Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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June 8, 2015 By Monica Gupta

हस्त रेखाएं

हस्त रेखाएं

कुछ देर पहले मैं मणि के घर गई उसके घर मेहमान आए हुए थे. वो एक महिला का हाथ देख कर कुछ बता रही थी. मेरा हैरान होना स्वाभाविक था क्योकि मुझे पता था कि उसे हाथ वाथ देखना नही आता. बल्कि कई बार शौकिया तौर पर मुझे ही कहती है कि हाथ देख कर कुछ भी बता.

मैने देखा वो बहुत गम्भीर मुद्रा में हस्त रेखाएं देख रही थी और फिर कुछ उंगुलियों पर गिन कर और कुछ सोचते हुए कुछ् बाते उस महिला को बताई और वो महिला भी खुश हो गई और वो खुशी खुशी चली गई.

उसके जाने के बाद मैने भी अपना हाथ बढा दिया कि मेरी भी हस्त रेखाएं  देख कर  कुछ बताईए. इस पर वो हंसते हुए बोली धत, मुझे कहा आता है हाथ वाथ देखना . ये हमारी जानकारी में हैं जरा परेशान थी…  बस हाथ देखने के बहाने इसकी कांउसलिंग कर दी. दो चार सकारात्मक बातें बता दी अब ये काफी सहज होकर गई है. अरे वाह ये तो बहुत अच्छी बात है …

Palmistry Money Line – Money Line in Palm, Hand

http://www.speakingtree.in/blog/money-line-in-palmistrySo let’s explore the money lines in our palm… The Money Lines 3 Some markings and configuration of lines present on your palm are very helpful indicators of your financial fate.

Money line is one of the lines present on your palm which demonstrate how your financial fate would be and how can you accumulate the money. Read more…

सच, कई बार दुख दर्द का ईलाज हस्त रेखाएं के माध्यम से भी किया जाए तो क्या हर्ज है.

Image via www.speakingtree.in

June 8, 2015 By Monica Gupta

फ्रिज ने किया फ्रीज

 फ्रिज ने किया फ्रीज

मेरी सहेली मणि का फ्रिज बहुत पुराना और इतना भारी है कि अगर उसे सरकाना हो तो चार आदमियो की जरुरत होती है. आज की तारीख में इतना पुराना हो चला था कि बार बार कहने पर मेरे कहने पर वो नया फ्रिज लेने मार्किट गई कम्पनी के दुकानदार ने गोदाम से फ्रिज मंगवाया तो उनका आदमी अपने कंधे पर फ्रिज लाया. एक अकेला आदमी बडे आराम से फ्रिज लेकर आ रहा था.

मणि के हैरानी से पूछ्ने पर दुकानदार बोला उनका रोज का काम है उन्हें भारी नही लगता पर वो इतनी हल्की क्वालिटी देख बिना खरीदे लौट आई. फ्रिज बेहद हल्का था. मणि का मन ही नही बना कि ऐसा फ्रिज खरीदा जाए. दूसरे शब्दों में कहूं तो मणि को फ्रिज ने किया फ्रीज. वो चुपचाप वापिस आ गई.

fridge photo

वैसे देखा जाए तो यही हाल स्टील के ट्रंक और अलमारी  का भी हैं. कुछ दिन पहले मैं भी मार्किट गई थी. ट्रंक और अलमारी को  खरीदना था. पर इतनी हल्की क्वालिटी देख कर खरीदने का मन ही नही हुआ.कमाल है, बेशक हम प्रगति की राह पर हैं पर ये चीजें सालिड बनने की बजाय इतनी धटिया क्यों बन रही हैं ???

