Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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June 5, 2015 By Monica Gupta

Thankless People

Thankless People

आज सुबह मणि का मूड खराब था. उसके एक जानकार को कानूनी सलाह की जरुरत थी.तो  उसने अपने एक मित्र से मुलाकात करवा दी और लिहाज से उसका काम भी  बहुत जल्दी हो गया. पर थैक्स के लिए एक बार भी फोन नही आया.  काम न होने से पहले दिन में दस दस बार उसका फोन आता था पर अब इतना भी नही हुआ कि एक बार फोन करके यह ही कह दे कि काम हो गया है … हुह .. मणि को बहुत गुस्सा आ रह अथा उसने मुझे कहा कि आगे से वो कभी भी किसी की भी मदद नही करेगी.

Thankless People. वैसे ऐसा तो मेरे साथ भी बहुत बार हुआ है. अगर एक उदाहरण दूं तो वो है रक्तदान के लिए … बहुत बार जब किसी को रक्त की जरुरत हुई रात बे रात तुरंत फोन करके बहुत लोगों को तुरंत रक्त उपलब्ध करवाया पर बहुतों ने थैक्स नही किया. बाद में खुद ही पता करती थी कि सब ठीक है न रक्त उपलब्ध हो गया था ना. कोई दिक्कत तो नही आई ना … तब लोग थैक्स बोल देते… तब मेरे मन में भी यही विचार आता कि कितने अकृतज्ञ लोग हैं पर फिर दुबारा जब भी किसी को रक्त की जरुरत होती और फोन आता तो मैं अपनी नाराजगी भूल कर मदद के लिए तैयार हो जाती.

देखा जाए तो समाज में हर तरह के लोग हैं . कुछ बहुत ज्यादा अच्छे होते हैं और कुछ बस मतलब निकल जाने पर तू कौन .. मैं खामखाह …!! !!! .वैसे, हममें जितना सामर्थ्य है उतनी मदद तो निस्वार्थ भाव से करनी ही करनी चाहिए. वैसे पेड भी तो अपनी छांव निस्वार्थ भाव से ही देते हैं ना… Thankless People

वैसे आप सभी ने मेरा लेख पढा इसके लिए मेरी तरफ से बडा सा थैक्स तो बनता ही है 🙂 थैक्स 🙂

thanks  photo

Photo by woodleywonderworks

June 5, 2015 By Monica Gupta

INVESTIGATIVE JOURNALISM

INVESTIGATIVE  JOURNALISM

पुराने समय  में पत्रकारों का अख़बार के नफ़ा-नुक़सान के बारे में सोचना भी अनैतिक था लेकिन जब से नौकरियाँ ठेके पर दी जाने लगीं तो न्यूज़रूम पर बाज़ार का क़ब्ज़ा हो गया. किसी समय  में दिग्गज बुद्धिजीवी, साहित्यकार और अर्थशास्त्री अख़बारों के संपादक होते थे. अब अख़बार के मालिक वफ़ादारों को संपादक बनाकर उन्हें मुनाफ़े की ज़िम्मेदारी देने लगे.

अख़बार के पन्नों में ख़बर से अधिक विज्ञापन को प्राथमिकता मिलने लगी.मुनाफे के चलते और  विज्ञापन की चकाचौंध   के चलते कॉरपोरेट सेक्टर की धांधलेबाज़ी की ख़बरें कम होती गईं…. कम होती गई … और खत्म ही हो गई …

cartoon Rip by monica gupta

 WE MISS YOU INVESTIGATIVE JOURNALISM…. 🙁  WHERE R U ???? COME BACK SOON…

 INVESTIGATIVE JOURNALISM

संपादक की पगार से अधिक मार्केटिंग और सेल्स के मैनेजरों की पगार होने लगी.  हद तो और भी ज्यादा तब बढ गई जब मुनाफे के लिए बडे बडे उद्योगपतियों ने न्यूज  चैनल ही खरीद लिए और अब हर चैनल पर कोई न कोई किसी न किसी पार्टी का मुखिया( अप्रत्यक्ष रुप से ही सही ) पर  विराजामन है ऐसे में खबरें कैसी होगी…  इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है.

