ब्रेकिंग न्यूज़ क्यों नही बनती ऐसी खबरें – हिन्दू मुस्लिम दंगे – बात बहुत ज्यादा पुरानी भी नही है पर एक खबर दूसरी खबर पर इस कदर हावी हो जाती है कि आगे दौड पीछे छोड के चक्कर में हम बहुत जल्द खबरें भूल जाते हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़ क्यों नही बनती ऐसी खबरें – हिन्दू मुस्लिम दंगे
खबर है 17 अप्रैल 2017 की जब महान संगीतकार सोनू निगम ने कुछ ट्वीट किए और उसपर जबरदस्त विवाद हुआ.
सोनू ने लिखा था, ‘‘मैं मुसलमान नहीं हूं लेकिन फिर भी मुझे मस्जिद की अजान की आवाज से जगना पड़ता है, ये जबरन धार्मिकता कब रुकेगी’ हालांकि, सोनू निगम ने मंदिर, गुरुद्वारे से होने वाले शोर को भी गलत बताया था लेकिन अजान वाली बात ने तूल पकड़ लिया.
सोनू ने किसी भी तरह के शोर को धार्मिक गुंडागर्दी बताया था. इसके बाद का भी आपको याद होगा जब वेस्ट बंगाल माइनॉरिटी यूनाइटेड काउंसिल के उपाध्यक्ष सैयद साह अतेफ अली अल कादरी ने सोनू निगम का सिर मुंडवाने और जूते की माला पहनाने की बात कही थी.
कादरी ने यह चुनौती दी थी कि यदि कोई व्यक्ति सोनू निगम का सिर मुंडवाएगा, फटे जूतों की माला पहनाएगा और पूरे देश में घुमाएगा तो वे उसे अपने पास से 10 लाख रुपए का इनाम देंगे. फिर सोनू निगम ने भी इसका करारा जवाब दिया. सोनू ने अपना सिर मुंडवा लिया और मौलवी से 10 लाख रुपए मांगे.
सोनू के सिर मुंडवाने की चर्चा सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा हुई. मजाक भी बना.. कुल मिलाकर दो तीन दिन खूब माहौल गर्म रहा …
हिन्दू मुस्लिम एकता का एक सराहनीय कदम
इस बात के लगभग डेढ महीने बाद एक अखबार में पेज दस पर एक बहुत छोटी सी खबर पढने को मिली … जिसे पढकर दुख इस बात का हुआ कि ये खबर किसी चैनल पर नही देखी और न ही अखबार की सुर्खियां बनी जबकि इसे सुर्खियों में होना चाहिए था…
खबर बहुत ही सकारात्मक है. खबर यूपी के मुरादाबाद के एक गांव थिरियादान की है वहां अक्सर सांम्प्रदायिक झगडे होते रहते हैं कारण मंदिर या मस्जिद में बजने वाला लाउडस्पीकर था जिस वजह से तनाव हो जाता .
ग्राम प्रधान की मौजूदगी में सर्वसम्मति से ये फैसला हुआ कि गीता हो रामायण हो या कुरान कोई धर्म ऐसा नही कहता कि इबादत लाउडस्पीकर से ही होनी चाहिए … और फैसला हुआ कि हिंदू और मुस्लमानों ने मंदिर मस्जिद से अपने अपने लाउडस्पीकर उतार लिए साथ ही ये भी तय किया कि किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में इन लाउड स्पीकर्स का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। दोनों पक्षों ने इस फैसले पर अपनी लिखित रजामंदी थाने में दी .
किंग न्यूज़ क्यों नही बनती ऐसी खबरें
क्या कहा गांववालो ने
लाउडस्पीकर या जुलूस को लेकर अक्सर विवाद होता रहता था। गांव के ही बुजर्गों ने यह फैसला किया कि झगड़े की जड़ को ही खत्म कर दिया जाए.
गांव वासी बोले “हम नहीं चाहते कि आने वाली पीढ़ी आपस में मनमुटाव रखे. हम झगड़े की जड़ को खत्म कर भाईचारा निभाना चाहते हैं. हमको यह फैसला मंजूर है.
– एसपी ग्रामीण उदय शंकर ने कहा, “दोनों समुदाय के लोगों ने आपसी रजामंदी से लाउडस्पीकर के विवाद को निपटा लिया . यह कदम सराहनीय है और दूसरों के लिए नजीर भी”
वाकई बहुत सराहनीय फैसला है और एक मिसाल है … इस तरह की खबरें मुख्य खबर या ब्रेकिंग न्यूज किसलिए नही बनती …
क्या हमारा मीडिया देश में शांति नही चाहता कि अगर शांत हो गया, आपसी प्रेम भाई चारा हो गया तो उनका चैनल कौन देखेगा या कुछ और … और अगर ऐसा कुछ नही तो ये खबर सुर्खिया किसलिए नही बनती. ऐसी खबरें बार बार किसलिए नही दिखाई जाती. दंगे भडकाने के बजाय प्यार बढाने के लिए …
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