Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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June 16, 2015 By Monica Gupta

हम और हमारी नकारात्मक सोच

हम और हमारी नकारात्मक सोच

be positive photo

Photo by h.koppdelaney

कल ही हमारे मित्र विदेश से लौटे. उनको रिसीव करने हम भी एयर पोर्ट गए.वहाँ कार मे बैठ्ने से पहले उन्हे मिठाई खिलाई तो उन्होने उसका रैपर कोई कूडा दान ना दिखाई देने की वजह से सड्क पर ना डाल कर अपनी जेब मे ही डाल लिया. जबकि हमारे ही भारतीय मित्रो ने खुद तो मिठाई के रैपर को जमीन पर ही फेंक दिया और हसँते हुए अपने मित्र को सलाह देने लगे कि भई, यह तो भारत है यहाँ सब कुछ होता है यहाँ क्या सोचना … पूरी सडक अपनी है कही भी फेंक दो … बे वजह जेब क्यो खराब करनी है …उस समय तो मैं चुप रही पर वापिस लौट्ते वक्त यही सोचने लगी कि सारे आरोप सरकार पर लगा कर हम निशचिंत होकर बैठ जाते है कि सरकार ये नही कर रही वो नही कर रही बिना यह जाने कि हम क्या कर रहे है यह हमारी नकारात्मक सोच नही तो क्या है. अगर हम सभी अपना अपना फर्ज़ समझ ले तो क्या नही हो सकता.
हम विदेशो की बात करते हैं कि वहा कठोर कायदे कानून है वहाँ सफाई रखनी जरुरी होती है नही तो फाईन लग जाता है वगहैरा वगहैरा . पर उसके मुकाबले हम यहा क्या कर रहे हैं सिवाय कोसने के कि हम कितने गंद मे रह रहे हैं …
और तो और बार बार मना किया जाता है कि गाडी चलाते समय सीट बेल्ट बाँध ले. हम मे से कितने बाधँते है. हाँ , अगर सामने चैकिंग़ हो रही होगी तो फाईन के चक्कर मे फटाफ़ट लगा लेग़ें … गाडी चलाते समय मोबाईल का इस्तेमाल भी नही करने की सलाह दी जाती है. पर हम तो महान है ना सबसे व्यस्त आदमी है अगर बात नही की तो लाखो का नुकसान जो हो जाएगा. हाँ, अगर कोई ट्क्कर वक्कर हो गई तो दोष अपना नही मानेग़ें …
अगर हम अपनी नकारात्मक सोच हटा कर सकारत्मक सोचेगे और समाज मे रहते हुए नियमो का पालन करेगें तो हमारा देश भी आदर्श देश बन सकता है.
यही बात काफी हद तक मीडिया पर भी लागू होती है वो समाज को सच्ची दिशा दिखा सकता है पर उसकी सोच भी कम नही है मार पिटाई, खून खराबा, अन्धविश्वास, फालतू की फिल्मी खबरो आदि से भरी रहती है खबरे पर जब बात आती है कुछ ऐसी खबरो की जिनसे समाज मे चेतना आए … वो तो गायब ही रहती है अब ताजा उदाहरण ही है कि एक स्कूली बच्चे ने एवरेस्ट पर जीत हासिल की और सबसे कम उम्र का विजेता बन गया कोई बच्चो का खेल नही था कि वो ऐसे ही चढ गया पर वो खबर भी ना के बराबर रही. जब मैं कुछ बच्चो का इंटरवयू लेने पहुची कि उन्हे यह जान कर कैसा लगा कि उनकी ही उम्र का अर्जन ऐवरेस्ट को जीत कर लौटा है. उन्हे तो हैरानी हुई क्योकि इस बात की जानकारी ही नही थी उन बच्चो को कि ऐसा भी हुआ है अब भला बताओ कि समाज के सामने अगर उदाहरण ही नही रखे जाएगे तो समाज तरक्की कैसे करेगा सिर्फ क्राईम से तो गाडी नही चलेगी ना.

