरे से व्यवहार करेंगें दूसरा भी वैसा ही करेगा.. तो हमेशा मिलजुल कर और प्यार से ही रहना चाहिए..

6. घर का माहौल एक दम तनाव रहित हो… Relaxing environment हो  परिवार के सदस्य स्कूल कॉलिज या ऑफिस जाते हों.. जब शाम को छुट्टी हो तो अगर आने की करें चलो घर ना कि अरे नहीं घर जाना पडेगा वही किच किच वही झिक झिक… तो ऐसा माहौल घर का नहीं.. घर का माहौल एकदम तनाव रहित होना चाहिए जहां पर सब खुश होकर आएं और  रिलेक्स कर सकें… इससे हमारी क्रिएटिविटी भी स्टीम्यूलेट होती है..

हंसना खिलखिलाना बहुत अच्छी दवाई है सेहत के लिए.. इससे तनाव दूर भाग जाता है.. जब मिल कर बैठे तो ऐसी बातचीत हो की घर हंसी की आवाज से गूंज जाए.. मान लीजिए आपने कोई कॉमेडी सीरियल देखा तो उसके बारे में बात कर रहे हैं..

सिर्फ हंसी मजाक ही नहीं.. अगर कोई किसी तरह की प्रोब्लम में भी है तो उसका मिलकर तनाव दूर करेंगें तो वही बात आ जाती है कि एक तरह की बोंडिंग मजबूत होती है…

अपने परिवार के सदस्यों को प्राथमिकता देनी और उन्हें समय समय पर प्रोत्साहित करना उन्हें जताना कि मुझे आपका बहुत ख्याल है.. उनका हर छोटी बडी बात पर ध्यान रखना जैसे जन्मदिन या कोई सालगिरह या फिर कभी कभार को सरप्राईज पार्टी रखना या मिलकर बाहर घूमने जाना

परिवार घड़ी की सुईयों जैसा होना चाहिए!! भले एक फास्ट हो, भले एक स्लो हो, भले एक बड़ा हो, भले एक छोटा हो, पर जब मिल जाते हैं एक हो जाते हैं जैसे घडी की सुईया मिल जाती हैं तो किसी के भी बारह बजा सकते हैं..

7.घर के कामों में मदद भी करवाईए. घर को सजाने सवांरने की भूमिका सिर्फ एक ही व्यक्ति की नहीं बल्कि पूरे परिवार की होती है.. कमरा फैला है तो ये सोच नहीं होनी चाहिए कि मम्मी है न कर देगीं.. खाना खा रहे हैं तो मम्मी लाकर देंगीं.. मदद करवानी चाहिए जब सभी अपना दायित्व समझेंगें तभी बात बनेंगीं और अच्छा भी तभी लगेगा.. छोटे मोटे कामों में मदद करेंगें हम प्यार को और मजबूत करते हैं..

घर को साफ सुथरा रखना चाहिए और उसके लिए और समय समय पर जो फालतू सामान रखा है जो बहुत लम्बे समय से इस्तेमाल ही नहीं हो रहा उसे भी निकालते रहिए.. जरुरतमंद को दे दीजिए.. घर पर खुल कर सांस ले सकें.. इसलिए बहुत जरुरी है.. ऐसा पडा हुआ सामान भी बहुत तनाव बढाता है..  कई बार बहुत ज्यादा हबडा तबडी से भी सब गडबड हो जाता है तो अगर हम समय को मैंनेज करके चलेंगें तो घर में खुशी बरकरार रह सकती है…  

8. घर को समय और जरुरत के हिसाब से Renovate भी करवाते रहना चाहिए

हमारी जो पांच senses पांच इंद्रियां है वो खुश रहें.. क्या क्या होती है पांच इंदियां- आखं, नाक, कान, taste और touch.. यानि जो भी महसूस करें अच्छा लगे.. आखं सब अच्छा देखें..  कई बार होता है कि बहुत समय हो गया पेंट करवाए, सफेदी करवाए, घर गंदा हो रहा है या फिर घर पर करवाया पेंट भी हमारे मन पर असर डालता है जैसाकि कई बार बहुत गहरे रंग के परदे, बेड शीट गहरी हो तो बंद बंद सा लगता है.. घर को समय समय पर Renovate भी करवाते रहना जरुरी होता है.. महक अच्छी हो… बहुत ज्यादा शोर शराबा न हो.. लोग आपस में आराम से बात करते हों.. चीखते चिल्लाते न हों..