कुल मिला कर अगर ये कहा जाए कि अखबार मुनाफे का धंधा बन गया तो गलत न होगा … खोजने पर भी INVESTIGATIVE JOURNALISM यानि खोजी पत्रकारिता नही मिल रही…

June 2, 2015 By Monica Gupta

Mother Daughter Relationships

Mother Daughter relationships… ग्यारहवीं  क्लास मे पढने वाली दीपा सुबह सो कर उठी और हमेशा की तरह अपना फेसबुक चैक किया . उसे देखते ही उसका पारा सातवें आसमान पर चढ गया. असल में, उसके दसवीं क्लास में मार्क्स  बहुत कम आए थे. इस वजह से तनाव मे चल रही थी और  उसकी face book wall पर मम्मी ने कमेंट कर दिया कि कोई बात नही कम ज्यादा तो होते रहते हैं इस बार ज्यादा मेहनत करना. इसी के साथ साथ उसका घर का नाम भी लिख दिया. चिल्लाते हुए दीपा कमरे से बाहर आई और बहुत बुरी तरह अपनी मम्मी से बात करने लगी. पहले पहल तो मम्मी चुपचाप सुनती रही . फिर उन्होनें भी चिल्लाना शुरु किया कि तुम भी तो सारा दिन फेसबुक पर लगी रहती हो अगर मैने लिख  दिया तो क्या पाप कर दिया..थोडी ही देर में बात मरने मराने तक पहुंच गई.

मेरे विचार से जहां किशोर या युवा बच्चे रहते हैं वहां ऐसी बाते आमतौर पर होती रहती हैं. आज के बच्चे बहुत तनाव में रहने लगे हैं हर घर की अपनी अपनी  वजह है. अगर हम सारी गलती मम्मी पर डालेंगें तो भी सही नही होगा और सारी गलती बच्चों पर डालेग़ें तो भी अन्याय होगा तो क्या करनां चाहिए. जी बिल्कुल सही … क्या करना चाहिए… बात का हल निकालना चाहिए . बच्चो के साथ बच्चा बन कर भी झगडा शुरु नही कर देना चाहिए. समझादारी से काम लेना चाहिए आखिर आप मम्मी है मम्मी !!!

कुछ ऐसी ही परेशानी मेरी सहेली मृदुला और उसकी बेटी गौतमी के साथ थी. गौतमी अभी 16 साल की हुई है. दोनों को कौंसलिंग की जरुरत थी. मैने एक दिन मृदुला को घर बुलाया और उसकी सारी बाते ध्यान से सुनी. सुनकर लगा कि बात इतनी ज्यादा नही है जितना बनाया जा रहा है. उसे समझाया कि सबसे पहले तो एक अच्छी मां होने के नाते अपने गुस्से पर काबू करना सीखों. उसकी जगह खुद को रख कर बात करो कि अगर तुम उसकी जगह होती तो कैसा बर्ताव करती. बच्चों को टोका टाकी पसंद नही होती इसलिए बजाय बात बात पर टोकने के बच्चों को विश्वास में लेकर उनसे बात करनी चाहिए. उनकी पसंद ना पसंद का भी ध्यान रखना चाहिए  और अगर बच्चे का पहनावा पसंद नही आया तो कुछ इस तरह से बोले कि आप अपनी बात भी कह दें और बुरा भी न लगे. उसकी बातों में  मुझे दो कारण और मिले. पहला तो ये कि जब भी उसका आफिस मॆं किसी बात पर तनाव होता है या फिर जब भी पति से किसी बात पर लडाई होती है तो माध्यम बच्चे बन जाते हैं उन पर सारा गुस्सा उतारा जाता है जबकि बच्चों  क्या दोष है इसमें.  एक कमी और भी मैने मृदुला में महसूस की कि वो अपने बच्चे की बुराई अपने रिश्तेदार या सहेलियों से अक्सर  करती रहती . जबकि ये सही बात नही है और खास तौर पर बच्चों को यह पसंद नही होता.  घर परिवार की बाते घर परिवार मे ही निबटाई जाए तो ही बेहतर होता है.

बच्चों को प्रोत्साहित करके  उनके कार्य की कद्र करनी चाहिए और शापिंग के बहाने ही सही उनके साथ समय बीतना चाहिए इससे आत्मीयता बढती है और आपसी बातो से विचारों का आदान प्रदान होता है. मृदुला मेरी बाते सुनकर बहुत कुछ सोच रही थी शायद उसे लग रहा था कि कि कही न कही वो भी गलत है. उसने वायदा लिया कि वो कोशिश करेगी कि अपने गुस्से पर कंट्रोल करने का और बच्चों से बेवजह बहस न करने का. और रही बात मोबाईल और नेट पर रोक लगाने की तो वो इस विषय में भी ज्यादा नही टोकेगी …

मैने बस इतना कहा कि हफ्तें दस दिन यह करके तो देखो और  वही उसको कहा कि गौतमी को भेजना पर इस बारे मे कोई बात नही बतानी कि हमारी क्या बात हुई है इस पर वो हंस कर बोली ” कौन सी बात ” ???