हम और हमारी नकारात्मक सोच
हम सभी को एक दूसरो पर दोष डालने की बजाय खुद को अच्छा बनाना होगा अपनी सोच सकारात्मक रखनी होगी अच्छे उदाहरण समाज के सामने रखने होग़ॆं ताकि उनका अनुकरण किया जा सके. इसमे आपसे अच्छी भूमिका तो कोई निभा ही नही सकता …

हम और हमारी नकारात्मक सोच

June 16, 2015 By Monica Gupta

रिटायरमैंट नही फुल स्टाप

रिटायरमैंट नही फुल स्टाप………..

रिटायरमैंट का नाम सुनते ही मन मे एक ही बात आती है कि अब … बस… लाईफ मे फुल स्टाप लग गया. लेकिन जो लोग ऐसा सोच रहे हैं उनके लिए एक खुश खबर है अब अगर वो वाकई मे समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं तो उनके लिए ढेरो रास्ते खुले हैं.

रिटायरमैंट के बाद खाली बैठ कर लोग बहुत भावुक हो जाते हैं चिडचिडे हो जाते हैं वो मन ही मन सोचते हैं कि बस हमने जितना काम करना था वो कर लिया पर असल मे सही मायनो मे उनमे ऊर्जा की कोई कमी नही होती.  अगर वो अध्यापक रिटायर हुए है तो वो बच्चो को पढा सकते हैं या जिसमे भी रुचि हो वो काम कर सकते हैं जिससे ना उनमे भावना आएगी कि बस हमारी जिंदगी रुक गई है और वह उसी उत्साह और जोश के साथ काम करते जाएगें

 

 

 

old man  photo

 

हमारे एक जानकार का घर बन रहा था उन्हे एक व्यक्ति ऐसा चाहिए था जो उस बनते घर मे बैठ सके ताकि मजदूर खाली न बैठे… ऐसे में उन्होने एक दादा से जिक्र किया … दादा सारा दिन खाली रहते थे अब जब उन्हें पता चला कि बैठने के पैसे भी मिलेंगें तो वो खुश हो गए …मजदूरों से बाते भी करते रहते और मजदूर भी अपने काम मे लगे रहते देखते ही देखते घर बहुत जल्दी बन गया.
सीनियर सिटीजन की सेवाओ की, अनुभवो की देश को समाज को जरुरत है ताकि विकास के काम सुचारु रुप से चलते रहें.
खाली घर पर बैठ कर चिढ्ने कुढ्ने की बजाय अगर वो काम पर ध्यान देगें तो उनका भी अच्छा समय व्यतीत होगा और उनके अनुभवो से हमें भी फायदा होगा खासकर बच्चे बहुत कुछ सीख सकतें हैं
और इसकी  हमे बहुत जरुरत है इसलिए अब फुल स्टाप नही रही रिटायरमैंट ………..अब तो शुरुआत है नई जिन्दगी की …

 

रेल हादसे ने छीन लिए दोनों ही हाथ: हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना के गगरेट-दौलतपुर रोड पर स्थित गांव दियोली के मूल निवासी पूर्ण चंद परदेसी के पिता रामरक्खा दिल्ली के शकूर बस्ती रेलवे स्टेशन पर गनमैन के पद पर कार्यरत थे। 1959 में परदेसी जब चौथी कक्षा में पढ़ रहे थे तो एक दिन स्कूल जाने के दौरान रेलगाड़ी से उतरते समय रेल के पहिए की चपेट में आकर अपने दोनों ही हाथ गंवा बैठे। उन्होंने इसे जिंदगी का सबक मान इसी एक टुकड़े में चमड़े की छोटी सी बैल्ट के बीच कलम फंसाकर लिखना शुरू कर दिया। 1970 में द्वितीय श्रेणी में मैट्रिक करने के बाद बड़े भाई के साथ होशियारपुर लौट आए। पूर्ण चंद की सुंदर लिखावट बताती है कि उन्होंने जीवन को कभी बोझ नहीं बनने दिया। साल 1976 में देश के तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के हाथों नैशनल अवार्ड से सम्मानित परदेसी अब तक 1 लाख से भी अधिक पुस्तकों व मैगजीनों की प्रूफ-रीडिंग कर चुके हैं। होशियारपुर के साधु आश्रम में बतौर प्रूफ रीडर से करियर की शुरूआत करने वाले परदेसी हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी व पंजाबी में अब तक लाखों पुस्तकों की प्रूफ रीडिंग का काम सफलतापूर्वक निभा रहे हैं। रिटायरमैंट के बाद भी ईमानदारी व जज्बा बेमिसाल पूर्ण चंद परदेसी की ईमानदारी और जीने का जज्बा ही है कि साल 2005 में रिटायरमैंट के बाद भी संस्थान को उनकी जरूरत महसूस हुई। पिछले 10 सालों से कांट्रैक्ट बेस पर काम करने के दौरान प्रूफ रीडिंग का काम करते हुए इन पुस्तकों से सबक लेना कभी नहीं भूले… Read more…