 LIGHT IN एक मेरे जानकार हैं जब उनके घर जाती हूं तो जहां उनकी दादी का कमरा है वो सबसे अच्छा लगता है क्योंकि वो हवादार है और उस कमरे का रंग  हलका करवाया  हुआ है.. तो ये चीजे भी हमारे मन पर असर डालती हैं 

घर में एक HAPPY SPACE होना चाहिए. हम सभी के घर में एक कोप भवन तो होता है यानि जब भी गुस्सा हुए वहां चले गए.. चुपचाप बैठ गए पर हमें HAPPY SPACE बनाना है एक ऐसी जगह की मन उदास भी हो तो वहां जाकर खुश हो जाए.. छोटा सा स्पेस बना हो.. अपने मन मुताबिक हम कुछ भी रख सकते हैं वहां पर गमले तो, water fountain हवादार जगह हो, म्यूजिक चल रहा हो..

9. Positive रहें और appreciate करें जो हमारे पास जो है उसमें खुश रहें.. बहुत बार ये भी चाहिए वो भी चाहिए.. ये नहीं है वो नहीं के चक्कर में जो है उसे भी गंवा देते हैं तो जो है उसमें खुश रहिए… expectations reasonable रखिए…  उपर वाले का धन्यवाद दीजिए.. हमेशा पॉजिटिव बाते बोलिए..

Positive environment = Happy environment

रोटी कमाना बड़ी बात नही है परिवार के साथ बैठकर “खाना” बड़ी बात है अपने वो नही होते जो,“तस्वीर”में साथ खड़े होते हैं ! अपने वो होते हैं जो,“तकलीफ” में साथ खड़े होते हैं !!

धन तो हर कोई कमा लेता है लेकिन ख़ुशनसीब वो है जो परिवार कमा लेता है …!

कुछ  लोग  “ज़िन्दगी” होते हैं,

कुछ  लोग  “ज़िन्दगी” में होते हैं।

कुछ  लोगों  से “ज़िन्दगी” होती है,

               “पर”

कुछ  “लोग होते हैं”  तो “जिंदगी” होती है.

 

 

September 15, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Habits that do not Let You Save – आदतें जो बचत नहीं करने देती – Bachat Kaise Kare – Monica Gupta

Habits that do not Let You Save

Habits that do not Let You Save – आदतें जो बचत नहीं करने देती – Bachat Kaise Kare – Monica Gupta – हमारी कुछ आदतें ऐसी होती हैं जो हमें बचत नहीं करने देती.. बेशक, इच्छा तो होती ही है सेविंग की पर कर नहीं पाते.. तो ऐसी क्या आदतें हैं..

Habits that do not Let You Save – आदतें जो बचत नहीं करने देती –

 

1 सबसे पहली तो हमारी आदत में कोई प्लानिंग ही नहीं होती. कितनी इनकम है कितना खर्चा होता है.. कोई भी गोल नहीं लक्ष्य नहीं… प्लानिंग नहीं तो ऐसे में कैसे करेंगें बचत

2.फिर बात आती है कि हम organize ही नहीं रहते.. मान लिया कि हमने गोल बना रखा है पर उसका भी क्या फायदा जब हम organize ही नहीं रहेंगें.. दो दो तीन तीन दिन तक अपना हिसाब किताब नहीं लिखेंगे.. कितना खर्च हुआ.. याद ही नहीं रहेगा फिर शुरु होगा तनाव तो अगर हम खुद को organize रखेंगें तो ये नौबत आएगी ही नहीं…