अगले दिन चावलों की खीर लेकर उनकी  बेटी गौतमी घर आई. हमारे यहां वाई फाई है इसलिए वो कुछ देर बैठ कर नेट पर कुछ करने लगी. अब अगर मे उससे सीधा बात करती तो शायद उसे अच्छा नही लगता मैने अपनी कजिन का उदाहरण देख कर बात शुरु की  कि वो भी उसकी उम्र की है  और उसके विचार जानती रही. उसे मैने दिखाया कि मैने नेट से बहुत काम की वेबसाईट सेव की है ये उसे भेजने वाली हूं ताकि वो कुछ सीखे  और उसे दिखाने  लगी …

 

 

maggi

How to Be a Good Daughter – 14 Easy Steps (with Pictures)

How to Strengthen the Bond Between You and Your Mom See more…

उसे पढ कर बहुत अच्छा लगा. उसने कहा कि ये लिंक तो उसे भी मेल कर दो ताकि वो भी इसे पढ सके. फिर बातो ही बातों मे बोली कि कई बार वो मम्मी के सामने गुस्सा हो जाती है तेज बोल जाती है वो भी इसे सुधारने की कोशिश करेगी … बस मैं भी यही चाह्ती थी मैने उसे समझाया कि ऐसी कोई बात लगती तो नही  पर अगर है अगर  तुम ऐसा सोच रही हो तो ये तो और भी अच्छी बात है …मम्मी बेटी के रिश्ते मॆ सबसे बडा होता है विश्वास … बस दोनों को ईमानदार रहना चाहिए और एक दूसरे पर सहेली की तरह विश्वास करके सच बताना चाहिए.

अपने समय का सही इस्तेमाल करना चाहिए. हमे क्या  बनना है हमारी भीतर क्या potential है उसे खोज निकलाना चाहिए और पढाई के साथ साथ  extra curricular activity मे भी  ध्यान  लगाना चाहिए क्योकि उससे हम स्मार्ट बनते हैं  खुद को challenge करना चाहिए और हमेशा  be positive वाली सोच हो तो क्या कहने…

मैने उसे एक दो लिंक और दिखाए …

उसकी बातों से लग रहा था कि वो खुद को सुधारने की कोशिश करेगी और ये लिंक वो मम्मी के साथ भी शेयर करेगी. record break by monica gupta

15 Insights on Improving Mother-Daughter Relationships |

Mother-daughter relationships are complex and diverse. Some mothers and daughters are best friends. Others talk once a week. Some see each other weekly; others live in different states or countries. Some spar regularly. Some avoid conflict. Others talk through everything. And undoubtedly, there’s a hint of all these things in most relationships. See more…

 

How to Improve Your Mother Daughter Relationship: 15 Steps

Face it. You don’t always bond with your daughter. She might be busy on the computer, the phone, with her friends, or schoolwork. When you try to talk to her, she doesn’t listen, or just leaves the room. She thinks that you are embarrassing, and you don’t know how to change that.

You may be busy as well, with work, family, money, and so much more. Do either of these situations sound like you? If so, you need to improve your mother-daughter relationship and overall bond. See more…

वैसे आप अपने बच्चों के साथ तो झगडा नही करते होंगें अगर करते हैं तो आप भी इसे जरुर पढिएगा … और अपने विचार मुझसे  सांझा करना नही भूलिएगा … हो सकता है आपके पास भी कोई बहुत अच्छा आईडिया हो …

June 1, 2015 By Monica Gupta

जय गणेशा – ॐ श्री गणेशाय नमः – गणेश चतुर्थी

जय गणेशा - ॐ श्री गणेशाय नमः - गणेश चतुर्थी

जय गणेशा

जय गणेशा – ॐ श्री गणेशाय नमः – गणेश चतुर्थी, श्री महा गणपति प्रणव मूलमंत्र: ॐ गं ॐ |. ॐ गं गणपतये नमः |. ॐ नमो भगवते गजाननाय |. श्री गणेशाय नमः |. ॐ श्री गणेशाय नमः |. ॐ वक्रतुन्डाय हुम |. ॐ ह्रीं श्रीं क्लिं गौं ग: … ॐ श्री गजानन जय गजानन |. ॐ श्री गजानन जय गजानन | जय जय गजानन |