June 16, 2015 By Monica Gupta

छुट्टियों की न करें छुट्टी

छुट्टियों की न करें छुट्टी ..
छुट्टी का नाम लेते ही चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान आ जाती है और अगर यही छुट्टियाँ महीने की हो तो.. बस फिर तो कहना ही क्या. अब गर्मी आ गई है और ये लाई है ढेर सारी छुट्टियाँ .
पूरी मौज मस्ती, आराम, नेट, पिक्च्चर,फोन, मोबाईल, मैसेज, दोस्त और भी ना जाने क्या क्या.

 

cartoon smile by monica guptaछुट्टियों की न करें छुट्टी
सच बात है, पर इस बात मे भी कोई दो राय नही कि जहाँ छुट्टियो मे बच्चो के चेहरे खुशी से चमक जाते हैं वही दूसरी ओर घर मे मम्मी का तनाव भी थोडा सा बढ जाता है.खासकर उनका जो गृहणी हैं क्योकि अपनी दिनचर्या मे तो वो सुबह बच्चो, बडो को स्कूल,कालिज और दफ्तर भेज कर कुछ पल अपने भी आराम के निकाल लेती थी टीवी देख लिया,फोन पर गप्पे लगा ली पर अब चौबीसो धंटे की धमा चौकडी मे आराम कहाँ.
छुट्टियो मे, बच्चो का एक छ्त्र राज हो जाता है. सुबह उठने का समय अजी मतलब ही नही कि समय पर उठ जाए और नाश्ता ले लें. 10 बजे तक तो सोना ही होता है जिसकी वजह से घर मे ना सफाई ढंग से हो पाती है और ना ही झाड पोछ और घर बिखरा बिखरा सा ही लगता है ऐसे मे मम्मी लोग का पारा चढना स्वाभाविक ही होता है. नाश्ते का समय सही नही हुआ तो लंच के समय की भी छुट्टी हुई समझो. और फिर उपर से बच्चो की फरमाईश कि ये खाना है वो खाना है यहाँ जाना है वहाँ जाना है. फिर बच्चो के दोस्त भी कम नही होते और अगर छुट्टियो मे मेहमान ना आए तो छुट्टी लगती ही नही. उफ …!!!!
और एक बात कि अगर घर मे एक बच्चे की छुट्टी हो और दूसरे बडे बच्चे की परीक्षा चल रही हो तो एक मस्ती और दूसरा pin drop silence चाहता है ऐसे मे आप सोच सकते है कि घर मे जबरदस्त तनाव का माहौल बन जाता है.
ऐसे मे आप छुट्टी की छुट्टी ना होने दें यानि घर पर अपने बडे से या मम्मी लोग से पूरा सहयोग करके चले.  धमाल,हल्ला गुल्ला शोर शराबा सब करें पर limit मे रह कर ही करें ना करने पर आपको सुबह सुबह से ही जो डांट पडनी शुरु होगी तो सारा दिन आपका भी कोप भवन मे बीतेगा और सभी सदस्यो को भी तनाव झेलना पड सकता है.