3. तीसरी आदत है की हम बहुत आलसी है. हमारी आलसी होने की आदत कहीं न कहीं नुकसान दे जाती है.. जैसे मान लीजिए कि मैं हूं मैं मार्किट गई और बहुत सारी एक सप्ताह की सब्जी खरीद लाई. लाकर मैंने फ्रिज में रख दी.. उन सब्जियों में पालक भी है धनिया भी…  अब मैं ध्यान ही नहीं दे रही… जहां पालक का हर पत्ता खिला खिला था अब वो मुरझा सा गया है वही हाल धनिया का भी हुआ है.. चटनी बनानी है कोई न कल बना लेगें तीन चार दिन ध्यान नहीं दिया और वो मुरझाए से हो गए.. मैं बचत करने के हिसाब से सब्जी लाई थी पर हो गया नुकसान…महंगे महंगे पौधे सेल में लाए लाए हैं पर आलस की वजह से पानी ही नहीं दे रहे कि कल से दे देंगें… तो वो भी मुरझा गए.. पांच किलो चीनी लाए और उसे सही जगह पर नहीं रखा तो हुआ क्या कि खूब सारी चींटिया लग गई.. साफ करने में समय लगेगा वो अलग.. बहुत सारे उदाहरण हैं ऐसे..

4. हम शॉपिंग लिस्ट बनातें हैं पर उसपर स्टिक नहीं रहते.. मार्किट जाने से पहले लिस्ट बना ली कि क्या क्या जरुरत का सामान है पर temptation हो ही जाती है और हम बहुत सामान ऐसा भी खरीद लेते हैं जिसकी न जरुरत थी और न ही हमारी लिस्ट में था..

5 . लोन लेना बहुत अच्छा लगता है कि चलो एक दम से पैसा नहीं जाएगा.. हर महीने कुछ कुछ ही कटेगा.. पर ये भी कहीं न कही हमारी जेब ढीली ही करता है..

6.  Cable  चैनल  हम टीवी पर बहुत सारे चैनल देखते हैं बहुत सारे ऐसे होते हैं जो हमनें  सब्स्क्राई कर तो रखे होते हैं पर देखते नहीं.. हर महीने उनका खर्चा बेवजह जाता है तो इस आदत को भी अगर सुधार लें तो बचत कर सकते हैं

7. फिर बात आती है हमारे खाने की. बहुत शौक होता है खाने पीने का हर दूसरे तीसरे दिन बाहर जाते हैं खाना खाने या फिर बाहर से मंगवा लेते हैं.. दोनो ही हमारा खर्च  बढाते हैं… कैसे की बाहर का खाना या पीना पहली बात तो बहुत मंहगा होता है फिर दूसरा ये  की हमारी सेहत भी खराब होने के चांस रहते हैं.. कभी कभी में तो कोई बात नहीं पर अगर हर दूसरे दिन आदत ही होगी तो…

  1.   फिर बात आती है नशा करना .. किसी चीज की आदत जिसके बिना नहीं रह सकते और जो सेहत के लिए अच्छी नहीं है… चाहे सिग्रेट, शराब या जुआ खेलना.. नशा कोई भी हो अगर ये आदत है तो यकीनन नाश की ओर ही ले जाएगी.. पैसे पर ये आदत कुंडली मार कर बैठ जाती है..
  2.   बिजली , पानी वेस्ट करने की आदत.. ये आदत बहुत कॉमन है कि हम कमरे में बाहर जाने से पहले बिजली पंखा बंद नहीं करते.. और इस आदत से बिल ज्यादा आता है. मान लीजिए कूलर है या एसी लगा हुआ है तो कमरे के बाहर गए तो बंद कर दिया.. टीवी है जब नहीं देख रहे तो बंद कर दिया और ये आदत बच्चों में भी डालनी बहुत जरुरी है..