 

10636210_10204876599854111_821025822890042605_nगणेश जी

जय गणेशा – ॐ श्री गणेशाय नमः – गणेश चतुर्थी.. अक्सर हम यही जानते है कि  किसी भी पूजा  या शुभ काम करने से पहले गणेश जी पूजा करनी चाहिए. गणेश जी के प्रथम पूज्य होने के कारणो पर एक नजर डालते हैं! श्री गणेश जी से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं.उनके बारे मे ना सिर्फ ढेरो कहानियां है बल्कि वो अपने प्रत्येक अंग से कुछ न कुछ कहते हैं !जितना मुझे पता है और मैनें पढा है

आइये जानते हैं उनके अंगों के बारे मे कि वो क्या संदेश देते हैं….

जय श्री गणेशाय

जय गणेशा – ॐ श्री गणेशाय नमः – गणेश चतुर्थी

मस्तक – गणेश जी का मस्तक काफी बड़ा होता है जो हमें अपनी सोच को बड़ा बनाये रखने की और बड़े विचारों को मस्तिष्क में स्थिरता रखने की सलाह देता है !

आँखें – गणेश जी आँखें काफी छोटी – छोटी होती है जो हमें सन्देश देती है , कि जीवन में सफल होने के लिए एकाग्रता का होना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है !एकाग्रता के बिना सरल से सरल काम को भी पूर्ण नहीं किया जा सकता है और एकाग्रता हो तो पानी में देखकर भी घूमती हुई मछली की आँख को निशाना बनाया जा सकता है !

कान – गणेश जी के कान काफी बड़े होते हैं और ये बड़े कान हमें एक अच्छा श्रोता बनने का सन्देश देते हैं अर्थात हमारे अंदर धैर्य और एकाग्रता पूर्वक अच्छी बातों को सुनने का सामर्थ्य होन चाहिए !

कुल्हाड़ी – गणेश जी के दांये हाथ की कुल्हाड़ी हमें ये प्रेरणा देती है , कि हमें सांसारिक बंधनों की असत्य डोरियों को काटकर एकमात्र सत्य ईश्वर की और अग्रसर होने का प्रयत्न करना चाहिए !

रस्सी -गणेश जी के बांये हाथ की रस्सी स्वयं को अपने जीवन के चरम लक्ष्य की और खींच कर ले जाने का संकेत देती है और यह लक्ष्य है स्वयं श्री गणेश !

जय गणेशा

मुख -गणेश जी का मुख काफी छोटा होता है परन्तु ये हमें दो संकेत देता है , कि एक तो हमें कम बोलना चाहिए !कम बोलने से तात्पर्य है कि जितनी आवश्यकता हो उतना ही बोलना चाहिए अधिक नहीं ! दूसरा संकेत जो हमें गणेश जी के मुख से प्राप्त होता है वह है ,कि हमें कम खाना चाहिए अर्थात जीवन के लिए भोजन करना चाहिए न कि केवल स्वाद के लिए !

दांत -गणेश जी का केवल एक ही दन्त होता है दूसरा नहीं अर्थात हमें केवल अच्छी वस्तुओं का संग्रह करना चाहिए बुरी वस्तुओं का नहीं !

दूसरा संकेत हमें ये प्राप्त होता है , कि यह शरीर नश्वर होता है जिसे एक दिन अवश्य ही खत्म हो जाना है इसलिए शरीर का अधिक मोह नहीं करना चाहिए लेकिन “शरीर माध्यम खलु धर्मंसाधनं”के विचार को महत्व देते हुए हमें शरीर को नीरोग रखने का पूरा कर्म करना चाहिए क्योंकि शरीर ही संसार में सभी धर्मों को पूरा करने का माध्यम है और मोक्ष का माध्यम है !

सूंड – गणेश जी की सूंड मानव शरीर की adaptibility का सर्वश्रेष्ठ उदहारण है !यह सूंड हमें शरीर में दुसरे परिवर्तनों को सहेजने और उनके साथ उसी कुशलता से काम करने का सन्देश देती है !जिस प्रकार स्वयं गणेश जी ने हाथी की सूंड का सामंजस्य स्वयं के शरीर के साथ करते हुए अपने मुख के सभी कार्य सूंड के साथ निर्विघ्न्तापूर्ण संपन्न किये !