 हैरानी तो तब हुई जब दुकान दार ने भी कहा कि आप के पास जो ट्रंक है  या अलमारी है उसे आप रखिए … ऐसी चीज अब दुबारा नही बन सकती … आजकल वो पुरानी बात नही रह गई है दुकान दार भी मानते हैं कि पहले वाली बात अब नही

सच, मैने तो अब अपना पुराने वाला ही ठीक  करवा लिया और मणि का अभी तक वही फ्रिज चल रहा है 🙂

फ्रिज ने किया फ्रीज

 

 

June 8, 2015 By Monica Gupta

बासी भोजन और महिलाए

बासी भोजन और महिलाए

कल सुबह मेरी सहेली मणि के बहुत तेज पेट दर्द हुआ. फोन आते ही  मैं उसके घर भागी. वो चुपचाप लेटी थी और घर के सभी सदस्य ऐसा लग रहा था कि नाराज हो. मैने सोचा कि अरे … बेचारी की तबियत ठीक नही और आप नाराज हैं इस पर वो बोले कि नाराजगी वाली तो बात ही है. महीने के बाद  आज मणि फ्रिज साफ कर रही थी. बर्फ भी बहुत जम गई थी इसलिए साफ कर रही थी और फ्रिज में खाने का छोटा मोटा सामान भी पडा हुआ था. थोडी बहुत सब्जी, दाल कटोरियों में बची हुई थी. (बासी भोजन और महिलाए )

कुछ तो शायद इसने फेंक दिया पर एक सब्जी नही फेंकी. उसे ठीक लगी और उसने बासी( Stale food)  परौठी के साथ खा ली. वो सब्जी हफ्ते पुरानी थी. ऐसे में तकलीफ और दर्द  नही होगा तो क्या होगा वो तो बचाव हो गया कि फूड पायजनिंग नही हुई. अब तो मुझे भी मणि पर गुस्सा आ रहा था. वैसे हम महिलाए जरा भी अपना ख्याल नही रखती. जहां परिवार और बच्चों की सेहत की बात हो वहां समझौता नही करेगी पर जब अपनी सेहत की बात आती है तो लापरवाह हो जाती है. वैसे आप तो ऐसी नही होंगी … और अगर है तो जरा नही बहुत सोचने की दरकार है !!

 no  photo

 

Webdunia Hindi

कहने को तो हम प्रतिदिन भरपूर मात्रा में हरी सब्जियाँ, अंकुरित अनाज, फल, जूस, सूप, सलाद व संतुलित मात्रा में पोषक तत्वयुक्त भोजन करते हैं। वहीं दूसरी ओर लगभग 90 प्र.श. व्यक्ति विभिन्न पोषकजन्य बीमारियों, कमर दर्द, सिर दर्द आदि व्याधियों से पीड़ित हैं। नेत्र ज्योति कमजोर होना, थकान होना, हाथ-पैरों में सूजन आम बीमारियाँ हैं। आखिर हमारे खानपान, पाक विधि में कहीं न कहीं कोई त्रुटि अवश्य है जिससे हमारे द्वारा लिया जा रहा उत्तम आहार भी उतना प्रभावी नहीं होता जितना होना चाहिए। भारतीय पाक कला, व्यंजनों की विविधता, लजीजता विश्वविख्यात हैं। भारतीय महिलाएँ तो इस कला में निपुण होती हैं, किन्तु भोजन बनाने के दौरान वे ऐसी गलतियाँ कर बैठती हैं जिससे उसकी पौष्टिकता बहुत कम हो जाती है अथवा नष्ट हो जाती है। अतः आवश्यक हो जाता है कि भोजन पकाते समय कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखा जाए। जिस समय भोजन करना हो उसी वक्त बनाएँ। बार-बार गरम करने से विटामिन नष्ट हो जाते हैं। जरूरत से ज्यादा भोजन न बनाएँ। बासी भोजन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है अथवा उसे फेंकना पड़ता है। दोनों ही स्थितियाँ हानिकारक हैं। दाल, चावल आदि रगड़-रगड़कर न धोएँ, इससे ऊपरी सतह पर विद्यमान पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। कोई भी अनाज एकदम बारीक न पिसवाएँ, विशेषकर गेहूँ तो चोकरयुक्त ही पिसवाएँ। हरी सब्जी, दाल, चावल फ्राइंग पेन अथवा प्रेशर कुकर में ही पकाएँ। इससे ईंधन तो बचता ही है, पोषक तत्व भी कम से कम नष्ट होते हैं।