ये आदतें अगर हम सुधार लें तो हमारी लाईफ स्टाईल में बहुत सुधार हो जाएगा…

वैसे वो कहते भी है ना कि अपना माईंस पोईट जान लेना जिंदगी का सबसे बड़ा प्लस पोईट है.. वैसे वक्त की भी एक आदत होती है जैसा भी हो गुजर जाता है…

 

September 14, 2018 By Monica Gupta 1 Comment

What to Do when You are Angry – गुस्सा आए तो क्या करें – How to Control Your Anger – Monica Gupta

What to Do when You are Angry

What to Do when You are Angry – गुस्सा आए तो क्या करें – How to Control Your Anger – Monica Gupta –  क्या करें जब गुस्सा आए.. न तेरी शान कम होती न रुतबा घटा होता जो गुस्से में कहा तूने वो हंस कर कहा होता… बहुत बार ऐसा होता है कि किसी न किसी बात पर गुस्सा आ जाता है.. कभी घर पर कोई बात हो जाती है तो कभी बाहर कुछ ऐसी बात हो जाती है कि पारा सांतवे आसमान पर चढ जाता है.. फिर ऐसे में क्या करना चाहिए.. मैं आपको बता रही हूं 7 बातें कि जब गुस्सा आएं तो क्या करें और ये पूरी तरह से आजमाई हुई बातें हैं..

What to Do when You are Angry – गुस्सा आए तो क्या करें – How to Control Your Anger –

 

 

1. सबसे पहले तो चुप हो जाईए.. एक चुप सौ सुख… चुप रहना इसलिए जरुरी है कि हम बहुत बार गुस्से में बहुत कुछ गलत सलत बोल देते है.. तो जब बहुत गुस्सा आ रहा हो तो चुप हो जाईए.. जब पानी उबल रहा हो तो हम अपनी परछाई प्रतिबिम्ब उसमे नहीं देख सकते.. जब शांत हो तब आराम से देखा जा सकता है.. बस.. हमें शांत ही बने रहना है.

फिर बात आती है कि दूसरा क्या कह रहा है उसकी बात सुनें बहुत बार ऐसा होता है कि हम बोले चले जाते हैं सामने वाले की बात नहीं सुनते और इसी वजह से Misunderstanding हो जाती है.. इसलिए बहुत जरुरी है कि चुप रहिए और सामने को सुनिए.. इसे अपना कर हम बहुत बार conflict avoid  कर सकते हैं

तीसरी बात आती है कि उस जगह से चले जाईए.. मान लीजिए पति पत्नी में झगडा हो रहा है तो एक जना बोले जा रहा है तो दूसरे को चुप हो जाना चाहिए और उस कमरे से चले जाना चाहिए.. उस जगह से चले जाना चाहिए.. वहां खडे मत रहिए..

4. बात आती है कि खुद को रिलेक्स करना है.. कुछ भी ऐसा करना है जिससे हमारा गुस्सा कम हो जैसा कि पानी पीना है या हाथ मुंह धोना है या अपनी पसंद का कोई टीवी सीरियल देखना है अगर घर में कुछ प्लांटस लगे हैं तो उन्हें देख सकते हैं या सैर या मैडीटेशन कर सकते हैं यानि कैसे भी करके रिलेक्स करना है.. वैसे गुस्सा कैसे रिलीज करना है इस बारे में भी वीडियो बनाई हुई है उसका लिंक नीचे दे रही हूं.

5. बात ये आती है कि रिलेक्स होने के बाद जब लगे कि दिमाग शांत है तो सोचिए कि क्या हुआ ये गुस्सा किसलिए आया.. किसने क्या कहा या मैंनें क्या बोला.. शांत मन से और पॉजिटिव रहते हुए ये सोचना है.. अगर मैं बोल देता रिएक्ट कर देता तो क्या हो जाता..  सारे प्लस माईंस पोईंट शांत मन से सोचने हैं….पर ये सब पॉजिटिव रहते हुए ही सोचना है

6. उसके solutions खोजने हैं कि दुबारा ये बात न हो.. कई बार ऐसा होता है कि हम कोई बात पकड कर ही बैठ जाते हैं तो उसका भी कोई फायदा नहीं… हम गुस्सा रखेंगें.. मन में नफरत रखेंगें तो नुकसान हमारा ही होगा..

गुस्सा एक ऐसा श्राप है जो हम खुद को देते हैं..

तो इस बात पर ध्यान देने की किसने आपको गुस्सा दिलाया.. इसको कैसे ठीक करुं.. अगर किसी की गलती हुई है तो उसे माफ कर दीजिए खुद की है तो माफी मांग लीजिए..