हस्त – गणेश जी का दांया हाथ जो आशीर्वाद देने की मुद्रा में उठा हुआ है ,वो सभी जीवों को सुखपूर्वक जीने का आशीर्वाद दे रहा है !और साथ ही साथ संसार से ईश्वर तक जाने वाले उस दिव्य पथ को भी आलोकित कर रहा है !

मोदक अर्थात लड्डू -मोदक हमें इस बात की सूचना देता है कि यदि आप कोई कर्म करते हैं तो आपको उसका फल तो मिलेगा ही लेकिन यदि आपका कर्म और उसके प्रभाव नश्वर होते हैं तो आपको नष्ट होने वाला फल ही प्राप्त होगा लेकिन यदि आपके कर्म ईश्वर प्राप्ति के मार्ग को प्रशस्त करने वाले हैं तो आपका प्रसाद भी अलौकिक ,दिव्य और गणेश जी के मोदक के समान अनश्वर होगा ! (अर्थात साधना का फल है मोदक)

बड़ा पेट -गणेश जी का बड़ा पेट हमें इस बात की शिक्षा देता है ,कि हमें जीवन में जो कुछ भी हो रहां है उसे शांतिपूर्वक पचा लेना चाहिए!चाहे

वह अच्छा हो रहा है या बुरा !

प्रसाद – गणेश जी सामने रखा हुआ प्रसाद ये बता रहा है  कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड आपके कदमों में है और आपके आदेश की प्रतीक्षा कर रहा है !

मूषक(चूहा)- मूषक अर्थात गणेश जी का वाहन !मूषक के द्वारा गणेश जी ये बताना चाह रहे हैं ,कि ऐसी इच्छाएं जो हमारे वश में नहीं होती हैं वो नुकसान पहुंचा सकती है इसलिए इच्छाएं सदैव उस आकार की ही होनी चाहिए कि हम उन पर सवारी कर सकें यदि यदि इच्छाएं हम पर सवारी करना शुरू कर देती है तो मुश्किल हो जाती है !विशालकाय गणेश जी का वाहन छोटा सा मूषक इसी बात की दार्शनिक व्याख्या करता नजर आता है !

जय गणेशा – ॐ श्री गणेशाय नमः – गणेश चतुर्थी

क्यों है ना… गणेश जी का केवल मुख नहीं अंग – अंग भी बोलता है और वो भी लाजवाब !! जय गणेशा !

 

June 1, 2015 By Monica Gupta

वर्तमान समय में नारी की सोच – महिलाए और आत्मविश्वास

Importance of Mothers in Life

वर्तमान समय में नारी की सोच – महिलाए और आत्मविश्वास – अगर आज महिलाएं और समाज की बात करें तो क्या पतंग और महिला की क्या एक ही कहानी है ??? जर्र जर्र … तार तार … लपक लो … वो गिरी पडी है … लूट लो … या कुछ और … !!!

वर्तमान समय में नारी की सोच – महिलाए और आत्मविश्वास – महिलाएं और समाज

कल एक programe में गई बडा अच्छा सा माहौल था … कुछ लोग पंतग उड रहे थे … कही ढोलक बज रहा था तो कही मूंगफली और रेवडी खाते लोग बाते कर रहे थे …

मैं वही बैठ गई कुछ जानकार महिलाएं बाते कर रही थी पहले नोट बंदी फिर त्योहारों की कि क्या मायने रह गए आज त्योहारों के … और फिर महिला असुरक्षा पर आकर टिक गई पतंग जैसी हो गई है हम महिलाओ की जिंदगी … कोई सुरक्षा  नही जैसे पतंग के बारे मे कहते हैं कि लपक लो, लूट लो बस ऐसी ही हो गई है हम महिलाओ की … आज हालात कुछ ऐसे हो गए

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वो पतंग

ये सुनकर मुझे ध्यान आया जब मेरी भी ऐसी ही सोच थी बात पिछ्ले साल की है जिसे मैं आपसे शेयर करना चाहूगी मकर सक्रांति के बाद एक पतंग कट कर सामने बिजली की तार पर उलझ गई थी

घर के सामने बिजली की तार पर एक पंतग अटकी हुई है. बहुत दिनों से मैं इसे लगातार देखती हुई सोचती थी कि एक बार यह फटनी और तार तार होनी शुरु हो जाए फिर अच्छी सी कविता लिखूगी कि हाय पतंग तेरा क्या जीवन और फिर उस पंतग को महिलाओ से जोडूगी कि महिला का जीवन भी पंतग जैसा निरीह, बेचारा है पर आशा मे खिलाफ उस पंतंग को कुछ भी नही हुआ हालाकि टंगे हुए उसे महीना से ज्यादा हो गया है पर पूरे विश्वास से हवा मे झूल रही है.