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बासी भोजन और महिलाए

 

भारतीय लड़कियों में सुस्त जीवनशैली, बासी भोजन की आदतें और मोटापे के कारण पोलीसिस्टिक ओवरी सिड्रोम फैलने की सम्भावना बढ रही है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक, 10 से 30 फीसदी महिलाएं इससे प्रभावित हो रही हैं।

इंद्रप्रस्थ अस्पताल में वरिष्ठ प्रसूति रोग सलाहकार रंजना शर्मा ने बताया, ‘मोटापा और पीसीओएस का गहरा संबंध है, खासकर जब यह किशोरावस्था के समय होता है .

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बासी भोजन और महिलाए

अक्सर अखबार में भी खबर आती रहती है कि बासी खाना खाने से चार लोग अस्पताल में भर्ती या पूरे परिवार की तबियत बिगडी. वगैरहा वगैरहा… इसी के साथ साथ तो कुछ  पंडित जी तो यह भी मानते हैं कि बासी खाना, बासी रोटियां दान करने, गाय को खिलाने से बच्चों पर बुरा असर पड़ता है. यही नहीं, गाय को खराब सब्जियां खिलाने का बुरा प्रभाव भी बच्चे की जिंदगी पर पड़ता है.

बेशक, बासी खाना हमें बहुत टेस्टी लगता है. आलू मैथी की सब्जी हो और बासी परौठीं या ताजे निकाले मखन्न के साथ बासी रोटी या बासी खिचडी और कडी….  एक रात की बासी हो जाए तो कोई दिक्कत नही पर अगर 5-7 दिन पुरानी हो जाएगी तो कैसे चलेगा… फिर तो वो शरीर को हर हालत में नुकसान ही देगा इसलिए ….

बासी भोजन और महिलाए

Image via .images

June 7, 2015 By Monica Gupta

whatsapp ladies

whatsapp ladies   शिक्षा की बात हो तो हम लडकियां नम्बर वन…  परीक्षा परिणामों की हमेशा एक ही  हैड लाईन होती है कि लडकियों ने बाजी मारी … वही जब शापिंग की बात होती है तो भी महिलाओं का नाम पहले लिया जाता है कि महिलाओं को बहुत शौक होता है. पर हाल ही में एक हुए सर्वे ने मुझे हैरान कर दिया सर्वे था… हाउसवाइफ की बड़ी तादाद को ये तक नहीं पता कि इंटरनेट का इस्तेमाल कैसे करते हैं। ये चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं गूगल के सर्वे विमेन एंड टेक्नोलॉजी से।

ladies internet photo

 

whatsapp ladies

सर्वे के मुताबिक देश में 18 से 55 साल की महिलाओं में से करीब 50 फीसदी इंटरनेट से दूर है। इस सर्वे में 828 महिलाएं शामिल थीं। भारत में करीब 24.3 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं और इंटरनेट की पहुंच पूरी आबादी के सिर्फ 19 फीसदी तक है।

है न हैरानी वाली बात … इंटरनेट  एक ऐसी दुनिया है जिसका इस्तेमाल हर कोई किसी ना किसी रूप में करता ही है. यहां तक की छोटे छोटे बच्चे भी इसका इस्तेमाल करना जानते हैं. ऐसे में महिलाए कैसे पीछे रह गई.