मैंने पढा भी था कि अगर हम सही हैं तो हमें गुस्सा होने की जरुरत नहीं और अगर गलत हैं तो गुस्सा होने का कोई हक ही नहीं..

7. फिर आखिरी बात आती है कि अपने गुस्से को Utilize कीजिए.. उसे चैलेंज की तरह लीजिए.. मान लीजिए कोई हमें बोल देता है कि तुम कार चलाना सीख ही नहीं सकते तो इसे चैलेंज के तौर पर लीजिए बजाय खुद को कमरे में बंद करने के कि हां मुझसे नहीं हो पाएगा.. मैं किसी काम का ही नहीं.. उसे गुस्सा बनाईए और उसे कर दिखाई… कई लोग जब गुस्सा आता है लिखने लग जाते हैं कई बार लिख कर ही गुस्सा निकल जाता है.. एक उदाहरण तो मेरे साथ ही हुआ. एक लेडी को अपने पति के प्रति बहुत गुस्सा था… मैंने उन्हें बोला कि और बताईए.. और बताईए.. वो लिखती गई और लगातार तीन चार लिखने के बाद उन्होनें लिखा कि मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है बहुत समय से बात दिल में थी अब मैं रिलेक्स हूं..  और इतना ही नहीं कई बार हम जब गुस्से में लिखते है कोई लेख या कविता तो अपनी भावनाएं बहुत अच्छी तरह व्यक्त कर देते हैं जोकि आमतौर पर नहीं कर पाते.. तो अपनी एनर्जी को वेस्ट मत जाने दीजिए..

तो ये थी 7 बाते.. ये बातें अगर हम अपना लें बहुत हद तक गुस्से से बच सकते हैं वैसे बहुत जल्द इस बारे में भी वीडियो बनाऊंगी कि क्या करें कि गुस्सा आए ही न हम शांत रहे.. 

 इच्छा पूरी न हो तो क्रोध बढता है इच्छा पूरी हो तो लोभ बढता है इसलिए हर स्थिति में धैर्य बनाए रखिए

और वैसे भी… गुस्सा आने पर हमारी असली ताकत क्या है हमारी असली ताकत चिल्लाना नहीं बल्कि असली ताकत चुप रहना है..

 

What to Do when You are Angry

 

September 9, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Help Your Child Manage Stress – बच्चों में तनाव कैसे दूर करें – Monica Gupta

How to Help Your Child Manage Stress

How to Help Your Child Manage Stress – बच्चों में तनाव कैसे दूर करें – Monica Gupta – 9 tips to reduce your child’s stress… helping anxious kids & how to manage children’s emotions… what do when child is having a panic attack….बच्चों के स्ट्रेस को कैसे दूर करें पेरेंटस… बच्चों का mood or behavior  बता देता कि बच्चा स्ट्रेस में है जैसा कि कहना नही मानेगा, जिद करेगा, रोएगा, और बात बात पर चिडचिड करेगा या पेट दर्द सिर दर्द जैसे बहाने बनाएगा.. ये कहीं न कही stress के ही सिम्टम है..  अब पेरेंटस का फर्ज है कि बच्चे का तनाव दूर करें.. किस तरह से stress दूर कर सकते हैं.??

How to Help Your Child Manage Stress – बच्चों में तनाव कैसे दूर करें –

मैं आपको बताती हू 9 बातें.. क्योकि stress मे रहेगा तो कुछ नही कर पाएगा.. इसलिए बहुत जरुरी है उसे दूर करना..

उसके लिए सबसे पहली बात तो ये पेरेंटस अपना stress कम करे..

जो उनकी लाईफ में तनाव है उसे बच्चे पर संक्रामक की तरह है stress.. अगर पेरेंटस को किसी बात का तनाव होता है तो बच्चे में भी stress आ जाता है क्योकि घर का माहौल ही वैसा हो जाता है.. इसलिए पेरेंटस अपना stress कम करें या बच्चों के सामने न दिखाएं या ऐसी बात करें नार्मल बनें रहें..