सभी का मूड off हो जाए तो वाकई मे छुट्टी की छुट्टी ना हो जाए घर पर कहना मान कर मिलजुल कर रहना पडेगा. मेहमान के आने पर बजाय खुद भी बैठ कर आर्डर करने के घर मे मदद करवाए .कभी मम्मी के लिए खुद उठ कर कुछ काम करे. और समय मिलने पर आराम से बैठ कर उनकी मदद ले ताकि आपका होमवर्क समय पर पूरा हो सके.
सबसे ज्यादा जरुरी बात ये है कि छुट्टियो मे summer camp या कोई भी hobby class join करें अपनी छुट्टी को व्यर्थ ना जाने दें. कुछ ना कुछ रचनात्मक जरुर ही करें.
अब आप यही कहेगे कि इतनी मुश्किल से तो छुट्टियाँ मिली है तो इसमे भी काम. पर यह काम आपकी आगे आने वाली जिंदगी मे बहुत काम आएगा इस बात का तो पक्का यकीन है और कौन सा आपको पूरा दिन ही उस काम मे लगे रहना है मुश्किल से एक या दो धंटे का होगा उस के बाद तो पूरा दिन आपका है आप जैसा चाहे उस का फायदा उठाए और अगर बिलकुल भी कुछ करने का मन नही है तो भी एक अच्छे बच्चे की तरह घर पर रहे या जहाँ भी रहने जाए वहाँ इतनी अच्छी प्रकार से रहे कि सभी आपके वापिस जाने के बाद आपको याद करे ना कि कन्नी काटे.
यकीनन काम मुशकिल जरुर है पर नामुमकिन नही है अगर आप प्यार देगे तो आपको प्यार ही मिलेगा वो भी ढेर सारा. इसलिए छुट्टियो मे खूब सारा enjoy करें और छुट्टी की छुट्टी ना होने दें.
जाते जाते एक चुटकुला …
एक बच्चा मच्छर उडना सीख रहा था. जब पहली बार उडा और लोगो के बीच मे पहुचां तो बहुत खुश हुआ और वापिस आकर अपने मम्मी पापा को बताया कि लोग तो मुझसे बहुत खुश हैं. मै जहाँ भी गया उन्होने मेरा स्वागत तालियाँ बजाकर कर किया ….

छुट्टियों की न करें छुट्टी

June 15, 2015 By Monica Gupta

Distressed jeans

Distressed jeans – चाहे पार्टी में महिलाओं द्वारा लम्बा सा गाउन जोकि दूर तक झाडू मारता जाए या फटे कपडे पहना जिसे सभ्य भाषा में Distressed jeans कहते हैं जरा भी पसंद नही

बडे शहरों का बडा कल्चर या छोटे शहरों की छोटी सोच…

 

distressed jeans cartoon by monica gupta Distressed jeans

 

Distressed jeans

हर युग में फैशन अपनी अदभुत छ्टा बिखेरता है और युवाओ को नए स्टाईल के कपडे पहने देखना बहुत भाता है खासकर मैट्रो की बात करें तो युवा वर्ग फटी जींस पहनने मे बहुत शान समझता है और उसे फटा कहना वो अपमान समझता है

उसका कहना है कि ये Distressed jeans है जितनी distressed उतनी ही महंगी और वही पहनने में असली मजा.. कुछ लोगों के साथ इस बारे में जब गरमा गर्म बहस हो गई तो मुझे तालिबान तक की उपाधि भी मिल गई और कुछ ने कहा कि आपकी सोच छोटी है.

युवा पसंद करता है तो क्या दिक्कत है … एक बार तो लगा कि मैं ही बहस मे अकेली पड गई हूं और सिर्फ मैं ही इसे बहस का मुद्दा बना रही हूं कि (मेरी भाषाँ में ) फटी जींस, यानि (distressed जींस) नही पहननी चाहिए ये फटे वाला फैशन कदापि नही हो सकता. पता नही पेरेंटस अपने बच्चों के आगे खुशी खुशी झुक जाते हैं या उनकी खुशी के लिए ये बात भी माननी… ?? नो आईडिया !!!

अगर आप भी अपने विचार देंगें तो मुझे खुशी होगी 🙂

Distressed jeans

How to distress your denim jeans –

Use a cheese grater: An easy way to distress your jeans is with a cheese grater where the distress look can be created by vigorously grating the fabric. You can also use a knife or the blade of a scissor.

– Add bleach: Bleaching is necessary when it comes to distressing jeans. When applied properly, bleach can make a new pair of jeans appear quite lived in.

– Wash and Wear: Wash your jeans several times before wearing. Washing will both soften the denim as well as emphasise the fraying of the distressed edges

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June 10, 2015 By Monica Gupta

Mouth organ

Mouth organ … बहुत दिनों के बाद मणि का बेटा दो दिन के लिए घर आया. नाश्ते के बाद बेटे ने अपना बैग खोला और बोला आखॆं बंद करो आपके लिए कुछ है. फिर मणि के हाथ कुछ पकडा दिया. हाथ मे लेते ही मणि चौंक गई और आखें खोलती हुई बोली अरे !!! Mouth organ !! इतने साल हो गए .. इसका क्या करुगी.. भूल भाल गई हूं सब !!