 

News Flicks

 

http://hindi.moneycontrol.com/mccode/news/article.php?id=119700

whatsapp ladies  मेरे सर्कल में जितनी महिलाए हैं  उसमें से ज्यादातर महिलाओं ने  ने वटस अप के माध्यम से इस दुनिया में कदम रख दिया है. कुछ वही तक सिमट कर रह गई हैं  तो कुछ अब शापिंग इत्यादि  पर सर्च भी करने लगी हैं…

बेशक,  समय अभाव के कारण हो या कम जानकारी होने की वजह से वो नेट न इस्तेमाल करती हों पर अगर वो नई  दुनिया के साथ कदम ताल करेगीं उसे समझेगी तो न सिर्फ कुछ नया बल्कि फायदेमंद जानकारी भी पा सकेगी खुद को भी एक नई पहचान दे सकेंगीं.

Photo by Internet Archive Book Images

June 7, 2015 By Monica Gupta

Unsafe Edibles

Unsafe Edibles  मौसम सुहावना होता नही कि अचानक टिक्की, चाट पापडी, पकोडे समोसे आदि के लिए मचल जाते हैं. इतना ही नही बरसात के बाद छोटे मोटे स्टाल्स पर भी भारी भीड दिखाई देती हैं. इस खाने मे कोई बुराई नही पर बुराई है स्वच्छता न होने पर. मेरी एक सहेली बाजार का खाना समोसे टिक्की टाईप बहुत खाती है पर घर पैक करवा कर ले आती है . उसका कहना है कि वहां इतनी गंदगी मे खडे होकर खाना नामुमकिन है इसलिए आराम से घर के साफ माहौल मे खाती है.

Unsafe Edibles

उसकी इन बातों ने मुझे बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया. जहां गंदगी होगी वहां कीटाणु होंगें और  जहां  कीटाणु होंगें वहां बीमारियां भी यकीनन होगी. ना जाने हम हम कितनी बीमारियों को आमंत्रण दे रहे हैं और उससे भी बडी बात आती है प्रदूषित खाने की. हम घर में कितनी साफ सफाई रखते हैं पर क्या स्टाल और ठेले वाले भी अपने हाथ बार बार साफ करते होंगें. जो बाजार से सामान खरीद कर लाते होंगें क्या वो शुद्द होता होगा क्योकि अक्सर ज्यादा लाने के चक्कर में हम किसी न किसी बात से समझौता कर लेते है और और ….

 