दूसरी बात है कि बच्चों का schedule बिल्कुल सिम्पल बनाएं.. सुबह स्कूल फिर हॉबी क्लास, फिर ट्यूशन फिर होम वर्क.. इतनी ज्यादा बिजी लाईफ हो जाती है तो.. उनका schedule ऐसा बनाए जिसमे… खेलने का टाईम हो, भागने दौडने का टाईम हो, अच्छी नींद लेना भी बहुत जरुरी हैकई बार नहा कर भी बहुत रिलेक्स महसूस होता है तो ये चीजे तो जरुर करनी चाहिए..

तीसरी बात है कि बच्चे को पॉजिटिव रहना सीखाना है बच्चे से बहुत ज्यादा उम्मीद नही लगा लेनी कि ये हर चीज में अव्वल आए. अक्सर ज्यादा स्ट्रेस होता इसी बात का है.. जैसे मान लीजिए क्लास टेस्ट था बच्चे के मार्क्स कम आए और उसे इस बात का स्ट्रेस हो गया कि मम्मी साईन नही करेगी.. डांट पडेगी तो बच्चे को बताईए कि कोई बात नही… नम्बर कम किसलिए आए उस को इम्प्रूव करना और साईन भी कर दिए.  4गलती करने पर डांटे नही.. बल्कि समझाएं.. कोई खिलौना टूट गया या स्कूल में बच्चा कुछ गुम कर आया तो पेरेंटस क्या करते हैं अक्सर चिल्लाएगें, गुस्सा करेंगें, और पिटाई भी कर देते हैं तो ये नही करना बल्कि समझाना है कि हम गलती से ही सीखते हैं पर ये गलती अब दुबारा नही करनी…

बच्चे की जान लोगे क्या

5. स्ट्रेस कम करने के लिए अच्छी अच्छी कहानी सुनाना, और कहानी के माध्यम से कल्पना करवाना.. जैसे कि रात को मम्मी बच्चे को कोई न कोई कहानी सुनाती है और बच्चे को बोलती है कि आप इमेजिन करो कि आप कि एक समुद्र है वहां मच्छली है.. या पहाड है वहां खूब सारे पेड हैं हवा चल रही है.. ऐसी कहानियां दिमाग को रिलेक्स करती हैं.. या फिर मजेदार क्विज खेलना, ब्रेन गेम खेलना, इससे भी बच्चे बहुत जल्दी रिलेक्स होते हैं..

6. एक बात का और भी ध्यान रखना है कि अगर टीवी बहुत देखता है या मोबाइल बहुत करता है तो थोडा सा कम.. एक दम से नही धीरे धीरे देखने का समय कम करते जाईए उसके बजाय कुछ और क्रिएटिव काम करने को बोलिए.. जो उसकी पसंद का काम..

7. इसी बीच में बातो बातो में बच्चे से स्ट्रेस की वजह भी जानने का प्रयास कीजिए.. और ये तभी सम्भव हो पाएगा जब पेरेंटस बच्चे को समय देंगें.. बहुत सारी बातें बच्चे के मन में होती हैं जोकि वो आया या ड्राईवर से नही बल्कि पेरेंटस से शेयर करना चाहता है पर जव वो टाईम नही देते तो वो स्ट्रेस में चला जाता है तो समय देना बहुत जरुरी है..

8. बच्चे का ध्यान डाईवर्ट करना – बच्चे का ध्यान हटाने के लिए उसकी अटेंशन डाईवर्ट करना –

वो बातें करना जिससे उसके चेहरे पर स्माईल आ जाए..

उसके लिए कोई सरप्राईज खाना बनाना या दोस्तों को बुलाना, घूमने जाना,

उसे पौधा लगा कर उसकी देखभाल के लिए बोलना या पक्षी के लिए दाना पानी रखना,

किसी की मदद करना चाहे स्कूल का दोस्त हो या आस पास रहने वाला कोई गरीब बच्चा. चाहे उसे अपनी पुरानी किताब कॉपी देना, या कपडे या खिलौने देना.

9.  उसे हम करना.. सारा स्ट्रेस उसका वैसे ही भाग जाएगा.. रो रहा है कहना नही मान रहा है तो हग दे दीजिए…

मस्जिद है बहुत दूर तो चलो यूँ कर लें किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए

How to Help Your Child Manage Stress

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