बेटे ने कहा जब बचपन में आप हमे Mouth organ बजा कर सुनाती थीं तो आप खुद ही कहती थीं कि एक बार बजाना आ जाए तो जिंदगी भर नही भूल सकते .. मणि ने भी जानॆ अनजाने Mouth organ होठों से लगा लिया . वही मणि मुझे दिखाने लाई थी और डबडबाई आखें, खुशी … उससे कुछ बोला ही नही जा रहा था.

 

Mouthorgan  photo

Photo by Nina J. G.

मैं हाथ में mouth organ लिए ….उसकी तरफ देख कर सोचे जा रही थी….  बहने दे ये आसूं … .. सच, छोटी छोटी खुशियों में कितना सारा प्यार अपनापन और अहसास छिपा होता है

June 10, 2015 By Monica Gupta

Blood Donors -blood donors list

Blood Donors -blood donors list

Blood Donors भगवान का दूसरा रुप होते हैं. स्वैच्छिक रुप में रक्तदान करने से अच्छी कोई अन्य समाज सेवा हो ही नही सकती… क्या आप हैं रक्तदाता …

Blood Donors -blood donors list

कुछ समय पहले किसी परिचित का फोन आया कि मथुरा या अलीगढ मे एक महिला को ओ नैगेटिव रक्त की जरुरत है उस महिला की सर्जरी होनी है. मैने तुरंत नम्बर खोजे.राजस्थान के भीलवाडा से राजेद्र माहेश्वरी जी की मदद से मथुरा में रक्तदाता से सम्पर्क तो हुआ पर बात नही बनी और महिला को आनन फानन अलीगढ ले कर जाना पडा. वहां ओ नैगेटिव का कोई ऐसा रक्तदाता जानकारी मे नही था इसलिए चाह कर भी सहायता नही हो पाई.

क्या आप हैं रक्तदाता 

एक पोस्ट में मैने अलग अलग राज्यों के कुछ ऐसे ही लोगो के नम्बर मांगें थे जो रक्तदान के क्षेत्र मे बहुत काम कर रहे हैं ताकि रक्तदाताओ का एक ऐसा नेट वर्क बनें कि कम से कम हमारा समाज मे इतना तो योगदान हो कि रक्त की कमी से कोई जिंदगी का साथ न छोडे.

 

Blood Donors -blood donors list

Blood Donors -blood donors list

Blood Donors

मुझे इस बात की बहुत खुशी भी है जब मैने यह अभियान शुरु किया तब मात्र चार नाम थे और उसके बाद राजस्थान के भीलवाडा, सूरत गढ, भरतपुर, हनुमान गढ व छ्तीस गढ के कोरबा , महाराष्ट्र के चालीस गांव, Rishikesh, मुम्बई,  पंजाब में पटियाला, सूरत, दिल्ली व इंदौर से ऐसे लगभग 50 रक्तदाताओं से सम्पर्क हुआ कि उन्होनें विश्वास दिलाया कि जहां तक सम्भव होगा वो किसी को रक्त की कमी से जान से हाथ नही धोने देंगें.

और आज भोपाल और पूना से भी रक्तदाता जुडे और यही विश्वास दिलाया कि कही भी अगर रक्त की जरुरत पडे तो वो इंतजाम करवा कर रहेंगें …

मेरे लिए इतना सुनना ही बहुत था. पर अभी भी बहुत रास्ता बाकि है… पर खुशी है कि लोग बहुत अच्छे मिल रहे हैं … अगर आप अपने शहर मे किसी ऐसी शख्सियत को जानते हैं या आप खुद ही हैं तो जरुर बताए !!!

 

Blood Donors भगवान का दूसरा रुप होते हैं. स्वैच्छिक रुप में रक्तदान करने से अच्छी कोई अन्य समाज सेवा हो ही नही सकती… क्या आप हैं रक्तदाता …

Blood Donors -blood donors list

 

रक्तदान और अमिताभ बच्चन

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