64% of edibles sold in the open are adulterated indian food photo

मैगी को सेहत के लिए हानिकारक बताते हुए भारत में बैन कर दिया गया है। मगर अहम सवाल है कि क्या भारत में बाकी खाने-पीने की चीजें सेफ हैं और क्या उनमें मिलावट नहीं होती। सर्वे रिपोर्ट्स के अनुसार भारत में खुले में जितनी चीजें बिकती हैं, उनमें करीब 64 प्रतिशत खाने-पीने की चीजों में मिलावट होती है। इसको रोकने के लिए ना तो सरकार के पास कोई ठोस नीति है और ना ही कानून, जिसके तहत आरोपियों को कड़ी सजा दी जा सके। मार्केट में बिकने वाले फल और सब्जियों में भी हानिकारक तत्व!मिलती-जुलती खबरेंजल्द लाएंगे सुरक्षित स्वदेशी मैगी: बाबा रामदेवनेस्ले ने हटाई मैगी, कहा- जल्द होगी वापसीइन्फोग्रैफिक: आखिर क्यों ‘बेहाल’ हुई मैगी?’खुलासा मैंने किया, पर क्रेडिट बॉस ले गया’प. बंगाल में मैगी पर रोक नहीं लगाएंगी ममता कई खाद्य चीजों में तो हानिकारक केमिकल तक मिलाया जाता है। इनमें दूध, खाद्य तेल, दाल और सब्जियां शामिल हैं। मार्केट सर्वे एजेंसी विनायक रिसर्च और इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम के अलग-अलग सर्वे में यह बात सामने आई है। विनायक रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई में हाल में किए गए खाद्य वस्तुओं की जांच में पाया गया कि 60 से 65 फीसदी खुले खाने-पीने के तेल में बड़े पैमाने पर मिलावट होती है। दूध में भी कई बार हानिकारक केमिकल्स मिलाए जाते हैं इसके अलावा बड़ौदा की एक यूनिवर्सिटी की जांच में दाल और सब्जियों के सैंपल में आर्सेनिक मिला था। यह एक ऐसा केमिकल है, जिससे कैंसर भी हो सकता है। इसके अलावा यूपी में हुई एक जांच में सैंपल के 28 फीसदी अंडों में ई-कोलाई बैक्टीरिया पाया गया था। इससे पेट में इन्फेक्शन हो जाता है। दूध भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। दूध में कई बार अडल्ट्रेशन की शिकायत सामने आई है। देशभर से मिले करीब 1700 दूध सैंपल में 69 फीसदी दूध के सैंपल भारतीय मानकों के हिसाब से सुरक्षित नहीं थे। मिलाए जाते हैं केमिकल्स विनायक इंक के प्रमुख विजय सिंह का कहना है कि हमारी स्टडी में सामने आया है कि दाल, सब्जियां व फलों में इस तरह के केमिकल मिलाए जाते हैं, जिससे यह ज्यादा बढ़े। सरकार के पास ऐसी कोई मशीनरी नहीं हैं जिससे इसकी जांच हो। क्योंकि वस्तुएं सीधे तौर रिटेल मार्केट में पहुंचाई जाती हैं और फिर रिटेल मार्केट में उसको भेजा जाता है। एसोचैम का कहना है कि भारत में मिलावट और जमाखोरी रोकने के लिए कानून तो है, मगर वे इतने प्रभावशाली नहीं हैं, जो ऐसे लोगों में खौफ पैदा करें। एसोचैम के डायेक्टर जनरल डी.एस. रावत के अनुसार खुले तौर पर जो खाद्य वस्तुएं बिकती हैं, उसको लेकर आम आदमी के मन में आशंका रहती है। यह इस बात को दर्शाता है कि मिलावट को रोकने के लिए अभी तक पर्याप्त कदम उठाए नहीं गए हैं। Read more…

Unsafe Edibles बेशक, मैगी मॆ जानलेवा मिलावट होती है पर स्टाल पर गंदगी, अस्वच्छता और प्रदूषित पानी भी कम जानलेवा नही… !!! जरा सोच कर कही डाक्टर के पास न भागना पड जाए

June 7, 2015 By Monica Gupta

Be happy

Be happy .. आज सुबह घर के सामने दो बच्चे बाते करते हुए किसी तीसरे का इंतजार कर रहे थे. मैं पौधों को पानी दे रही थी और अनायास ही ध्यान उनकी बातों पर केंद्रित हो गया. एक बोला कि वो जब भी किसी से दोस्ती करता है तो यह देख कर करता है कि वो मोटा है या पतला और अगर वो पतला है तो वो दोस्ती नही करता. मैं हैरानी से बात सुन रही थी. दूसरे ने पूछा कि यार ऐसा किसलिए ?? तो वो हाथ हिला हिला कर बोला कि देख यार मोटे हमेशा हंसते रहते हैं और खुश रहते हैं और पतले लोग हमेशा सडे और चिडचिडे होते हैं.

Be happy

smile photo

 

इसी बीच उनका तीसरा दोस्त जोकि थोडा मोटा था वो आ गया और वो आगे चले गए. मैं मुस्कुराते हुए सोचने लगी कि शायद बच्चा ठीक ही कह रहा था वैसे मोटे लोग खुश मिजाज ही होते है जबकि पतले लोग … !! वैसे ऐसी बात है भी नही … जो लोग टेंशन नही लेते अपना काम ईमानदारी से निभाते हैं वो खुश ही रहते हैं उसमे मोटे पतले की बात नही है … खैर, ये तो बच्चों का संसार है बच्चो की सोच है …  वैसे आप क्या सोचने लगे  …..  🙂   वो कहते हैं ना donat worry … Be happy बात मोटे पतले की नही है बस ऐसे आप हमेशा खुश रहिए   आपको देख कर दूसरे भी खुश रहेंगें …

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