 

वर्तमान समय में नारी की सोच – महिलाए और आत्मविश्वास

तब मन में विचार आया कि और हर situation में अपना आत्म विश्वास बनाए रखें अगर हम स्वयं को मजबूत रखें तो हमें कोई चीज या बात हमें तोड नही सकती इसके किए हमे अपनी लक्षमण रेखा निर्धारित करनी होगी कि हमारे लिए क्या सही है और क्या गलत  और इस पंतग ने मेरी सोच को नई दिशा दे डाली… बात बस यही है खुद को कमजोर नही समझना  और हर परिसथ्ति का डट का सामना करना है ..जरुर सोचिए

फिलहाल मकर सकारंति की बधाई पोजिटिव सोचने की बहुत आवश्यकता है

महिला और समाज – भारतीय समाज में नारी का स्थान – Monica Gupta

महिला और समाज – भारतीय समाज में नारी का स्थान – हाल ही में हम महिलाओं से जुडे दो बेहद खास त्योहार गए. करवा चौथ, अहोई अष्टमी का. इंटरनेट पर खूब मजाक बनाया monicagupta.info

 

 

 

June 1, 2015 By Monica Gupta

नमस्कार – कैसे हैं आप

मटके का पानी छी होता है क्या

नमस्कार – कैसे हैं आप – The Real Meaning and Significance of “Namaste – किसी जमाने मॆं नमस्ते ,नमस्कार या  नमस्कारम, की जगह आज  हैलो, हाय, वटस अप …ने ली है. आजकल ये हमारे अभिवादन के तरीके  हो गए हैं  जबकि नमस्ते  सुनने में बहुत अच्छा और आत्मीयता तथा अपनेपन का भाव जगाता है.किसी मंदिर के करीब से गुजरते ही  हाथ खुद बखुद जुड जाते हैं यानि नमस्ते की मुद्रा में आ जाते हैं.

नमस्कार – कैसे हैं आप

नमस्कार  मूल धातु `नम:’ से `नमस्कार’ शब्द बना है । `नम:’ का अर्थ है नमस्कार करना, वंदन करना ।
दोनों हाथों को मिलाकर, हल्के से शरीर के झुकाव के साथ किया गया नमस्कार असल में, सबसे पहले व्यक्ति के अहं को दूर करता है, नमस्कार करने से  नम्रता बढती है  ,  कृतज्ञता का भाव बढता है सात्त्विकता मिलती है और  आध्यात्मिक उन्नति होती है ।

नमस्कार

नमस्कार भारतीय़ संस्कृति का अनमोल रत्न है। नमस्कार अर्थात नमन, वंदन या प्रणाम – नमस्कार एक श्रेष्ठ संस्कार है। जब तुम किसी बुजुर्ग, माता-पिता, संत-ज्ञानी-महापुरूष के समक्ष हाथ जोड़कर मस्तक झुकाते हो तब तुम्हारा अहंकार पिघलता है और अंतःकरण निर्मल होता है। तुम्हारा आडम्बर मिट जाता है और तुम सरल एवं सात्त्विक हो जाते हो। साथ ही साथ नमस्कार द्वारा योग मुद्रा भी हो जाती है। See more…

The Real Meaning and Significance of

The Real Meaning and Significance of “Namaste! 1/7 अनाहत चक नमस्ते करने के लिए, दोनो हाथों को अनाहत चक पर रखा जाता है, आँखें बंद की जाती हैं और सिर को झुकाया जाता है। The Real Meaning and Significance of “Namaste! 2/7 दैवीय प्रेम का बहाव हाथों को हृदय चक्र पर लाकर दैवीय प्रेम का बहाव होता है। सिर को झुकाने और आँखें बंद करने का अर्थ है अपने आप को हृदय में विराजमान प्रभु को अपने आप को सौंप देना।

तो अब आप क्या सोच रहे हैं  हैलो,  हाय  या फिर नमस्ते … वैसे मेरी तो नमस्ते है आप सभी को …

Photo courtesy oneindia.com

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